Close Menu
Buy Spiritual ProductsBuy Spiritual Products
    Buy Spiritual ProductsBuy Spiritual Products
    • Silver Jewellery
    • Spiritual T Shirt
    • Spiritual Locket
    • Spiritual Ring
    • Spiritual Bracelet
    0 Shopping Cart
    Buy Spiritual ProductsBuy Spiritual Products
    0 Shopping Cart
    Home » Brihaspativar Vrat : बृहस्पतिवार को व्रत करने का महत्व और उससे जुड़ी पौराणिक कथा
    Astrology

    Brihaspativar Vrat : बृहस्पतिवार को व्रत करने का महत्व और उससे जुड़ी पौराणिक कथा

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiJanuary 12, 2024Updated:January 12, 2024
    Brihaspativar Vrat
    Brihaspativar Vrat
    Share
    Facebook WhatsApp

    बृहस्पतिवार व्रत का महत्व ( Brihaspativar Vrat ka mahatva )

     Brihaspativar Vrat Katha –हिन्दू धर्म में सभी दिन किसी न किसी देवता या देवी को समर्पित होते हैं। इसी तरह गुरूवार (Guruwar)  का दिन भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन विष्णु जी (Vishnu Ji) की पूजा करने से कुंडली में मौजूद बृहस्पति ( के सारे दोष समाप्त हो जाते हैं। बृहस्पतिवार (brihaspativar ) के दिन व्रत रखने से निः संतान को पुत्र की प्राप्ति होती है, निर्धन को धन की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। चलिए जानते है क्या है

    बृहस्पतिवार व्रत कथा (Brihaspativar Vrat Katha)

    प्राचीन समय में एक प्रतापी राजा रहा करता था जो हर गुरूवार (Guruwar) को व्रत रख खूब दान-पुण्य करता था, गरीबों को खाना खिलाता था। राजा के इस दान-पुण्य वाले व्यवहार से उनकी पत्नी को बहुत परेशानी होती थी। उसे न तो व्रत करना पसंद था और न ही किसी को दान देना। जब राजा एक बार शिकार के लिए वन की ओर चला गया तो उसी दौरान गुरु बृहस्पति देव (Brihaspati Dev)  राजा के द्वार पर भिक्षा मांगने आये।

    साधू को भिक्षा मांगते देख रानी बोली हे! साधु महाराज मैं इस दान-पुण्य से बहुत तंग आ चुकी हूँ। कृपया कोई ऐसा उपाय मुझे बताएं कि घर में रखा सारा धन किसी तरह से समाप्त हो जाए। यदि ऐसा हो जाएगा तो मुझे बहुत संतुष्टि मिलेगी।   
    रानी के मुख से इस तरह की बातें सुन बृहस्पति देव (Brihaspati Dev) बोले कि तुम बहुत विचित्र हो। भला कोई धन-सम्पत्ति और संतान की अनिच्छा रखता है? सभी के मन में इसे पाने की लालसा रहती है। तुम्हारे पास जो धन है तो उसका प्रयोग शुभ कार्यों में करो, किसी कुंवारी कन्या का विवाह करवाओ, बाग़-बगीचे बनवाओ, विद्यालयों का निर्माण करवाओ, गरीबों को दान करो। लेकिन फिर भी यदि तुम ऐसा चाहती हो कि घर में रखा सारा धन समाप्त या नष्ट हो जाए तो मेरे कहे अनुसार इस उपाय का पालन करो।

    बृहस्पति देव (Brihaspati Dev) आगे बोले कि बृहस्पतिवार को तुम अपना घर गोबर से लीपो, केशों को पीली मिट्टी से धोना और फिर स्नान करना, राजा से हजामत बनाने के लिए कहना, भोजन में मांस-मदिरा का प्रयोग करना, कपड़ों को धोने के लिए धोबी को देना। ये सभी कार्य लगातार सात बृहस्पतिवार को करने के बाद तुम्हारा सारा धन शीघ्र ही नष्ट हो जाएगा और तुम्हें संतोष होगा। रानी को ये सभी उपाय बताकर साधु के भेष में आये गुरु बृहस्पतिदेव अंतर्ध्यान हो गए।  
    रानी ने साधु द्वारा बताये गए सभी उपायों का हर बृहस्पतिवार (brihaspativar )को पालन किया। देखते ही देखते सारा धन नष्ट होने लगा और तीसरा बृहस्पतिवार आते ही वह पूरी तरह समाप्त हो गया। अब राजा के परिवार की दशा बिगड़ती गई और वे भोजन तक के लिए तरसने लगे। 
    Also read : 
    brihaspati vrat
    brihaspati vrat
    यह सब देख राजा ने रानी से कहा कि हे! रानी तुम यहीं ठहरना मैं यहाँ से दूर दूसरे देश की ओर जाता हूँ। यहाँ पर एक राजा हूँ और सब मुझे जानते हैं जिस कारण मैं कोई छोटा-मोटा कार्य नहीं कर सकता हूँ। रानी को यह सब कहकर राजा दूर दूसरे प्रदेश को चला गया।

    राजा दूर एक जंगल में पहुंचा जहाँ वह जंगल की लकड़ी को काटकर, उस लकड़ी को शहर में बेचकर अपना जीवन व्यतीत करने लगा। परन्तु राजा के दूसरे देश चले जाने से रानी और दासी दुःखी रहने लगे। स्थिति इतनी बदतर हो गई कि रानी को सात दिन तक भोजन नसीब न हुआ। रानी ने अपनी दासी से कहा कि यहाँ पास ही के नगर में मेरी एक छोटी बहन रहा करती है। तू उसके पास जा और थोड़ा अनाज ले आ जिससे थोड़े दिन का गुजारा चल सके।  

    दासी पास के नगर में रानी की बहन के घर पहुंची। उसा दिन बृहस्पतिवार (brihaspativar) था और रानी की बहन ने बृहस्पतिवार का व्रत रखा हुआ था।  जब दासी वहां पहुंची तो उस समय रानी की बहन बृहस्पतिवार की कथा सुन रही थी। जब दासी ने रानी की बहन को रानी की दशा बताई तो उसकी बहन ने कोई उत्तर नहीं दिया। उत्तर न मिलने के कारण दासी दुःखी हुई और सारा हाल जाकर रानी को कह सुनाया। दासी की बात सुन रानी ने अपने भाग्य को कोसा।

    दूसरी तरफ रानी की बहन ने सोचा कि मेरी बहन की दासी आई और मैंने कोई उत्तर तक नहीं दिया।  मेरे इस व्यवहार से वे बहुत दुखी हुई होंगी। इसलिए वे अपनी पूजा खत्म कर सीधे अपनी बहन के घर पहुंची और बोली हे! बहन जिस समय दासी आई थी तब मैं बृहस्पतिवार की कथा सुन रही थी। जिस कारण मैं कोई उत्तर नहीं दे पाई, कहो दासी को तुमने मेरे पास क्यों भेजा था?

    रानी ने अपना सात दिन से कुछ न खाने का सारा हाल बहन को सुनाया। यह सुन रानी की बहन बोली कि तुम्हारे घर में जरूर अनाज होगा। देखो एक बार क्या पता अनाज घर में मिल जाए। इसपर रानी ने अपने घर में देखा तो उसे अनाज से भरा हुआ घड़ा मिला। यह देख उसे प्रसन्नता के साथ ही बहुत आश्चर्य हुआ। इस प्रकार का चमत्कार देख दासी ने रानी से कहा कि जब हमें भोजन नहीं मिलता तब भी तो हम भूखे रहते हैं। क्यों न हम व्रत का पालन करें।
    brihaspativar vrat katha
    brihaspativar vrat katha
    दासी की बातें सुनकर रानी ने अपनी बहन से बृहस्पतिवार (brihaspativar ) के व्रत का पालन करने की सारी विधि के बारे में पूछा। उसकी बहन ने बताया, बृहस्पतिवार के व्रत में चने की दाल और मुनक्का से विष्णु भगवान का केले की जड़ में पूजन करें तथा दीपक जलाएं, इसके साथ व्रत कथा सुनें और पीला भोजन ही करें। इससे वृहस्पतिदेव प्रसन्न होते हैं। बृहस्पतिवार को व्रत करने से तुम्हारे सारे दुःख समाप्त हो जाएंगे और मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। व्रत और पूजा विधि बताकर रानी की बहन अपने घर को लौट गई।

    रानी और दासी ने अपनी बहन के कहे वैसा ही किया और बृहस्पतिवार के दिन व्रत का पालन किया। परन्तु अब दोनों की चिंता कुछ और थी कि पीला भोजन कहाँ से लाया जाये। पीला भोजन न मिल पाने के कारण वे दुःखी हो गईं लेकिन बृहस्पतिदेव रानी से बहुत प्रसन्न थे क्योंकि उन्होंने बृहस्पतिवार के व्रत का पालन किया था। इसलिए वे एक साधारण व्यक्ति के भेष धारण कर पीला भोजन दे गए जिसे खाकर दोनों ने अपना व्रत पूर्ण किया।   

    हर बृहस्पतिवार व्रत (Brihaspativar vrat )रखने से बृहस्पतिदेव प्रसन्न हुए और रानी की आर्थिक सुधरने लगी। अपनी आर्थिक स्थिति सुधरते देख रानी को फिर से आलस आने लगा और वह फिर से अपने पुराने वाले हाल पर आने लगी। रानी का आलस्य देख उसकी दासी ने समझाने के प्रयास किया। 

    पहले भी तुम्हें दान-पुण्य से तकलीफ थी और उससे छुटकारा पाने के लिए धन को नष्ट करने का प्रयास किया।  उसके बाद के हालात तो तुम अपने जानती ही हो। अब ये आलस्य को तुम्हें त्यागना पड़ेगा तभी जाकर सुख-समृद्धि हासिल होगी। इस तरह रानी हर बृहस्पतिवार को व्रत का पालन करने लगी। ये थी brihaspati vrat katha in hindi जिसे सुनने या पढ़ने से भक्तजनों का उद्धार होता है। 
    brihaspati vrat katha
    brihaspati vrat katha
    (बृहस्पतिवार को तुलसी माला से भगवान् विष्णु के मंत्र का जाप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है यदि आप Original Tulsi Mala खरीदने के इच्छुक हैं तो prabhubhakti.in इसे Online Order कर सकते हैं।

    बृहस्पति की कहानी क्या है? | Brihaspati Ki kahani kya hain

    बृहस्पतिवार  व्रत कथा साधु और रानी का संवाद

    साधु ने उत्तर दिया यदि तुम्हारी ऐसी इच्छा है तो जैसा मैं तुम्हें बताता हूं तुम वैसा ही करना बृहस्पतिवार को घर को गोबर से लीपना अपने केशों को पीली मिट्टी से धोना। राजा से कहना वह बृहस्‍पतिवार को हजामत बनवाए, भोजन में मांस- मदिरा खाना और कपड़ा धोबी के यहां धुलने डालना।

    घर पर बृहस्पति पूजा कैसे करें? | Ghar par Brihaspati pooja kaise kare

    1. बृहस्पतिवार (Brihaspativar) के दिन सुबह उठ कर स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें।
    2. बृहस्पतिवार के दिन पूजा घर में या केले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु (Bhagwan vishnu) की पूजा करनी चाहिए।
    3. इस दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा रखकर पूरे विधि -विधान से उनकी पूजा करें। …
    4. बृहस्पतिवार के दिन केवल पीले भोजन करें।
    brihaspativar vrat katha in hindi
    brihaspativar vrat katha in hindi

    बृहस्पतिवार को पूजा करने से क्या होता है? | Brihaspativar ki pooja karne se kya hota hain

    बृहस्पतिवार (Brihaspativar) के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. इससे घर पर सुख-समृद्धि और धन-संपदा बनी रहती है. वहीं इस व्रत के प्रभाव से कुंडली में गुरु ग्रह भी मजबूत होते हैं. बृहस्पतिवार का  व्रत करने से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है.

    बृहस्पतिवार के दिन कौन से भगवान की पूजा होती है? | Brihaspativar ke din konse bhagwan ki pooja hote hain

    , बृहस्पतिवार Vrat: पंचांग के अनुसार, बृहस्पतिवार का  दिन भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करना शुभ माना जाता है।

    बृहस्पति देवता किसका था? | Brihaspati devta kiska thaa

    बृहस्पति, जिन्हें “प्रार्थना या भक्ति का स्वामी” माना गया है, और बृहस्पति तथा देवगुरु (देवताओं के गुरु) भी कहलाते हैं, एक हिन्दू देवता एवं वैदिक आराध्य हैं। इन्हें शील और धर्म का अवतार माना जाता है और ये देवताओं के लिये प्रार्थना और बलि या हवि के प्रमुख प्रदाता हैं।
    brihaspativar katha in hindi
    brihaspativar katha in hindi

    बृहस्पति का दूसरा नाम क्या है? | Brihaspati ka dura naam kya hain

    इन ग्रहों में एक ग्रह है ‘बृहस्पति (Brihaspati) ‘, अंग्रेजी में इसे ज्युपिटर कहा जाता है और इसका एक दूसरा नाम गुरु भी है।

    बृहस्पतिवार के दिन कौन सा मंत्र बोलना चाहिए? | Brihaspativar ke din konsa mantr bolna chaiye

    ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

    बृहस्पति का आशीर्वाद कैसे मिलता है? | Brihaspati ka aasheervaad kaise milta hain

    वामन देव की पूजा करें; शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत का पाठ भी करें, भागवत पुराण का पाठ करें । बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए बृहस्पतिवार का व्रत (Brihaspativar ka vrat) करें । बृहस्पति ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान गुरुवार के दिन शाम के समय बृहस्पति की होरा में तथा गुरु के नक्षत्र (विशाखा, पूर्व भाद्रपद) में करना चाहिए।
    brihaspativar
    brihaspativar

    बृहस्पति का स्वामी कौन है? | Brihaspativar ka swami kaun hain

    भगवान बृहस्पति (जिन्हें देव गुरु बृहस्पति के नाम से भी जाना जाता है) या बृहस्पति ग्रह वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को संदर्भित करता है। महर्षि पराशर ने बृहस्पति को विशाल शरीर, गहरे भूरे बाल, गहरे भूरे रंग की आंखें, कफनाशक, बुद्धिमान और विद्वान पुरुष ग्रह बताया है। देव गुरु बृहस्पति सभी देवताओं के शिक्षक और प्रशिक्षक (गुरु) हैं।

    बृहस्पतिवार का मंत्र क्या है? | Brihaspativar ka mantr kya hain

    ॐ बृं बृहस्पतये नमः।। ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।

    बृहस्पतिवार को क्या दान नहीं करना चाहिए? | Brihaspativar ko kya daan nhi karna chaiye

    उधार न दें  बृहस्पतिवार का दिन  भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी को समर्पित होता है। इस दिन धन का दान नहीं करना चाहिए।

    बृहस्पतिवार के व्रत में शाम को क्या खाना चाहिए? | Brihaspativar ke vrat mein sham ko kya khana chaiye

    बृहस्पतिवार के व्रत ( Brihaspativar ke vrat )  में एक समय भोजन करना चाहिए। साबुत मसाले, गुड़, सेंधा नमक जीरा, लाल मिर्च, अमचूर जैसी चीजों को इस्तेमाल कर सकते है।
    brihaspativar katha
    brihaspativar katha

    बृहस्पतिवार के दिन कौन सा काम करना चाहिए? | Brihaspativar ke din konsa kaam karna chaiye

    बृहस्पति की पूजा हमेशा पीले रंग के वस्त्र पहन कर करनी चाहिए. इससे भगवान विष्णु आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी करेंगे. गुरुवार के दिन धन एवं वैभव की देवी माता लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए. इससे पैसे-रुपयों से जुड़ी दिक्कत दूर होती है.

    बृहस्पति का नंबर कौन सा है? | Brihaspati ka number konsa hain

    सूर्य से पाँचवाँ और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है।

    बृहस्पतिवार को साबुन क्यों नहीं लगाया जाता है? | Brihaspativar ko sabun kyu nhi lagayaa jaata hain

    दरअसल मान्यताओं के अनुसार बृहस्पति ग्रह ( Brihaspati grah )अन्य ग्रहों से भारी होता है इसीलिए इस दिन ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिसका हमें कष्ट उठाना पड़े. यदि आप गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की कृपा चाहते हैं तो इस दिन आपको साबुन और शैंपू आदि के प्रयोग से बचना चाहिए. महिलाओं को इस दिन अपने बाल भी नहीं धोने चाहिए.
    brihaspati vrat katha
    brihaspati vrat katha

    बृहस्पति खराब होने के क्या लक्षण है? | Brihaspativar karab hone ke kya lakshan hain

    • गुरु ज्ञान के कारक होते हैं. …
    • गुरु को भाग्य का कारक भी माना जाता है. …
    • पेट संबंधी शारीरिक समस्याएं जैसे कब्ज, गैस, अपच भी कमजोर गुरु का संकेत है. …
    • समाज में मान-सम्मान की कमी होना, अचानक अच्छा खासा बिजनेस ठप हो जाना, तरक्की रुक जाना या सपने में बार-बार सांप दिखना भी कुंडली में खराब बृहस्पति का संकेत माना जाता है

    बृहस्पति दोष क्या है? | Brihaspativar Dosh kya hain

    कैसे जानें कुंडली में खराब है बृहस्पति देव को भाग्य का कारक भी माना जाता है. ऐसे में धन की हानि, जरूरी कामों में रुकावटें आना,  विवाह में अड़चन, कार्य सफल न होने का संकेत भी गुरु दोष को दर्शाता है. क्योंकि कुंडली में गुरु की खराब स्थिति होने पर किसी काम में आपको भाग्य का साथ नहीं मिलता है

    brihaspati
    brihaspati

    बृहस्पति देव की पूजा कैसे करें? | Brihaspativar dev ki pooja kaise kare

    बृहस्पति देव ( Brihaspativar dev )का पूजन पीली वस्तुएं, पीले फूल, चने की दाल, मुनक्का, पीली मिठाई, पीले चावल और हल्दी चढ़ाकर किया जाता है. इस व्रत में केले के पेड़ की का पूजा की जाती है. कथा और पूजन के समय मन, कर्म और वचन से शुद्ध होकर मनोकामना पूर्ति के लिए बृहस्पति देव ( Brihaspativar dev ) से प्रार्थना करनी चाहिए. जल में हल्दी डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाएं.
     
     
    Share. Facebook WhatsApp
    Previous Articleहर मुश्किल का डटकर सामना करने वाले हनुमान जब एक तपस्वी से हारे
    Next Article दुर्गियाना मंदिर (Durgiana Temple) : अमृतसर में स्थित माँ दुर्गा को समर्पित दुर्गियाना मंदिर का इतिहास

    Related Posts

    Sapne me Ram Lalla ko dekhna – सपने में प्रभु श्रीराम को देखना देता है ये संकेत

    Chaitra Amavasya 2024 – साल 2024 में कब है चैत्र अमावस्या , जाने तारीख

    Mauni Amavasya 2024: पितरों को करना है प्रसन्न तो मौनी अमावस्या के दिन करें ये उपाय

    Leave A Reply Cancel Reply

    Special for You

    Deneme Bonus Veren Casino Siteleri: Türkiye’nin En İyi Seçenekleri

    general May 15, 2025

    Ekrana gelen simgelerin belirli bir kombinasyonu, oyunculara ödül kazandırır. Deneme bonuslarıyla ilgili sorunlar yaşadığınızda, Türkçe…

    Водка Казино Vodka Casino Официальный Сайт Бонус 150% До 30 000

    May 15, 2025

    Осер Гавр: точный прогноз и ставка на матч чемпионата Франции 4 мая 2025

    May 9, 2025

    Рейтинг лучших онлайн казино 2023 с быстрыми выплатами и бездепозитными бонусами

    May 9, 2025
    Recent
    • Deneme Bonus Veren Casino Siteleri: Türkiye’nin En İyi Seçenekleri
    • Водка Казино Vodka Casino Официальный Сайт Бонус 150% До 30 000
    • Осер Гавр: точный прогноз и ставка на матч чемпионата Франции 4 мая 2025
    • Рейтинг лучших онлайн казино 2023 с быстрыми выплатами и бездепозитными бонусами
    • Брест Лилль: прогноз, ставки и коэффициенты на 10 мая 2025

    Mahashivratri 2024 Date : जानें- तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    Festival March 4, 2024

    महाशिवरात्रि | Mahashivratri  महाशिवरात्रि सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन भगवान शिव…

    Hanuman Jayanti 2024 में कब है? जानिए तारीख, पूजा का समय और जरूरी बातें

    Festival February 27, 2024

    हनुमान जयंती | Hanuman Jayanti हनुमान जयंती सनातन धर्म का प्रमुख उत्सव है जिसे हनुमान…

    Recent Posts
    • Deneme Bonus Veren Casino Siteleri: Türkiye’nin En İyi Seçenekleri
    • Водка Казино Vodka Casino Официальный Сайт Бонус 150% До 30 000
    • Осер Гавр: точный прогноз и ставка на матч чемпионата Франции 4 мая 2025
    • Рейтинг лучших онлайн казино 2023 с быстрыми выплатами и бездепозитными бонусами
    • Брест Лилль: прогноз, ставки и коэффициенты на 10 мая 2025
    Sale is Live
    Oversized t-shirt
    Top Product
    • Silver Jewellery
    • Spiritual T Shirt
    • Spiritual Locket
    • Spiritual Ring
    • Spiritual Bracelet
    Imp Links
    • Privacy Policy
    • Shipping and Delivery Policy
    • Terms and Conditions
    • Disclaimer
    • Privacy Policy
    • Shipping and Delivery Policy
    • Terms and Conditions
    • Disclaimer
    © 2022-23 Prabhubhakti Private Limited

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.