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    Home » Vaibhav Laxmi Vrat: आइये जानें वैभव लक्ष्मी व्रत कथा, पूजा विधि और ज़रूरी नियम
    Astrology Durga

    Vaibhav Laxmi Vrat: आइये जानें वैभव लक्ष्मी व्रत कथा, पूजा विधि और ज़रूरी नियम

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiFebruary 2, 2024Updated:February 2, 2024
    vaibhav lakshmi vrat katha
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    माँ वैभव लक्ष्मी व्रत का महत्व क्या है? | Maa Vaibhav Laxmi Vrat ka mahatva kya hai? | vaibhav laxmi ka vrat kaise kare

    Vaibhav Laxmi Vrat Mahatv– वैभव लक्ष्मी व्रत को अगर सुहागिन महिलाएं करें तो उसे सबसे ज्यादा लाभकारी माना गया है. यह व्रत नियमित रूप से 11 या 21 शुक्रवार तक किया जाना चाहिए. इसके अलावा व्रत के दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जानी चाहिए और इस दिन किसी भी तरह का छल कपट क्रोध आदि करने से बचना चाहिए।
     
    माता लक्ष्मी के आठ रूपों में से एक रूप को वैभव लक्ष्मी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में माँ वैभव लक्ष्मी व्रत को धन, वैभव, सुख और समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है। देवी लक्ष्मी के इस व्रत को स्त्री या पुरुष कोई भी रख सकता है। जिन लोगों के जीवन में आर्थिक संकट लम्बे समय से बना हुआ है और या फिर वे गृह कलेश आदि से परेशान हैं तो उन्हें इस व्रत का पालन अवश्य ही करना चाहिए। आज के इस लेख में हम माता वैभव लक्ष्मी की महिमा, उनकी पूजा विधि और व्रत नियमों और कुछ महत्वपूर्ण सवालों के बारे में जानेंगे।

    वैभव लक्ष्मी व्रत पूजा कैसे करें? | Vaibhav Laxmi Vrat puja kaise karen? | vaibhav laxmi vrat vidhi | वैभव लक्ष्मी व्रत कथा विधि 

    आइये जानें Vaibhav laxmi vrat vidhi:

    1. शुक्रवार के दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।  

    2. एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर माता लक्ष्मी की प्रतिमा रखें।  

    3. माता को श्वेत या लाल पुष्प अर्पित करते हुए व्रत का संकल्प लें। 
    vaibhav laxmi photo
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    4. इसके बाद माँ लक्ष्मी को लाल या श्वेत चन्दन का तिलक लगाएं।   

    5. इसके उपरान्त माता वैभव लक्ष्मी को अक्षत, फल, कमलगट्टा चढ़ाएं।  

    6. फिर घी का दीपक और धूप जलाकर माता लक्ष्मी की आरती करें।  

    7. अब आसन पर बैठकर माँ लक्ष्मी बीज मंत्र का 108 बार जाप स्फटिक माला से करें।  

    ”ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।।”

    8. अपनी आर्थिक समस्या से निजात पाने के लिए इसी दिन Dhan Laxmi Kuber Box को घर में स्थापित करें।  

    9. माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक उपासना करने से माँ अवश्य ही अपने भक्तों से प्रसन्न होती हैं।  
    Also Read: Dhan ki Varsha: यदि आपके पर्स में होंगी ये 5 चीजे तो माँ लक्ष्मी करेगी धन की वर्षा

    वैभव लक्ष्मी व्रत के नियम | Vaibhav laxmi vrat ke niyam

    1. व्रत वाले दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानदि क्रिया से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।  

    2. पूरे दिन निराहार रहकर एक ही बार भोजन ग्रहण करें।  

    3. मन और शरीर को शुद्ध रखें, बुरे विचार न आने दें।  

    4. किसी का दिल न दुखाये, कोमल वाणी का ही प्रयोग करें। 
    vaibhav laxmi mantra
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    वैभव लक्ष्मी व्रत के फायदे | Vaibhav Lakshmi Vrat ke fayde

    1. मन को शांत और स्थिर रखने के लिए फायदेमंद  है।  

    2. आध्यात्मिक और सकारात्मक विचारों को बढ़ावा मिलता है।  

    3. दरिद्रता और आर्थिक संकटों को दूर करने में सहायक

    4. घर से बुरी शक्तियां दूर रहती हैं।  

    5. लम्बे समय से चले आ रहे गृह कलेश की समाप्ति होती है।

    वैभव लक्ष्मी व्रत कथा विधि | Vaibhav Laxmi Vrat Katha 

    वैभव लक्ष्मी की कहानी ( Lakshmi Mata ki kahani ) कुछ इस प्रकार है कि एक समय जब शहरी जीवन शुरू हो चुका था। सभी लोग भागदौड़ में व्यस्त थे, लोग अपनी जरूरतों को पूरे करने के पीछे इस तरह भाग रहे थे कि उन्हें पूजा-पाठ या ईश्वर, भक्ति या दया भाव आदि से कोई मतलब नहीं रह गया था। दिन पर दिन व्यक्ति पर बुराइयां हावी पड़ रहीं थी। इन सभी बुराइयों के बीच कुछ लोग सभी भी सात्विक स्वभाव के भी रहते थे जिनमें शीला नामक स्त्री भी शामिल थी। शीला काफी शांत स्वभाव वाली और धार्मिक मान्यताओं में विश्वास करने वाली स्त्री थी। शीला का पति भी उसी की तरह सुशील और सात्विक था। दोनों भगवान के पूजन करते हुए और सत्कर्म करते हुए अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे।
    vaibhav lakshmi vrat
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    जैसे-जैसे समय बीता शीला का पति भी उसी भीड़ में शामिल हो गया जो बुरे कार्यों में लिप्त थे। अब शीला के पति के मन में केवल एक ही स्वप्न था किसी भी हालत में करोड़पति बनना। कारोड़पति बनने की लालसा शीला और उसके पति को जल्द ही दरिद्रता के मोड़ पर ले आई और वे भिक्षा मांगने तक की कगार पर आ खड़े हुए। शराब, जुआ, नशीले पदार्थों का सेवन, मांसाहारी भोजन का ग्रहण ये सब अब शीला के पति की दिनचर्या का एक हिस्सा बन चुके थे। उसने अब अपनी सारी धन दौलत जुए में गंवा दिया।  

    वैभव लक्ष्मी माता की कहानी (Vaibhav Lakshmi maa ki kahani) आगे अब इस तरह है कि यह सब दृश्य देख शीला अत्यंत चिंतित रहने लगी अब वह अपना सारा समय भगवान की भक्ति में ही लगाया करती। एक दिन किसी ने शीला के द्वार पर दस्तक दी। शीला ने जब द्वार खोला तो वहां एक मांजी खड़ी हुई थीं। वह कोई सामान्य मांजी नहीं बल्कि कोई तेजस्विनी की भांति लग रही थी। मांजी के नेत्रों से मानो अमृत बह रहा हो। शीला ने जैसे ही मांजी को देखा उसका शरीर तो जैसे पावन ही हो गया। उसका रोम-रोम खिल उठा। शीला उन्हें घर के अंदर ले आई और एक फटी हुई चादर पर मांजी को बिठा दिया।  

    अब मांजी बोलीं कि शीला क्या तुमने मुझे पहचाना? तुम हर शुक्रवार माता लक्ष्मी के मंदिर जाया करती थीं मैं भी वहां माता लक्ष्मी के भजन-कीर्तन के लिए आती थी। तुम्हें मैंने बहुत दिनों से मंदिर में नहीं देखा तो सोचा तुम्हारा हाल-चाल जान लूँ। शीला को मांजी की बातों को सुनकर जैसे प्रेम भाव में बहती चली गई। उससे रहा नहीं गया और वह बिलख-बिलख कर रोने लगी। शीला को रोते देख मांजी ने उसे संभाला और कहा कि जीवन में सुख-दुःख तो धूप छाँव की भांति आते रहते है ऐसे समय में तुम्हे खुद पर और ईश्वर पर विश्वास करना चाहिए। 
    lakshmi vrat
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    शीला जब शांत हुई तो मांजी ने उसे Vaibhav Laxmi Vrat विधि बताई। उन्होंने आगे कहा कि वैभव लक्ष्मी व्रत बहुत ही सरल है। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से जीवन में सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है साथ ही माता Vaibhav laxmi की कृपा से तुम्हारी हर मनोकमना पूर्ण होगी। शीला ने जैसे ही इस व्रत का संकल्प लिया और उसकी आँख अचानक से खुल गई। सामने कोई भी नहीं था इससे पहले कि शीला कुछ और सोच पाती उसके अंतर्मन से उसे बतलाया कि साक्षात देवी लक्ष्मी जी यहाँ पधारी थीं जिन्होंने उसके दुखों को दूर करने के लिए व्रत विधि बताई।  

    दूसरे ही दिन शुक्रवार था शीला ने प्रातःकाल स्नानादि कर माता लक्ष्मी के व्रत का विधिपूर्वक पालन किया। आखिर में जब प्रसाद वितरण की बारी आई तो शीला ने सबसे पहले वह प्रसाद अपने पति को खिलाया। प्रसाद ग्रहण करने के बाद शीला के पति का मन जैसे कुछ देर में ही बदल गया। उसने इसके बाद अपनी पत्नी को कभी सताया नहीं और धीरे-धीरे वह सत्कर्मों में लीन होता चला गया। शीला ने कुल 21 शुक्रवार तक Vaibhav lakshmi vrat का नियमपूर्वक पालन किया। इसके बाद 21वें शुक्रवार को मांजी के कहे अनुसार उसने सात स्त्रियों को वैभव लक्ष्मी व्रत की सात पुस्तकें उपहार में देकर उद्द्यापन भी किया। अब शीला का पति सात्विक मार्ग पर चलने लगा था और उसने सभी बुरे कार्यों को छोड़ दिया था।  
     
    इस तरह वैभव लक्ष्मी के व्रत संकल्प से शीला की मनोकमना पूर्ण हुई।  इसी प्रकार जो भी जातक सच्चे मन से हर शुक्रवार वैभव लक्ष्मी के व्रत का पालन कर Vaibhav Lakshmi Vrat Katha का पाठ करता है उसके सभी दुखः दर्द माता लक्ष्मी हर लेती हैं और उसके जीवन में खुशियों की बहार ला देती हैं।

    वैभव लक्ष्मी व्रत में क्या खाना चाहिए | Vaibhav Lakshmi Vrat me kya khana chahiye? | वैभव लक्ष्मी व्रत में नमक खाया जाता है या नहीं

    माता लक्ष्मी के व्रत में एक ही बार भोजन ग्रहण करें और भोजन में सात्विक भोजन के साथ ही खीर भी अवश्य शामिल करें। सात्विक भोजन में साबूदाने की खिचड़ी एवं पुलाव, कुटू के पराठे, कच्चे केले की टिकी, सिंघाड़े की नमकीन बर्फी, आलू, खीरे और मूंगफली का सलाद आदि को शामिल किया जा सकता है।   

    वैभव लक्ष्मी व्रत में क्या क्या सामग्री चाहिए? | वैभव लक्ष्मी व्रत की सामग्री | Vaibhav Lakshmi Vrat me kya-kya samagri chahiye?  

    vaibhav laxmi vrat
    vaibhav laxmi vrat
    वैभव लक्ष्मी व्रत सामग्री : मां लक्ष्मी की प्रतिमा, फूल, चंदन, अक्षत, पुष्प माला, पंचामृत, दही, दूध, जल, कुमकुम, मौली, दर्पण, कंघा, हल्दी, कलश, विभूति, कपूर, घंटी  आम और पान के पत्ते, केले, धूप बत्ती, प्रसाद और दीपक।

    वैभव लक्ष्मी व्रत कब से शुरू करना चाहिए? | Vaibhav Lakshmi Vrat kab se shuru karna chahiye? 

    अक्सर जातकों के मन में यह सवाल जरूर रहता है कि वैभव लक्ष्मी व्रत कब शुरू करें? तो इस व्रत को शुरू करने का सबसे शुभ दिन शुक्ल पक्ष का पहला शुक्रवार माना जाता है। इस व्रत को 16 या 21 शुक्रवार तक रखना चाहिए।    

    वैभव लक्ष्मी के व्रत में क्या नहीं करना चाहिए? | Vaibhav Laxmi ke vrat me kya nahi karna chahiye?

    वैभव लक्ष्मी के व्रत में सात्विक भोजन ही ग्रहण करें और अपने मन और शरीर को भी सात्विक रखें। इस दिन किसी तरह के बुरे या नकारात्मक विचारों को मन में न आने दे। अपने मन में लोभ, ईर्ष्या या धृणा जैसे भावों को भी न रखें। शुद्ध मन से व्रत का पालन करें।
    vaibhav laxmi image
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    वैभव लक्ष्मी का व्रत कौन से महीने से शुरू करना चाहिए? | Vaibhav Laxmi Vrat konse mahine se shuru karna chahiye? 

    कब से शुरू करें वैभव लक्ष्‍मी व्रत –

    वैभव लक्ष्‍मी व्रत किसी भी महीने के शुक्‍ल पक्ष के शुक्रवार से शुरू करना शुभ माना जाता है. लेकिन मलमास या खरमास में व्रत की शुरुआत या उद्यापन नहीं करना चाहिए. वैभव लक्ष्‍मी व्रत कम से कम 11 या 21 करना चाहिए।

    वैभव लक्ष्मी का व्रत कितने बजे करना चाहिए? | Vaibhav Laxmi Vrat Kitne baje karna chahiye? | शुक्रवार लक्ष्मी व्रत की विधि – Vaibhav laxmi vrat ki katha

    कैसे रखें शुक्रवार का व्रत – 

    व्रत रखने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठकर घर को साफ-सुथरा करें. उसके बाद स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें और फिर 7,11 या 21 व्रत रखने का संकल्प करें. पूरे दिन मन में मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करते रहें।

    वैभव लक्ष्मी’स फास्टिंग स्टोरी | Vaibhav lakshmi ki vrat katha – shri vaibhav lakshmi vrat katha 

    वैभव मां लक्ष्मी कथा– वे किसी की बुराई करते न थे और प्रभु भजन में अच्छी तरह समय व्यतीत कर रहे थे। शहर के लोग उनकी गृहस्थी की सराहना करते थे। शीला की गृहस्थी इसी तरह खुशी-खुशी चल रही थी। पर शीला के पति के अगले जन्म के कर्म भोगने के बाकी रह गये थे ऐसे में वह बुरे लोगों से दोस्ती कर बैठा।

    baivab laxmi pic
    baivab laxmi pic

    वैभव लक्समी के व्रत की विधि | Vaibhav laxmi ke vrat ki vidhi

    सबसे पहले मां वैभव लक्ष्मी को सिंदूर, रोली, मौली, लाल फूल, फल चढ़ाएं. इसके बाद खीर का भोग लगाएं. पूजा में वैभव लक्ष्मी व्रत ( Vaibhav Laxmi Vrat ) की कथा जरूर पढ़ें या सुनें और आखिर में आरती करें. इस दिन आप फलाहार व्रत रख सकते हैं.

    वैभव लक्समी उद्यापन विधि | Vaibhav laxmi udyapan vidhi – vaibhav laxmi vrat udyapan vidhi

    इस तरह करें वैभव लक्ष्मी व्रत  का उद्यापन-अंतिम शुक्रवार के दिन इस व्रत का उद्यापन करना चाहिए. उद्यापन के दिन व्यक्ति को वैभव लक्ष्मी की पूजा ( Vaibhav Laxmi ki pooja ) करने केबाद प7 से 9 कन्याओं को खीर और पूरी खिलानी चाहिए. इसके बाद सभी कन्याओं को वैभव लक्ष्मी व्रत की पुस्तक और केले का प्रसाद देकर विदा करना चाहिए.

    How to do vaibhav laxmi vrat in hindi | वैभव लक्ष्मी व्रत कैसे करें हिंदी में

    वैभव लक्ष्‍मी की तस्‍वीर के सामने मुट्ठी भर चावल का ढेर लगाएं और उस पर जल से भरा हुआ तांबे का कलश स्‍थापित करें. कलश के ऊपर एक कटोरी में चांदी के सिक्के या कोई सोने-चांदी का आभूषण रखें. – रोली, मौली, सिंदूर, फूल,चावल की खीर आदि मां लक्ष्मी अर्पित करें. पूजा के बाद वैभव लक्ष्मी कथा का पाठ करें.
    lakshmi katha
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    वैभव लक्ष्मी व्रत कब शुरू करना चाहिए? | Vaibhav laxmi vrat kab se start karna chahie

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,  वैभव लक्ष्मी का व्रत ( Vaibhav Laxmi ka Vrat ) किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के शुरू किया जा सकता है। हालांकि मलमास या खरमास में व्रत की शुरुआत या उद्यापन नहीं किया जाता है। ऐसे में इस बात का हमेशा ख्याल रखें। ध्यान रहे कि Vaibhav Laxmi  Vrat कम से कम 11 या 21 शुक्रवार तक करना चाहिए।
     

    लक्ष्मी पूजा व्रत | Laxmi puja vrat – Vaibhav laxmi vart katha – Shukrawar mahalaxmi vrat katha

    उसके बाद स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें और फिर 7,11 या 21 व्रत रखने का संकल्प करें. पूरे दिन मन में मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करते रहें. दिन में नमक न खाएं सिर्फ फलाहार करें. शुक्रवार के व्रत में पूजा मुख्य रूप से शाम के समय सूर्य ढलने के बाद की जाती है.

    वैभव लक्ष्मी मंत्र 108 | Vaibhav Laxmi Mantra 108

    ऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।। मां लक्ष्मी का यह महामंत्र धन, ऐश्वर्य और सौभाग्य की प्राप्ति कराता है. इस मंत्र का जाप शुक्रवार के दिन 108 बार करना चाहिए.
    lakshmi mata ki vrat katha
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    वैभव लक्ष्मी व्रत में नमक खा सकते हैं क्या? | Vaibhav Laxmi Vrat mein Namak kha sakte hain kya 

    Vaibhav Laxmi  Vrat  रखने वालों को शुद्ध और सात्विक भोजन करना चाहिए. आप इस व्रत में हर तरह के फल का सेवन कर सकते हैं. इसके अलावा आप कुट्टू या सिंघाड़े के आटे से बनी पूड़ी, आलू की सब्जी, दही खा सकते हैं. भोजन बनाते समय सेंधा नमक और ताजे तेल का ही उपयोग करें.

    वैभव लक्ष्मी का व्रत कितने बजे करना चाहिए? – Maa vaibhav laxmi vrat katha

    व्रत रखने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले उठकर घर को साफ-सुथरा करें. उसके बाद स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें और फिर 7,11 या 21 व्रत रखने का संकल्प करें. पूरे दिन मन में मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करते रहें।

    लक्ष्मी माता की व्रत कथा | Lakshmi ji ki katha – Lakshmi mata ki katha

    शीला ने पूर्ण श्रद्धा-भक्ति से इक्कीस शुक्रवार तक ‘वैभवलक्ष्मी व्रत ‘ किया. इक्कीसवें शुक्रवार को माँजी के कहे मुताबिक उद्यापन विधि कर के सात स्त्रियों को ‘वैभवलक्ष्मी व्रत‘ की सात पुस्तकें उपहार में दीं. फिर माताजी के ‘धनलक्ष्मी स्वरूप’ की छबि को वंदन करके भाव से मन ही मन प्रार्थना करने लगीं- ‘हे मां धनलक्ष्मी!
    laxmi katha
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    वैभव लक्ष्मी व्रत कथा कैसे किया जाता है? | Vaibhav Lakshmi Vrat Katha kaise kiya jaata hain

    पूजन के बाद मां के सामने एक श्रीफल फोड़ें फिर कम से कम सात‍ कुंआरी कन्याओं या सौभाग्यशाली स्त्रियों को कुमकुम का तिलक लगाकर मां वैभवलक्ष्मी व्रत कथा ( Vaibhav Vrat Katha ) की पुस्तक की एक-एक प्रति उपहार में दें और खीर का प्रसाद दें. इसके बाद मां लक्ष्मीजी को श्रद्धा सहित प्रणाम करें.

    वैभव लक्ष्मी का व्रत कौन से महीने से शुरू करना चाहिए | Vaibhav Lakshmi Ka Vrat kaunse maheene se shuru karne chahiye

    वैभव लक्ष्‍मी व्रत ( Vaibhav Lakshmi Vrat ) किसी भी महीने के शुक्‍ल पक्ष के शुक्रवार से शुरू करना शुभ माना जाता है. लेकिन मलमास या खरमास में व्रत की शुरुआत या उद्यापन नहीं करना चाहिए. वैभव लक्ष्‍मी व्रत कम से कम 11 या 21 करना चाहिए. मां वैभव लक्ष्‍मी व्रत रखने के लिए शुक्रवार की सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान करें.
     
     
     
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