एक ऐसा मंदिर जिसे इंसानों ने नहीं बल्कि भूतों ने बनाया था? क्या सच में इस मंदिर के निर्माण के लिए भगवान शिव ( Bhagwan Shiv ) ने भूतों को दिया था आदेश? आखिर क्यों ये मंदिर बना हुआ है आधा अधूरा? आखिर क्यों भूतों ने नहीं बनाया इसे पूरा? आखिर बिना चूना और गारे से कैसे बना ये मंदिर? आखिर क्यों बड़े से बड़े आंधी तूफ़ान के आने से भी नहीं गिरता ये मंदिर?
ये अद्भुत और चमत्कारी मंदिर ( Mysterious Temple ) अपने इन रहस्यों से कर देता है सबको हैरान। आखिर क्यों नहीं रुकता कोई भी रात के समय इस स्थान पर? कुछ ऐसे अनसुलझे रहस्य जो आज भी दबे हुए है इन पत्थरों के बीच। आखिर कौन सा है ये मंदिर? कहाँ पर स्थित है ये मंदिर? जानने के लिए हमारे साथ अंत तक जरूर बने रहिएगा।
ककनमठ मंदिर कहाँ स्थित है? ( Kakanmath Mandir kahan sthit hai? )
दोस्तों भगवान शिव को सभी प्रिय है इसलिए उनके विवाह में मनुष्य से लेकर भूत-प्रेत सभी शामिल हुए थे। इस मंदिर के बारे में भी ये कहा जाता है कि भूतों ने इस शिव मंदिर का निर्माण भगवान शिव के आदेश से ही किया था। भूतों का मंदिर तथा ककनमठ मंदिर ( Kakanmath Temple ) के नाम से जाने जाना वाला ये मंदिर ग्वालियर चंबल संभाग में स्थित है ।
ककनमठ मंदिर का इतिहास ( Kakanmath Temple History in hindi )
ककनमठ मंदिर ( Kakanmath Mandir ) से जुड़ी हुई अलग-अलग कहानी है। कोई कहता है कि ककनमठ मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्दी में हुआ था। जिसे कछवाहा वंश के राजा कीर्ति ने अपनी पत्नी के लिए बनवाया था। माना जाता है कि रानी ककनावती भगवान शिव कि बहुत बड़ी भक्त थी। आसपास भगवान शिव का मंदिर न होने से रानी को भगवान शिव कि उपासना करने में मुश्किल होती थी इसलिए राजा ने इस शिव मंदिर का निर्माण करवाया था। इसलिए ककनमठ मंदिर का नाम रानी ककनावती के नाम से पड़ा।
ककनमठ मंदिर का रहस्य ( Mystery Of Kakanmath Temple )
वहीँ कुछ लोग इस मंदिर को भूतों द्वारा शापित मानते है। हज़ार साल पुराने मंदिर के बारे में माना जाता है कि इस रहस्यमयी मंदिर का निर्माण भूतों ने केवल एक ही दिन में किया था,। इसके बाद सुबह होते ही भूत इस मंदिर का निर्माण आधा अधूरा छोड़कर भाग गए। इसलिए यह मंदिर बिना चूने, गारे से बना हुआ है, जिसके पत्थर आज भी हवा में लटके हुए दिखाई देते हैं।
साथ ही इस मंदिर को देखते ही ऐसा लगता है जैसे कि यह अभी गिर जाएगा। लेकिन हैरानी की बात ये है कि बड़े से बड़े आंधी तूफ़ान भी इस मंदिर को हिला नहीं पाए। साथ ही मंदिर के आस पास गिरे पत्थरों को जब कोई पर्यटक या कोई भी व्यक्ति अपने साथ ले जाने का प्रयास करता है तो ये मंदिर हिलने लगता है, यह देख पत्थर उठाने वाला व्यक्ति भय से पत्थर को वंही पर छोड़ देता है। चौंका देने वाली बात ये है कि इस तरह के पत्थर आस पास के क्षेत्रों में कंही नहीं मिलते।
जब वैज्ञानिकों ने इस मंदिर का निरीक्षण किया तो वे भी हैरान थे कि आखिर बिना गारे और चूने से इस पत्थर का निर्माण कैसे किया गया होगा? साथ ही ये मंदिर हज़ारों साल से जस का तस अपने स्थान पर खड़ा है। हालंकि इस मंदिर को दुनिया के सात अजूबों में शामिल नहीं किया गया लेकिन इस मंदिर का निर्माण अपने आप में ही एक रहस्य बना हुआ है। पर्यटक भी अगर इस मंदिर को देखते हैं तो वे भी मंदिर को देख दंग रह जाते हैं।
दोस्तों आप इस मंदिर के बारे में क्या कहना चाहेंगे? आपको क्या लगता है इन दोनों कहानी में से कौन सी कहानी अधिक सत्य है? अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर साझा कीजियेगा। साथ ही कमेंट बॉक्स में हर हर महादेव जरूर लिखियेगा। दोस्तों अगर आपके आस-पास या आपके साथ कोई ऐसी घटना घटित हुई है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है तो आप हमारे साथ जरूर साझा कीजियेगा।
( भगवान शिव काल और मृत्यु से परे माने जाते हैं इसलिए यदि आपके भीतर मृत्यु से जुड़ा कोई भय है या किसी बुरे साये से परेशान हैं तो भगवान शिव के अद्भुत शक्तियों वाले महा मृत्युंजय कवच ( Maha Mrityunjaya Kavach ) को शुभ मुहूर्त या सोमवार के दिन धारण करें, आपकी परेशानी का शीघ्र ही हल मिलेगा। )
साथ ही इस मंदिर को देखते ही ऐसा लगता है जैसे कि यह अभी गिर जाएगा। लेकिन हैरानी की बात ये है कि बड़े से बड़े आंधी तूफ़ान भी इस मंदिर को हिला नहीं पाए। साथ ही मंदिर के आस पास गिरे पत्थरों को जब कोई पर्यटक या कोई भी व्यक्ति अपने साथ ले जाने का प्रयास करता है तो ये मंदिर हिलने लगता है, यह देख पत्थर उठाने वाला व्यक्ति भय से पत्थर को वंही पर छोड़ देता है। चौंका देने वाली बात ये है कि इस तरह के पत्थर आस पास के क्षेत्रों में कंही नहीं मिलते।
जब वैज्ञानिकों ने इस मंदिर का निरीक्षण किया तो वे भी हैरान थे कि आखिर बिना गारे और चूने से इस पत्थर का निर्माण कैसे किया गया होगा? साथ ही ये मंदिर हज़ारों साल से जस का तस अपने स्थान पर खड़ा है। हालंकि इस मंदिर को दुनिया के सात अजूबों में शामिल नहीं किया गया लेकिन इस मंदिर का निर्माण अपने आप में ही एक रहस्य बना हुआ है। पर्यटक भी अगर इस मंदिर को देखते हैं तो वे भी मंदिर को देख दंग रह जाते हैं।
दोस्तों आप इस मंदिर के बारे में क्या कहना चाहेंगे? आपको क्या लगता है इन दोनों कहानी में से कौन सी कहानी अधिक सत्य है? अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर साझा कीजियेगा। साथ ही कमेंट बॉक्स में हर हर महादेव जरूर लिखियेगा। दोस्तों अगर आपके आस-पास या आपके साथ कोई ऐसी घटना घटित हुई है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है तो आप हमारे साथ जरूर साझा कीजियेगा।
( भगवान शिव काल और मृत्यु से परे माने जाते हैं इसलिए यदि आपके भीतर मृत्यु से जुड़ा कोई भय है या किसी बुरे साये से परेशान हैं तो भगवान शिव के अद्भुत शक्तियों वाले महा मृत्युंजय कवच ( Maha Mrityunjaya Kavach ) को शुभ मुहूर्त या सोमवार के दिन धारण करें, आपकी परेशानी का शीघ्र ही हल मिलेगा। )