पद्मावती मंदिर कहाँ है? ( Where is Padmavathi Temple? )
Padmavati devi temple आंध्र प्रदेश में बालाजी तिरुपति के निकट चित्तूर जिले में 5 किमी की दूरी पर तिरुचनूर नामक गांव में अवस्थित है। यह मंदिर धन-लक्ष्मी और वैभव प्रदान करने वाली माता लक्ष्मी को समर्पित है। इस मंदिर का दूसरा नाम अलमेलमंगापुरम है। Padmavathi Temple Tirupati से जुड़ी मान्यताएं कहती हैं कि मां पद्मावती मंदिर के दर्शन करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
लोक मान्यताएं कहती है कि तिरुपति बालाजी के मंदिर के दर्शन करने वालों की मनोकामना तभी पूर्ण होती है जब श्रद्धालु बालाजी के साथ Sri padmavathi मंदिर के दर्शन कर आशीर्वाद भी ले लें। बताते चलें कि पद्मावती मंदिर में भगवान श्री कृष्ण, भगवान बलराम, सुंदरराज स्वामी, सूर्यनारायण स्वामी का भी उप मंदिर अवस्थित है।
लोक मान्यताएं कहती है कि तिरुपति बालाजी के मंदिर के दर्शन करने वालों की मनोकामना तभी पूर्ण होती है जब श्रद्धालु बालाजी के साथ Sri padmavathi मंदिर के दर्शन कर आशीर्वाद भी ले लें। बताते चलें कि पद्मावती मंदिर में भगवान श्री कृष्ण, भगवान बलराम, सुंदरराज स्वामी, सूर्यनारायण स्वामी का भी उप मंदिर अवस्थित है।
पद्मावती मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा ( Mythological Story behind Padmavati temple )
Sri Padmavathi Ammavari Temple से जुड़े कोई ख़ास तथ्य मौजूद नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि मंदिर की कहानी क्या है और कब इसका निर्माण किया गया। हालांकि कई सारी पौराणिक किद्वन्तियाँ हैं जो भगवान वेंकटेश्वर और उनकी पत्नी पद्मावती के बारे में कुछ जानकारी हमें देती हैं।
पद्मावती देवी कौन थी? ( Who is Padmavati Devi? )
पौराणिक किदवंतियां कहती है कि देवी पद्मावती का जन्म कमल पुष्प से हुआ है जो यहां मंदिर के तालाब में खिला था। दरअसल देवी पद्मावती ने स्वर्ण कमल में पद्मसरोवरम नामक पवित्र पुष्करिणी में स्वयं को प्रकट किया। वहीँ कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार पद्मावती देवी इस क्षेत्र के शासक आकाश राजा की पुत्री अलमेलु ( tirupati alamelu mangapuram ) थीं जिनका विवाह वेंकटेश्वर से हुआ था। कहा यह भी जाता है कि देवी लक्ष्मी ने भगवान वेंकटेश्वर को लाल कमल पुष्प पर अलामेलु मंगपुरम में बारह वर्षों तक उनके घोर तप के बाद दर्शन दिए थे।
पद्मावती मंदिर का इतिहास ( Padmavati Temple History )
Tiruchanoor temple पद्मावती के इतिहास पर गौर करें तो यह Tiruchanur गाँव से संबंधित है। इस मंदिर की दीवारों पर अंकित ऐतिहासिक तथ्य कहते हैं कि पहले तिरुचुरा गाँव में ही वेंकटेश्वर भगवान का प्राचीन मंदिर अवस्थित था। इस स्थान पर श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक रहने के कारण इस मंदिर को तिरुपति में स्थानांतरित करना पड़ा। तभी से सारे रीति-रिवाज तिरुपति में ही मनाए जाने लगे। जिससे तिरुचुरा गांव की लोकप्रियता में कमी आई।
इसके पश्चात बारहवीं शताब्दी में यादव राजा ने यहाँ कृष्ण-बलराम के खूबसूरत और आकर्षक मंदिर का निर्माण करवाया औऱ यह गाँव एक बार फिर लोगों की नजरों में आया। इसके बाद सोलहवीं और सत्रहवी शताब्दी में यहाँ दो और मंदिर बने। इनमें से एक सुंदरा वरदराजा को समर्पित था तो दूसरा देवी पद्मावती के लिए ।
इसके पश्चात बारहवीं शताब्दी में यादव राजा ने यहाँ कृष्ण-बलराम के खूबसूरत और आकर्षक मंदिर का निर्माण करवाया औऱ यह गाँव एक बार फिर लोगों की नजरों में आया। इसके बाद सोलहवीं और सत्रहवी शताब्दी में यहाँ दो और मंदिर बने। इनमें से एक सुंदरा वरदराजा को समर्पित था तो दूसरा देवी पद्मावती के लिए ।
पद्मावती मंदिर का निर्माण किसने बनवाया? ( Who built Padmavati temple? )
Tiruchanur temple पद्मावती के निर्माण के तार इसी मंदिर में मौजूद उप- मंदिर कृष्णस्वामी और सुंदरराजा स्वामी मंदिर से जुड़े हुए है। यहाँ मौजूद श्री कृष्ण स्वामी मंदिर का निर्माण 1221 ईसवी में किया गया था। जबकि सुन्दरराजा स्वामी मंदिर और पद्मावती का निर्माण 16 वीं शताब्दी में किया गया। सुन्दरराजा स्वामी मंदिर श्री वरदराजा स्वामी और उनकी पत्नी श्रीदेवी तथा भूदेवी समर्पित है। भगवान वेंकटेश्वर की पत्नी को समर्पित मंदिर पद्मावती है जिसे Alamelu Mangapuram Temple के नाम से भी जाना जाता है।
अलवेलु मंगम्मा कौन है? ( Who is Alivelu Mangamma? )
अल्वेलु मंगम्मा तिरुचनूर के राजा आकाश की पुत्री थीं जिनका विवाह वेंकेटेश्वर से करवाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि वे देवी लक्ष्मी का ही रूप हैं जिन्होंने भगवान विष्णु के वेंकटेश्वर रूप से विवाह के लिए जन्म लिया था।
देवी पद्मावती माता लक्ष्मी का ही एक रूप मानी जाती है यदि आप माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद सदैव अपने ऊपर बनाये रखना चाहते हैं तो शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा कर Lakshmi Charan Paduka को घर में स्थापित करें। नियमित रूप से माँ लक्ष्मी की अलौकिक चरण पादुका की पूजा-अर्चना करें, आपके घर में सदैव उनका वास रहेगा।
देवी पद्मावती माता लक्ष्मी का ही एक रूप मानी जाती है यदि आप माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद सदैव अपने ऊपर बनाये रखना चाहते हैं तो शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी की पूजा कर Lakshmi Charan Paduka को घर में स्थापित करें। नियमित रूप से माँ लक्ष्मी की अलौकिक चरण पादुका की पूजा-अर्चना करें, आपके घर में सदैव उनका वास रहेगा।
भगवान वेंकटेश्वर कौन है? ( Who is Venkateswara wife? )
भगवान वेंकटेश्वर को भगवान विष्णु के ही अन्य अवतारों में से एक माना जाता है। ऐसी मान्यताएं हैं कि भगवान वेकंटेश्वर इस धरती पर कलयुग के अंत तक विराजमान रहेंगे। वे कलयुग में अपने भक्तों के दुःख हरने के लिए अवतरित हुए हैं।