Close Menu
Buy Spiritual ProductsBuy Spiritual Products
    Buy Spiritual ProductsBuy Spiritual Products
    • Silver Jewellery
    • Spiritual T Shirt
    • Spiritual Locket
    • Spiritual Ring
    • Spiritual Bracelet
    0 Shopping Cart
    Buy Spiritual ProductsBuy Spiritual Products
    0 Shopping Cart
    Home » विरुपाक्ष मंदिर ( Virupaksha Temple ): रामायण काल के किष्किन्धा कहे जाने वाले विरुपाक्ष मंदिर का इतिहास
    Temple

    विरुपाक्ष मंदिर ( Virupaksha Temple ): रामायण काल के किष्किन्धा कहे जाने वाले विरुपाक्ष मंदिर का इतिहास

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiDecember 22, 2021
    Share
    Facebook WhatsApp

    भारत के सबसे प्राचीन और रहस्यमयी मंदिरों में विरुपाक्ष मंदिर ( Virupaksha Mandir ) शामिल है जो कर्नाटक राज्य की तुंगभद्रा नदी के समीप हम्पी में अवस्थित है। विरुपाक्ष में ‘विरु’ का अर्थ है – विपरीत और अक्ष से तात्पर्य है पहिया। 

    यह नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यह मंदिर विपरीत अक्ष वाला है।  यहाँ भगवान् शिव (Lord Shiva) के विरुपाक्ष रूप की पूजा किये जाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। भगवान् विरुपाक्ष की पत्नी का नाम पंपा था जिस कारण इस मंदिर को पम्पापति मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ भुवनेश्वरी और विरुपाक्ष की पत्नी पम्पा की मूर्तियां भी बनी हुई हैं।   

    इसकी अद्भुत वास्तुकला और भव्य इतिहास को देखते हुए इसे UNESCO ने विश्व धरोहर के रूप में भी संग्रहित किया है। भगवान् विरुपाक्ष और उनकी पत्नी पंपा को समर्पित इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहाँ स्थापित शिवलिंग दक्षिण की ओर झुका हुआ है।   

    विरुपाक्ष मंदिर का इतिहास ( Virupaksha Temple History )

    विरुपाक्ष मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में कल्याणी के चालुक्य (chalukya dynasty) शासक विक्रमादित्य द्वितीय की रानी लोकमाह  द्वारा करवाया गया था। बता दें कि विक्रमादित्य द्वितीय चालुक्य वंश के सबसे शक्तिशाली शासक माने जाते हैं क्योंकि उन्होंने गद्दी सँभालते ही चोल, होयसल और वनवासी के राजाओं को पराजित कर दिया था।    

    विरुपाक्ष मंदिर वास्तुकला ( Architecture of Virupaksha Temple )

    इस विशाल मंदिर को द्रविड़ स्थापत्य शैली (Dravidian architecture) में निर्मित किया गया है। मंदिर में जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है वे ईंट या चूने से बने हुए हैं। इसका गोपुरम आज से 500 वर्ष पूर्व बनाया गया था जो करीब 50 मीटर ऊँचा है। यहाँ भगवान् शंकर के विरुपाक्ष रूप और उनकी पत्नी पंपा के साथ ही भगवान् गणेश व सवारी नंदी की मूर्ति स्थापित है।  

    विरुपाक्ष से संबंधित पौराणिक कथा ( Mythical Story behind Virupaksha Temple )

    पौराणिक कहानी कहती है कि यह रामायण काल का किष्किन्धा (Kishkindha) है। बताते चलें कि यहाँ स्थापित शिवलिंग के संबंध में जो कहानी है उसका संबंध भगवान् शंकर और रावण से है। जब भगवान् शिव के परमभक्त माने जाने वाले रावण ने भगवान् शंकर को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी तो उनकी  तपस्या से शिव अत्यधिक प्रसन्न हुए। रावण के सामने प्रकट उन्होंने वर मांगने को कहा।  

    रावण ने स्वयं भगवान् शिव (Lord Shiva) को अपने साथ लंका ले जाने का वरदान माँगा। उसकी यह इच्छा सुनकर शिव ने जाने से तो मना कर दिया पर उसके हाथ में एक शिवलिंग दे दिया। रावण को भोलेनाथ ने शिवलिंग दिया था तो उसे लंका ले जाते समय यह यहीं पर स्थापित हो गया था। क्योंकि रावण ने एक वृद्ध व्यक्ति को वह शिवलिंग कुछ समय के लिए पकड़ने के लिए दिया था। लेकिन वृद्ध व्यक्ति उस शिवलिंग को अधिक भार होने के कारण उठा नहीं सका और उसने लिंगम वहीँ पर रख दिया था।

    इसके बाद रावण ने लाख प्रयास किये पर वह शिवलिंग अत्यधिक वजनदार होने के कारण टस से मस न हुआ। इस कहानी का ज़िक्र यहाँ मंदिर की दीवारों पर एक चित्र के माध्यम से किया गया है जिसमें रावण शिवलिंग को उठाने का प्रयास कर रहा हैं।  

    मंदिर का रहस्य ( Mystery of Virupaksha Temple )

    विरुपाक्ष नामक इस मंदिर का रहस्य (Virupaksha Mandir ka rahasya) यह है कि मौजूद खंभों में से संगीत की ध्वनि सुनाई देती है इसलिए इसे Musical Pillars भी कहा जाता है। खम्भों से सुनाई देने वाले संगीत के रहस्य को जानने के लिए अंग्रेजों ने इन खंभों को तोड़ दिया था ताकि वे जान सकें कि यह संगीत किस वजह से सुनाई देता है। 

    परन्तु खंभों को तोड़ने के बाद वह खोखले निकलें जिसे देखकर अंग्रेज आश्चर्यचकित रह गए। इस तरह खम्भों में से निकलने वाले संगीत का रहस्य आज तक पता नहीं लग पाया है।

    मंदिर कैसे पहुंचे? ( How to reach Virupaksha Temple? )

    यहाँ जाने का सबसे ठीक वक़्त अक्टूबर से मार्च के मध्य का हैं। यहाँ तीनों ही माध्यमों रेल, हवाई जहाज, सड़क के रास्ते पहुंच सकते है। इस मंदिर का सबसे नज़दीक हवाई अड्डा बेल्लारी है व नज़दीक का रेलवे स्टेशन होस्पेट हैं।

    (भगवान् शिव का महाकाल रूपी कवच लॉकेट व्यक्ति को सभी प्रकार के भय से मुक्ति प्रदान करता है जिसमें ख़ासतौर पर काल और मृत्यु का भय शामिल है। यदि आप यह Mahakal Kavach Locket खरदीने के इच्छुक हैं तो यह prabhubhakti.in पर Online Available है।)

     

    Share. Facebook WhatsApp
    Previous Articleमीनाक्षी मंदिर (Meenakshi Temple): माता पार्वती को समर्पित इस मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा
    Next Article बृहदेश्वर मंदिर (Brihadeshwara Temple) : बगैर नींव के हजारों वर्षों से खड़ी इस अद्भुत वास्तुकला का इतिहास

    Related Posts

    Kashi Vishwanath Mandir: जानिये आखिर कैसे हुई काशी में विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति?

    Nanda Devi Temple : नंदा देवी मंदिर का समय , इतिहास और तस्वीरें

    Gyanvapi Case News: ज्ञानवापी का विवाद एवं इसका इतिहास

    Leave A Reply Cancel Reply

    Special for You

    Лучшиe бeздeпoзитныe бoнуcы кaзинo зa peгиcтpaцию c вывoдoм в 2025 гoду

    Other May 9, 2025

    Но перед активацией и использованием важно внимательно изучить условия. Не каждый игровой клуб готов предложить…

    Бетис Осасуна: прогноз на матч 11 мая 2025 года, Ла Лига, коэффициенты и ставки на Спортсе

    May 9, 2025

    Осер Гавр: точный прогноз и ставка на матч чемпионата Франции 4 мая 2025

    May 9, 2025

    Рейтинг лучших онлайн казино 2023 с быстрыми выплатами и бездепозитными бонусами

    May 9, 2025
    Recent
    • Лучшиe бeздeпoзитныe бoнуcы кaзинo зa peгиcтpaцию c вывoдoм в 2025 гoду
    • Бетис Осасуна: прогноз на матч 11 мая 2025 года, Ла Лига, коэффициенты и ставки на Спортсе
    • Осер Гавр: точный прогноз и ставка на матч чемпионата Франции 4 мая 2025
    • Рейтинг лучших онлайн казино 2023 с быстрыми выплатами и бездепозитными бонусами
    • Брест Лилль: прогноз, ставки и коэффициенты на 10 мая 2025

    Mahashivratri 2024 Date : जानें- तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    Festival March 4, 2024

    महाशिवरात्रि | Mahashivratri  महाशिवरात्रि सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन भगवान शिव…

    Hanuman Jayanti 2024 में कब है? जानिए तारीख, पूजा का समय और जरूरी बातें

    Festival February 27, 2024

    हनुमान जयंती | Hanuman Jayanti हनुमान जयंती सनातन धर्म का प्रमुख उत्सव है जिसे हनुमान…

    Recent Posts
    • Лучшиe бeздeпoзитныe бoнуcы кaзинo зa peгиcтpaцию c вывoдoм в 2025 гoду
    • Бетис Осасуна: прогноз на матч 11 мая 2025 года, Ла Лига, коэффициенты и ставки на Спортсе
    • Осер Гавр: точный прогноз и ставка на матч чемпионата Франции 4 мая 2025
    • Рейтинг лучших онлайн казино 2023 с быстрыми выплатами и бездепозитными бонусами
    • Брест Лилль: прогноз, ставки и коэффициенты на 10 мая 2025
    Sale is Live
    Oversized t-shirt
    Top Product
    • Silver Jewellery
    • Spiritual T Shirt
    • Spiritual Locket
    • Spiritual Ring
    • Spiritual Bracelet
    Imp Links
    • Privacy Policy
    • Shipping and Delivery Policy
    • Terms and Conditions
    • Disclaimer
    • Privacy Policy
    • Shipping and Delivery Policy
    • Terms and Conditions
    • Disclaimer
    © 2022-23 Prabhubhakti Private Limited

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.