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    Grishneshwar Temple : इस प्रकार हुई थी घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति, जानें पूरा इतिहास

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiJanuary 9, 2024Updated:January 9, 2024
    Grishneshwar Jyotirlinga Temple
    Grishneshwar Jyotirlinga Temple
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    घृष्णेश्वर मंदिर कहाँ है? ( Where is the Grishneshwar Temple? )

     भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल घृष्णेश्वर मंदिर ( Grishneshwar Jyotirlinga Temple ) महाराष्ट्र के औरंगाबाद के निकट मौजूद दौलताबाद से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर वेरुलगाँव में अवस्थित है। इस प्रसिद्ध मंदिर को घृष्णेश्वर मंदिर ( Grishneshwar Mandir )   के नाम से भी जाना जाता है। जिस स्थान पर ज्योतिर्लिंग स्थापित है वह बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की गुफाओं से कुछ ही दूरी पर मौजूद है।  

    घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की कहानी ( Grishneshwar Jyotirling ki kahani )

     घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग ( Grishneshwar Jyotirlinga Temple ) की कहानी के अनुसार दक्षिण देश में देवगिरी पर्वत के निकट ही सुधर्मा नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी सुदेहा के साथ रहा करता था। दोनों ने जीवन में सबसे बड़ा दुःख इस बार का था कि वे निःसंतान थे। इसपर ब्राह्मण की पत्नी ने एक हल यह निकाला कि वह अपनी छोटी बहन घुष्मा से अपने पति का विवाह करा दे। उसने वैसा ही किया और अपनी बहन घुष्मा का विवाह अपने पति सुधर्मा से करा दिया। घुष्मा भगवान शिव की परमभक्त थी जो हर रोज सौ पार्थिव शिवलिंग निर्मित कर बड़े मन से शिव जी की पूजा अर्चना किया करती थी। पूजा के बाद उन शिवलिंग को तालाब में विसर्जित कर देती थी।

    भगवान शिव ( Bhagwan Shiv ) की असीम कृपा होने के कारण घुष्मा ने पुत्र को जन्म दिया। घर में बच्चे की किलकारी गूंजी तो पूरा घर खुशनुमा रहने लगा। सुदेहा ने अपनी बहन से अपने पति सुधर्मा का विवाह खुशी खुशी तो करा दिया था परंतु अब वह खुशी ईर्ष्या में तब्दील हो गई। अब सुदेहा को बहन का पुत्र एक आंख न सुहाता। उसने अपनी ईर्ष्या के कारण एक रात पुत्र की हत्या कर उसे तालाब में फेंक दिया।  
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    Grishneshwar Temple
    Grishneshwar Temple
    पुत्र की हत्या की बात जब सबको पता चल गई तो पूरा घर मातम में बदल गया। घुष्मा को अपने प्रभु भगवान शिव पर पूर्ण विश्वास था इसलिए वह बिना विलाप किए रोज की ही तरह सौ पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना कर रही थी। पूजा करने के दौरान उसने देखा कि उसका पुत्र तालाब में से वापिस आ रहा है। भगवान शिव की कृपा से उसका मृत पुत्र जीवित हो गया था। पुत्र के आने के कुछ क्षण बाद भगवान शिव वहां प्रकट होकर घुष्मा को दर्शन देते हैं।

    शिव जी ( Shiv ji ) वहां घुष्मा की बहन को दंड देने के लिए पधारे थे लेकिन घुष्मा के सात्विक आचरण ने शिव जी को ऐसा करने से मना कर दिया। घुष्मा के क्षमा याचना करने पर शिव जी मान जाते हैं फिर घुष्मा से शिवजी वरदान मांगने को कहते हैं। इसपर घुष्मा कहती है कि आप सभी के कल्याण के लिए यहीं पर बस जाएं। इसी स्थान को आज Grishneshwar Jyotirlinga Temple या  Grishneshwar Jyotirlinga के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति हुई। 

    घृष्णेश्वर मंदिर का इतिहास ( Grishneshwar Temple History )

    Grishneshwar Temple से जुड़ा पौराणिक इतिहास कहता है कि यहाँ भगवान शिव अपनी परम भक्त घुष्मा के कहने पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुए थे। आज के आधुनिक ऐतिहासिक तथ्यों के हिसाब से Grishneshwar Jyotirlinga Temple का निर्माण 16 वीं शताब्दी और जीर्णोद्धार 18 वीं शताब्दी में कराया गया था। 
    Also read : Kailash Parvat – कैलाश पर्वत के इन रहस्यों के बारे में कोई नहीं जानता।
    Grishneshwar Mandir
    Grishneshwar Mandir

    घृष्णेश्वर मंदिर का निर्माण किसने करवाया? ( Who built Grishneshwar Temple? )  

    दौलताबाद से 11 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित  Grishneshwar Mandir का निर्माण 16 वीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी के दादाजी मालोजी राजे भोंसले ने करवाया था। इसके बाद इस मंदिर का जीर्णोद्धार 18वीं शताब्दी में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। 

    घृष्णेश्वर मंदिर की स्थापत्य कला ( Architecture of Grishneshwar Temple )

    Grishneshwar Mandir  की स्थापत्य कला की बात करें तो इसकी दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी गईं हैं। मंदिर में मौजूद 24 खम्भों पर सुंदर नक्काशी तराशी गई है जिसपर सभा मण्डप बनाया गया है। घृष्णेश्वर मंदिर का गर्भगृह 17 गुणा 17 फुट का है जिसमें पूर्वाभिमुख शिवलिंग स्थापित है। भव्य नंदीकेश्वर सभामण्डप में ही विराजमान हैं। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर ( Grishneshwar Temple aurangabadr ) की एक विशेष बात यह है कि यहाँ 21 गणेश पीठों में से एक पीठ ‘लक्षविनायक’ मौजूद है।
    Grishneshwar
    Grishneshwar

    घृष्णेश्वर मंदिर क्यों प्रसिद्ध है? | Grishneshwar Temple kyu prasid hai

    ज्योतिर्लिंग भगवान शिव  के पवित्र मंदिर हैं; ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं इन स्थानों का दौरा किया था और इसलिए भक्तों के दिलों में उनका विशेष स्थान है ।

    घृष्णेश्वर मंदिर के नियम क्या हैं? | Grishneshwar Temple ke niyaam kya hai

    घृष्णेश्वर मंदिर परिसर और उसके आंतरिक कक्षों में प्रवेश कर सकता है, लेकिन मंदिर के गर्भगृह (गर्भगृह) में प्रवेश करने के लिए, स्थानीय हिंदू परंपरा मांग करती है कि पुरुषों को नंगे सीने जाना चाहिए । घृष्णेश्वर शिव मंदिर एलोरा गुफाओं के बगल में है।
    ghrneshwar jyotirlinga
    ghrneshwar jyotirlinga

    क्या घृष्णेश्वर मंदिर में मोबाइल की अनुमति है? | Kya Grishneshwar temple me mobile ki anumati hai

    Shree Grishneshwar Jyotirlinga Mandir के अंदर कोई बैग या मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं है – समीक्षाएं, तस्वीरें – घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर – ट्रिपएडवाइज़र।

    घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग किस शहर में है? | Grishneshwar Jyotirling kis sahar me hai – Ghushmeshwar jyotirling kaha hai

    घृष्णेश्वर मंदिर औरंगाबाद जिले के छोटे से गांव वेरुल में स्थित है। विश्व प्रसिद्ध एलोरा गुफाओं से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित घृष्णेश्वर मंदिर पर्यटकों के लिए आसानी से उपलब्ध है। कहने की जरूरत नहीं है, यह औरंगाबाद में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली जगहों में से एक है।
    grishneshwar temple aurangabad
    grishneshwar temple aurangabad

    घृष्णेश्वर की पौराणिक कथा क्या है? | Grishneshwar ki pauraanik katha kya hai – Grishneshwar temple story in hindi 

    घृष्णेश्वर महादेव मंदिर ( grishneshwar mahadev mandir ) के बारे में किंवदंती है कि एक धर्मपरायण महिला कुसुमा अपनी दैनिक अनुष्ठान पूजा के एक भाग के रूप में, एक टैंक में एक शिवलिंग को विसर्जित करके नियमित रूप से शिव की पूजा करती थी ।
     
     
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