Author: Prabhu Bhakti

नीचे शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण मंत्रो का उल्लेख किया गया है :शनि बीज मंत्रॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।श्री शनि वैदिक मंत्रऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।शनि देव का जाप मंत्रॐ शं शनैश्चराय नमः।Shani Tantrik Mantraऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।Shri Shani Dev ki AartiShri Shani ChalisaShani Dev Stotra

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शालिग्राम पत्थर (शिला) क्या है? (What is Shaligram Stone in Hindi)शालिग्राम वैसे तो एक शिला है लेकिन हिन्दू धर्म में इसे शिला की संज्ञा नहीं दी गई। शालिग्राम भगवान का एक रूप है जिसे पूजने की प्रथा है। शालिग्राम नदी के किनारे ही मिलता है। शालिग्राम भगवान विष्णु का निराकार रूप है। जैसे शिवलिंग भगवान शिव का निराकार रूप है।वैष्णव लोग गंडकी नदी के निकट पाए जाने वाले शालिग्राम को पूजते हैं। बात करें कि शालिग्राम का मतलब क्या है? तो शालिग्राम का अर्थ है एक पत्थर। पद्मपुराण के मुताबिक गण्डकी यानी नारायणी नदी के पास एक प्रदेश है। जहाँ शालिग्राम…

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What is Kaal Sarp Dosh Yog Yantra?Kaal Sarp Dosh means जब कुंडली के सारे ग्रह सूर्य, चन्द्रमा, बुध, शनि, मंगल, शुक्र, गुरु, राहु और केतु के मध्य में होते हैं। यह सभी कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं। [1]इस समस्या का निपटारा करने के लिए कालसर्प योग यन्त्र का प्रयोग किया जाता है। यह राहु और केतु की दशा को ठीक करने का कार्य करता है। इसके अनेक फायदे हैं जिसके बारे में आपको बताएंगे :Kaal Sarp Dosha Yantra के फायदे1. यह राहु और केतु के ग्रह दशा को ठीक करने में अत्यंत लाभकारी है। उल्टे प्रभावों को खत्म करता…

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शिव महापुराण श्लोक लिंगकोटिसहस्त्रस्य यत्फलं सम्यगर्चनात्।तत्फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्चनाद् भवेत्।।ब्रह्महत्या सहस्त्राणि गौहत्याया: शतानि च।तत्क्षणद्विलयं यान्ति रसलिंगस्य दर्शनात्।।स्पर्शनात्प्राप्यत मुक्तिरिति सत्यं शिवोदितम्।।इस श्लोक के अनुसार करोड़ों शिवलिंग पूजन से जो फल मिलता है। उससे भी कई गुना ज्यादा फल पारद शिवलिंग की पूजा से प्राप्त होता है। इसके केवल स्पर्श से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। 

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पंचमुखी हनुमान कवच स्तोत्रहनुमान जी का ध्यान मंत्रपंचमुखी हनुमान जी की आरती॥ हनुमानाष्टक ॥Hanuman ji ka Mantraपंचमुखी हनुमान कवच मंत्र ऊँ ऐं श्रीं ह्रीं ह्रीं हं ह्रौं ह्रः ऊँ नमो भगवते महाबल पराक्रमाय भूत-प्रेत-पिशाच ब्रह्म राक्षस शाकिनी डाकिनी यक्षिणी पूतना मारीमहामारी राक्षस भैरव बेताल ग्रह राक्षसादिकान् क्षणेन हन हन,भंजय भंजय मारय मारय,क्षय शिक्षय महामहेश्वर रुद्रावतार ऊँ हुम् फट स्वाहा ऊँ नमो भगवते हनुमदाख्याय रुद्राय सर्व दुष्टजन मुख स्तम्भनं कुरु स्वाहाऊँ ह्रीं ह्रीं हं ह्रौं ह्रः ऊँ ठं ठं ठं फट् स्वाहा.पंचमुखी हनुमान शाबर मंत्रसर्व कार्य सिद्धि हनुमान शाबर मंत्र इस प्रकार है : || ऊं नमो आदेश गुरु को, सोने का कड़ा,तांबे…

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महालक्ष्मी कवचम (MahaLakshmi Kavach)महा लक्ष्मी चालीसा पाठ | Maha Laxmi chalisa paathमहालक्ष्मीकनकधारास्तोत्र | Mahalaxmikankadhaaraastotrमहा-लक्ष्मी जी की आरती -लक्ष्मी जी की आरती लिखी हुई | Maha-Laxmi jee ki aarti-  mahalaxmi aarti lyrics ( Lakshmi ji ki aarti likhi hui )Mahalaxmi Ashtakamमहालक्ष्मीअष्टकम इस प्रकार है : लक्ष्मी सूक्त का पाठ | Laxmi sootk ka paath

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What is Narmadeshwar shivling? | Narmadeshwar shivling story | नर्मदेश्वर शिवलिंग की कहानी हिन्दू धर्म में शिवलिंग की पूजा का काफी महत्व बताया गया है। शिवलिंग पूजा में भी नर्मदेश्वर शिवलिंग का सबसे अधिक महत्व है। नमर्दा नदी से निर्मित होने वाले Narmadeshwar Shivling समेत इस नदी का कण-कण शिव है। नर्मदा पुराण की माने तो नर्मदा शिव की पुत्री है जिन्हें भगवान शंकर का वरदान प्राप्त है। इसलिए narmada river shiva lingam stone को सबसे पवित्र माना जाता है।     मान्यता है कि नर्मदा नदी में स्नान करने से वही फल प्राप्त होता है जो गंगा स्नान से प्राप्त होता है। इस…

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महाकाल कवच क्या है? | What is Mahakal Kavach?  Mahakal kavach की महिमा अपरंपार है, इसकी महिमा के जैसा दूसरा कोई कवच नहीं है। इसे अमोघ शिव कवच भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे समस्त प्रकार के कष्टों का निपटान हो जाता है । जिनमें शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक सभी कष्ट शामिल है। कवच का वास्तविक अर्थ ही है रक्षा करना। प्राचीन या पौराणिक समय में जब कोई क्षत्रिय युद्ध आरंभ करता है तो वह सर्वप्रथम किसी लौह कवच को अपने शरीर पर धारण करता है जिससे वह शत्रु के वार से सुरक्षा प्राप्त कर…

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What is Dakshinavarti Shankh? शंख की कई श्रेणियां है जिनमें से एक श्रेणी है Dakshinavarti Shankh। बात करें कि Dakshinavarti Shankh kaisa hota hai तो इसका दक्षिणवर्ती नाम इसलिए है क्योंकि जहाँ बाकी सभी शंख का पेट बाई ओर खुलता है वहीँ दक्षिणवर्ती शंख दाईं ओर खुलता है। विश्वामित्र सहिंता और गोरक्षा संहिता में दक्षिणवर्ती शंख को घर में खुशहाली और धन-वैभव का प्रतीक है। असली दक्षिणवर्ती शंख हिन्द महासागर के आस-पास श्री लंका और म्यांमार में पाए जाते हैं। बता दें कि भारत में इस शंख के तीन मुख्य क्षेत्र हैं ; राम सेतु, श्रीलंका, रामीश्वरम।इसे बेहद शुभ माना जाता…

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