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    Home » Maharishi Bhrigu – जानिये आखिर क्यों भगवान विष्णु की छाती पर महर्षि भृगु ने मारी थी लात
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    Maharishi Bhrigu – जानिये आखिर क्यों भगवान विष्णु की छाती पर महर्षि भृगु ने मारी थी लात

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiDecember 30, 2023Updated:December 30, 2023
    maharishi bhrigu
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    महर्षि भृगु (Maharishi Bhrigu) को ब्रह्मा जी का मानस पुत्र कहा जाता है। महर्षि भृगु की पत्नी का नाम ख्याति था जो दक्ष की पुत्री थीं। इनके बारे में कहा जाता है कि वे सावन और भाद्रपद के महीने में सूर्य के रथ पर सवार रहते हैं।

    एक बार जब सभी ऋषि-मुनि सरस्वती नदी के निकट इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि त्रिदेव (Tridev God) कहे जाने वाले ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से सबसे सर्वश्रेष्ठ कौन है? काफी देर तक बातचीत करने के बाद भी इस विषय पर कोई निष्कर्ष निकलता नहीं दिखाई दे रहा था। निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए उन्होंने एक समाधान निकाला कि वे त्रिदेवों की परीक्षा लेंगे। ऋषि-मुनियों ने इस परीक्षा के कार्य के लिए महर्षि भृगु (Maharishi Bhrigu) को नियुक्त किया।  

    इसके बाद महर्षि भृगु सबसे पहले ब्रह्मा जी (Brahma Ji) पास जाते हैं वे न तो उन्हें प्रणाम करते है और न ही उनकी स्तुति करते हैं। यह देख ब्रह्मा जी को महर्षि भृगु पर बहुत क्रोध आता है। उनका क्रोध इतना अधिक बढ़ जाता है कि मुख बिल्कुल लाल हो जाता है। आग जैसा ब्रह्मा जी का क्रोध अंगारों में बदल गया। कुछ क्षणों बाद उन्होंने अपना गुस्सा ठंडा करने का प्रयास किया यह सोचकर कि आखिर भृगु हैं तो उनके पुत्र ही। इस प्रकार उनकी विवेक बुद्धि ने क्रोध को दबा लिया।  

    rishi bhrigu
    rishi bhrigu

    ब्रह्मा जी से भेंट करने के बाद महर्षि भृगु भगवान शिव (Bhagwan Shiva) से मिलने कैलाश पहुंचे। भगवान शिव ने जैसे ही महर्षि भृगु (Maharishi Bhrigu) को आते देखा वे प्रसन्न हो उठे और अपने आसन पर जाकर बैठ गए। इसके बाद भगवान् शिव ने उनका आलिंगन करने के लिए अपनी भुजाएं खोलीं। 

    परन्तु महर्षि उनका आलिंगन अस्वीकार कर देते हैं और कहते हैं कि महादेव अपने हमेशा ही धर्म, वेदों की मर्यादा का उल्लंघन किया है। आप इन दुष्ट राक्षसों व असुरों को जो वरदान देते हैं उनके कारण सृष्टि को कई प्रकार के संकटों का सामना करना पड़ता है। आपकी इन गलतियों की वजह से मैं आपका आलिंगन कदापि स्वीकार नहीं करूँगा।  

    महर्षि भृगु (Maharishi Bhrigu)के मुख से यह सब बातें सुनकर वे गुस्से में लाल हो उठे। उनका क्रोध इतना अधिक बढ़ गया कि वे त्रिशूल उठाकर भृगु पर प्रहार करने लगे परन्तु बीच में देवी सती आ गईं। फिर उन्होंने अनुनय-विनय करके किसी तरह महादेव का क्रोध शांत किया। 

    bhrigu rishi
    bhrigu rishi

    इस घटना के बाद महर्षि भृगु ने बैकुंठ धाम की ओर प्रस्थान किया। उस समय भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) देवी लक्ष्मी (Devi Lakshmi) की गोद में सिर रखकर विश्राम कर रहे थे।महर्षि भृगु (Maharishi Bhrigu) ने जाते ही भगवान विष्णु के वक्ष स्थल पर लात मारी। भगवान विष्णु तुरंत उठ खड़े हुए और कहा कि हे! भगवन आपके पैर पर चोट तो नहीं लगी? मुझे आपके आने का ज्ञान नहीं था। यहाँ आसन पर विश्राम कीजिये।

    भगवान विष्णु ने आगे कहा कि आपके चरणों के स्पर्श से मैं धन्य हो गया। भगवान विष्णु का उनके प्रति प्रेम देख महर्षि भृगु (Maharishi Bhrigu) के आँखों में आंसू आ गए। अंत में वे सभी ऋषि-मुनियों के पास पहुंचे और सारी कहानी विस्तार से कह सुनाई। उनकी कहानी सुनकर सभी ऋषि-मुनि आश्चर्यचकित रह गए। साथ ही सभी के संदेह दूर हुए। इस घटना के बाद से ही वे भगवान विष्णु को सर्वश्रेष्ठ मानकर उन्हें पूजने लगे यानी वे सभी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि त्रिदेवों में भगवान विष्णु ही सर्वश्रेष्ठ हैं।

    bhrigu
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    (भगवान विष्णु का निराकार रूप कहे जाने वाले शालिग्राम को पूजने से घर में सुख-समृद्धि आती है। इसमें वातावरण में मौजूद सारी नकारात्मक ऊर्जा को अपने समाहित करने और उसके बदले में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाने की अद्भुत क्षमता होती है। ध्यान रहे कि वह शालिग्राम असली होना चाहिए।  यदि आप Original Shaligram खरीदने के इच्छुक है तो prabhubhakti.in से आज ही Online order करें।)

    ऋषि भृगु कौन थे in Hindi? | Maharshi Bhrigu kon the in hindi (bhrigu rishi kaun the)

    भृगु ऋषि का इतिहास – वेद पुराणादि के प्रमाणिक पात्र महर्षि भृगु (Maharishi Bhrigu) का जन्म लाखो वर्ष पूर्व ब्रह्मलोक-सुषा नगर ) में हुआ था। ये आज सनातनी धर्मग्रंथों में वर्णित ब्रम्हा के पुत्र थे | ये अपने माता-पिता से सहोदर दो भाई थे। इनके बड़े भाई का नाम अंगिरा ऋषि था। जिनके पुत्र बृहस्पतिजी हुए जो देवगणों के पुरोहित-देवगुरू के रूप में जाने जाते हैं।
    Maharishi Bhrighuji
    Maharishi Bhrighuji

    भृगु ऋषि के माता पिता कौन थे? | Bhrigu Rishi ke mata pita kon the

    महर्षि भृगु (Maharishi Bhrigu) का जन्म प्रचेता ब्रह्मा की पत्नी वीरणी के गर्भ से हुआ था। अपनी माता से ये दो भाई थे। इनके बडे भाई का नाम अंगिरा था।

    भृगु ऋषि ने विष्णु भगवान को लात क्यों मारी? | Bhrigu Rishi ne Vishnu bhagwan  ko laat kyu maare

    उस समय श्री विष्णु जी शयन कर रहे थे। महर्षि भृगुजी को लगा कि हमें आता देख विष्णु सोने का नाटक कर रहे हैं। उन्होंने अपने दाहिने पैर का आघात श्री विष्णु जी की छाती पर कर दिया। महर्षि के इस अशिष्ट आचरण पर विष्णुप्रिया लक्ष्मी जो श्रीहरि के चरण दबा रही थी, कुपित हो उठी।
    Maharishi Bhrighuji
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    भृगु ऋषि की कथा | Bhrigu Rishi ki katha – भृगु ऋषि की कहानी

    इस प्रकार भृगु विष्णु  (bhrigu rishi)और इसलिए धर्म को पृथ्वी पर लाने से जुड़े हैं। भृगु के बारे में सबसे प्रसिद्ध कहानी यह है कि वह यह पता लगाना चाहते थे कि दुनिया में सबसे महान देवता कौन है: ब्रह्मा, विष्णु या शिव। भृगु (Bhrigo) ने ब्रह्मा को ध्यान में बहुत व्यस्त पाया, और इसलिए उन्होंने ब्रह्मा को शाप दिया कि उनकी पूजा कभी भी मनुष्यों द्वारा नहीं की जाएगी।

    भृगु ऋषि का जन्म कैसे हुआ? | Bhrigu Rishi ka janam kaise hua

    महर्षि भृगु का जन्म प्रचेता ब्रह्मा की पत्नी वीरणी के गर्भ से हुआ था। अपनी माता से ये दो भाई थे। इनके बडे भाई का नाम अंगिरा था।

    भृगु ऋषि मंत्र | Bhrigu Rishi mantra

    ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीबटुक-भैरवाय आपदुद्धारणाय महान्-श्याम-स्वरूपाय दिर्घारिष्ट-विनाशाय नाना प्रकार भोग प्रदाय मम (यजमानस्य वा) सर्वरिष्टं हन हन, पच पच, हर हर, कच कच,राज-द्वारे जयं कुरू कुरू,व्यवहारे लाभं वृद्धिं वृद्धिं,रणे शत्रुन् विनाशय विनाशय,पूर्णा आयुः कुरू कुरू,स्त्री-प्राप्तिं कुरू कुरू,हुम् फट् स्वाहा।।
     
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