कर्ण का कवच और कुण्डल आज कहाँ है? ( Where is karna kavach kundal now? )
महाभारत से जुड़े हुए हमने कई कहानी और किस्से सुने हैं लेकिन महाभारत का एक ऐसा रहस्य जो आज भी जीवित है। जिसके बारे में आज भी कई लोग नहीं जानते। दानवीर कर्ण ( Danveer Karan) से जुड़ा एक अनोखा रहस्य जो आज भी इस गुफा में जीवित है। जिसे सुनकर आप भी हक्के बक्के रह जाएंगे। इस स्थान पर रहने वालों ने हमें जो बताया उसे सुनकर हमारे भी होश उड़ गए। उन्होंने हमें सूर्यपुत्र कर्ण से जुड़ा एक ऐसा रहस्य ( karna kavach kundal story ) बताया जिसे सुनकर सभी हैरान रह जाएंगे।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं Karna kavach kundal की, जिसे इंद्रदेव ने एक ब्राह्मण का भेष बनाकर, कर्ण से दान में मांग लिया था। दानवीर कर्ण ( karna mahabharat) ने भी बिना सोचे समझे इंद्रदेव को दान में अपना कवच और कुण्डल दे डाला था। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि आखिर दान में दिए गए कर्ण के कवच और कुंडल का क्या हुआ? शायद इस बात को कोई जानता होगा कि Karna kavach और कुंडल कंहा हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जंहा पर कर्ण का कवच और कुण्डल आज भी मौजूद है (kavach kundal karna in present days)।
जी हाँ कर्ण का कवच और कुण्डल छत्तीसगढ़ के बीजापुर में स्थित एक रहस्यमयी गुफा के अंदर मौजूद है। दोस्तों आपको बता दें कि karna kavach kundal से भी सूर्य की किरणों के सामान रौशनी आया करती थी। अतः इस गुफा के पास रहने वाले लोग इस बात का दावा करते हैं कि उन्होंने कई बार mahabharat karna kavach kundal से पीली रंग की रौशनी को आते हुए देखा है।
साथ ही यहाँ के लोग ये भी बताते हैं कि इंद्रदेव ने जब सूर्यपुत्र कर्ण से छलपूर्वक उनका कवच और कुंडल लिया तो सूर्यदेव के श्राप के कारण इंद्रदेव कवच और कुण्डल अपने साथ स्वर्गलोक नहीं ले जा सकते थे। दोस्तों इस बात को तो हमने भी पुराणों में सूना है, लेकिन इसके बाद कर्ण के कवच और कुण्डल का क्या हुआ किसी को नहीं पता।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में रहने वाले लोगों का कहना है कई श्राप के कारण इंद्रदेव का रथ इसी गुफा के पास धंस गया था, जिसके पहिये के निशान आज भी यंहा मौजूद हैं। इसके बाद इंद्रदेव ने कवच और कुण्डल को छत्तीसगढ़ में बीजापुर की एक गुफा में छुपा दिया था, जंहा पर जाना खतरे से खाली नहीं है। लेकिन इस गुफा से आज भी पीली रंग की रौशनी निकलती है जिसे कर्ण के कवच और कुण्डल की रौशनी माना जाता है। आगे बढ़ें से पहले अगर आपने हमारे चैनल को सब्स्क्राइब नहीं किया है तो अभी करें और बेल्ल आइकन पर भी जरूर क्लीक करें।
दोस्तों स्थानीय लोग बताते हैं कि इस गुफा के अंदर जाने का रास्ता चारों तरफ से बंद है , बस एक छोटा सा स्थान है जहाँ से kavach kundal of karna की रौशनी दिखाई पड़ती है। इस गुफा के अंदर सूर्य की रौशनी आने का कोई स्थान नहीं है जिससे ये माना जाए कि ये रौशनी सूरज के किरणों की है। हालंकि कर्ण के कवच और कुण्डल कंहा है इसके बारे में अलग अलग किवदंतियां है, कोई बताता है कि कर्ण का कवच और कुंडल हिमालय में स्थित किसी गुफा में मौजूद है तो कोई कहता है कि उड़ीसा में स्थित कोर्णाक मंदिर में है और कोई कहता है कि कर्ण का कवच और कुण्डल इस गुफा में मौजूद है।
परन्तु इस गुफा के अंदर से आने वाली पीली रोशनी जो स्वर्ण के समान चमकती हुई दिखाई देती है, आखिर क्या है इस रोशनी का रहस्य ? क्या यहां पर वास्तव में karan ka kavach मौजूद है या फिर कोई अनोखा चमकदार पत्थर है, जिससे सूर्य के समान किरणें निकलती है। इस बात का रहस्य अब भी रहस्य बना हुआ है लेकिन यहां पर रहने वाले लोगों का दावा है कि यह रौशनी सिर्फ और सिर्फ कर्ण के कवच और कुण्डल की है।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं Karna kavach kundal की, जिसे इंद्रदेव ने एक ब्राह्मण का भेष बनाकर, कर्ण से दान में मांग लिया था। दानवीर कर्ण ( karna mahabharat) ने भी बिना सोचे समझे इंद्रदेव को दान में अपना कवच और कुण्डल दे डाला था। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि आखिर दान में दिए गए कर्ण के कवच और कुंडल का क्या हुआ? शायद इस बात को कोई जानता होगा कि Karna kavach और कुंडल कंहा हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जंहा पर कर्ण का कवच और कुण्डल आज भी मौजूद है (kavach kundal karna in present days)।
जी हाँ कर्ण का कवच और कुण्डल छत्तीसगढ़ के बीजापुर में स्थित एक रहस्यमयी गुफा के अंदर मौजूद है। दोस्तों आपको बता दें कि karna kavach kundal से भी सूर्य की किरणों के सामान रौशनी आया करती थी। अतः इस गुफा के पास रहने वाले लोग इस बात का दावा करते हैं कि उन्होंने कई बार mahabharat karna kavach kundal से पीली रंग की रौशनी को आते हुए देखा है।
साथ ही यहाँ के लोग ये भी बताते हैं कि इंद्रदेव ने जब सूर्यपुत्र कर्ण से छलपूर्वक उनका कवच और कुंडल लिया तो सूर्यदेव के श्राप के कारण इंद्रदेव कवच और कुण्डल अपने साथ स्वर्गलोक नहीं ले जा सकते थे। दोस्तों इस बात को तो हमने भी पुराणों में सूना है, लेकिन इसके बाद कर्ण के कवच और कुण्डल का क्या हुआ किसी को नहीं पता।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में रहने वाले लोगों का कहना है कई श्राप के कारण इंद्रदेव का रथ इसी गुफा के पास धंस गया था, जिसके पहिये के निशान आज भी यंहा मौजूद हैं। इसके बाद इंद्रदेव ने कवच और कुण्डल को छत्तीसगढ़ में बीजापुर की एक गुफा में छुपा दिया था, जंहा पर जाना खतरे से खाली नहीं है। लेकिन इस गुफा से आज भी पीली रंग की रौशनी निकलती है जिसे कर्ण के कवच और कुण्डल की रौशनी माना जाता है। आगे बढ़ें से पहले अगर आपने हमारे चैनल को सब्स्क्राइब नहीं किया है तो अभी करें और बेल्ल आइकन पर भी जरूर क्लीक करें।
दोस्तों स्थानीय लोग बताते हैं कि इस गुफा के अंदर जाने का रास्ता चारों तरफ से बंद है , बस एक छोटा सा स्थान है जहाँ से kavach kundal of karna की रौशनी दिखाई पड़ती है। इस गुफा के अंदर सूर्य की रौशनी आने का कोई स्थान नहीं है जिससे ये माना जाए कि ये रौशनी सूरज के किरणों की है। हालंकि कर्ण के कवच और कुण्डल कंहा है इसके बारे में अलग अलग किवदंतियां है, कोई बताता है कि कर्ण का कवच और कुंडल हिमालय में स्थित किसी गुफा में मौजूद है तो कोई कहता है कि उड़ीसा में स्थित कोर्णाक मंदिर में है और कोई कहता है कि कर्ण का कवच और कुण्डल इस गुफा में मौजूद है।
परन्तु इस गुफा के अंदर से आने वाली पीली रोशनी जो स्वर्ण के समान चमकती हुई दिखाई देती है, आखिर क्या है इस रोशनी का रहस्य ? क्या यहां पर वास्तव में karan ka kavach मौजूद है या फिर कोई अनोखा चमकदार पत्थर है, जिससे सूर्य के समान किरणें निकलती है। इस बात का रहस्य अब भी रहस्य बना हुआ है लेकिन यहां पर रहने वाले लोगों का दावा है कि यह रौशनी सिर्फ और सिर्फ कर्ण के कवच और कुण्डल की है।