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    Home » Kashi Vishwanath Mandir: जानिये आखिर कैसे हुई काशी में विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति?
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    Kashi Vishwanath Mandir: जानिये आखिर कैसे हुई काशी में विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति?

    HarshBy HarshFebruary 24, 2024Updated:February 24, 2024
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    Kashi Vishwanath Mandir ki Utpatti kaise hui? | काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई?

    Kashi Vishwanath Mandir – पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान शिव देवी पार्वती से विवाह करने के बाद कैलाश पर्वत आकर रहने लगे। वहीं देवी पार्वती अपने पिता के घर रह रही थीं जहां उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। देवी पार्वती ने एक दिन भगवना शिव से उन्हें अपने घर ले जाने के लिए कहा। भगवान शिव ने देवी पार्वती की बात मानकर उन्हें काशी लेकर आए और यहां विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग के रूप में खुद को स्थापित कर लिया।

    काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। यह वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित है, और बारह ज्योतिर्लिंगस में से एक है, जो शिवमेटल के सबसे पवित्र हैं। यह भगवान शिव को समर्पित है तथा स्वर्ण मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। भगवान शिव का काशी से विशेष महात्य है। इन्हें काशी के नाथ देवता भी कहा जाता है कि जिस बिंदु पर पहले ज्योतिर्लिंग, जो दिव्या प्रकाश में स्थित शिव का प्रकाश है।

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    यह मंदिर पिछले कई हजारों सालों से पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। मंदिर के मुख्य देवता को श्री विश्वनाथ और विश्वेश्वर के नाम से जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है ब्रह्मांड के भगवान। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्‍नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

    वाराणसी को प्राचीन काल में काशी कहा जाता था, और इसलिए इस मंदिर को लोकप्रिय रूप से काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है। मंदिर को हिंदू शास्त्रों द्वारा शैव संस्कृति में पूजा का एक केंद्रीय हिस्सा माना जाता है। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, सन्त एकनाथ, गोस्‍वामी तुलसीदास सभी का आगमन हुआ है।

    काशी विश्वनाथ का रहस्य | Kashi Vishwanath ka Rahasya kya hai

    कहते हैं कि शिव को काशी से इतना प्रेम है कि उन्होंने भगवान विष्णु से धरती पर काशी को अपने निवास के लिए मांगा, इसके बाद से भगवान शिव यहीं रहते हैं। यहां बाबा विश्वनाथ का बेहद प्राचीन ज्योतिर्लिंग है। काशी से जुड़ी पौराणिक मान्यता के मुताबिक इसे भगवान महादेव के त्रिशूल के ऊपर बसाया गया था।
    Also Read: Mahakal Mandir: जानिये आखिर कैसे हुई उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति?
    काशी विश्वनाथ को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। एक बार ब्रह्मा और विष्णु के बीच अपने आप को सर्वोच्च साबित करने की जंग छिड़ गई। दोनों ही अपने आप को शक्तिशाली साबित करने में लगे हुए थे। इस जंग को समाप्त करने के लिए भगवान शिव ने एक विशाल ज्योतिर्लिंग का रूप धारण कर लिया।

    काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी कुछ पौराणिक मान्यताएं हैं:
    • काशी को भगवान महादेव के त्रिशूल पर बसाया गया था।
    • भगवान शिव को काशी इतनी पसंद आई कि उन्होंने भगवान विष्णु से इसे अपना निवास बनाने की मांग की। तब से काशी उनका निवास स्थान बन गई।
    • ब्रह्मा और विष्णु के बीच अपने आप को सर्वोच्च साबित करने की जंग छिड़ गई थी। इस जंग को समाप्त करने के लिए भगवान शिव ने एक विशाल ज्योतिर्लिंग का रूप धारण कर लिया।
    • ऐसा कहा जाता है कि वाराणसी वह स्थान है जहां पहला ज्योतिर्लिंग, प्रकाश का ज्वलंत स्तंभ जिसके द्वारा शिव प्रकट हुए थे।

    काशी विश्वनाथ के पीछे क्या कहानी है? | Kashi vishwanath Story In Hindi | Kashi Vishwanath ki Kahani kya hai

    देवी पार्वती ने एक दिन भगवना शिव से उन्हें अपने घर ले जाने के लिए कहा.भगवान शिव ने देवी पार्वती की बात मानकर उन्हें काशी लेकर आए और यहां विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग के रूप में खुद को स्थापित कर लिया। जिसका जीर्णोद्धार 11 वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने
    करवाया था और वर्ष 1194 में मुहम्मद गौरी ने ही इसे तुड़वा दिया था।
    माता पार्वती की बात मानकर भगवान शिव उन्हें काशी ले आए और तब से यहीं बस गए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की यह नगरी उनके त्रिशूल की नोक पर बसी हुई है और बाबा विश्वनाथ को विश्वेश्वर यानि विश्व के शासक के नाम से भी जाना जाता है।
    काशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में दो मुख्य कहानियां हैं:
    • एक कहानी के मुताबिक, भगवान शिव ने माता पार्वती की बात मानकर उन्हें काशी ले आए और यहां विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग के रूप में खुद को स्थापित कर लिया।
    • दूसरी कहानी के मुताबिक, शिव ने वहां एक खाई खोदी, जो कि गंगा बनने वाली थी। लेकिन, उसके अस्तित्व से पहले, जीवन देने वाले पानी से भरी एक पवित्र जगह बनाई।

    काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास | Kashi Vishwanath Mandir History in Hindi

    काशी विश्वनाथ मंदिर अनादि काल से शैव दर्शन का केंद्र रहा है। इसे समय-समय पर कई मुस्लिम शासकों द्वारा ध्वस्त किया गया और उनमें अंतिम शासक औरंगजेब है। मंदिर की वर्तमान संरचना महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा वर्ष 1780 में करवाई गई थी. इसका प्रबंधन 1983 से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है।

    काशी की बात हो और काशी विश्वनाथ मंदिर की बात न हो, ऐसा कैसे हो सकता है। भगवान शिव का यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में गंगा नदी के किनारे स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर को विश्वेश्वर नाम से भी जाना है। इस शब्द का अर्थ होता है ‘ब्रह्माड का शासक’।

    इसे संसार के सबसे पुरानी नगरों में माना जाता है। माना जाता है कि जब सृष्टि नहीं थी तब काशी थी। पुराणों में लिखा है कि पार्वती के आग्रह पर अपनी मनभावन नगरी काशी को बसाया। मान्यताएं बताती हैं कि काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को स्वयं महादेव ने अपने निवास के तौर पर स्थापित किया था।

    शिव को काशी क्यों पसंद है? | Bhagwan Shiv ko Kashi kyu pasand hai

    भगवान शिव और काशी को अविभाज्य माना जाता है। जब भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ, तो उन्होंने कैलाश छोड़कर एक सिद्ध क्षेत्र में बसने का फैसला किया। पूरी दुनिया को देखने के बाद, उन्होंने काशी को चुना और भगवान शिव और देवी पार्वती काशी में बस गए और इसलिए भगवान शिव को काशी पसंद है।
    भारत के सबसे पुराने शहर के नाम से मशहूर काशी गंगा के तट पर बना हुआ है। साथ ही इसे भगवान शिव का सबसे प्रिय भी कहा जाता है। कहते हैं कि काशी विश्वनाथ मंदिर आने से सारे पाप मिट जाते हैं और आत्मा शुद्ध होती है। यहां काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ अन्नपूर्णा देवी मंदिर, गंगा घाट, भैरव मंदिर आदि भी स्थापित हैं।
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