जन्माष्टमी वाले दिन लड्डू गोपाल की मूर्ति अपनी मां को ढूंढने रात के 12 बजे चलती है, वीडियो में देखे सारी सच्चाई

हेलो दोस्तों आपका हमारा यूट्यूब चैनल में स्वागत है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं लड्डू गोपाल जी के बारे में। जिन्होंने अपने चमत्कारों से पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। जी हां, ऐसा चमत्कार सिर्फ मथुरा में ही देखने को मिल सकता है। हाल ही में, वहां पर एक ऐसी घटना घटित हुई है जिसने देखने वालों के पसीने छूटा दिए।
 

दरअसल, यह कहानी मथुरा से कुछ मील दूर पर बसे एक पिछड़े गांव की है। जो आज के समय में भी आधुनिकता से वंचित है, लेकिन कृष्ण लीला वहां पर आपको आज भी देखने को मिलेगी। जी हां, वहां पर कृष्ण भगवान लड्डू गोपाल के रूप में अविश्वसनीय चमत्कार करके दिखा रहे हैं। जिसके आगे बड़े-बड़े वैज्ञानिक की साइंस भी फेल हो गई है। ऐसा क्यों हुआ और कैसे होता है यह सब हम आपको इस पूरी वीडियो में बताएंगें। दरअसल, जिस जगह पर लड्डू गोपाल अपना चमत्कार दिखा रहे हैं वहां पर उनकी एक भक्त ने अपना दम तोड़ दिया था।

जब से ही वहां लड्डू गोपाल अपनी भक्त को ढूंढने के लिए घूमते हैं। गांव वासियों ने बताया कि, एक बार इस गांव में काफी बूढ़ी औरत आई थी। वह फटी हुई साड़ी पहने आंखों में दुखों का दर्द लेकर इधर-उधर सहारे के लिए बेबस होती घूम रही थी।उसको परेशान देखकर पास के मंदिर के पुजारी ने पूछा कि, माता जी आप इस तरह परेशान होकर यहां वहां क्यों घूम रही हो। तब उस बूढ़ी औरत ने रोते-रोते अपनी सारी दास्तां पुजारी को बताई। वह बचपन से ही लड्डू गोपाल की सेवा करती आई है व उनके आशीर्वाद से ही दिल्ली समेत कई जगहों पर उसकी करोड़ों की प्रॉपटी है। बूढ़ी औरत के दो लड़के थे। वह चाहती थी कि, उसके बाद लड्डू गोपाल जी की सेवा उसकी दोनों बहुएं मिलकर करें और घर में सुखमय वातावरण बनाकर रखे, लेकिन बूढ़ी औरत की दोनों बहुएं उसकी जंमीन जायदाद के लिए हमेशा लड़ती रहती थी। जिसकी वजह से घर में दिन रात का क्लेश होने लगा।

ऐसा शादी के कुछ महीने बाद से ही होने लगा था। हद तो तब हो गई जब उस बूढ़ी औरत को दोनों बहुओं ने मिलकर मारा पीटा। इसके अलावा वह उसको खाना भी नहीं देती थी। जब इन सब बातों की शिकायत बूढ़ी औरत ने अपने बेटों से की तो वह उल्टा ही उसको मारने लगे और धक्के मारकर घर से बाहर निकाल दिया। साथ ही लड्डू गोपाल जी की मूर्ति को बाहर फेंककर मारा। जिसका दर्द उस औरत के जह्न में बस गया, क्योंकि जिसको उसने सालों से बच्चे के रूप में पाला था उसको इन्होंने बाहर फेंक कर मारा। जिसके बाद मूर्ति में से खूून निकलने लगा। यह देखकर वह बूढ़ी औरत घबरा गई और अपने लड्डू को लेकर अस्पताल गई वहां पर लोगों ने उसे पागल कहना शुरु कर दिया और धक्के मारकर भाग दिया। अपने लड्डू के साथ भटकते-भटकते वह मथुरा के इस गांव में आ पहुंची। पुजारी ने बताया कि, जब वह महिला गांव में आई थी तब मूर्ति में से लगातार खून निकल रहा था। वह महिला इतनी परेशान हो रही थी। मानो जैसे कि एक मां अपने बीमार बच्चे के लिए होती है। यह दृश्य काफी भावुक भरा था। फिर उस बूढ़ी औरत ने पुजारी को लड्डू गोपाल को सौंप दिया और कहा कि, इनको अस्पताल ले जाओ ये ठीक हो जाएंगें। यह कहकर उस बूढ़ी औरत ने अपना दम तोड़ दिया। फिर उसके घरवालों को बुलाया गया और उसका अंतिम संस्कार करवाया गया।

उसके बाद जब लड्डू गोपाल को ढूंढा गया तो वह घुटने के बल चलकर उसी जगह  पर पहुंच गया जहां पर उस बूढ़ी औरत ने दम तोड़ा। साथ ही उस मूर्ति में से खून निकल रहा था। जिस पर लोगों ने मलहम लगाकर उसको ठीक किया। एक दिन बाद जब सभी गांव वासियों ने उस मूर्ति को वहां से हटाना चाहा तो वह इतनी भारी हो गई कि उसको कोई हिला भी नहीं पा रहा था। काफी समय तक वह मूर्ति वहां से किसी से नहीं हटाई गई, तब कुछ महीने बाद गांव की पंचायत ने फैसला लिया कि, अब इस मूर्ति की जगह पर मंदिर बनवाया जाए। वहां के गांव वासी ने बताया है कि, यहां पर लड्डू गोपाल जन्माष्टमी वाले दिन पूरे मंदिर का चक्कर लगाते हैं। माना जाता है कि, उस दिन वह अपनी भक्त को उसी जगह पर ढूंढते हैं। इतना ही नहीं, जन्माष्टमी वाले दिन लड्डू गोपाल जी की आंखों में से खून के आंसू भी निकलते है। इसके अलावा यहां पर हर किसी की मनोकामना पूर्ण होती है। ऐसा क्यों होता है इसका जवाब किसी के पास नहीं है यहां तक कि वैज्ञानिक भी अभी तक इसका हल नहीं निकाल पाए। यह श्रद्धा है या फिर अंधविश्वास यह तो हम नहीं जानते, लेकिन आज भी इस गांव में लड्डू गोपाल के दर्शन करने के लिए लोगों का तांता लगा रहता है। यदि आपको हमारी यह वीडियो पसंद आई तो कमेंट बॉक्स में जय लड्डू गोपाल जरूर लिखें।

कलयुग में पहली बार श्रीकृष्ण का हुआ दोबारा जन्म, इस चमत्कारी बच्चे को देखकर होगा 100% यकीन

हेलो दोस्तों आपका हमारा यूट्यूब चैनल में स्वागता है। आज हम आपके लिए एक सच्ची घटना पर आधरित वीडियो लाएं है। जिसे देखकर आपको यकीन नहीं होगा, और मन में कई सवाल पैदा होगें कि, क्या ऐसा कलयुग में संभव है, जी हां, ऐसा हम क्यों कह रहे हैं यह आपको पूरी वीडियो को देखने के बाद पता चल जाएगा। 

आपने अपने घर के बड़े-बुजुर्गों से अक्सर सुना होगा कि, सतयुग में कई भगवान धरती पर उद्धार करने के लिए उतरे थे। जिसका सबूत आज भी कहीं ना कहीं देखने को मिलता है। इतना ही नहीं, आज भी भगवान इंसानी रूप में धरती पर आकर कई चमत्कार दिखाते हैं। यदि भगवानों के स्वयं रूप की बात करें तो हमारे मन में सबसे पहला नाम आता है यशोधा मैया के लाल कान्हा जी का जिन्होंने धरती पर कई ऐसे चमत्कार दिखाए हैं। जिसका प्रमाण आज भी मथुरा और वृंदावन में देखने को मिलता है। आज की ये सच्ची कहानी श्रीकृष्ण भक्तों के लिए है, क्योंकि वह ही अपने कान्हा जी के चमत्कारों को बखूबी जानते हैं, क्योंकि जो भी उनसे लगन लगता है वह उनका हो जाता है और वहीं उनके चमत्कारों को समझ पाता है।

हाल ही में, मथुरा का एक ऐसा गांव है जोकि ज्यादा प्रसिद्ध नहीं है, लेकिन वह अब धीरे-धीरे इस बच्चे के जरिये प्रसिद्ध हो रहा है। जी हां, मथुरा के एक नज़दीकी गांव के पास संकरीली सड़क किनारे एक नवजात बच्चा पाया गया था। जिसकी जानकारी किसी को नहीं थी कि, यह कहां से आया है और कौन इसे ऐसे इस हालत में छोड़कर गया है। उस दौरान वहां से एक अनजान व्यक्ति गुजर रहा था। इस बच्चे को देखकर वह उसकी तरफ आर्कषित होने लगा। और उसे अपनी बाहों में उठाकर अनाथ अश्राम में छोड़ आया। मथुरा के इस गांव के एक व्यक्ति को 5 साल से बच्चे नहीं हो रहे थे तो उसने अनाथ अश्राम से बच्चा गोद लेने का निर्णय लिया और अनाथ अश्राम जाकर उसी बच्चे को गोद ले लिया। वह बच्चा इतना मनमोहक लगने लगा कि, किसी की भी नज़रें उसपर से हटती नहीं है। वह हर किसी को अपना दिवाना बना लेता है।

इतना ही नहीं, गांव वासियों ने तो यहां तक बोल दिया है कि, यह तो कान्हा का दूसरा रूप लग रहा है, क्योंकि जब से वह उस गांव में आया है लोगों के कई दुख दूर हो गये है। सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि, उस बच्चे के पास जानवर भी आकर बैठते हैं। जी हां, उस बच्चे को जानवर तक भी पसंद करते हैं। दरअसल, यह कहानी तब शुरु हुई जब वह बच्चा अकेले खाट पर आंगन में बैठा था। उसकी मां अंदर खाना बना रही थी। यह कहानी दिन के समय की है जब वह आंगन में खाट पर खेल रहा था और उसके पास जंगल के कई जानवर आकर बैठ गये। बिना डरे वह बच्चा खेल में लगा हुआ था। यह देखकर सारे गांव वासी एकत्रित हो गये और उसको देखने लगे। इसके बाद उस बच्चे की मां को गांव वासियों ने आवाज़ लगाई। जैसे ही वह बाहर आई तो यह देखकर दंग रह गई कि, सभी जंगली जानवर उसके आंगन में आकर बैठ गये है और उसके बच्चे के पास नागों का झुंड लगा हुआ है। वह घबरा गई, लेकिन कुछ ही देर में वह जानवर खुद ब खुद वहां से चले गये।

यह नज़ारा देखने के बाद गांव वासियों ने बच्चे के माता-पिता को कहा कि, यह साधारण बच्चा नहीं है। हम जब भी इसकी तरफ देखते हैं तो हमारा मन मोह जाता है। ये सब बातें सुनने के बाद बच्चे के माता-पिता को लगा शायद यह कोई इत्तेफाक है जो उनको चमत्कार लग रहा है। इसके कुछ महीने बाद जब जन्माष्टमी आई तो वह बच्चा 8 महीने का हो गया था। जन्माष्टमी वाले दिन वह बच्चा रसोई मेें बैठकर माखन खा रहा था और भी कई ऐसी हरकतें करने लगा जोकि, साधारण 8 महीने का बच्चा नहीं कर सकता। यह देखकर उसकी मां चौंक गई और अपने पति से कहने लगी कि, मुझे लगता है यह बच्चा साधारण नहीं है जरूर यह भगवान कृष्ण का ही रूप है। यह सुनकर पति को भी अपनी पत्नी की बातों पर यकीन होने लगा और उसने भगवान श्रीकृष्ण से अरदास लगाई भगवन यदि आप इस रूप में हमारे घर पर आए हो तो हमें इसका प्रमाण दें। हालांकि उनको साक्षात कभी कृष्ण भगवान के दर्शन नहीं हुए, लेकिन बच्चे को देखकर उन्हें उनके होने की अनुभूति हमेशा होती है। आज भी वह बच्चा उस गांव की हर समस्या का निवारण करता है। उसकी उम्र महज 16 साल हुई है, लेकिन वह चमत्कार दिखाने लगा है। कोई भी इंसान उसके आगे कैसी भी समस्या लेकर आता है वह उसको  निवारण जरूर देता है।  जिसको लोगों ने चमत्कार मान लिया है और उसको भगवान का दर्जा दिया हुआ है। इतना ही नहीं, कोई भी व्यक्ति उससे मिलने के बाद उसको भूलता नहीं है और बार-बार मिलने की इच्छा रखता है। यह चमत्कार है या फिर अंधश्रद्धा यह तो भगवान कृष्ण ही जानें, लेकिन बताया जाता है कि, उस गांव में आज भी जन्माष्टमी वाले दिन वह बच्चा ऐसे-ऐसे चमत्कार दिखाता है जिसे देखकर हर कोई दांतों तले उंगली दबा लेगा। इसी के साथ वह कई चमत्कार दिखाकर लोगों को विश्वास अपनी ओर आर्कषित करता है। इसके पीछे क्या कारण है यह तो हम नहीं जानते, लेकिन सच सिर्फ इतना है कि, इस बच्चे ने अपने चमत्कार से लोगों को अपना भक्त बना लिया है। वहीं, लोगों को इस बच्चे में भगवान कृष्ण की छवि भी नज़र आने लगी है।  

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