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    Temple

    Kamakhya Mandir : ये है देवी सती के 51 शक्तिपीठों में शामिल इस मंदिर का रहस्य

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiJanuary 11, 2024Updated:January 11, 2024
    Kamakhya Temple
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    कामाख्या मंदिर | Kamakhya Mandir

    कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir) देवी के 51 सर्वप्रसिद्ध शक्तिपीठों (Shaktipeethas) में से एक है। जब भगवान् विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े किये थे तो ये ही 51 शरीर के टुकड़े शक्तिपीठ कहलाये। यहाँ गुवहाटी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित कामाख्या में ही सती का योनि भाग गिरा था जिस कारण कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) में देवी सती के योनि की पूजा-अर्चना सदियों से चली आ रही है। आपको जानकार हैरानी होगी कि यहाँ देवी की कोई मूर्ति या प्रतिमा नहीं है बस एक योनि आकार का शिलाखंड मौजूद है।  

    कामाख्या मंदिर किस राज्य में स्थित है? | Kamakhya Mandir kis rajya me sthit hai? 

    विश्व विख्यात कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) असम की राजधानी दिसपुर के निकट गुवहाटी से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर कामरूप में ‘नीलांचल पर्वत’ नामक पहाड़ी पर अवस्थित है। 

    कामाख्या मंदिर का निर्माण किसने करवाया? | Kamakhya Mandir ka Nirman kisne karvaya? 

    इतिहासकारों की मानें तो कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) का निर्माण 7 वीं और 8वीं शताब्दी के बीच किया गया था लेकिन 1564 में कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) को मुस्लिम आक्रमणकारियों ने तोड़ दिया था। इसके बाद 17वीं शताब्दी में बिहार के म्लेच्छ वंश के राजा नारायण नरसिंह ने इस मंदिर को पुनर्निर्मित करवाया था।
    kamakhya mandir
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    कामाख्या देवी की उत्पत्ति कैसे हुई? | Kamakhya Devi ki utpati kaise hui?

    पुराणों में कामाख्या देवी (Kamakhya Devi) की उत्पत्ति के बारे में यह उल्लेख मिलता है कि प्रजापति दक्ष ने ‘बृहस्पति सर्व’ नाम से एक यज्ञ का आयोजन किया था। जिसमें उन्होंने सभी देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र, सूर्य सभी को आमंत्रित किया था केवल सती और उनके पति को ही कोई न्यौता नहीं आया था। अपने पिता का इस तरह का व्यवहार देख देवी सती भगवान् शिव से यज्ञ में जाने की जिद पकड़ कर बैठ गईं। अंततः अपनी पत्नी की जिद के आगे शिव हार गए और उन्हें जाने की अनुमति दे दी।

    यज्ञ में पहुँचते ही सती ने प्रजापति दक्ष से उनको आमंत्रित न किये जाने का कारण पूछा तो वे क्रोध करने लगे और भगवान् शिव को अपशब्द कहने लगे। अपमान की अग्नि में जलते हुए देवी सती खुद को रोक नहीं पाई और वही यज्ञ कुंड की अग्नि में कूद गईं। सती जैसे ही अग्निकुंड में कूदी भगवान् शिव की तीसरी आँख खुल गई।

    भोलेनाथ यज्ञ में पहुंचे और देवी सती के पार्थिव शरीर को उन्होंने अपने कन्धों पर उठा लिया। फिर भगवान् शिव दुःखी अवस्था में पार्थिव शरीर लिए घूमते रहे। यह देख इस सृष्टि को एक भयंकर प्रलय से बचाने के लिए भगवान् विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए थे। इन्हीं टुकड़ों में से एक टुकड़ा कामरूप में कामख्या मंदिर में योनि के रूप में पूजा जाता है।
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    कामाख्या मंदिर में मनाया जाता है अम्बुवाची पर्व | Kamakhya Mandir me manaya jata hai ambubachi parv 

    कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) में हर वर्ष जून माह में अम्बुवाची नामक पर्व का आयोजन किया जाता है जिसे देवी के रजस्वला पर्व भी कहा जाता है। कामाख्या मंदिर का रहस्य यह है कि इस पर्व को मनाये जाने के दिनों में ही ब्रह्मपुत्र नदी में बहने वाला पानी लाल रंग का हो जाता है।

    पानी के लाल रंग में तब्दील होने के पीछे की मान्यता ये है कि यह देवी के मासिक धर्म के चलते ऐसा होता है। मासिक धर्म की वजह से मंदिर के द्वार तीन दिनों के बंद कर दिए जाते हैं।  

    (यदि आप देवी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो आपको  Shri Durga Kavach Locket अवश्य ही धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से देवी दुर्गा हर कदम पर आपकी रक्षक बनकर खड़ी रहेंगी और बुरी शक्तियों से सरंक्षण प्रदान करेंगी।
    kamakhya
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    कामाख्या देवी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है? | Kamakhya Devi Mandir kyon prasiddh hai?

    51 शक्तिपीठों में शामिल कामख्या देवी का मंदिर (Kamakhya devi ka mandir) तंत्र-मंत्र के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यह स्थान अघोरियों की साधना और तंत्र-मंत्र साधना का एक तरह से गढ़ माना जाता है।

    कामाख्या देवी मंदिर कब जाना चाहिए | Kamakhya Mandir Kab jana chahiye

    कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) में जाने के लिए साल में कोई भी दिन शुभ माना जा सकता है लेकिन यदि आप देवी का आशीर्वाद शीघ्र पाना चाहते हैं तो यहाँ  नवरात्रि के समय में जायें। बताते चलें कि देवी सती के योनि रूप की पूजा की जाती है इसलिए यहाँ महिलाएं अपने मासिक धर्म के दौरान भी जा सकती है।   

    कामाख्या का अर्थ क्या है? | Kamakhya ka arth kya hai?

    कामाख्या (kamakhya) को अधिकतर तंत्र-मंत्र से जोड़कर देखा जाता है। यह देवी दुर्गा के प्रचलित नामों में से एक है। कामाख्या का सबसे निकटतम रूप देवी काली या त्रिपुर सुंदरी हैं।   
    kamakhya devi
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    कामाख्या मंदिर का महत्व | Kamakhya Mandi ka mehtva 

    कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) देवी के 51 सर्वप्रसिद्ध शक्तिपीठों (Shaktipeethas) में से एक है। जब भगवान् विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े किये थे तो ये ही 51 शरीर के टुकड़े शक्तिपीठ कहलाये। यहाँ गुवहाटी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित कामाख्या में ही सती का योनि भाग गिरा था जिस कारण कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) में देवी सती के योनि की पूजा-अर्चना सदियों से चली आ रही है। आपको जानकार हैरानी होगी कि यहाँ देवी की कोई मूर्ति या प्रतिमा नहीं है बस एक योनि आकार का शिलाखंड मौजूद है।  

    स्टेशन से कामाख्या मंदिर की दूरी कितनी है? | Station se Kamakhya Mandir ki doori kitni hai? 

    गुवहाटी रेलवे स्टेशन से कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।  

    कामाख्या मंदिर में किसकी पूजा होती है? | kamakhya mandir me kiski puja hoti

    गुवाहाटी के निकट मौजूद कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) मंदिर में देवी सती के योनि भाग की पूजा की जाती है। क्योंकि यहाँ पर उनके शरीर के टुकड़े होते समय योनि का भाग गिरा था। यहाँ पर देवी की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक योनि रूपी शिलाखंड स्थापित है।   
    kamakhya images
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    कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य | kamakhya mandir ka rahasya

    माना जाता है कि नीलांचल पर्वत पर माता की योनि गिरी थी, जिसके कारण यहां कामाख्या देवी/Kamakhya devi
    शक्तिपीठ की स्थापना हुई. ऐसी मान्यता है कि माता की योनि नीचे गिरकर एक विग्रह में परिवर्तित हो गयी थी, जो आज भी मंदिर में विराजमान है और जिससे आज भी माता की वह प्रतिमा रजस्वला होती है.

    कामाख्या देवी मंदिर कहाँ है | Kamakhya Devi Mandir kahan hai 

    कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) असम की राजधानी दिसपुर के निकट गुवहाटी से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर कामरूप में ‘नीलांचल पर्वत’ नामक पहाड़ी पर अवस्थित है। 

    कामाख्या मंदिर की असली कहानी क्या है? | Kamakhya Mandir ki asli kahani kya hai

    पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी सती अपने योगशक्ति से अपना देह त्याग दी तो भगवान शिव उनको लेकर घूमने लगे उसके बाद भगवान विष्णु अपने चक्र से उनका देह काटते गए तो नीलाचल पहाड़ी में भगवती सती की योनि (गर्भ) गिर गई, और उस योनि (गर्भ) ने एक देवी का रूप धारण किया, जिसे देवी कामाख्या कहा जाता है।

    कामाख्या मंदिर के अंदर क्या होता है? | Kamakhya Mandir ke andar kya hota hai

    Kamakhya Devi : कामाख्या देवी मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है, यहां माता सती की योनि गिरी थी, जिससे हुई थी एक मूर्ति की उत्पत्ति. माता की यह प्रतिमा हर वर्ष होती है रजस्वला और उस समय कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) समेत गुवाहाटी के सभी मंदिर एवं शुभ कार्य हो जाते हैं बंद.

    कामाख्या मंदिर में योनि की पूजा क्यों होती है? | Kamakhya Mandir me yoni ki pooja kyu karte hai?

    कामख्या मंदिर में होती है योनि पूजा मान्यता के अनुसार, यहां देवी सती का योनि भाग गिरा था. इसलिए कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) में देवी की योनि पूजा की जाती है. यहां देवी की कोई मूर्ति नहीं है. योनि भाग होने के कारण यहां देवी रजस्वला (मासिक धर्म) भी होती है.

    कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए | Kamakhya Mandir kab janaa chaiye

    मंदिर 25 जून की सुबह 5:30 बजे खुलता है। इसके बाद श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं। कामाख्या मां की पूजा से मन को शांति मिलती है।
     
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