क्या आज के समय में जो कुछ भी हो रहा है,उसका वर्णन पहले हीं हो चूका है? क्या हमारे पूर्वज भविष्य को देख सकते थे? और क्या आज के समय में भी ऐसा संभव है? हो सकता है इस प्रश्नों से आप सहमत ना हों। लेकिन आज हम आपको भविष्यवाणी से जुडी एक ऐसी अद्भुत घटना के बारे में बताने जा रहे हैं,और वैज्ञानिक भी इस भविष्यवाणी के तथ्य से चकित है। वास्तव में हम जिस भविष्यवाणी की बात कर रहे हैं, वह भगवान भोलेनाथ का एक जीता जागता मंदिर है।भगवान शिव के सोमनाथ मंदिर(Somnath mandir) को 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला माना जाता है,जो अपने प्राचीनतम इतिहास के कारण विख्यात है। लेकिन इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है इसकी भविष्यवाणी। वास्तव में सोमनाथ मंदिर की सदियों पुरानी भविष्यवाणी,अब सच हो चुकी है।
गुजरात में स्थित भगवान शिव का सोमनाथ मंदिर भारत के कुछ प्रमुख प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है। ऋग्वेद जैसे प्राचीन वेद में वर्णित इस मंदिर ने भारत को वैदिक काल से लेकर अब तक देखा है। शायद यही कारण है कि इस मंदिर में आए दिन अनेकों रहस्यों का जन्म होता रहता है। भारत के प्राचीन शिव मंदिरों में से एक सोमनाथ मंदिर(Somnath mandir),अपने अंदर अनेकों रहस्यों को समेटे हुए है।
इन्ही में से एक रहस्य है सोमनाथ मंदिर के बाण स्तम्भ जहाँ सदियों पहले आज की भविष्यवाणी कर दी गई थी। सोमनाथ मंदिर के दक्षिणी छोर पर समुद्र की तरफ एक स्तंभ बना है जिसे बाण स्तम्भ के नाम से जाना जाता है। जिसे प्राचीन समय में दिशा जानने के लिए प्रयोग किया जाता था। इस स्तंभ के ऊपर एक बाण है जो समुद्र की ओर इशारा कर रहा है। इस बाण स्तंभ पर संस्कृत में वाक्य लिखे हुए हैं। “आसमुद्रांत दक्षिण ध्रुव,पर्यंत अबाधित ज्योर्तिमार्ग”। जिसका मतलब है कि यहां से लेकर दक्षिणी ध्रुव तक कोई भूमि नही है। अगर सच में देखा जाए तो सोमनाथ मंदिर समुन्द्र के जिस छोर पर स्थित है,वहाँ से दक्षिण ध्रुव तक सही में कोई भूमि का टुकड़ा नहीं है।
सोमनाथ मंदिर के दक्षिण दिशा की सीध में,सीधा अंटार्कटिका आता है। इसके बीच में समुन्द्र के सिवा सही में भूमि का कोई टुकड़ा मौजूद नहीं है। आखिर इतनी जटिल जानकारी,6 वीं सदी के लोगों को कैसे थी? इससे हमें यह पता चलता है कि प्राचीन काल में भारतीय बौद्धिक रूप से,आज के मुकाबले ज्यादा संपन्न थे।
भगवान शिव का यह मंदिर भारत के पश्चिमी तट पर गुजरात प्रदेश के सौराष्ट्र में प्रभास क्षेत्र में स्थित है। इसके बारे में कई सारे महाग्रंथों में विस्तार से बताया है। इस प्राचीन मंदिर पर अनेकों विदेशी हमले हुए,इसे अनेकों बार तोडा गया और हर बार यह मंदिर पुनः बन कर खड़ा हुआ। महादेव का यह अति प्राचीन मंदिर अपने अंदर अनेकों कहानियों को समेटे हुए है। पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्रदेव ने यहां भगवान शिव की आराधना की थी जिनको सोम नाम से भी जाना जाता था,उन्ही के नाम पर इस मंदिर का नाम सोमनाथ पड़ा।
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भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिम में अरब सागर के तट पर स्थित,आदि ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ महादेव मंदिर की छटा अत्यंत निराली है। यह तीर्थस्थान देश के प्राचीनतम तीर्थस्थानों में से एक है और इसका उल्लेख स्कंदपुराणम, श्रीमद्भागवत गीता, शिवपुराणम आदि प्राचीन ग्रंथों में भी है। वहीं ऋग्वेद में भी सोमेश्वर महादेव की महिमा का उल्लेख है। गुजरात प्रांत के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे,सोमनाथ नामक विश्वप्रसिद्ध मंदिर में यह ज्योतिर्लिंग स्थापित है। पहले यह क्षेत्र प्रभासक्षेत्र के नाम से जाना जाता था। यहीं भगवान श्रीकृष्ण ने जरा नामक व्याध के बाण को निमित्त बनाकर अपनी लीला का संवरण किया था।
यह मन्दिर हिन्दू धर्म के उत्थान-पतन के इतिहास का प्रतीक रहा है। अत्यन्त वैभवशाली होने के कारण इतिहास में कई बार यह मंदिर तोड़ा तथा पुनर्निर्मित किया गया। वर्तमान भवन के पुनर्निर्माण का आरम्भ भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात् लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने करवाया और पहली दिसम्बर 1955 को भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। लोक कथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का और भी महत्त्व बढ़ गया। सोमनाथ से करीब दो सौ किलोमीटर दूरी पर प्रमुख तीर्थ श्रीकृष्ण की द्वारिका है। यहाँ भी प्रतिदिन द्वारिकाधीश के दर्शन के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। तो आप कब सोमनाथ मंदिर के दर्शन को जा रहे हैं? हमें कमेंट कर के जरूर बताइएगा।