मेहंदीपुर बालाजी मंदिर | Mehandipur Balaji Mandir
Mehandipur Balaji Mandir – एक ऐसा मंदिर जंहा रखा जाता है भूतों को बांधकर। आखिर क्या है इस मंदिर में ऐसा ख़ास कि वंहा जाते ही भूत आ जाते हैं बाहर? आखिर क्यों है ये मंदिर अन्य मंदिरों से बेहद अलग? क्यों नहीं खाने दिया जाता इस मंदिर का प्रसाद? आखिर क्यों डरते हैं लोग इस मंदिर में जाने से? आखिर क्या होता है ऐसा कि पीड़ित व्यक्ति भी यहाँ से जाता है ख़ुशी-ख़ुशी घर? आखिर क्यों लगती है यंहा पर प्रेतराज सरकार की अदालत? क्यों कहाँ जाता है इसे भूतों की सबसे बड़ी जेल। इन सभी बातों को जानने के लिए आइये जानते हैं मेहंदीपुर बालाजी की कहानी, उससे जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातें और मेहंदीपुर बालाजी का सच।
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मेहंदीपुर बालाजी का रहस्य | Mehandipur Balaji ka Rahasya
Mehandipur Balaji Mandir se jude Rahasya – मेहंदीपुर बालाजी की बाईं छाती में एक छेद है, जिससे लगातार जल बहता है. लोक मान्यताओं के अनुसार इसे बालाजी का पसीना कहा जाता है. बालाजी के ठीक सामने भगवान राम और माता सीता की भी प्रतिमा है. मूर्तियों के आमने-सामने होने का रहस्य यह है कि बालाजी हमेशा राम-सीता के दर्शन करते रहते हैं.
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मेहंदीपुर बालाजी में भूत कैसे निकालते हैं | Mehandipur Balaji Mandir mein bhoot kaise nikale jaate hai?
इन लोगों की चीखने चिल्लाने से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि जैसे कोई अदृश्य शक्ति इन्हें दंड दे रही हो। यंहा पर आने वाले पीड़ित लोग कभी जोर जोर से चीखते हैं, चिलाते हैं ओर रोते हैं। साथ ही उन पर आने वाला भूत-प्रेत ये भी बताता है कि वह कौन है? और कहाँ से आया है और क्यों आया है? यहां पर आते ही भूत पिशाच खुद ही डर के मारे कांपने लगते हैं।यंहा पर स्थित बालाजी की प्रतिमा के नीचे एक जलकुंड बना हुआ है जिसमें से कभी भी पानी खत्म नहीं होता। माना जाता है बाला जी के छाती में बायीं तरफ एक छिद्र बना हुआ है जिसमें से जल निरंतर बहता रहता है। ये मंदिर अन्य मंदिरों से बिलकुल अलग है। बताया जाता है कि अन्य मंदिरों की तरह, इस मंदिर से प्रसाद घर ले जाना बिलकुल वर्जित है।
मेहंदीपुर बालाजी की क्या खासियत है? | Mehandipur Balaji Mandir ki kya khasiyat hai?
बालाजी जाने से क्या लाभ होता है? | Balaji jane se kya laabh hota hai?
मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन किसे करना चाहिए? | Mehandipur Balaji ke Darshan kisse karna chahiye?
इस थाली में दरख्वास्त का एक दोना दिया जाता है. साथ ही एक कटोरी में थोड़ा सा घी दिया जाता है. इस थाली को सिर पर रख लें और फिर अपना पूरा नाम, अपने पिता का पूरा नाम, एवं महिलाएं अपने पति का पूरा नाम बोलें. इसके बाद अपना पता बताते हुए मन अपनी किन्हीं तीन समस्यायों के बारे में सोचें ।
मेहंदीपुर बालाजी के पीछे की कहानी क्या है? | Mehandipur Balaji ke piche ki kahani kya hai?
बालाजी की प्रकट होने की धारणा