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    Home » दुर्गियाना मंदिर (Durgiana Temple) : अमृतसर में स्थित माँ दुर्गा को समर्पित दुर्गियाना मंदिर का इतिहास
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    दुर्गियाना मंदिर (Durgiana Temple) : अमृतसर में स्थित माँ दुर्गा को समर्पित दुर्गियाना मंदिर का इतिहास

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiDecember 22, 2023Updated:December 22, 2023
    Durgiana Temple
    Durgiana Temple
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    दुर्गियाना मंदिर कहाँ है? ( Durgiana Mandir kahan hai? )

    दुर्गियाना मंदिर (Durgiana Mandir) पंजाब के अमृतसर (Amritsar) प्रान्त में लोहगढ़ के पास मौजूद एक बहुत ही लोकप्रिय मंदिर है। जिसे लक्ष्मीनारायण मंदिर, दुर्गा तीर्थ और शीतला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का नाम दुर्गियाना इसलिए रखा गया क्योंकि यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। देवी दुर्गा पार्वती का विशाल और विकराल रूप है जिनका जन्म राक्षसों और असुरों के सर्वनाश के लिए हुआ था।
    Durgiana Mandir
    Durgiana Mandir

    अमृतसर में दुर्गियाना मंदिर का निर्माण किसने करवाया? ( Who built Durgiana Temple in Amritsar? )

    दुर्गा के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक दुर्गियाना मंदिर (Durgiana Mandir)के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में किया गया और इसका पुनर्निर्माण 20वीं शताब्दी यानी साल 1921 में गुरु हरसाई मल कपूर द्वारा एकत्रित किये गए धन से हुआ था। सबसे ख़ास बात यह कि इसके स्थापत्य की नींव गंगा दशमी के दिन साल 1925 में प्रसिद्ध समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा रखी गई।

    दुर्गियाना मंदिर की वास्तुकला (Architect of Durgiana Temple in hindi)

    दुर्गियाना मंदिर की वास्तुकला (Durgiana mandir ki vastukala) अमृतसर के सर्वप्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) की तर्ज पर आधारित है। मंदिर में कांगड़ा शैली की चित्रकला और शीशे का अद्भुत कार्य सभी को अपनी ओर आकर्षित कर देने वाला है। मंदिर के विशाल दरवाजे चांदी के और दीवारें संगमरमर की बनी हुई हैं। चांदी की नक्काशी के कारण इसे रजत या सिल्वर मंदिर भी कहते हैं। दुर्गियाना मंदिर (Durgiana Mandir) का निर्माण झील के बिल्कुल बीचों बीच करवाया गया है। इसके क्षेत्रफल की बात करें तो यह 160 मीटर x 130 मीटर के करीब है। यहाँ की रंगीन लाइट रात्रि के समय इस मंदिर की ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा देती हैं। 
    Durgiana Mandir images
    Durgiana Mandir images
    मंदिर की विशेषताएं : 

    दुर्गियाना मंदिर (Durgiana Mandir) में सबसे पहले प्रवेश करते ही एक अखंड प्रज्वलित दिखाई देगी। इस स्थान पर दुर्गा के अन्य रूप कहे जाने वाले शीतला माता की पूजा-अर्चना की जाती है। इधर परिसर में माता सीता और हनुमान के मंदिर भी है। इसी के साथ लक्ष्मी नारायण मंदिर सरोवर के ठीक मध्य में दिखाई देगा जिसकी छतरी और गुम्बद। आपको यह भी बता दें कि मंदिर तक पहुँच सुलभ बनाने के लिए एक पुल भी बनाया गया है।   

    दुर्गियाना मंदिर तक कैसे पहुंचे? (How to reach Durgiana Temple?)

    दुर्गियाना मंदिर (Durgiana Mandir) अमृतसर में अवस्थित ह और अमृतसर रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी लगभग डेढ़ किलोमीटर है। वहीँ हवाई यात्रा की बात करें तो अमृतसर का एयरपोर्ट राजा सांसी एयरपोर्ट है और यह भारत के सभी प्रमुख शहरों से संपर्क है। यदि आप सड़क मार्ग से जाना चाहते हैं तो अमृतसर नेशनल हाइवे 1 राजधानी दिल्ली और अमृतसर को आपस में जोड़ता है।

    ( भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती के विशाल दुर्गा रूप का जन्म अच्छाई पर बुराई की जीत के लिए हुआ था। जो भी देवी दुर्गा की पूजा सच्चे मन से करता है उन्हें देवी सभी बुरी शक्तियों से बचाती है। यदि आप अपने शत्रुओं से परेशान है, घर में नकरात्मक ऊर्जा से गृह कलेश हो रहे हैं तो आपको Durga Kavach अवश्य ही धारण करना चाहिए।। )
    Durgiana Mandir Amritsar
    Durgiana Mandir Amritsar

    दुर्गियाना मंदिर अमृतसर का इतिहास हिंदी में | Durgiana Mandir Amritsar history in hindi 

    जिसे लक्ष्मीनारायण मंदिर, दुर्गा तीर्थ और शीतला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का नाम दुर्गियाना इसलिए रखा गया क्योंकि यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। देवी दुर्गा पार्वती का विशाल और विकराल रूप है जिनका जन्म राक्षसों और असुरों के सर्वनाश के लिए हुआ था।

    दुर्गियाना मंदिर कब बना? | Durgiana Mandir Kab bana

    दुर्गा के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक दुर्गियाना मंदिर दुर्गियाना मंदिर (Durgiana Mandir) के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में किया गया और इसका पुनर्निर्माण 20वीं शताब्दी यानी साल 1921 में गुरु हरसाई मल कपूर द्वारा एकत्रित किये गए धन से हुआ था।
    Durgiana mandir photo
    Durgiana mandir photo

    दुर्गियाना मंदिर क्यों प्रसिद्ध है? | Durgiana Mandir kyu prasid hai

    इसकी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत ने पिछले कुछ वर्षों में कई पर्यटकों को आकर्षित किया है । मां दुर्गा को समर्पित, दुर्गियाना मंदिर (Durgiana Temple )लक्ष्मी नारायण मंदिर के रूप में भी प्रसिद्ध है, जो हिंदू धर्मग्रंथों का एक प्रसिद्ध भंडार है। दुर्गियाना मंदिर (Durgiana Mandir) की खास बात इसका स्वरूप है जो स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है।

    दुर्गियाना मंदिर कितना पुराना है? | Durgiana Mandir kitna purana hai

    मूल मंदिर 16वीं शताब्दी में बनाया गया था। श्री दुर्गियाना मंदिर (Durgiana Mandir) की वास्तुकला श्री हरमंदिर साहिब के समान है। इसका निर्माण 1921 में गुरु हरसाई मल कपूर द्वारा सिख श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) की स्थापत्य शैली में किया गया था।
    Durgiana mandir Amritsar punjab
    Durgiana mandir Amritsar punjab

    दुर्गियाना मंदिर पूजा विधि | Durgiana Mandir puja vidhi

    दुर्गियाना मंदिर (Durgiana Mandir) में सबसे पहले प्रवेश करते ही एक अखंड प्रज्वलित दिखाई देगी। इस स्थान पर दुर्गा के अन्य रूप कहे जाने वाले शीतला माता की पूजा-अर्चना की जाती है। इधर परिसर में माता सीता और हनुमान के मंदिर भी है। इसी के साथ लक्ष्मी नारायण मंदिर सरोवर के ठीक मध्य में दिखाई देगा जिसकी छतरी और गुम्बद।

    Durgiana mandir ki aarti

    दुर्गा जी की आरती: ॐ जय अम्बे गौरी…

    जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

    तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

    ॐ जय अम्बे गौरी..॥

    मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

    उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

    ॐ जय अम्बे गौरी..॥

    कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।

    रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

    ॐ जय अम्बे गौरी..॥

    केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।

    सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

    ॐ जय अम्बे गौरी..॥

    कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

    कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

    ॐ जय अम्बे गौरी..॥

    शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।

    धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

    ॐ जय अम्बे गौरी..॥

    चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

    मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

    ॐ जय अम्बे गौरी..॥

    ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।

    आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

    ॐ जय अम्बे गौरी..॥

    चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।

    बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

    ॐ जय अम्बे गौरी..॥

    तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

    भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥

    ॐ जय अम्बे गौरी..॥

    भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।

    मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

    ॐ जय अम्बे गौरी..॥

    कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

    श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

    ॐ जय अम्बे गौरी..॥

    श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।

    कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

    ॐ जय अम्बे गौरी..॥

    जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

     
     

     

     

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