माँ वैभव लक्ष्मी व्रत का महत्व क्या है? | Maa Vaibhav Laxmi Vrat ka mahatva kya hai? | vaibhav laxmi ka vrat kaise kare
वैभव लक्ष्मी व्रत पूजा कैसे करें? | Vaibhav Laxmi Vrat puja kaise karen? | vaibhav laxmi vrat vidhi | वैभव लक्ष्मी व्रत कथा विधि
1. शुक्रवार के दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर माता लक्ष्मी की प्रतिमा रखें।
3. माता को श्वेत या लाल पुष्प अर्पित करते हुए व्रत का संकल्प लें।
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5. इसके उपरान्त माता वैभव लक्ष्मी को अक्षत, फल, कमलगट्टा चढ़ाएं।
6. फिर घी का दीपक और धूप जलाकर माता लक्ष्मी की आरती करें।
7. अब आसन पर बैठकर माँ लक्ष्मी बीज मंत्र का 108 बार जाप स्फटिक माला से करें।
”ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।।”
8. अपनी आर्थिक समस्या से निजात पाने के लिए इसी दिन Dhan Laxmi Kuber Box को घर में स्थापित करें।
9. माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक उपासना करने से माँ अवश्य ही अपने भक्तों से प्रसन्न होती हैं।
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वैभव लक्ष्मी व्रत के नियम | Vaibhav laxmi vrat ke niyam
2. पूरे दिन निराहार रहकर एक ही बार भोजन ग्रहण करें।
3. मन और शरीर को शुद्ध रखें, बुरे विचार न आने दें।
4. किसी का दिल न दुखाये, कोमल वाणी का ही प्रयोग करें।
वैभव लक्ष्मी व्रत के फायदे | Vaibhav Lakshmi Vrat ke fayde
2. आध्यात्मिक और सकारात्मक विचारों को बढ़ावा मिलता है।
3. दरिद्रता और आर्थिक संकटों को दूर करने में सहायक
4. घर से बुरी शक्तियां दूर रहती हैं।
5. लम्बे समय से चले आ रहे गृह कलेश की समाप्ति होती है।
वैभव लक्ष्मी व्रत कथा विधि | Vaibhav Laxmi Vrat Katha
वैभव लक्ष्मी माता की कहानी (Vaibhav Lakshmi maa ki kahani) आगे अब इस तरह है कि यह सब दृश्य देख शीला अत्यंत चिंतित रहने लगी अब वह अपना सारा समय भगवान की भक्ति में ही लगाया करती। एक दिन किसी ने शीला के द्वार पर दस्तक दी। शीला ने जब द्वार खोला तो वहां एक मांजी खड़ी हुई थीं। वह कोई सामान्य मांजी नहीं बल्कि कोई तेजस्विनी की भांति लग रही थी। मांजी के नेत्रों से मानो अमृत बह रहा हो। शीला ने जैसे ही मांजी को देखा उसका शरीर तो जैसे पावन ही हो गया। उसका रोम-रोम खिल उठा। शीला उन्हें घर के अंदर ले आई और एक फटी हुई चादर पर मांजी को बिठा दिया।
अब मांजी बोलीं कि शीला क्या तुमने मुझे पहचाना? तुम हर शुक्रवार माता लक्ष्मी के मंदिर जाया करती थीं मैं भी वहां माता लक्ष्मी के भजन-कीर्तन के लिए आती थी। तुम्हें मैंने बहुत दिनों से मंदिर में नहीं देखा तो सोचा तुम्हारा हाल-चाल जान लूँ। शीला को मांजी की बातों को सुनकर जैसे प्रेम भाव में बहती चली गई। उससे रहा नहीं गया और वह बिलख-बिलख कर रोने लगी। शीला को रोते देख मांजी ने उसे संभाला और कहा कि जीवन में सुख-दुःख तो धूप छाँव की भांति आते रहते है ऐसे समय में तुम्हे खुद पर और ईश्वर पर विश्वास करना चाहिए। शीला जब शांत हुई तो मांजी ने उसे Vaibhav Laxmi Vrat विधि बताई। उन्होंने आगे कहा कि वैभव लक्ष्मी व्रत बहुत ही सरल है। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से जीवन में सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है साथ ही माता Vaibhav laxmi की कृपा से तुम्हारी हर मनोकमना पूर्ण होगी। शीला ने जैसे ही इस व्रत का संकल्प लिया और उसकी आँख अचानक से खुल गई। सामने कोई भी नहीं था इससे पहले कि शीला कुछ और सोच पाती उसके अंतर्मन से उसे बतलाया कि साक्षात देवी लक्ष्मी जी यहाँ पधारी थीं जिन्होंने उसके दुखों को दूर करने के लिए व्रत विधि बताई।
दूसरे ही दिन शुक्रवार था शीला ने प्रातःकाल स्नानादि कर माता लक्ष्मी के व्रत का विधिपूर्वक पालन किया। आखिर में जब प्रसाद वितरण की बारी आई तो शीला ने सबसे पहले वह प्रसाद अपने पति को खिलाया। प्रसाद ग्रहण करने के बाद शीला के पति का मन जैसे कुछ देर में ही बदल गया। उसने इसके बाद अपनी पत्नी को कभी सताया नहीं और धीरे-धीरे वह सत्कर्मों में लीन होता चला गया। शीला ने कुल 21 शुक्रवार तक Vaibhav lakshmi vrat का नियमपूर्वक पालन किया। इसके बाद 21वें शुक्रवार को मांजी के कहे अनुसार उसने सात स्त्रियों को वैभव लक्ष्मी व्रत की सात पुस्तकें उपहार में देकर उद्द्यापन भी किया। अब शीला का पति सात्विक मार्ग पर चलने लगा था और उसने सभी बुरे कार्यों को छोड़ दिया था।
इस तरह वैभव लक्ष्मी के व्रत संकल्प से शीला की मनोकमना पूर्ण हुई। इसी प्रकार जो भी जातक सच्चे मन से हर शुक्रवार वैभव लक्ष्मी के व्रत का पालन कर Vaibhav Lakshmi Vrat Katha का पाठ करता है उसके सभी दुखः दर्द माता लक्ष्मी हर लेती हैं और उसके जीवन में खुशियों की बहार ला देती हैं।
वैभव लक्ष्मी व्रत में क्या खाना चाहिए | Vaibhav Lakshmi Vrat me kya khana chahiye? | वैभव लक्ष्मी व्रत में नमक खाया जाता है या नहीं
वैभव लक्ष्मी व्रत में क्या क्या सामग्री चाहिए? | वैभव लक्ष्मी व्रत की सामग्री | Vaibhav Lakshmi Vrat me kya-kya samagri chahiye?
वैभव लक्ष्मी व्रत कब से शुरू करना चाहिए? | Vaibhav Lakshmi Vrat kab se shuru karna chahiye?
वैभव लक्ष्मी के व्रत में क्या नहीं करना चाहिए? | Vaibhav Laxmi ke vrat me kya nahi karna chahiye?
वैभव लक्ष्मी का व्रत कौन से महीने से शुरू करना चाहिए? | Vaibhav Laxmi Vrat konse mahine se shuru karna chahiye?
कब से शुरू करें वैभव लक्ष्मी व्रत –
वैभव लक्ष्मी व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार से शुरू करना शुभ माना जाता है. लेकिन मलमास या खरमास में व्रत की शुरुआत या उद्यापन नहीं करना चाहिए. वैभव लक्ष्मी व्रत कम से कम 11 या 21 करना चाहिए।
वैभव लक्ष्मी का व्रत कितने बजे करना चाहिए? | Vaibhav Laxmi Vrat Kitne baje karna chahiye? | शुक्रवार लक्ष्मी व्रत की विधि – Vaibhav laxmi vrat ki katha
व्रत रखने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठकर घर को साफ-सुथरा करें. उसके बाद स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें और फिर 7,11 या 21 व्रत रखने का संकल्प करें. पूरे दिन मन में मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करते रहें।
वैभव लक्ष्मी’स फास्टिंग स्टोरी | Vaibhav lakshmi ki vrat katha – shri vaibhav lakshmi vrat katha
वैभव मां लक्ष्मी कथा– वे किसी की बुराई करते न थे और प्रभु भजन में अच्छी तरह समय व्यतीत कर रहे थे। शहर के लोग उनकी गृहस्थी की सराहना करते थे। शीला की गृहस्थी इसी तरह खुशी-खुशी चल रही थी। पर शीला के पति के अगले जन्म के कर्म भोगने के बाकी रह गये थे ऐसे में वह बुरे लोगों से दोस्ती कर बैठा।
वैभव लक्समी के व्रत की विधि | Vaibhav laxmi ke vrat ki vidhi
वैभव लक्समी उद्यापन विधि | Vaibhav laxmi udyapan vidhi – vaibhav laxmi vrat udyapan vidhi
इस तरह करें वैभव लक्ष्मी व्रत का उद्यापन-अंतिम शुक्रवार के दिन इस व्रत का उद्यापन करना चाहिए. उद्यापन के दिन व्यक्ति को वैभव लक्ष्मी की पूजा ( Vaibhav Laxmi ki pooja ) करने केबाद प7 से 9 कन्याओं को खीर और पूरी खिलानी चाहिए. इसके बाद सभी कन्याओं को वैभव लक्ष्मी व्रत की पुस्तक और केले का प्रसाद देकर विदा करना चाहिए.