त्रियंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग कहाँ है? ( Where is Trimbakeshwar Jyotirling? )
त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग मन्दिर ( Trimbakeshwar Mandir ) महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में ब्रह्मगिरि पहाड़ियों के निकट त्रयंबक गांव में अवस्थित है। यह भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल एक ज्योतिर्लिंग है। त्रियंबकेश्वर मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे शिवलिंग स्थापित हैं। माना जाता है कि इन तीनों शिवलिंग में त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास है।
शिवपुराण में त्र्यम्बकेश्वर ( Nashik Trimbakeshwar ) स्थान का वर्णन कुछ इस प्रकार मिलता है कि ब्रह्मगिरि पर्वत के ऊपर जाने के लिये सात सौ सीढ़ियाँ हैं। इन सात सीढ़ियों पर चढ़कर ‘रामकुण्ड’ और ‘लक्ष्मणकुण्ड’ मिलते हैं और पर्वत के शिखर पर पहुंचकर गोमुख से निकलती हुई गौतमी जिसे हम गोदावरी भी कहते हैं के दर्शन होते हैं।
शिवपुराण में त्र्यम्बकेश्वर ( Nashik Trimbakeshwar ) स्थान का वर्णन कुछ इस प्रकार मिलता है कि ब्रह्मगिरि पर्वत के ऊपर जाने के लिये सात सौ सीढ़ियाँ हैं। इन सात सीढ़ियों पर चढ़कर ‘रामकुण्ड’ और ‘लक्ष्मणकुण्ड’ मिलते हैं और पर्वत के शिखर पर पहुंचकर गोमुख से निकलती हुई गौतमी जिसे हम गोदावरी भी कहते हैं के दर्शन होते हैं।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई? ( What is the story behind Trimbakeshwar temple? )
त्रियंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग ( Trimbakeshwar Jyotirlinga ) की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में ब्रह्मगिरी की पहाड़ियों पर एक आश्रम में गौतम ऋषि और उनकी पत्नी अहिल्या रहते और वहीं तपस्या करते थे। वहां रहने वाले लगभग सब ऋषि उनसे ईर्ष्या किया करते थे और बात बात पर नीचा दिखाने और परेशान करने के प्रयासों में जुटे रहते थे।
एक बार सभी ऋषि मुनियों ने धोखा करके गौतम ऋषि ( Gautam Rishi ) पर गौहत्या का आरोप लगा दिया। जब गौतम ऋषि ने गौहत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए हल मांगा तो सभी ऋषियों ने गौहत्या के पाप का प्रायश्चित करने के लिए गंगा नदी को ब्रह्मगिरी की पहाड़ियों पर लाने के लिए कहा।
गंगा मां ( Maa Ganga ) को प्रसन्न करने के लिए गौतम ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना कर पूजा अर्चना करनी आरंभ कर दी। गौतम ऋषि की तपस्या से भगवान शंकर और देवी पार्वती अत्यंत प्रसन्न हुए और वहां प्रकट हो गए। जब शिवजी ने उनसे वरदान मांगने के लिए कहा तो उन्होंने वरदान स्वरूप गंगा मां को इस स्थान पर लाने के लिए कहा।
इसपर देवी गंगा ने यह प्रार्थना की और कहा कि मैं इस स्थान पर तभी निवास कर सकती हूं जब मुझे अपनी जटाओं में धारण करने वाले भगवान शिव भी यहां वास करें। गंगा में कहने पर ही भगवान शिव ने वहां वास करने का निर्णय लिया और Shri Trimbakeshwar Shiv Jyotirlinga के रूप में स्थापित हो गए। तभी से गंगा नदी वहां गौतमी के रूप में बहती चली आ रही है जिसे हम गोदावरी के नाम से जानते हैं।
एक बार सभी ऋषि मुनियों ने धोखा करके गौतम ऋषि ( Gautam Rishi ) पर गौहत्या का आरोप लगा दिया। जब गौतम ऋषि ने गौहत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए हल मांगा तो सभी ऋषियों ने गौहत्या के पाप का प्रायश्चित करने के लिए गंगा नदी को ब्रह्मगिरी की पहाड़ियों पर लाने के लिए कहा।
गंगा मां ( Maa Ganga ) को प्रसन्न करने के लिए गौतम ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना कर पूजा अर्चना करनी आरंभ कर दी। गौतम ऋषि की तपस्या से भगवान शंकर और देवी पार्वती अत्यंत प्रसन्न हुए और वहां प्रकट हो गए। जब शिवजी ने उनसे वरदान मांगने के लिए कहा तो उन्होंने वरदान स्वरूप गंगा मां को इस स्थान पर लाने के लिए कहा।
इसपर देवी गंगा ने यह प्रार्थना की और कहा कि मैं इस स्थान पर तभी निवास कर सकती हूं जब मुझे अपनी जटाओं में धारण करने वाले भगवान शिव भी यहां वास करें। गंगा में कहने पर ही भगवान शिव ने वहां वास करने का निर्णय लिया और Shri Trimbakeshwar Shiv Jyotirlinga के रूप में स्थापित हो गए। तभी से गंगा नदी वहां गौतमी के रूप में बहती चली आ रही है जिसे हम गोदावरी के नाम से जानते हैं।
त्रियंबकेश्वर मंदिर का इतिहास ( Trimbakeshwar Temple History )
नासिक जिले में स्थित Trimbakeshwar Shiva Temple से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य कहते हैं कि भगवान शिव को समर्पित इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण मराठा साम्राज्य के पेशवा नानासाहेब ( Peshwa Nanasaheb ) ने एक शर्त पर करवाया था। शर्त यह थी कि यहाँ स्थापित ज्योतिर्लिंग का पत्थर अंदर से खोखला है या फिर नहीं। परन्तु पेशवा नानासाहेब अपनी शर्त हार गए। इसके बाद उन्होंने इस मंदिर का निर्माण भव्य तरीके से वर्ष 1755 से 1786 के मध्य में करवाया। उन्होंने यहाँ विराजित भगवान शिव की प्रतिमा को नासक डायमंड से निर्मित करवाया। परन्तु दुर्भाग्यवश एंग्लो-मराठा युद्ध के दौरान अंग्रेजो ने यहाँ के डायमंड को लूट लिया था।
त्रियंबकेश्वर मंदिर की स्थापत्य कला ( Architecture of Trimbakeshwar Temple )
भगवान शिव को समर्पित Trimbakeshwar Mandir Nashik काले पत्थरों से निर्मित किया गया है जो इसकी स्थापत्य कला को एक सुन्दर रूप प्रदान करता है। मंदिर की दीवारों पर सुन्दर नक्काशी बनी हुई है, यह सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। मंदिर में चारो तरफ दरवाजे बने हुए हैं जिनमें से पश्चिम की ओर वाला दरवाजा विशेष तीज-त्यौहार के मौका पर ही खुलता है। वहीँ मंदिर की पूर्व दिशा की ओर एक चौकोर मंडप बना हुआ है।
बताते चलें कि इस Nasik Temple के पास तीन पर्वत हैं नीलगिरि, ब्रह्मगिरि और गंगाद्वार पर्वत। ब्रह्मगिरि भगवान शिव को समर्पित है, नीलगिरि पर्वत पर गुरु दत्तात्रेय और नीलाम्बिका देवी का मंदिर मौजूद है। वहीँ गंगाद्वार पर गंगा मंदिर अवस्थित है।
बताते चलें कि इस Nasik Temple के पास तीन पर्वत हैं नीलगिरि, ब्रह्मगिरि और गंगाद्वार पर्वत। ब्रह्मगिरि भगवान शिव को समर्पित है, नीलगिरि पर्वत पर गुरु दत्तात्रेय और नीलाम्बिका देवी का मंदिर मौजूद है। वहीँ गंगाद्वार पर गंगा मंदिर अवस्थित है।
त्रियंबकेश्वर से कौन सी नदी का उद्गम स्थल है? ( Which river originates from Trimbakeshwar?
Trimbakeshwar Nashik से गंगा नदी जिन्हें गौतमी या गोदावरी कहा जाता है का उद्गम स्थल है। पौराणिक मान्यताएं कहती हैं कि गौतम ऋषि द्वारा यहाँ पर गंगा नदी को घोर तप कर लाया गया था जिन्हें यहाँ गोदावरी के नाम से जाना गया।
भगवान शिव को त्रियंबकेश्वर क्यों कहते हैं? ( Why is Shiva called Trimbakeshwar? )
भगवान शिव को त्रियंबकेश्वर इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक माने जाते हैं। Temple in Nashik त्रियंबकेश्वर मंदिर जहाँ पर स्थित है वहां तीन छोटे शिवलिंग स्थापित हैं जो त्रिदेवों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
त्रियंबकेश्वर मंदिर क्यों प्रसिद्ध है? ( Why Trimbakeshwar temple is famous? )
त्रियंबकेश्वर मंदिर के प्रसिद्ध होने का सबसे प्रमुख कारण है कि यहाँ स्थापित Trimbakeshwar Shivlingभगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक है। इस मंदिर में स्थापित ज्योतिर्लिंग ( Nashik Jyotirling ) में त्रिदेवों का वास माना जाता है। अतः जो भी यहाँ दर्शन करता है उसे तीनों देवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश के दर्शन स्वतः ही हो जाते हैं। अपनी सुन्दर वास्तुकला के लिए भी स्थान लोकप्रिय है क्योंकि भगवान शिव की हीरों से जड़ी प्रतिमा, दीवारों पर बनी सुन्दर नक्काशी, काले और विशाल पत्थर सभी के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।