दीपावली से पहले पूरे देश में धनतेरस(Dhanteras) का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। पूरा देश इस त्यौहार को भगवान धन्वंतरि के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाता है लेकिन महादेव की नगरी काशी में एक मंदिर ऐसा है जो केवल धनतेरस के मौके पर साल में केवल एक ही बार खोला जाता है। ये प्राचीन मंदिर माँ अन्नपूर्णा का है। जिन्हे तीनो लोको में अन्न की देवी के रूप में पूजा जाता है। ये मंदिर खास इसलिए भी है क्यूंकि यहां आने वाले श्रद्धालुओ को प्रसाद के रूप में माँ अन्नपूर्णा का खजाना दिया जाता है। जिसे पाने के बाद भक्तगण हमेशा के लिए आर्थिक समस्याओं से मुक्ति पा लेते है। लेकिन महादेव की नगरी में माँ अन्नपूर्णा का ये प्राचीन मंदिर क्यों है और इस मंदिर को केवल धनतेरस(Dhanteras) के अवसर पर ही क्यों खोला जाता है इसकी जानकारी बेहद कम लोगो को है।
माँ अन्नपूर्णा के प्राचीन मंदिर के पीछे की पौराणिक कथा और धनतेरस (Dhanteras) के पर्व पर इस मंदिर का क्या महत्व है ?
काशी को माहदेव की नगरी के नाम से जाना जाता है जिसे महादेव ने अपने त्रिशूल पर थाम रखा है साथ ही काशी को प्राचीन मंदिरो का शहर भी कहा जाता है। क्यूंकि यहां महादेव और अन्य देवी देवताओं के हजारों ऐसे प्राचीन मंदिर है जिनकी अपनी – अपनी कोई खास मान्यता है। लेकिन महादेव की इस पवित्र नगरी में माँ अन्नपूर्णा के मंदिर का विशेष महत्त्व है। माँ अन्नपूर्णा का ये मंदिर सदियों पुराना है और इस मंदिर में माँ अन्नपूर्णा की 500 साल पुरानी स्वर्ण प्रतिमा स्थापित है। ये मंदिर साल भर बंद रहता है और साल में केवल एक बार धनतेरस के मौके पर 4 दिन के लिए ही खुलता है। इस मौके पर यहां लाखो की संख्या में भक्त अपनी हाजरी लगाते है। माँ अन्नपूर्णा के दर्शन करने के लिए यहां आने वाले भक्तो की कई किलोमीटर लंबी लाइन लगती है और जबतक मंदिर के कपाट बंद नहीं होते तब तक पूरे देश से लाखो भक्त यहां आते रहते है।
माँ अन्नपूर्णा के मंदिर से जुडी पौराणिक कथा
माँ अन्नपूर्णा के इस मंदिर का जिक्र पुराणों में भी किया गया है। कहा जाता है की एक बार जब काशी में अकाल पड़ गया था और चारो तरफ भुखमरी के कारण लोगो की मृत्यु होने लगी थी। तब काशी का ये हाल देखकर महादेव को माँ अन्नपूर्णा के पास भिक्षा मांगने के लिए जाना पड़ा था और तब माँ अन्नपूर्णा काशी में भुखमरी खत्म करने के लिए यहां के लोगो के लिए वरदान बन कर प्रकट हुई थी। तभी से महादेव की नगरी काशी में माँ अन्नपूर्णा को विशेष तौर पर पूजा जाता है और कहा जाता है तब से लेकर आज तक काशी में फिर कभी भुखमरी की समस्या उतपन्न नहीं हुईं और यहां आने वाले भक्तो पर भी माँ अन्नपूर्णा का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।
धनतेरस के अवसर पर sterling silver pendent पर स्पेशल ऑफर
माँ अन्नपूर्णा का आशीर्वाद लेने के लिए साल के 365 दिन इस मंदिर में भक्तो का आना जाना लगा रहता है लेकिन माँ अन्नपूर्णा के इस खास मंदिर के कपाट केवल धनतेरस के अवसर पर ही खुलते है। इस दौरान यहां अन्नकूट महोत्सव का आयोजन होता है और चार दिनों के लिए मंदिर के कपाट खोले जाते है और माँ की स्वर्ण प्रतिमा के दर्शन के लिए बहार निकाला जाता है। इस दौरान माँ अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए यहां काफी लम्बी लाइन लगती है और घंटो इंतजार के बाद श्रद्धालु माँ के दर्शन कर पाते है। लेकिन इस मंदिर की सबसे खास बात यहां मिलने वाला माता का प्रसाद है जिसे प्राप्त करना हर भक्त का सौभाग्य होता है। माँ के इस मंदिर में आने वाले भक्तो को प्रसाद के रूप में माँ अन्नपूर्णा का खजाना यानी सिक्का, चावल और धान का लावा दिया जाता है। बताया जाता है की प्रसाद के रूप में मिले माँ के इस खजाने को तिजोरी में रखने से कभी भी धन और अन्न की कमी नहीं होती है और माँ अन्नपूर्णा सदैव श्रद्धालुओं पर अपनी कृपा बनाए रखती है।
Also read : Dhan teras | धनतेरस के मौके पर क्यों खरीदते है सोना चांदी ? असलियत जानकर उड़ जायेगे होश
इस वर्ष भी धनतेरस के मौके पर माँ अन्नपूर्णा के मंदिर के कपाट खोले जाने की सारी तैयारी हो चुकी है और अन्नकूट महोत्सव के लिए भक्तो का काशी आने का सिलसिला भी शुरू हो चूका है। वैसे तो हर साल माँ अन्नपूर्णा के दर्शन करने के लिए यहां लाखो भक्त आते है लेकिन इस बार यहां आने वाले भक्तो की संख्या में और भी कई गुना वृद्धि देखने को मिल सकती है। क्यूंकि पिछले कुछ सालो से महामारी के चलते भक्तो की संख्या में थोड़ी गिरावट देखने को मिली थी लेकिन अब महामारी से जुड़ी सारी प्रोटोकॉल लगभग हटा दी गई है इसलिए इस वर्ष वाले भक्तो की संख्या और भी बढ़ सकती है।
काशी में मौजूद माँ अन्नपूर्णा के इस विशेष मंदिर और इससे जुडी पौराणिक कहानी के बारे में आपकी क्या राय है और क्या आप कभी माँ अन्नपूर्णा के इस मंदिर में दर्शन के लिए जा चुके है या नहीं इस बारे हमे कमेंट में जरूर बताएं।