Padmanabhaswamy Temple : विष्णु जी को क्यों कहते हैं पद्मनाभस्वामी? जानें इतिहास और रहस्यभरी कहानी

पद्मनाभस्वामी मंदिर कहाँ स्थित है? ( Where is Padmanabhaswamy temple? )

पद्मनाभस्वामी मंदिर ( Padmanabhaswamy Temple ) भगवान विष्णु को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है जो केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम में स्थित है। यह मंदिर केरल राज्य के ख़ास पर्यटन स्थलों में शामिल होने के साथ-साथ वैष्णव पंथ के प्रमुख स्थलों में से एक माना जाता है।

पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास ( Padmanabhaswamy Temple History )

ऐतिहासिक पन्नों को पलटने पर पता चलता है कि पद्मनाभ मंदिर केरल के इतिहास की जड़े 8वीं सदी से संबंधित है। प्राचीन काल से ही यह मंदिर भगवान विष्णु के भक्तों का गढ़ माना जाता रहा है और यह भगवान विष्णु के 108 प्रमुख मंदिरों की सूची में भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

पद्मनाभ मंदिर कब बना? ( Who created Padmanabhaswamy Temple? )

Kerala Temple Padmanabhaswamy का सुधार कार्य 1733 ई. में शुरू किया गया जिसे त्रावणकोर के महाराजा मार्तण्ड वर्मा ने वर्ष 1750 तक संपन्न करवाया। महाराजा मार्तण्ड वर्मा भगवान विष्णु के परमभक्त थे जो स्वयं को भगवान विष्णु का दास बतलाते थे।

पद्मनाभस्वामी मंदिर स्थापत्य कला ( Architecture of Padmanabhaswamy Temple in hindi )

भगवान विष्णु के 108 प्रमुख मंदिरों दिव्य देसम में से पद्मनाभस्वामी मंदिर ( Padmanabhan Mandir ) के निर्माण के दौरान इसकी स्थापत्य शैली और वास्तुकला का खासतौर पर ध्यान दिया गया था। यही वजह है कि यह मंदिर दक्षिण भारत की उत्कृष्ट वास्तकला के उदाहरणों में शामिल किया जाता है। Padmanabhaswamy Temple Kerala का वास्तुशिल्प द्रविड़ और केरल शैली दोनों पर आधारित है क्योंकि मंदिर का 30 मीटर ऊँचा और सात मंजिला गोपुरम द्रविड़ शैली में निर्मित है जबकि बाकि विशेषताएं केरल शैली से संबंधित दिखाई पड़ती हैं।

पद्मनाभस्वामी मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा ( Padmanabhaswamy Temple Idol ) सहस्त्रमुखी शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। इस प्रतिमा के निर्माण में 12008 शालिग्राम का प्रयोग किया गया है। बताते चलें कि इन 12008 शालिग्राम को नेपाल गंधकी नदी के किनारे से लाया गया था। यहाँ शिखर पर जो ध्वज फहरा रहा है उसपर भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ की आकृति है। मंदिर में एक स्वर्णस्तम्भ होने के साथ ही गलियारे में कुल 324 सुंदर नक्काशी वाले स्तंभ मौजूद हैं। 

Padmanabha Mandir की एक और ख़ास बात यह है कि यहाँ भगवान विष्णु के दर्शन हमें तीन रूपों में मिलते हैं, जब हम पहले द्वार से मंदिर में प्रवेश करते हैं तो हमें विष्णु जी का मुख और सर्प की आकृति के दर्शन होते हैं। दूसरे द्वार तक जाते-जाते हमें मध्यभाग और कमलपुष्प पर विराजमान ब्रह्मा के दर्शन होते हैं और तीसरे द्वार पर भगवान के चरण कमल के दर्शन होते हैं।  

यहाँ Padmanabh Swami Mandir में एक बहुत विशाल सरोवर भी मौजूद है जिसे ‘पद्मतीर्थ कुलम’ कहा जाता हैं। इसके आसपास ख़परैल रूपी लाल टाइल्स की छत के सुंदर घर बने हुए हैं। मंदिर में यदि दर्शन के लिए जाना हो तो विशेष परिधान गणवेष को धारण करना अनिवार्य है इस गणवेष में पुरुषों को धोती तथा स्त्रियों को साड़ी पहननी होती है।

पद्मनाभस्वामी मंदिर का रहस्य ( Padmanabhaswamy Temple Secrets )

पूरे विश्व में पद्मनाभ मंदिर रहस्य की वजह से जाना जाता है। इस मंदिर को जहाँ एक तरफ दुनिया का सबसे अमीर मंदिर कहा जाता है वहीँ यहाँ के दरवाज़े कई रहस्यों को अपने साथ लिए हुए हैं। दरअसल यहाँ गुप्त तहखाने बने हुए हैं जिनमें से कुछ तहखानों को खोल जा चुका है। बताते चलें कि ये गुप्त तहखाने यहाँ के 7 दरवाजों में बंद हैं। इन सात दरवाजों में से अब तक 6 दरवाजों को खोला जा चुका है। इन दरवाजों के पीछे छिपे तहखानों से अब तक एक लाख 32 हज़ार करोड़ पद्मनाभ मंदिर का खजाना प्राप्त किया गया है।

पद्मनाभ स्वामी के सातवें दरवाजे का रहस्य क्या है? ( What is behind 7th door of Padmanabhaswamy Temple? )

मंदिर का सातवां दरवाजा Vault B अभी तक अपने साथ रहस्य लिए हुए है क्योंकि सातवें दरवाजे पर कोई ताला नहीं लगा फिर भी उसे आज तक खोला नहीं गया है। कहा जाता है कि उसे यदि खोला गया तो बहुत कुछ अपशकुन हो सकता है। हम ऐसा भी कह सकते हैं कि उसे आज तक कोई खोल नहीं पाया है क्योंकि बोल्ट बी नामक यह दरवाजा शापित माना जाता है। जिसे केवल गरुड़ मन्त्रों के उच्चारण से ही खोला जा सकता है। 
Kerala Anantha Padmanabhaswamy Temple बोल्ट बी दरवाजे पर सर्प के आकार का एक चित्र बना है। कहते हैं कि यहाँ छिपे खजाने की रक्षा सांप करते है और इसे कई लोगों ने खोलने का प्रयास किया था परन्तु उसी समय उन्हें ज़हरीले सांप ने काट लिया। इस तरह अब तक मंदिर के इस रहस्य पर से पर्दा नहीं उठ सका है कि सातवें दरवाजे के पीछे ऐसा क्या है जिसकी रक्षा स्वयं सर्प करते हैं।    
 

पद्मनाभस्वामी मंदिर की कहानी ( What is the real story of Padmanabhaswamy temple? )

Padmanabhaswamy Temple Gold की कहानी के संबंध में कहा जाता है कि त्रावणकोर के महाराजा अनिझम थिरुनल मार्थंडा वर्मा ( Anizham Thirunal Marthanda Varma ) ने 17 जनवरी 1750 को अपना सारा राजपाठ भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया था और भगवान को ही राजा घोषित कर दिया था। साथ ही भगवान के समक्ष खड़े होकर यह भी प्रण लिया था कि वे और उनकी आने वाली पीढ़ी यहाँ भगवान की सेवा में ही समर्पित रहेंगी।    

भगवान विष्णु को पद्मनाभस्वामी क्यों कहते हैं? ( Why is Vishnu called Padmanabha? )

भगवान विष्णु को पद्मनाभस्वामी ( Padmanabhaswamy ) इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ मंदिर में विराजित भगवान विष्णु शयन मुद्रा में या यूं कहें कि विश्राम अवस्था में हैं। उन्हें पद्मनाभ के साथ अनंतशयनम और मंदिर को Anantha Padmanabha Temple भी कहा जाता है। मान्यता यह भी है कि केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम का नाम भगवान के अनंत नामक नाग के आधार पर ही रखा गया है।

पद्मनाभ स्वामी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा ( Mythological story behind Padmanabhaswamy Temple )

Padmanabh Mandir  से जुड़ी पौराणिक किद्वंतियाँ कहती हैं कि यह स्थान सात परशुराम क्षेत्रों में से एक है जिसके बारे में हमें स्कन्द पुराण और पदम् पुराण में भी वर्णन मिलता है।  

पद्मनाभस्वामी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है? ( What is Padmanabhaswamy temple famous for? )

Padmnabh Swami Mandir अपने भव्य इतिहास, वास्तुशिल्प की सुंदरता, स्वर्णस्तंभ और तहखानों के रहस्यों के लिए जाना जाता है। यह स्थान वैष्णव पंथ के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि पद्मनाभस्वामी मंदिर भगवान विष्णु के 108 दिव्य देसम में शामिल है। ऐसी कई पुराणी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं कि यहाँ के आखिरी या सातवें दरवाजे की रक्षा स्वयं सर्प करते हैं जिस कारण उसे आज तक कोई खोल न सका।  

पद्मनाभ मंदिर दर्शन समय ( Sree Padmanabhaswamy Temple Timing )

सुबह 3:30am–12pmशाम 5–8:30pm

( नोट : मंदिर में त्यौहारों के सीजन में पूजा समय में बदलाव हो सकता है। )

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