Ayodhya ram mandir |अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के साथ 5 लाख मंदिरों में होगी पूजा
अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya ram mandir ) के निर्माण का इंतज़ार करोड़ों भारीतय सालों से करते आ रहे है। अब जल्द ही उनका इंतज़ार ख़तम होने वाला है। सूत्रों के मुताबिक़ 5 नवंबर 2023 से ही प्रभु श्री राम जन्म भूमि में कार्यक्रम का आयोजन किया जाने वाला है, पुरे देश भर के भक्तों को ध्यान में रखते हुए कई निर्णय भी लिए गए है, जिससे भक्त अपने घर बैठे ही प्रभु श्री राम का आशीर्वाद पा सकेंगे और प्राण प्रतिष्ठा में शामिल हो पाएंगे ।
आज के इस लेखन में हम आपको बताएंगे की क्या क्या तैयारियां हो रही है अयोध्या राम मंदिर ( ayodhya ram mandir) में।
प्रभु श्री राम की जन्म भूमि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य तेज़ी से चल रहा है और साथ ही मंदिर में भगवन श्री राम चंद्र की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि भी तय कर दी गयी है। मुहूर्त अनुसार प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को की जाएगी।
इसी के चलते देश भर में 5 लाख से भी ज़्यादा मंदिरों में कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। भगवान् श्री राम के आगमन की तैयारी ज़ोरो शोरो से हो रही है वही श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा का कहना है, की 5 नवंबर 2023 को अयोध्या राम मंदिर में अक्षत पूजन किया जाएगा , जिसके लिए देश भर के मंदिरों से करीबन 200 प्रतिनिधियों को अयोध्या बुलाया जाएगा।
अक्षत पूजन के लिए पीसी हुई हल्दी और घी को इस्तेमाल करके चावल के साथ मिलाया जाएगा उसके बाद उन्हें पीतल के अनेक कलशों में रख दिया जाएगा। इस अक्षत को 5 नवंबर के दिन होने -वाली पूजा के दौरान प्रभु श्री राम के दरबार के सामने रख दिया जाएगा, पूजा संपन्न होने के बाद इसे विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा भक्तों में बाँट देंगे।

शरद शर्म जी ने ये भी बताया की जितने प्रतिनिधि देश भर से यहाँ शामिल होंगे, उन्हें करीबन 5 किलो पूजन अक्षत दे दिए जाएंगे, ये प्रतिनिधि इन अक्षत को अपने अपने मंदिर ले जा कर, उनकी पूजा के पश्चात अपने क्षेत्र के प्रतिनिधियों को सोप देंगे जो इन्हें अपने क्षेत्र के लोगों में प्रसाद स्वरुप बाँट देंगे।
और यही कार्य हर खंड , तहसील और गाँव में की जाएगी। उनका कहना है की ये ही प्रक्रिया 15 जनवरी 2024 तक भारत के 5 लाख से भी ज़्यादा मंदिरों में की जाएगी। प्रभु श्री राम के मंदिर के पूजे हुए अक्षत के माध्यम से देश भर के शहरों और गाँव के लोगों को उत्सव के लिए आमंत्रण किया जाने वाला है।
इस दौरान हर मंदिर में राम चरित मानस का पाठ, हनुमान चालीसा , दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाएगा, ये पाठ प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही शुरू होंगे और जब प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो जाएगी, ये पाठ भी उसी के साथ सम्पूर्ण कर दिए जाएंगे। ये दिन हम सनातनियों के लिए एक भव्य उत्सव से कम नहीं है।
प्रभु श्री राम के करोड़ों भक्त एक साथ तो इसमें शामिल नहीं हो सकते, इसलिए हर गांव और खंड के मंदिरों के बहार एक LED लगाने का आयोजन करने की घोषणा की गयी है, जिसमें सभी भक्त अपने ही क्षेत्र से प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा और अयोध्या में हो रहे कार्यक्रम को LIVE देख सकते है।
प्रभु श्री राम के दर्शन लोग अपने क्षेत्र में रहकर ही कर सकते है। देश भर में इस दिन को दिवाली की तरह मनाया जाएगा और घर घर दीपक जलाय जाएंगे।
अयोध्या राम मंदिर कहां पर है
अयोध्या पवित्र सरयू नदी के तट पर स्थित एक शहर है। भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में , यह अयोध्या जिला और अयोध्या मंडल का मुख्यालय है। , भारत का एक प्राचीन शहर है, भगवान श्री राम का जन्मस्थान और महान महाकाव्य रामायण की स्थापना है।
अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन कब होगा
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के उद्घाटन का समय आ गया है. इस शुभ कार्य के लिए 22 जनवरी 2024 की तारीख तय की गई है. सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार इसी तारीख को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.
राम मंदिर कितने किलोमीटर में फैला हुआ है?
ये पूरा मंदिर 156 एकड़ तक फैला हुआ है. यानी करीब चार किलोमीटर तक मंदिर का परिसर है. इसकी ऊंचाई 236 फीट तक होगी.
अयोध्या में राम मंदिर का इतिहास क्या है?
राम मंदिर पर कितना पैसा खर्च हुआ?
अयोध्या में राम लला के मंदिर निर्माण पर अब तक 900 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के बैंक खातों में अभी भी 3000 करोड़ रुपये हैं.
राम मंदिर का इतिहास
राम जन्मभूमि वह स्थान है जहां पर भगवान विष्णु ने अपने 7वें अवतार भगवान राम के रूप में जन्म लिया था। यह जगह अयोध्या शहर, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। राम जन्मभूमि पर भगवान राम को( Ayodhya Ram Mandir)समर्पित मंदिर है। यह एक विवादित स्थान है जो हिन्दू और मुसलमान के बीच है। हिन्दूओं की पवित्र ग्रंथ रामायण में कहा गया है कि राम का जन्मस्थान अयोध्या शहर में सरयू नदी के तट पर बना हुआ था।