कर्ण का कवच और कुण्डल आज कहाँ है? | Where is karna kavach kundal now?
जी हाँ हम बात कर रहे हैंकी, जिसे इंद्रदेव ने एक ब्राह्मण का भेष बनाकर, कर्ण से दान में मांग लिया था। दानवीर कर्णने भी बिना सोचे समझे इंद्रदेव को दान में अपना कवच और कुण्डल दे डाला था। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि आखिर दान में दिए गए कर्ण के कवच और कुंडल का क्या हुआ? शायद इस बात को कोई जानता होगा कि Karna kavach और कुंडल कंहा हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जंहा पर कर्ण का कवच और कुण्डल आज भी मौजूद है।
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Karn Ka kavach kundal kya hai? | कर्ण का कवच कुंडल क्या है?
कवच कुंडल जो कर्ण को जन्म के साथ ही अभेद्य रूप में प्राप्त हुये। कोई भी बाण और हथियार उसे भेद नहीं सकता था । कवच कुंडल जिसके कारण कर्ण से अर्जुन की सुरक्षा के लिए इंद्र से लेकर कृष्ण तक चिंतित थे । क्योंकि ये कर्ण की त्वचा से अभिन्न रूप में जुड़ा हुआ था और कोई धातु मानव की त्वचा से अभिन्न रूप में चिपकाई नहीं जा सकती।
Karna Kavach kundal kaha hai? | कर्ण के कवच और कुंडल कहां रखे गए हैं?
Karn ke kavach ka kya hua? | कर्ण के कवच का क्या हुआ?
परन्तु इस गुफा के अंदर से आने वाली पीली रोशनी जो स्वर्ण के समान चमकती हुई दिखाई देती है, आखिर क्या है इस रोशनी का रहस्य ? क्या यहां पर वास्तव मेंमौजूद है या फिर कोई अनोखा चमकदार पत्थर है, जिससे सूर्य के समान किरणें निकलती है। इस बात का रहस्य अब भी रहस्य बना हुआ है लेकिन यहां पर रहने वाले लोगों का दावा है कि यह रौशनी सिर्फ और सिर्फ कर्ण के कवच और कुण्डल की है।
Karn ko kya Vardaan Mila? | कर्ण को क्या वरदान मिला?
कर्ण ने वरदान रूप में अपने साथ हुए अन्याय को याद करते हुए भगवान कृष्ण के अगले जन्म में उसके वर्ग के लोगो के कल्याण करने को कहा। – दूसरे वरदान रूप में भगवान कृष्ण का जन्म अपने राज्य लेने को माँगा और तीसरे वरदान के रूप में अपना अंतिम संस्कार ऐसा कोई करे जो पाप मुक्त हो।
Kya Karn ka janam kavach ke saath hua tha? | क्या कर्ण का जन्म कवच कुंडल के साथ हुआ था?
बता दें कि कर्ण माता कुंती और सूर्य के अंश से जन्मे थे। इनका जन्म एक ख़ास कवच और कुंडल के साथ हुआ था जिसे पहनकर उन्हें दुनिया की कोई भी ताकत परास्त नहीं कर सकती है। कर्ण महाभारत काल के प्रमुख पात्रों में से एक हैं जिनके दान के किस्से आज भी लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं। बता दें कि कर्ण माता कुंती और सूर्य के अंश से जन्मे थे। इनका जन्म एक ख़ास कवच और कुंडल के साथ हुआ था जिसे पहनकर उन्हें दुनिया की कोई भी ताकत परास्त नहीं कर सकती है।
Karn ka kavach kitna shaktishali tha? | कर्ण का कवच कितना शक्तिशाली था?
कर्ण का कवच ज्यादा शक्तिशाली नहीं था लेकिन वह अमृतमय था इसलिए कवच के रहते वह मारा नहीं जा सकता था। कर्ण कौन था? कर्ण जिसे अंग-राजा और राधेय के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू महाकाव्य महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक है। कर्ण का कवच केवल उसे जीवित रख सकता था किन्तु उसे विजयी नहीं बना सकता था। कर्ण अर्जुन से प्रत्येक बार परास्त हुआ एवं अंतिम बार दिव्य कवच के साथ विराट युद्ध में परास्त हुआ। इसलिए उसने केवल एक व्यापारी की भाँती देवराज इंद्र को अपना कवच कुण्डल दान करके उनसे वासावी शक्ति प्राप्त की। कर्ण का जीवन में एक ही लक्ष्य था अर्जुन को परास्त करना और उसके लिए वह कोई भी मूल्य दे सकता था।