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    Home » Padmavathi Temple : भगवान वेंकटेश्वर की पत्नी पद्मावती को समर्पित मंदिर का इतिहास और कहानी
    Temple

    Padmavathi Temple : भगवान वेंकटेश्वर की पत्नी पद्मावती को समर्पित मंदिर का इतिहास और कहानी

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiDecember 29, 2023Updated:December 29, 2023
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    पद्मावती मंदिर कहाँ है? ( Where is Padmavathi Temple? )

    Padmavati devi temple आंध्र प्रदेश में बालाजी तिरुपति के निकट चित्तूर जिले में 5 किमी की दूरी पर तिरुचनूर नामक गांव में अवस्थित है। यह मंदिर धन-लक्ष्मी और वैभव प्रदान करने वाली माता लक्ष्मी को समर्पित है। इस मंदिर का दूसरा नाम अलमेलमंगापुरम है। Padmavathi Temple Tirupati से जुड़ी मान्यताएं कहती हैं कि मां पद्मावती मंदिर के दर्शन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती है।

    लोक मान्यताएं कहती है कि तिरुपति बालाजी के मंदिर के दर्शन करने वालों की मनोकामना तभी पूर्ण होती है जब श्रद्धालु बालाजी के साथ Sri padmavathi मंदिर के दर्शन कर आशीर्वाद भी ले लें। बताते चलें कि पद्मावती मंदिर में भगवान श्री कृष्ण, भगवान बलराम, सुंदरराज स्वामी, सूर्यनारायण स्वामी का भी उप मंदिर अवस्थित है। 
    Padmavathi
    Padmavathi

    पद्मावती मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा ( Mythological Story behind Padmavati temple )

    Sri Padmavathi Ammavari Temple से जुड़े कोई ख़ास तथ्य मौजूद नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि मंदिर की कहानी क्या है और कब इसका निर्माण किया गया। हालांकि कई सारी पौराणिक किद्वन्तियाँ हैं जो भगवान वेंकटेश्वर और उनकी पत्नी पद्मावती के बारे में कुछ जानकारी हमें देती हैं।  

    पद्मावती देवी कौन थी? ( Who is Padmavati Devi? )

    पौराणिक किदवंतियां कहती है कि देवी पद्मावती का जन्म कमल पुष्प से हुआ है जो यहां मंदिर के तालाब में खिला था। दरअसल देवी पद्मावती ने स्वर्ण कमल में पद्मसरोवरम नामक पवित्र पुष्करिणी में स्वयं को प्रकट किया। वहीँ कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार पद्मावती देवी इस क्षेत्र के शासक आकाश राजा की पुत्री अलमेलु ( tirupati alamelu mangapuram ) थीं जिनका विवाह वेंकटेश्वर से हुआ था। कहा यह भी जाता है कि देवी लक्ष्मी ने भगवान वेंकटेश्वर को लाल कमल पुष्प पर अलामेलु मंगपुरम में बारह वर्षों तक उनके घोर तप के बाद दर्शन दिए थे।  
    Padmavathi Mandir
    Padmavathi Mandir

    पद्मावती मंदिर का इतिहास ( Padmavati Temple History )

    Tiruchanoor temple पद्मावती के इतिहास पर गौर करें तो यह Tiruchanur गाँव से संबंधित है। इस मंदिर की दीवारों पर अंकित ऐतिहासिक तथ्य कहते हैं कि पहले तिरुचुरा गाँव में ही वेंकटेश्वर भगवान का प्राचीन मंदिर अवस्थित था। इस स्थान पर श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक रहने के कारण इस मंदिर को तिरुपति में स्थानांतरित करना पड़ा। तभी से सारे रीति-रिवाज तिरुपति में ही मनाए जाने लगे। जिससे तिरुचुरा गांव की लोकप्रियता में कमी आई।

    इसके पश्चात बारहवीं शताब्दी में यादव राजा ने यहाँ कृष्ण-बलराम के खूबसूरत और आकर्षक मंदिर का निर्माण करवाया औऱ यह गाँव एक बार फिर लोगों की नजरों में आया। इसके बाद सोलहवीं और सत्रहवी शताब्दी में यहाँ दो और मंदिर बने। इनमें से एक सुंदरा वरदराजा को समर्पित था तो दूसरा देवी पद्मावती के लिए ।

    पद्मावती मंदिर का निर्माण किसने बनवाया? ( Who built Padmavati temple? )

    Tiruchanur temple पद्मावती के निर्माण के तार इसी मंदिर में मौजूद उप- मंदिर कृष्णस्वामी और सुंदरराजा स्वामी मंदिर से जुड़े हुए है। यहाँ मौजूद श्री कृष्ण स्वामी मंदिर का निर्माण 1221 ईसवी में किया गया था। जबकि सुन्दरराजा स्वामी मंदिर और पद्मावती का निर्माण 16 वीं शताब्दी में किया गया। सुन्दरराजा स्वामी मंदिर श्री वरदराजा स्वामी और उनकी पत्नी श्रीदेवी तथा भूदेवी समर्पित है। भगवान वेंकटेश्वर की पत्नी को समर्पित मंदिर पद्मावती है जिसे Alamelu Mangapuram Temple के नाम से भी जाना जाता है।
    lord venkateswara and padmavathi
    lord venkateswara and padmavathi

    अलवेलु मंगम्मा कौन है? ( Who is Alivelu Mangamma? )

    अल्वेलु मंगम्मा तिरुचनूर के राजा आकाश की पुत्री थीं जिनका विवाह वेंकेटेश्वर से करवाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि वे देवी लक्ष्मी का ही रूप हैं जिन्होंने भगवान विष्णु के वेंकटेश्वर रूप से विवाह के लिए जन्म लिया था। 

    देवी पद्मावती माता लक्ष्मी का ही एक रूप मानी जाती है यदि आप माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद सदैव अपने ऊपर बनाये रखना चाहते हैं तो शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा कर Lakshmi Charan Paduka को घर में स्थापित करें। नियमित रूप से माँ लक्ष्मी की अलौकिक चरण पादुका की पूजा-अर्चना करें, आपके घर में सदैव उनका वास रहेगा।  

    भगवान वेंकटेश्वर कौन है? ( Who is Venkateswara wife? )

    भगवान वेंकटेश्वर को भगवान विष्णु के ही अन्य अवतारों में से एक माना जाता है। ऐसी मान्यताएं हैं कि भगवान वेकंटेश्वर इस धरती पर कलयुग के अंत तक विराजमान रहेंगे। वे कलयुग में अपने भक्तों के दुःख हरने के लिए अवतरित हुए हैं।  
    padmavathi images
    padmavathi images

    पद्मावती मंदिर तिरूपति का इतिहास हिंदी में | Padmavathi Temple Tirupati history in hindi

    यह मंदिर आंध्र प्रदेश राज्य के तिरूपति शहर से पांच किलोमीटर की दूरी पर तिरूचनूर क्षेत्र में स्थित है। मंदिर में देवी पद्मावती (Devi Padmavati), पद्मासन में विराजमान हैं। उनके दो हाथों में कमल का फूल और दो हाथ अभय और वर मुद्रा में हैं। इस मंदिर में श्री कृष्ण, बलराम, सुंदरा राजा स्वामी और सूर्य नारायण स्वामी की मूर्तियां भी स्थापित हैं।

    Story of Padmavati Devi | पद्मावती देवी की कहानी

    पद्मावती (Padmavati)या पद्मिनी चित्तौड़ के राजा रत्नसिंह (रतनसेन) [1302-1303 ई०] की रानी थी। यह एक राजपूत रानी थी और इनका ऐतिहासिक अस्तित्व तो प्रायः इतिहासकारों द्वारा काल्पनिक स्वीकार कर लिया गया है। इस नाम का मुख्य स्रोत मलिक मुहम्मद जायसी कृत ‘पद्मावत’ नामक महाकाव्य है।
    padmavathi photos
    padmavathi photos

    Padmavathi Temple tirupati darshan timings

    Friday           8:30–11:30 am, 12:30–6 pm, 7–9 pm

    Saturday       7–11:30 am, 12:30–6 pm, 7–9 pm

    Sunday         7–11:30 am, 12:30–6 pm, 7–9 pm

    Monday        7–11:30 am, 12:30–6 pm, 7–9 pm

    Tuesday        7–11:30 am, 12:30–6 pm, 7–9 pm

    Wednesday   7–11:30 am, 12:30–6 pm, 7–9 pm

    Thursday       7–11:30 am, 12:30–6 pm, 7–9 pm

    How far is padmavati temple in Tirupati from railway station? | तिरूपति में पद्मावती मंदिर रेलवे स्टेशन से कितनी दूर है?

    यह तिरूपति रेलवे स्टेशन/बस स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। कोई भी यहां ऑटो से पहुंच सकता है (शेयरिंग के आधार पर प्रति व्यक्ति 15/- रुपये या विशेष 50-70/- रुपये की दर से)।

    Can we visit Padmavathi temple before Tirumala? | क्या हम तिरुमाला से पहले पद्मावती मंदिर जा सकते हैं?

    तीर्थयात्रियों के बीच एक दृढ़ विश्वास है कि उन्हें अपनी तीर्थयात्रा के दौरान तिरुमाला के रूप में भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करने से पहले पद्मावती की यात्रा(Padmavati ki yatra) करनी चाहिए और उनका दिव्य आशीर्वाद लेना चाहिए। भगवान वेंकटेश्वर की पत्नी देवी पद्मावती देवी(padmavati devi) के आगमन का वर्णन कई पुराणों में मिलता है।

    What is Padmavati temple famous for? | पद्मावती मंदिर किस लिए प्रसिद्ध है? 

    श्री पद्मावती अम्मावरी मंदिर (Sri Padmavathi Ammavari Temple ) अपने अनूठे रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है, जिसमें दैनिक आरती और भक्तों को प्रसाद का वितरण शामिल है। मंदिर का मुख्य आकर्षण वार्षिक ब्रह्मोत्सवम उत्सव है, जो नौ दिवसीय कार्यक्रम है जो देश भर से हजारों भक्तों को आकर्षित करता है। 

    Why did Balaji marry Padmavati? | बालाजी ने पद्मावती से शादी क्यों की? 

    उन्होंने राजकुमारी पद्मावती(Rajkumari Padvamati) को देखा और उनकी दासियों से उनके बारे में पूछताछ की। उसकी मनमोहक सुंदरता से मंत्रमुग्ध होकर, उसने उससे विवाह कर लिया, और विवाह समारोह के लिए भगवान कुबेर से ऋण मांगा, और कलियुग के अंत तक इसे चुकाने का वादा किया । 

    What happened at the end of Padmavati? | पद्मावती के अंत में क्या हुआ? 

    बहुत बड़ी खिलजी सेना ने बिखरे हुए राजपूतों को हरा दिया और चित्तौड़ पर कब्जा कर लिया, लेकिन पद्मावती के साथ जौहर (बलिदान करके सामूहिक आत्महत्या) करने वाली राजपूत महिलाओं को पकड़ने में असमर्थ रहे, जिससे अलाउद्दीन की खोज विफल हो गई और वह क्रोधित हो गया।
     
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