कैलाश पर्वत | Kailash Parvat
आज हम बात करेंगे कैलाश पर्वत/Kailash Parvat के बारे मे… आप मुझे बताइए की कैलाश पर्वत शब्द सुनने के बाद आपके मन मे क्या आया? एक खूबसूरत सा पहाड़ जो आँखों को ठंडक देता हैं, बर्फ की चादरों से ढाका हुआ एक बर्फ़ीला सफेद पहाड़, एक ऐसा पवित्र पहाड़ जो सूर्य की किरणों से खिलता हुआ दिखाई देता है। ऐसी प्रकार्तिक सुंदरता जिसमे स्वयं भगवान शिव का वास हैं।
धरती से लग भग 6,638 मीटर यानि पूरे 21,778 फीट उचा, एक बर्फ से ढका हुआ पहाड़। यह पहाड़ कोई साधारण पहाड़ नहीं हैं, इसमे छुपे हैं न जाने कितने रहस्य। एक ऐसा स्थान जहाँ छिपी हैं भगवान शिव और देवी पार्वती की प्रेम कथा।
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विष्णु पुराण के मुताबिक, ब्रह्मा जी के पोते राजा दक्ष की बेटी थी जिनका नाम था, देवी सती, जिन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए घोर कठोर तपस्या की, देवी सती ने खाना पीना छोड़ कर, भगवान शिव की कठोर तपस्या की। एक दिन उनकी तपस्या की भक्ति की सीमा को देखते हुए भगवान शिव प्रकट हुए, देवी सती की इच्छा थी भगवान शिव उन्हे अपनी दुहलन के रूप मे स्वीकार करे। भगवान शिव ने देवी सती की इच्छा को स्वीकार किया।
लेकिन राजा दक्ष को भगवान शिव बिल्कुल पसंद नहीं करते थे, उन्हे भगवान शिव का कैलाश पर्वत/Kailash Parvat पर प्रेत आत्माओ से घिरे रहना और उन्ही प्रेत आत्माओ के बीच ध्यान लगाना, ये सब राजा दक्ष को बिल्कुल पसंद नहीं था। लेकिन देवी सती ने अपने पिता दक्ष की अनुमति के बिना भगवान शिव से विवाह करा और भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत पर रहने लगी।
लेकीन एक दिन देवी सती को पता लगा की उनके पिता राजा दक्ष अपने महल मे एक भव्य यज्ञ कर रहे हैं, जिसमे उन्होंने ब्रह्मांड के समस्त देवी देवताओ को आमंत्रित किया सिवाये भगवान शिव और देवी सती के।
इसके बारे मे देवी सती को जब मालूम पड़ा तो वह क्रोधित हो गई और भगवान शिव की अनुमति के बिना अपना क्रोध लिए राजा दक्ष के महल पहुच गई। जहाँ उनके पिता ने भगवान शिव का बहुत अपान किया। देवी सती से यह बरदाश नहीं हुआ, तब वह महल मे हो रहे यज्ञ की अग्नि कुंड मे कूद कर भस्म हो गई।
भगवान शिव को जब यह मालूम पड़ा तो उन्होंने सम्पूर्ण पृथ्वी पर अपना कहर बरसाना शुरू कर दिया। उनका क्रोधित रूप इतना भयानक था की, सम्पूर्ण पृथ्वी का नाश हो जाता। तब भगवान विष्णु ने बताया की देवी सती, का पुनर्जन्म होगा और उनका नाम पार्वती होगा।
यह जानने के बाद भगवान शिव कैलाश पर्वत पर आ गए, जब देवी सती का जन्म पार्वती के रूप मे हुआ तो भगवान शिव ने देवी पार्वती से दुबारा शादी करी। और माना जाता हैं तभी से भगवान शिव और देवी पार्वती कैलाश पर्वत/Kailash Parvat पर वास कर रहे हैं।
लेकिन कैलाश पर्वत अपने आप मे इतना रहस्यमय हैं की जहाँ माउंट एवरेस्ट की उचाई 29,035 फीट हैं, वही कैलाश पर्वत/Kailash Parvat की उचाई 21,778 फीट हैं वही माउंट एवरेस्ट पर अब तक 6000 से ज्यादा लोग चड़ चुके हैं, दूसरी तरफ कैलाश पर्वत पर आज तक कोई भी नहीं चड़ सका। कई लोगों ने चड़ने की कोशिश करी लेकिन आज तक कोई इसे पूरा नहीं चड़ सका। जिन लोगों ने चड़ने की कोशिश करी उनके साथ हुए हादसों मे उनकी जान तक चली गई। जो हादसों से बच गए उनके साथ एक अलग ही अनुभव हुआ। जीतने भी पर्वतरोहियों की जान बची, उनके 24 घंटों के अंदर अंदर उनके नाखून और बाल बहुत तेजी तेजी से बढ़ने लगे और शरीर पर झुरीयों के निशान पड़ने लगे। विज्ञानिकों ने जब इसकी खोज पड़ताल करी तो उनका कहना था की, कैलाश पर्वत का एक दिन 3 से 4 हफ्तों के बराबर होता हैं।
लेकिन जिन लोगों की जान बच गई थी, उन्होंने अपने साथ हुए हादसों के बारे मे बताया, उन्होंने बताया की, पहाड़ के थोड़ी ऊपर चड़ने पर वहाँ का वातावरण पूरी तरह से बदल जाता हैं, जहा कुछ देर तक मोहोल शांत था वहाँ अचानक से हवाओ का शोर सुनाई देने लगा। देखते ही देखते एक बर्फ का खतरनाक तूफ़ान शुरू हो गया। सभी ने तूफान को पार करने की बहुत कोशिश करी लेकिन सभी लोग घूम फिरकर एक ही जगह पर आ गए।
कुछ पर्वतरोहियों का कहना था की, उन्होंने वहाँ एक ऐसे जीव को देखा जो साधारण इंसान से बहुत उचा था। देखने से ऐसा लग रहा था की वो यती था। लेकिन सवाल आता हैं, ये यती कौन हैं? यती एक ऐसा जीव हैं, जो सामान्य इंसान से बहुत बड़ा होता हैं जिसका पूरा शरीर सफेद बालों से भरा होता हैं। दिखने से वो इंसान के रूप वाला बंदर दिखाई पड़ता हैं। यती के होने पर बहुत लोग यकीन नहीं करते, लेकिन नेपाल और टिब्बेतिए लोगों के लिए यती जैसा जीव होता हैं। यती उन अनसुलझे रहस्यों मे से एक रहस्य हैं, जिसे आज तक किसी ने नहीं देखा, लेकिन समय समय पर हमे यती ने अपने जीवित होने का सबूत दिए हैं।
यती का पहला जिक्र 1951 यानि पूरे 72 साल पहले आया, जब एक विदेशी पर्वतरोही Eric Shipton अपने ग्रुप के साथ नेपाल की पहाड़िया पर चढ़ने गए। जिसमे उन्हे चड़ाई के दौरान Menlung Basin के हिस्से पर पहली बार यती के पैरों के निशा मिले। जो लग भग 9 फुट लंबे और 3 फुट चौड़े थे। उन्होंने इन पैर के निशान की तस्वीर को खिचा और साथ ही Eric Shipton ने पैरों के निशान का पीछा भी किया, जो काफी आगे तक जा रहे थे। लेकिन पहाड़ की ज्यादा उचाई होने के कारण वह ज्यादा ऊपर नहीं जा पाए।
लेकिन ये किस्सा था सन 1951 का, अब हम बात करते हैं साल 29 अप्रैल 2019 की, जब ट्विटर पर इंडियन इंडियन आर्मी का एक ट्वीट वाइरल हो रहा था। जिसमे यती के पैरों के निशान साफ साफ दिखाई दे रहे थे। तब उस बीच सामने आते हैं पारा स्पेशल फोर्स के मेजर सुशांत सिंह जिन्होंने बताया की जब वह अपने आर्मी ग्रुप के साथ नेपाल के Makalu Base पर चढ़ाई करने गए थे। तब उन्होंने पहाड़ के 4000 फीट की उचाई पर पहली बार यती के पैरों के 50 से भी ज्यादा निशान देखे।
माना जाता हैं यती कैलाश पर्वत/Kailash Parvat की रक्षा कर रहे हैं उन जीवों मे से एक जीव हैं, जिसको हिमालय के अलग अलग हिस्सों मे देखा गया हैं। विज्ञानिक अभी तक हिमालय के 20% हिस्से को आज तक नहीं खोज पाए हैं। उन्ही हिस्सों के बीच यती आज भी वही रहता हैं।
लेकिन सोचने वाली बात ये भी हैं की, यती कैलाश पर्वत की रक्षा आखिर क्यूँ कर रहा हैं? अगर ग्रंथों की माने तो इस धरती पर इस रहस्यमय स्थान हैं, जिसे शांगरी-ला कहा जाता हैं। शांगरी-ला एक ऐसा सुंदर स्थान जिसे ग्रंथों मे स्वर्ग से भी ज्यादा सुंदर स्थान बताया गया हैं। जहां धरती के सबसे बुद्धिमान और उन्नत प्राणियों का वास हैं।
शांगरी-ला का पूरा वर्णन हमे हिन्दू और बौद्ध धर्म के प्राचीन ग्रंथों मे देखने को मिलता हैं, जिसमे बताया गया हैं की कैलाश पर्वत और अन्य हिमालय पर्वत पर एक रहस्यमय स्थान हैं, जो हमे दूसरे दुनिया या एक अलग आयाम मे पहुचा सकता हैं। इस रहस्यमय स्थान पर सिर्फ वही इंसान जा सकता हैं, जो मानसिक और अध्यात्मिक रूप से विकसित हो, और मन मे किसी प्रकार की छल-कपट न हो।
हो सकता हैं यती, शांगरी-ला मे रहने वाला उन्नत प्राणी हो, जो शांगरी-ला जैसे रहस्यमय स्थान की रक्षा कर रहा हो। इसका सटीक जवाब किसी के पास नहीं हैं।
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कैलाश पर्वत/Kailash Parvat के रहस्यमय होने के चर्चे सिर्फ भारत देश मे ही सीमित नहीं हैं बल्कि, चीन, अमेरिका, रूस, जैसे अन्य देश भी मानते हैं की कैलाश पर्वत कोई साधारण पर्वत नहीं हैं। इस बात को सच साबित करने के लिए एक बार रूस के महा विज्ञानिक, Dr. Ernst Muldashev, सन 1999 मे अपने कुछ और बड़े विज्ञानिक, इतिहास के विशेषयजज्ञो और भू-विज्ञानिक का एक ग्रुप बनाया। जिसमे उन्होंने कैलाश पर्वत के हिस्सों मे कुछ महीने बिताए। कुछ महीने बिताने के बाद उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमे बताया गया की कैलाश पर्वत/Kailash Parvat कोई साधारण पर्वत नहीं हैं, इसको जाचने से ऐसा लगता हैं ये किसी उन्नत तकनीकों द्वारा बनाया एक पिरामिड हैं। इस पर्वत पर अन्य प्रकार की चुंबकीय तरंगे हैं, जिस कारण पर्वतारोहियों का कम्पस काम करना बंद कर देता हैं, और वह सब रास्ता भटक जाते है।
रेपोर्ट्स मे यह भी बताया की, कैलाश पर्वत/Kailash Parvat अक्सर रात मे अलग ध्वनि पैदा करता हैं, जो ॐ और डमरू के आवाज जैसी सुनाई पड़ती हैं। उनके मुताबिक शांगरी-ला जैसा रहस्यमय स्थान कैलाश पर्वत पर ही मौजूद हैं।
कैलाश पर्वत के पास 2 नदिया भी हैं जिसमे से एक हैं, मांसरोवेर और दूसरी हैं राक्षस ताल। मांसरोवेर नदी, का पानी सब से साफ और शुद्ध पानी माना जाता हैं।
दूसरी तरफ है, राक्षस ताल, इसको राक्षस नदी इसलिए कहा जाता हैं क्यूंकी त्रेतायुग का राक्षस रावण भगवान शिव को अपनी भक्ति सिद्ध करना चाहता था, शक्तियो के लालच मे रावण ने कैलाश पर्वत के नीचे अपने 10 सर को एक एक करके काटने लगा। जैसे ही रावण अपने दसवे सर को काटने वाला था, भगवान शिव रावण की भक्ति को देख कर प्रकट हुए और रावण को उसकी मांगी हुई शक्तियां तो देदी। लेकिन जिस जगह रावण का सर कटने से खून बहा था वो जगह आज राक्षस ताल हैं। कहते हैं जो कोई भी राक्षस ताल मे जाता हैं, उसके साथ बहुत बुरी बुरी घटनाए होती है। इसलिए राक्षस ताल से सभी को दूर रहने के लिए कहा जाता हैं।
कैलाश पर्वत की हकीकत क्या है? | What is the reality of Kailash Parvat?
कैलाश पर्वत कौन से देश में है? | Where is Kailash Parvat in which country | In which country is Kailash Parvat located?
कैलाश पर्वत पर क्यों नहीं चढ़ सकते? | Why can’t we climb Kailash Parvat?
क्या है कैलाश पर्वत रहस्य | What is Kailash Parvat mystery
कैलाश पर्वत कितना पुराना है | How old is Kailash Parvat
1 Comment
Adbhut divya nagri hai kailash parvat jaha kewal pavitra atma hi jane ki koshish kar sakti hai. Ye divya sthan hai jaha pavitra insaan hi pahuchne ki soch sakta hai.