एक तरफ भगवान् को अर्पित किया गया प्रसाद पवित्र माना जाता है वहीँ दूसरी तरफ भगवान् शिव (Lord Shiva) को शिवलिंग (Shivling) के माध्यम से चढ़ाये गए प्रसाद को खाने की शास्त्रों में मनाही है। हजारों और लाखों की संख्या में शिवलिंग (Shivling) पर प्रसाद चढ़ाया भी जाता है और उसी को फिर खाया भी जाता है बिना यह जाने हुए कि ऐसा करना शास्त्रों में वर्जित है।
आज हम शिव पुराण (Shiv Purana) में वर्णित इस तथ्य को उजागर करेंगे कि आखिर क्यों शिवलिंग पर अर्पित किये गए भोग को खाने से सख्त मना किया गया है साथ ही यह भी बताएंगे कि ऐसे कौन से शिवलिंग है जिनपर अर्पित किये गए भोग को शिव भक्त खा सकते हैं। शिव पुराण के 22वें अध्याय में वर्णित इस श्लोक में यह स्पष्ट उल्लेख मिलता है :
“चण्डाधिकारो यत्रास्ति तद्भोक्तव्यं न मानवै:।
चण्डाधिकारो नो यत्र भोक्तव्यं तच्च भक्तित:।।”
भावार्थ : जिस भी स्थान पर चण्ड का अधिकार दिखाई पड़ता है उस स्थान पर शिवलिंग पर अर्पित किये गए प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए। जहाँ चण्ड का अधिकार नहीं है वहां शिवलिंग पर चढ़े हुए प्रसाद को मनुष्य खा सकता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि ऐसा कोई भी प्रसाद व्यक्ति को ग्रहण नहीं करना चाहिए जो चण्ड के अधिकार क्षेत्र में आता हो। दूसरे शब्दों में कहें तो उस प्रसाद को खाया जाए या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस पदार्थ या धातु से बने शिवलिंग पर स चढ़ा हुआ है। मिट्टी, पत्थर या चीनी मिट्टी से निर्मित शिवलिंग (Shivling) पर अर्पित प्रसाद चण्ड के अधिकार क्षेत्र में आता है इसलिए ऐसे प्रसाद को नहीं ग्रहण करना चाहिए।
ऐसे कोई भी भोग रूपी प्रसाद मनुष्य खा सकता है जो स्वयंभू श्रेणी के शिवलिंग जैसे बाणलिंगम (Banalingam) या नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmadeshwar Shivling) या पारद शिवलिंग (Parad Shivling) पर अर्पित किया गया हो। इस पर चढ़ा हुआ प्रसाद चण्डेश्वर (Chandeshwar) का अंश न होकर एक शुद्ध प्रसाद माना जाता है जिसे खाने से न केवल व्यक्ति की परेशानी दूर होती है बल्कि समस्त प्रकार के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। वह 12 ज्योतिर्लिंग जिसपर चढ़ा हुआ प्रसाद महादेव का आशीर्वाद स्वरुप है :
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
3. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
4. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
6. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
7. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
8. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
9. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
11. त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
12. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
चण्डेश्वर भी है शिव के प्रसाद का अंश
चण्डेश्वर (Chandeshwar) के अधिकार में आने वाले प्रसाद को ग्रहण करना वर्जित माना गया है लेकिन चण्डेश्वर भी शिव (Shiva) के ही प्रसाद का एक भाग या अंश माना गया है जिसका संबंध भूत-पिशाच से होता है। यदि चण्डेश्वर के अंश वाले प्रसाद को ग्रहण कर लिया जाए तो इससे भूत-पिशाच के देवता कहे जाने वाले चण्डेश्वर क्रोधित हो जाते है। यही कारण है शास्त्रों में ऐसा करने से सख्त मना किया गया है।
चण्ड गण को शिव से मिला था मिट्टी के शिवलिंग पर अधिकार
कैलाश पर्वत (Kailash Parvat) पर जितने भी गण रहते है वह सभी भगवान् शिव के अंश अवतार माने जाते है। ऐसे में शिवलिंग पर चढ़े प्रसाद पर उनका अधिकार होता है। इन्हीं महत्वपूर्ण गणों में से एक गण है चण्ड या चण्डेश्वर गण। इनकी उत्पत्ति महादेव के मुँह खोले जाने से हुई थी जो भूख और लालसा के प्रतीक माने जाते हैं।
जब चण्डेश्वर की भूख नहीं मिटी तो भगवान् शिव ने उन्हें कहा कि आज से मिट्टी या चीनी मिट्टी से बने शिवलिंग पर तुम्हारा अधिकार होगा। तभी से चण्डेश्वर इन पदार्थ या धातुओं से बने शिवलिंग पर अपना अधिकार जताते आये हैं।
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