एक ऐसा रहस्यमय मंदिर ( Rahasyamay Mandir ) जो बंद होता है मात्र 2 मिनट के लिए। Bharat ke rahasyamay mandir में से एक ऐसा मंदिर जंहा पर पुजारी लेकर खड़े होते हैं हाथ में कुल्हाड़ी। एक ऐसा मंदिर जंहा पर स्थित मूर्ति से नहीं होती भूख बर्दाश्त। भारत में बहुत सारे रहस्यों से भरे मंदिर हैं ( mysteries of indian temples ) इनमें से यह एक ऐसा मंदिर जहाँ पर लगाया जाता है दस बार भोग। क्या है 1500 साल पुराने इस मंदिर में ऐसा ख़ास कि भगवान श्री कृष्ण को दिन में दस बार लगाया जाता है भोग? क्यों मंदिर के पुजारी खड़े रहते हैं कुल्हाड़ी लेकर हाथ में ? इन दो मिनटों में ऐसा क्या होता है कि इसके बाद मंदिर का ताला तोड़ दिया जाता है ? भोग न लगने पर क्यों सूख जाती है कृष्ण जी की प्रतिमा? आखिर क्या है इस चमत्कारी मूर्ति का रहस्य, जिसे आज तक कोई भी नहीं जान पाया? आखिर कहाँ पर स्थित है ये मंदिर ? ये जानने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ियेगा। इस मंदिर के बारे में आपको कुछ ऐसे रहस्य जानने को मिलेंगे जिसे पढ़कर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
दोस्तों आज हम आपको 1500 साल प्राचीन एक ऐसे रहस्यमयी मंदिर ( Mysterious Temples ) के बारे में बताने जा रहे हैं जो चौबीस घंटे में केवल दो मिनट के लिए बंद होता है। दोस्तों तिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर ( Thiruvarppu Krishna Mandir ) नाम से जाना जाने वाला भगवान श्री कृष्ण का ये अनोखा तथा चमत्कारिक मंदिर स्थित है केरल के कोट्टायम जिले के तिरुवेरपु में। ये मंदिर बहुत ही Rahasyamayi Mandir माना जाता है क्योंकि यहाँ पर स्थित भगवान Shri Krishna की मूर्ति को बहुत भूख लगती है। माना जाता है कि अगर समय पर इन्हें भोग न लगाया जाए तो यंहा पर स्थित कृष्ण मूर्ति पतली हो जाती है? आखिर ऐसा कैसे मुमकिन है? इस बात का सवाल हर किसी के मन में जरूर उठेगा लेकिन ये सत्य है। इसलिए यंहा पर स्थित कृष्ण जी की प्रतिमा को दिन में दस बार भोग लगाया जाता है।
माना जाता है कि भगवान Shree Krishna केवल दो मिनट के लिए आराम करते हैं इसलिए मंदिर को सुबह 11:58 पर बंद किया जाता है और दो मिनट बाद यानी 12:00 बजे पुनः खोल दिया जाता है। इस समय मंदिर के पुजारी हाथ में ताले की चाबी और कुल्हाड़ी लेकर खड़े रहते हैं। अगर किसी कारणवश मंदिर का ताला नहीं खुलता तो पुजारी मंदिर का ताला तोड़ देता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि अगर दो मिनट बाद मंदिर खोलने में देर होती है तो भगवान श्री कृष्ण सूख जाते हैं और उनके कमर की पट्टी भी खिसककर नीचे आ जाती है।
इस मंदिर के पुजारी temple mystery के बारे में बताते हैं कि लगभग पचास साल पहले उनके पिता इस मंदिर के पुजारी थे। नियमानुसार उनके पिता ने इस मंदिर को 11:58 पर बंद किया और फिर दो मिनट बाद जैसे ही मंदिर को खोलना चाहा तो वह मंदिर के कपाट नहीं खोल पाए। काफी प्रयासों के बाद भी जब ताला नहीं खुला तो उन्होंने कुल्हाड़ी से वार कर ताला तोड़ा गया। इसके बाद पुजारी ने मंदिर के अंदर जो देखा उसे देख सभी के होश उड़ गए। दरअसल मंदिर खोलने में विलम्ब होने के कारण और समय पर भोग न लगने के कारण उनकी कमर की पट्टी नीचे तक खिसक गयी थी। तभी से Shri Krishna की मूर्ति को भोग लगने में कोई देरी न हो इसलिए पुजारी मंदिर कुल्हाड़ी लेकर हाथ में खड़े रहते हैं।
दोस्तों माना जाता है कि एक बार यह मंदिर अन्य मंदिरों की तरह ही ग्रहण काल के समय बंद हुआ था। इसके बाद जब मंदिर खोला गया तो सभी हैरान हो गए, Bhagwan Shri Krishna भूख के कारण पतले हो गए थे और उनके कमर की पट्टी भी नीचे तक खिसक गयी थी। उस वक़्त आदि शंकराचार्य जी मंदिर में उपस्थित थे, जब उन्होंने इस घटना को देखा तो वे समझ गए कि भूख के कारण ही ऐसा हुआ है इसलिए ग्रहण के समय कभी इस मंदिर को बंद नहीं किया जाए।
एक और हैरान कर देने वाली बात ये है कि भगवान कृष्ण की इस प्रतिमा का जब अभिषेक किया जाता है तो उनका सर सूख जाता है क्योंकि अभिषेक के दौरान देर हो जाती है और उन्हें भोग नहीं लग पाता। आखिर प्रतिमा कैसे सूख जाती है ये आज तक एक रहस्य ही बना हुआ है, जिसका पता आज तक नहीं लग पाया। माना जाता है कि इस mystery temple प्रतिमा को भूख इसलिए बर्दाश्त नहीं होती क्योंकि कृष्ण जी की इस प्रतिमा का भाव तब का है जब उन्होंने कंस का वध किया था, उस समय श्री कृष्ण को बहुत भूख लगी थी। इस प्रतिमा का भाव ऐसा होने के कारण ही कृष्ण जी की इस प्रतिमा को भूख बहुत ज्यादा लगती है।
इस मंदिर को लेकर एक किवदंती ये भी है कि अज्ञातवास के समय पाण्डव कृष्ण जी की इस प्रतिमा की पूजा करते थे। इसके बाद इस मूर्ति को मछुआरों ने मांग लिया था और वे इस प्रतिमा की पूजा करने लगे। एक बार मछुआरे किसी संकट में फंस गए तो एक ऋषि ने उन्हें बताया कि इस प्रतिमा की पूजा ठीक से नहीं हो रही है इसलिए इसे समुद्र में विसर्जित कर दो, मछुआरों ने ठीक वैसा ही किया। इसके बाद कृष्ण जी की ये प्रतिमा समुद्र में एक ऋषि को मिली। उन्होंने समुद्र से इस प्रतिमा को बाहर निकाला और एक वृक्ष के नीचे विश्राम के लिए बैठ गए। इसी दौरान उनकी ये प्रतिमा इसी स्थान पर स्थापित हो गयी।
दोस्तों कृष्ण जी की इस दिव्य प्रतिमा के बारे में आपके क्या विचार हैं हमें कमेंट बॉक्स में जरूर साझा कीजियेगा। अगर आपके आस-पास या आपके साथ कोई ऐसी घटना घटित हुई है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है तो आप हमारे साथ जरूर साझा कीजियेगा।