Buy Original Dakshinavarti Shankh (दक्षिणावर्ती शंख) Online
- Dakshinavarti Shankh का प्रादुर्भाव समुद्र मंथन के दौरान निकले 14 रत्नों में हुआ है।
- दुर्लभ माना जाने वाला यह दक्षिणावर्ती शंख दीर्घायु और गंभीर रोगों से छुटकारा दिलाता है।
- माता लक्ष्मी के सहोदर दक्षिणावर्ती शंख है।
- It is believed that offering Arghya to the Sun by filling water in the Dakshinavarti Shankh does not cause eye diseases.
- Dakshinavarti Shankh is very important for ending poverty and happiness and peace in the house.
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Original Dakshinavarti Shankh एक दैवीय शंख है, जो मां लक्ष्मी का सहोदर है जिसके विराजमान होने से पवित्र होगा आपका घर। यह Shankam सुख-समृद्धि का है प्रतीक जो दरिद्रता को दूर रखता है धन को अपनी ओर आकर्षित। जो व्यक्ति को उसके असली सामर्थ्य तक पहुँचाने का प्रयास करता है। इसके लिए सबसे पहले वह घर के वातावरण का शुद्धिकरण करता है। ताकि कोई बुरी शक्ति उसे या उसके परिवार को स्पर्श न कर पाए। आखिर किसी व्यक्ति की सफलता की पहली और एकमात्र शर्त ही है हर हाल में सकारात्मक रहना । तनाव मुक्त होने के लिए इसे एक बार प्रयोग करके देख लेना चाहिए। जब विज्ञान शास्त्र काम में नहीं आता है तब ज्योतिष शास्त्र काम में आता है।
Dakshinavarti Shankh Original समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी के साथ निकले 14 रत्नों में से एक है। इस बात से ही इसकी महत्ता ज्ञात होती है। यह शंख घर के कोने-कोने से नकारात्मक बुराइयों को खत्म करने का सामर्थ्य रखता है। कहा जाता है कि प्रकृति में करीब 50 हज़ार शंख पाए जाते हैं। इन हज़ारों की संख्या में भी पाए जाने वाले शंखों को विभाजित किया गया है। एक तो वामवर्ती शंख जो बहुतायात संख्या में उपलब्ध है। दूसरा है दक्षिणावर्ती शंख जो काफी दुर्लभ है। इसकी दुर्लभता ही इसके महत्व को अत्यधिक बढ़ाती है। आज हम इसी दुर्लभ Shankam की विशेषताओं का उल्लेख करेंगे। साथ ही इसके ख़ास गुणों के माध्यम से जानेंगे कि कैसे समस्याओं से निपटा जाए।
इसे वालमपुरी शंख (valampuri shankh) या संग्गू भी कहा जाता है। यह हिन्द महासागर में केवल श्रीलंका से म्यांमार के मार्ग के मध्य में पाया जाता है। बात करें इसके पाए जाने के प्रमुख क्षेत्रों की तो यह राम सेतु, श्रीलंका और रामेश्वरम से तूतीकोरन के मार्ग में मिलते है। हिन्द महासागर के अलावा यह अरब सागर में भी मिलते है। इसके पाए जाने का तीसरा क्षेत्र बंगाल की खाड़ी है।
कहा जाता है कि इसकी प्राण प्रतिष्ठा की जरूरत नहीं होती। यह अपने आप में एक शुद्ध रूप है। जिसपर भगवान लक्ष्मी का आशीर्वाद है। साथ ही बता दें यह शंख विष्णु को अत्यधिक प्रिय है। प्राण प्रतिष्ठा के बगैर होने के बावजूद भी इसके कई नियम है। इन नियमों का पालन करे बिना इसका प्रयोग करना अशुभ होता है।
इसके दाहिने तरफ खुलने की वजह से ही इसे दक्षिणावर्ती नाम दिया गया है। इसके अलावा बाकी सभी वामवर्ती शंख बाईं ओर खुलते हैं।
इस तरह के शंख 2 इंच से 11 इंच की लम्बाई तक हो सकते है। विश्व का सबसे बड़ा शंख केरल के गुरुवायुर के श्री कृष्ण मंदिर में है। जिसकी लम्बाई करीब आधा मीटर है। पर ध्यान रहे इसकी लम्बाई इसके महत्व को कम नहीं करती है।
वालमपुरी कहे जाने वाले शंख के बारे में तो जान लिया। अब इसकी असली पहचान पता चलना बहुत जरूरी है। तभी शंख का सही फायदा मिल सकता है। अतः कष्टों के शीघ्र निवारण के लिए यह आवश्यक है।
Dakshinavarti Shankh ki pehchan के दो ही तरीके है। इन तरीकों के अलावा कोई और तरीका अभी तक निजात नहीं किया गया। आइये जानते हैं इनके बारे में :
सर्वप्रथम तो इस शंख की पहचान करने का सरल तरीका है इसकी दिशा देखना। यानी शंख का पेट यदि दाहिने ओर खुला है तो वह दक्षिणावर्ती है।
इसे कान पर लगाकर सुनने से भी यह मालूम चल सकता है वह असली है। दरअसल इस प्रकार के शंख ( Dakshinavarti Shankh Original Identification ) में से ध्वनि निकलती है।
NOTE : वैसे तो इस शंख की प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं है। शास्त्रों की माने तो लक्ष्मी मां का आशीर्वाद पाने के लिए सहोदर का निकट होना जरूरी है। धन संपत्ति का सुख हासिल करने के लिए real Dakshinavarti Shankh प्रभावकारी है, fake dakshinavarti shankh नहीं।

: यह शंख प्रकृति से दुर्लभ है और इसकी दुर्लभता के चलते इसके फायदे भी अनेक है। कई सारी समस्याओं का निपटारा करता है। आइये जानते हैं dakshinavarti shankh ke labh के बारे में :
1. घर में मौजूद दरिद्रता का खात्मा करता है। सुख- समृद्धि का आगमन होता है।
2. सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर खींचने में सक्षम है। इस तरह यह वातावरण का शुद्धिकरण करता है।
3. इसे शयनकक्ष में रखे जाने पर यह मन-मस्तिष्क को शान्ति प्रदान करता है।
4. व्यक्ति को रात्रि में आने वाले बुरे स्वप्नों से छुटकारा मिलता है।
5. व्यापार वाली जगह पर रखने से धन में वृद्धि होती है।
6. शत्रु पक्ष को पराजय करने में सहयक है यह शंख। यानी शत्रु किसी तरह की हानि नहीं कर सकते।
7. शंख को घर में रखने से काले जादू से छुटकारा मिलता है।
8. तंत्र-मंत्र के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। यह सभी dakshinavarti shankh ke fayde
हैं।
घर में पूरे विधि विधान से dakshinavarti shankh sthapana की जानी चाहिए। माना कि इस शंख को प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं है। लेकिन इसे एक प्रक्रिया के माध्यम से स्थापित करना चाहिए। तभी इसके सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे।
1. इसे स्थापित करने के सर्वप्रथम इसका शुद्धिकरण किया जाना आवश्यक है।
2. इसके बाद एक साफ़ लाल कपड़ा लें और उसमें शंख रखें।
3. तत्पश्चात लाल कपड़े में लपेटे उस शंख में गंगा जल भरें।
4. फिर आसान पर बैठ पर दिए गए मंत्र का 11 बार जाप करें। आप चाहें तो लक्ष्मी बीज मंत्र का भी जाप कर सकते हैं।
दक्षिणावर्ती शंख मंत्र ( Dakshinavarti Shankh Mantra )
”ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीधर करस्थायपयोनिधि जाताय श्री दक्षिणावर्ती शंखाय ह्रीं श्रीं क्लीं श्रीकराय पुज्याय नमः”
5. मंत्र जाप करने के बाद इसे घर के किसी भी स्थान पर रखें।
6. जिस भी स्थान पर शंख को स्थापित किया जाए वह पवित्र होने चाहिए।
विधि विधान से पूजा करने पर इसका अत्यधिक प्रभाव देखने को मिलता है। हर किसी दैवीय वस्तु का सही ढंग से पूजा पाठ करना बहुत जरूरी है। इस तरह करें पूजा घर में होगी सुख शांति की दस्तक :
1. प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में जागकर स्नान करें और फिर पूजा विधि शुरू करें।
2. शंख को स्थापित किये जाने के पश्चात उसमें रोली भरें और स्वस्तिक बनायें।
3. दक्षिणवर्ती शंख के पास में माता लक्ष्मी की प्रतिमा को रखें और उस पर गंगाजल छिड़के।
4. घी का दीपक और धुप जलाते हुए लक्ष्मी आरती करें।
5. माता के समक्ष फल और मिठाई अर्पित करें।
6. सभी प्रक्रिया संपन्न होने के बाद आसन पर बैठें।
7. फिर माता लक्ष्मी बीज मंत्र और दक्षिणवर्ती शंख मंत्र का 11 बार जाप करें।
8. शीघ्र फल प्राप्ति के लिए जातकों को कमलगट्टे की या स्फटिक की माल से जाप करना चाहिए।
9. बृहस्पतिवार को इसमें दूध भरकर भगवान विष्णु पर अभिषेक करना बहुत फलदायी है।
10. ध्यान रहे स्थापना के बाद भी नियमित तौर पर do dakshinavarti shankh puja at home.
बाजारों में इसका दुर्लभ मिलना लाज़मी है। कम पाए जाने के बावजूद यह अनगिनत गुण लिए हुए है। इसलिए यह जानकारी उपभोक्ता को होना जरुरी है कि original dakshinavarti shankh price बाजारों में क्या है- इसकी कीमत 1000 से शुरू होकर 5000 के करीब भी जा सकती है यह उसके आकार पर भी निर्भर करता है। इस शंख के विभिन्न आकार पाए जाते हैं। जो 2 से 11 के बीच भी हो सकता है।

बाजारों में उपलब्ध होने के साथ-साथ original shankh online भी उपलब्ध है,और आप इसे आसानी से खरीद सकते है।
बता दें इसे खरीदने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए। सावधानी यह कि online shankh order किया है वह असली है या नहीं।
आपको बताते चलें कि यह online shankh कई वेबसाइट पर मौजूद है। वैसे तो ऊपर इस शंख के प्राकृतिक रूप से मिलने के बारे में बताया गया है। यदि आप कम कीमत पर खरीदना चाहते हैं तो इसे हमारी साइट से खरीद सकते है। हमारे पास किफायती कीमत पर ₹600 में उपलब्ध है। खरीदने के इच्छुक लोग prabhubhakti.in पर जाकर खरीदें।
इस प्रकार शंख के shankh benefits हमने आपको बताये। साथ ही उसके प्रभावों का भी विस्तार से वर्णन किया। उसकी पहचान करने के तरीके के अलावा धार्मिक महत्व को उजागर किया। आप स्थापना प्रक्रिया और पूजा विधि को बिना किसी विघ्न के पूरे करें। क्योंकि नियमित तौर पर पूजा अर्चना करने और जाप करने से सौभाग्य मिलता है।
यह दुर्लभ श्रेणी का शंख है जिसे भी यह प्राप्त होता है वह बहुत भाग्यशाली होता है। अतः इसका ध्यान रखने से यह शुभ फल प्रदान करता है। खासतौर पर यह वास्तु दोष से निपटने के लिए लाभकारी है। dakshinavarti shankh astrology में बताएं तो ज्योतिष शास्त्र में इसका ख़ासा महत्व है। इसका कारण है शंख का 14 रत्नों में शामिल होना।
ज्योतिष विद्या में तो इसे लक्ष्मी शंख की संज्ञा भी दी गई है। शंख में समाई ऊर्जा धन-लक्ष्मी को आकर्षित करने की क्षमता रखती है। बता दें कि घर की शान्ति के साथ साथ व्यक्ति के आभामंडल का भी शुद्धिकरण करता है। सफ़ेद रंग ही शान्ति का प्रतीक है। इससे टोने टोटके तक निष्फल हो जाते है। निष्फलता प्राप्त करने के लिए original shankh buy online.
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