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    Kaal Sarp Dosh मुक्ति के लिए साल में एक बार खुलने वाले नागलोक का रास्ता देख NASA भी हैरान

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiJuly 24, 2023Updated:July 24, 2023
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    एक ऐसा कुआं जहां से जाता है नागलोक ( Naglok ) का रास्ता। जहां से नागों की दुनिया में जाने का है मार्ग। साल में एक बार खुलता है ये द्वार।  इसी कुंए में है एक ऐसा छिद्र, जंहा से जाया जा सकता है नागलोक में। आखिर क्या है इस रहस्यमयी कुँए के अंदर जिसे नागलोक से जोड़ा जाता है? क्यों कहते हैं इसे नागकूप? क्यों किया जाता है यहां से नाग लोक जाने का दावा? क्या अब तक कोई मार्ग से गया है वहां? क्यों इस स्थान पर आकर खत्म होता काल सर्प दोष? ( Kala Sarpa Dosha? )  कालसर्प दोष के लिए क्यों माना जाता है ये श्रेष्ठ?  सिर्फ नाग पंचमी ( naga panchami ) के दिन ही क्यों आता है यहां पर एक अद्भुत नाग? आज हम आपको इस रहस्य्मयी कुंवे के बारे में बताएंगे जिसे सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे।  आप भी हैरान हो जाएंगे नागलोक के इस रास्ते के बारे में जानकर।

    क्या सच में Naglok जैसा कोई स्थान है? जी हाँ काशी बनारस ( Varanasi Kashi ) में एक ऐसा स्थान है जंहा पर एक रहस्यमयी कुंआ है। ये कुंआ कितने फ़ीट गहरा है आज तक इस बात का पता कोई नहीं लगा पाया है।  यहाँ तक कि NASA भी इस रहस्य को नहीं समझ पाया।  इस नागकूप मंदिर ( Nagkoop Mandir ) में एक ऐसा कुंड जो हर वक़्त पानी से लबालब भरा रहता है और इसी कुंड के बीच में कई फ़ीट गहरा एक कुंआ भी है।

    माना जाता है कि ये वही कुंवा है जंहा पर एक रहस्यमयी छिद्र बना है और इसी छिद्र से होकर गुजरता है नागलोक तक का रास्ता। इसी कुएं के अंदर एक शिवलिंग ( Shivling ) भी है जिसे नागेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।  माना जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना महर्षि पतंजलि ने की थी। यही वह स्थान है, जिसे महर्षि पतंजलि की तपोस्थली भी माना जाता है।  

    दोस्तों इस कुँए को साल में सिर्फ एक बार खाली किया जाता है, वो भी Nag Panchmi के दिन। इस कुंड से पानी को मोटर के द्वारा खाली किया जाता है और इसके बाद यहां पर स्थापित शिवलिंग का श्रृंगार कर पूजा की जाती है और फिर कुछ समय बाद ये कुंड वापस पानी से भर जाता है।

    नागपंचमी का ही एकमात्र वह दिन है,  जब इस कुँए में स्थापित दिव्य शिवलिंग के दर्शन लोगों को होते हैं। साथ ही ये भी माना जाता है कि नागपंचमी के दिन यहां पर महर्षि पतंजलि सर्प रूप में आते हैं और Nageshwar Mahadev की परिक्रमा भी करते हैं। नागपंचमी के इस शुभ दिन मंदिर में पैर रखने का स्थान भी नहीं होता। स्थानीय लोगों के साथ साथ दूर-दराज के क्षेत्रों से भी यहां श्रद्धालु आते हैं और इस रहस्यमयी कुंड के दर्शन करते हैं। माना जाता है कि Kalasarpa Dosha से पीड़ित व्यक्ति अगर यंहा आकर स्नान या पूजा करता है तो उसे Kalsarpa Dosh से जल्द ही मुक्ति मिलती है।

    दोस्तों नागकूप के इस स्थान का ज़िक्र स्कंदपुराण ( Skanda Purana ) में भी किया गया है। पुराणों ( Puranas ) में माना जाता है कि यंही से नागलोक का रास्ता शुरू होता है।  इसी कुएं के नीचे, ऐसे ही कई गहरे सात और कुएं भी है। कलयुग ( Kali Yuga ) में न तो अभी तक कोई यहां तक गया है और न ही किसी ने यहां तक जाने का साहस किया है। लेकिन दावा किया जाता है इसी मार्ग से नागलोक तक जाया जा सकता है।  

    हमारे पुराणों में नागकूप के इस स्थान का जिक्र हुआ है, जहां  से नागलोक जाने का मार्ग बताया गया है।  साथ ही ये भी कहा गया है जहां से ये तल शुरू होते हैं उसकी सतह पर शिवलिंग भी स्थापित है और ऐसा ही इस स्थान पर देखा जाता है। आप पुराणों में लिखित इस बात से कितने सहमत है अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर दीजियेगा। साथ ही हर हर महादेव भी जरूर लिखियेगा। अगर आपके आस-पास या आपके साथ कोई ऐसी घटना घटित हुई है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है तो आप हमारे साथ जरूर साझा कीजियेगा।

    ( जिन जातकों की कुंडली में काल सर्प दोष प्रभावी है उन्हें काल सर्प दोष निवारण यन्त्र ( Kaal Sarp Dosh Nivaran Yantra ) धारण करना चाहिए। इससे कुंडली में अशुभ फल दे रहे गृह शांत हो जाएंगे और दोष का प्रभाव भी कम होगा। )

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