भगवान हनुमान जी ,बलवान ऐसे कि बड़े से बड़ा योद्धा भी उनके सामने आकर कांपने लगता। भक्त ऐसे जिन्होंने अपना पूरा जीवन अपने प्रभु भगवान श्री राम जी की सेवा में लगा दिया, और ब्रह्मचारी ऐसे जिन्होंने कभी किसी स्त्री को आंख उठाकर नहीं देखा। भगवान हनुमान जी जिन्होंने अपनी पूछ से लंका को खाक कर दिया।
आज भी भगवान हनुमान जी के चमत्कार को लेकर कई सबूत मिलते है। जिसने वैज्ञानिकों तक को सोचने पर मजबूर कर दिया। दुनिया भर में भगवान हनुमान जी के अनेकों मंदिर है। आज की इस पोस्ट में हम भगवान हनुमान जी से जुड़े कुछ ऐसे ही मंदिर की बात करेंगे, जो अपने आप में बहुत अनोखा है।
कहां स्थित है उलटे हनुमानजी का मंदिर?। Where is Ulte Hanuman Temple?
दरअसल जिस अनोखे मंदिर की हम बात कर रहे है वो मंदिर मध्यप्रदेश के इंदौर में मौजूद है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां हनुमान जी सिर के बल यानि कि उल्टे खड़े हुए है, और उनकी इसी मूर्ति की पूजा होती है, और कही न कही यह मंदिर दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी की उल्टी प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर भक्तों की आस्था का एक बड़ा केंद्र है। इस मंदिर में मौजूद पवन पुत्र की इस अद्भुत प्रतिमा के दर्शनों के लिए देशभर से भक्त आते हैं। मंदिर में हनुमान जी के साथ ही भगवान राम, सीता माता, लक्ष्मण जी और शिव-पार्वती जी की भी मूर्तियां हैं। इंदौर पहुंचकर सड़क मार्ग से आसानी से सांवेर स्थित उल्टे हनुमानजी के मंदिर दर्शन करने के लिए पहुंचा जा सकता है।
उल्टे हनुमान जी की कृपा कब होती है?
उलटे हनुमान मंदिर को लेकर यह मान्यता हैं कि इस मंदिर में अगर कोई भी व्यक्ति 3 या 5 मंगलवार तक बजरंगबली के दर्शनों के लिए लगातार आता है तो उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इतना ही नहीं उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं. मंदिर में मंगलवार को हनुमानजी को चोला चढ़ाने की मान्यता है. मंदिर में स्थित हनुमान प्रतिमा को अत्यंत चमत्कारी माना जाता है.
हनुमान जी की पाताल विजय का इस मंदिर से कनेक्शन
उल्टे भगवान हनुमान मंदिर की स्थापना के पीछे एक पौराणिक कथा है। जिसके अनुसार रामायण काल में जब भगवान श्री राम और रावण के बीच में युद्ध हो रहा था तो तब अहिरावण अपना रूप बदलकर भगवान राम की सेना में शामिल हो गया। इसके बाद रात के वक्त जब सब सो रहे थे तब अहिरावण अपनी मायावी शक्ति से श्री राम और लक्ष्मण जी को मूर्छित कर अपने साथ पाताल लोक ले गया।जब वानर सेना को इस बात का पता चला तो हड़कंप मच गया।जब हनुमान जी को इसका पता चला तो वे अहिरावण को खोजते हुए पाताल लोक पहुंच गए, वहां बजरंगबली ने अहिरावण का वध किया और भगवान राम और अनुज लक्ष्मण जी को वापस ले आए. माना जाता है कि सांवेर ही वह स्थान था जहां से हनुमान जी पाताल लोक में गए थे।जिस वक्त हनुमान जी पाताल लोक जाने के लिए प्रवेश कर रहे थे उस वक्त उनके पैर आकाश की ओर और सिर धरती की ओर था। इसी वजह से हनुमान जी के उल्टे स्वरूप की प्रतिमा स्थापित की गई।
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