
भारत में हिन्दू देवी-देवताओं के कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने साथ कई पौराणिक कहानियों और रहस्यों को समेटे हुए है। परन्तु ऐसे मंदिर केवल भारत में ही नहीं भारत की सीमा से बाहर विश्व के अन्य देशों में भी पाए जाते हैं। मलेशिया की राजधानी कुआला लम्पूर के गोम्बैक जिले में चूना पत्थर की प्राकृतिक बाटु गुफा है जहाँ भगवान मुरुगन का मंदिर ( Malaysia Murugan Temple ) अवस्थित है। बताते चलें कि इस मंदिर को श्री सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर (Sri Subramanya Swamy Temple Malaysia) के नाम से भी जाना जाता है।
बातु गुफाओं का इतिहास ( Batu Caves History ) आज से करीब 40 करोड़ वर्ष प्राचीन माना जाता है। इस गुफा की खोज सर्वप्रथम साल 1878 में अमेरिकी प्रकृति विज्ञानी विलियम होर्नाडे ने की थी। तथ्यों के मानें तो पुराने समय में तेमुअन जनजाति के लोग इन गुफाओं को अपने रहने के प्रयोग में लाया करती थीं। यह गुफाएं प्राचीन समय में प्रयोग में लाये जाने वाले अस्त्रों की भांति दिखाई देतीं है। ये गुफाएं मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर से 13 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है।
इस गुफा का नाम बाटु इसके पीछे बहने वाली बाटु नदी के नाम पर पड़ा है। यहीं पर गुफा मंदिरों की श्रंखलाएं ( Batu Cave Temple ) है जहाँ भगवान मुरुगन का मंदिर अवस्थित है। सबसे ख़ास बात यह है कि इस स्थान पर आने पर कभी यह नहीं लगता कि यह स्थान भारत से बाहर मौजूद है। यह क्षेत्र तमिल लोगों के लिए विशेष हिन्दू धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है।
मलेशिया के मुरुगन मंदिर ( Malaysia Mandir Murugan ) का इतिहास यहाँ की गुफाओं से जुड़ा हुआ है। जब 40 करोड़ वर्ष पुरानी गुफा की खोज के बाद यहाँ तमिल व्यापारी के. थम्बूसामी पिल्लै आये थे। के. थम्बूसामी पिल्लै को यहाँ गुफा का द्वार भगवान मुरुगन के भाले के जैसा प्रतीत हुआ। द्वार को देखकर ही उनके मन में यहाँ मंदिर बनाये जाने का विचार आया। इस तरह वर्ष 1891 में तमिल व्यापारी के. थम्बूसामी पिल्लै ने यहाँ भगवान मुरुगन की प्रतिमा स्थापित की।
देखते ही देखते यह स्थान एक पवित्र तीर्थ स्थल में तब्दील हो गया और तमिल लोगों के तीर्थ स्थान के रूप में जाना जाने लगा। Murugan Malaysia Temple Hindu धर्म के तमिल लोगों के लिए प्रमुख स्थान है। साथ ही जानकारी के लिए आपको बता दें कि भगवान मुरुगन की मूर्ति स्थापित किये जाने एक वर्ष बाद से ही इस स्थान पर थाईपुसम त्यौहार मनाया जाने लगा। इस त्यौहार को भगवान मुरुगन के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। थाईपुसम त्यौहार तीन दिनों तक चलता है इस दौरान हजारों की संख्या में यहाँ तमिल आबादी पहुँचती है।
मलेशिया का हिन्दू मंदिर ( Malaysia Hindu Temple ) मुरुगन चूना पत्थर की गुफाओं वाली शृंखला में मौजूद है। मंदिर तक पहुँचने के लिए करीब 272 सीढ़ियों को चढ़ना पड़ता है। यहाँ पर स्थापित भगवान मुरुगन की प्रतिमा की ऊंचाई ( Malaysia Murugan Height ) लगभग 140 फुट यानी 42.7 मीटर है। इस मूर्ति को निर्मित करने में करीब तीन वर्षों का समय लगा। इसी के साथ प्रतिमा को बनाने के लिए 15 शिल्पियों को बुलाया गया था।
मलेशिया में मौजूद मंदिर ( Temple in Malaysia ) के भगवान मुरुगन से जुड़ी ऐसी मान्यताएं प्रचलन में है जिसके अनुसार भगवान शिव ने अपनी पत्नी पार्वती ( उमा ) के नृत्य किया था और उसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र कुमार कार्तिकेय ( मुरुगन स्वामी ) को अपनी मां से भाला प्राप्त हुआ था।