रामसेतु की सच्चाई क्या है? ( What is the Truth of Ram Setu? )
कहते हैं कि भगवान श्री राम ने रामेश्वरम से लंका तक माता सीता को लाने के लिए वानर सेना की सहायता से एक पुल का निर्माण करवाया था, जिसे आज Ram Setu Pul के नाम से जाना जाता है। Ramsetu Bridge में प्रयोग होने वाले पत्थर आज भी पानी में तैरते हुए दिखाई देते हैं। कई लोगों ने रामसेतु के पत्थर को दिखाने का दावा भी किया है वहीँ कुछ साल पहले एक ऐसा चमत्कार देखने को मिला जिसे देख सभी हैरान हो गए।
दरअसल आशचर्य की बात ये है कि आमतौर पर पत्थर अक्सर पानी में आसानी से डूब जाता है लेकिन बिजनौर के बैराज में एक तैरता हुआ पत्थर नज़र आया, जब लोगों ने इस पत्थर को पानी में तैरते हुए देखा तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया लेकिन गोताखोरों ने इसे पानी से बाहर निकाला तो वह पत्थर को देख दंग रह गए। आठ से नए किलो वजन वाला यह पत्थर जो पानी में तैर रहा था, यह कोई आम पत्थर नहीं था बल्कि ये Rameshwar Setu का पत्थर था जिसके ऊपर राम नाम लिखा हुआ था। पत्थर को देखने के लिए लोगों का तांता लग गया ओर बैराज में ही लोगों ने जोर जोर से जय श्री राम के जयकारे लगाने शुरू कर दिए तथा पूरा बैराज जय श्री राम के जय जयकार से गूंज उठा।
आखिर कैसे आया रामेश्वरम ( Rameshwaram ) से 30000 किलोमीटर तैरकर Rameshwaram Setu का पत्थर? क्या यह भगवान श्री राम का कोई चमत्कार था ? दरअसल माना जा रहा है कि किसी ने रामेश्वरम से यह पत्थर लाकर हरिद्वार या फिर गंगा में बहा दिया, जंहा से ये पत्थर तैरता हुआ बिजनौर स्थित बैराज पहुँच गया। परन्तु लोग इसे भगवान श्री राम का ही चमत्कार मान रहे हैं, उनका कहना है कि भगवान श्री राम ने स्वयं Setu के पत्थर रूप में उन्हें दर्शन दिए हैं।
दोस्तों आपको बता दें कि जब रावण ने माता सीता का हरण किया था तो भगवान श्री राम ने रावण की कैद से माता सीता को छुड़वाने के लिए रामेश्वरम से लंका तक इस Ram Setu पुल का निर्माण करवाया था। रामसेतु के इस पुल की लम्बाई लगभग तीस किलोमीटर तथा चौड़ाई लगभग तीन किलोमीटर थी। लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि आखिर इतनी अधिक लम्बाई तथा चौड़ाई वाला पुल पांच दिन में बनकर तैयार कैसे हो गया था। आखिर ये पत्थर पानी में कैसे तैरने लगे? अगर इन पत्थरों को वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाये तो,-इन्हें प्यूमाइस स्टोन कहा जाता है जो कि ज्वालामुखी से निकले हुए लावा से बनते हैं। इन पत्थर के अंदर छिद्र बनने के कारण ये पानी में तैरने लगते हैं।
दरअसल आशचर्य की बात ये है कि आमतौर पर पत्थर अक्सर पानी में आसानी से डूब जाता है लेकिन बिजनौर के बैराज में एक तैरता हुआ पत्थर नज़र आया, जब लोगों ने इस पत्थर को पानी में तैरते हुए देखा तो उन्हें कुछ समझ नहीं आया लेकिन गोताखोरों ने इसे पानी से बाहर निकाला तो वह पत्थर को देख दंग रह गए। आठ से नए किलो वजन वाला यह पत्थर जो पानी में तैर रहा था, यह कोई आम पत्थर नहीं था बल्कि ये Rameshwar Setu का पत्थर था जिसके ऊपर राम नाम लिखा हुआ था। पत्थर को देखने के लिए लोगों का तांता लग गया ओर बैराज में ही लोगों ने जोर जोर से जय श्री राम के जयकारे लगाने शुरू कर दिए तथा पूरा बैराज जय श्री राम के जय जयकार से गूंज उठा।
आखिर कैसे आया रामेश्वरम ( Rameshwaram ) से 30000 किलोमीटर तैरकर Rameshwaram Setu का पत्थर? क्या यह भगवान श्री राम का कोई चमत्कार था ? दरअसल माना जा रहा है कि किसी ने रामेश्वरम से यह पत्थर लाकर हरिद्वार या फिर गंगा में बहा दिया, जंहा से ये पत्थर तैरता हुआ बिजनौर स्थित बैराज पहुँच गया। परन्तु लोग इसे भगवान श्री राम का ही चमत्कार मान रहे हैं, उनका कहना है कि भगवान श्री राम ने स्वयं Setu के पत्थर रूप में उन्हें दर्शन दिए हैं।
दोस्तों आपको बता दें कि जब रावण ने माता सीता का हरण किया था तो भगवान श्री राम ने रावण की कैद से माता सीता को छुड़वाने के लिए रामेश्वरम से लंका तक इस Ram Setu पुल का निर्माण करवाया था। रामसेतु के इस पुल की लम्बाई लगभग तीस किलोमीटर तथा चौड़ाई लगभग तीन किलोमीटर थी। लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि आखिर इतनी अधिक लम्बाई तथा चौड़ाई वाला पुल पांच दिन में बनकर तैयार कैसे हो गया था। आखिर ये पत्थर पानी में कैसे तैरने लगे? अगर इन पत्थरों को वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाये तो,-इन्हें प्यूमाइस स्टोन कहा जाता है जो कि ज्वालामुखी से निकले हुए लावा से बनते हैं। इन पत्थर के अंदर छिद्र बनने के कारण ये पानी में तैरने लगते हैं।
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