What is Dakshinavarti Shankh?
शंख की कई श्रेणियां है जिनमें से एक श्रेणी है Dakshinavarti Shankh। बात करें कि Dakshinavarti Shankh kaisa hota hai तो इसका दक्षिणवर्ती नाम इसलिए है क्योंकि जहाँ बाकी सभी शंख का पेट बाई ओर खुलता है वहीँ दक्षिणवर्ती शंख दाईं ओर खुलता है।
विश्वामित्र सहिंता और गोरक्षा संहिता में दक्षिणवर्ती शंख को घर में खुशहाली और धन-वैभव का प्रतीक है। असली दक्षिणवर्ती शंख हिन्द महासागर के आस-पास श्री लंका और म्यांमार में पाए जाते हैं। बता दें कि भारत में इस शंख के तीन मुख्य क्षेत्र हैं ; राम सेतु, श्रीलंका, रामीश्वरम।
इसे बेहद शुभ माना जाता है। बताते चलें कि यह उन 14 रत्नों में से एक है जो समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी के साथ निकले थे। शंख को माता लक्ष्मी का भ्राता भी कहा जाता है। [1]
दक्षिणावर्ती शंख के फायदे
(Dakshinavarti Shankh Benefits in hindi)
1. Dakshinavarti Shankh ke labh में एक लाभ यह है कि इसे घर में रखने से खुशहाली आती है।
2. घर में लक्ष्मी का वास होता है और धन-संपत्ति में बढ़ोतरी होती है।
3. इस शंख के घर में रहने से समस्त प्रकार के रोगों का खात्मा होता है।
4. यह सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करता है और नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है।
5. शंख को घर रखने से बुरे सपनों से मुक्ति मिलती है।
6. घर से काले जादू की समाप्ति करना Dakshinavarti Shankh Benefits में से एक है।
7. ऑफिस में या व्यापार स्थल पर रखने से धन में वृद्धि होती है। [2]
दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना विधि (Dakshinavarti Shankh Sthapit karne ki Vidhi)
इस शंख को पूरे विधि विधान से स्थापित करने से घर की दरिद्रता समाप्त होती है। साथ ही घर के वास्तु दोष खत्म हो जाते है। आज हम आपको बताएंगे how to establish dakshinavarti shankh.
1. शंख स्थापित करने के लिए सर्वप्रथम शंख शुद्धिकरण किया जाना आवश्यक है।
2. शुद्धिकरण के लिए बुध या बृहपतिवार के दिन पंचामृत और गंगाजल में स्नान कराएं।
2. उसके बाद एक लाल कपड़ा लेकर उसमें शंख को रखें ।
3. बताते चलें कि शंख का खुला भाग आकाश की तरफ और मुख अपनी ओर रखें।
4. साथ ही अक्षत और रोली से इस शंख को भर स्वस्तिक बनायें।
5. इस तरह शुद्धिकरण करने के बाद मां लक्ष्मी के बीज मंत्र का जाप करते हुए इसे स्थापित करें। [3]
Dakshinavarti Shankh Puja Vidhi
अभी तक हमने जाना कि दक्षिणवर्ती शंख को स्थापित कैसे करें अब यह जान लेना भी बेहद आवश्यक है कि इसे स्थापित करने के बाद Dakshinavarti Shankh puja कैसे की जाए।
1. इसे शंख के अत्यधिक प्रभाव प्राप्त करने के लिए माता लक्ष्मी की उपासना की जानी चाहिए।
2. स्थापना के पश्चात माता लक्ष्मी की प्रतिमा के आगे घी का दीपक जलाएं।
3. साथ ही आरती या चालीसा का पाठ किया जाना चाहिए।
4. महालक्ष्मी और दक्षिणवर्ती मंत्र का 108 बार जाप करें।
ॐ श्री लक्ष्मी सहोदराय नम:’
5. इस विधि का पालन करने से माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहेगी और शंख के अच्छे प्रभाव भी देखने को मिलेंगे।
Dakshinavarti Shankh Mantra
ह्रीं श्रीं नमः श्रीधर कारस्थय पयोनिधि जटायन लक्ष्मी सहोदरय फाल प्रदया फल प्रदया श्रीदक्षिणावर्त शंखय श्री ह्रीं नमः
सकारात्मक प्रभाव जान लेने के बाद कोई भी व्यक्ति इसका प्रयोग किये बिना नहीं रह पाएगा। यदि आप यह खरदीने के इच्छुक है तो यह शंख हमारे पास prabhubhakti.in पर Dakshinavarti Shankh Online उपलब्ध है।
दक्षिणावर्ती शंख की पहचान कैसे करें (How to identify original Dakshinavarti Shankh)
1. दक्षिणवर्ती शंख की पहचान करने का सबसे प्रचलित तरीका है इसके पेट की दिशा देखना। दाईं तरफ पेट होने के कारण इसे दक्षिणवर्ती कहा गया है।
2. दूसरा तरीका है इसे कान पर लगाकर सुनना। इस प्रकार के शंख में से ध्वनि सुनाई देती है।
दक्षिणावर्ती शंख रखने का तरीका (How to Keep Dakshinavarti Shankh)
In house Where to Keep Dakshinavarti Shankh
1. यदि इसे बैडरूम में रखा जाए तो मन शांत एवं स्थिर रहता है।
2. तिजोरी में रखने से घर में बरकत बनी रहती है।
3. अन्न वाली जगह पर इसे रखा जाए तो कभी भी अन्न की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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