दुर्गियाना मंदिर कहाँ है? ( Durgiana Mandir kahan hai? )
अमृतसर में दुर्गियाना मंदिर का निर्माण किसने करवाया? ( Who built Durgiana Temple in Amritsar? )
दुर्गियाना मंदिर की वास्तुकला (Architect of Durgiana Temple in hindi)
दुर्गियाना मंदिर (Durgiana Mandir) में सबसे पहले प्रवेश करते ही एक अखंड प्रज्वलित दिखाई देगी। इस स्थान पर दुर्गा के अन्य रूप कहे जाने वाले शीतला माता की पूजा-अर्चना की जाती है। इधर परिसर में माता सीता और हनुमान के मंदिर भी है। इसी के साथ लक्ष्मी नारायण मंदिर सरोवर के ठीक मध्य में दिखाई देगा जिसकी छतरी और गुम्बद। आपको यह भी बता दें कि मंदिर तक पहुँच सुलभ बनाने के लिए एक पुल भी बनाया गया है।
दुर्गियाना मंदिर तक कैसे पहुंचे? (How to reach Durgiana Temple?)
( भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती के विशाल दुर्गा रूप का जन्म अच्छाई पर बुराई की जीत के लिए हुआ था। जो भी देवी दुर्गा की पूजा सच्चे मन से करता है उन्हें देवी सभी बुरी शक्तियों से बचाती है। यदि आप अपने शत्रुओं से परेशान है, घर में नकरात्मक ऊर्जा से गृह कलेश हो रहे हैं तो आपको Durga Kavach अवश्य ही धारण करना चाहिए।। )
दुर्गियाना मंदिर अमृतसर का इतिहास हिंदी में | Durgiana Mandir Amritsar history in hindi
दुर्गियाना मंदिर कब बना? | Durgiana Mandir Kab bana
दुर्गियाना मंदिर क्यों प्रसिद्ध है? | Durgiana Mandir kyu prasid hai
दुर्गियाना मंदिर कितना पुराना है? | Durgiana Mandir kitna purana hai
दुर्गियाना मंदिर पूजा विधि | Durgiana Mandir puja vidhi
Durgiana mandir ki aarti
दुर्गा जी की आरती: ॐ जय अम्बे गौरी…
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।