एक ऐसा मंदिर जंहा पर पड़ती है शिवलिंग (Sphatik Shivling ) पर एक रहस्य्मयी छाया। आखिर कहा से आती है ये छाया और शिवलिंग हमेशा रहता है इस छाया की गोद में? दोस्तों इस रहस्य से आज भी कोई पर्दा नहीं उठा पाया है। आखिर इस मंदिर का रहस्य विज्ञान जगत के लिए आज भी क्यों बना हुआ है एक पहेली? क्या शिवलिंग पर पड़ने वाली छाया कोई अदृश्य शक्ति है या फिर छाया के रूप में प्रकट है साक्षात् देवी पार्वती। आखिर किसने किया इस चमत्कारी मंदिर का निर्माण? आखिर क्यों रहता है शिवलिंग हर समय छाया की दृष्टि में? कहाँ पर स्थित है ये रहस्यमयी मंदिर ये जानने के लिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ियेगा।
भगवान शिव का रहस्यमयी मंदिर ( Bhagwan Shiv ka Rahasyamayi Mandir )
दोस्तों एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर (Mysterious Temple) जंहा पर शिवलिंग ( Shivling ) के सामने न कोई खम्भा है और न ही ऐसी कोई वस्तु जिसकी छाया शिवलिंग पर पड़े, लेकिन फिर भी हमेशा इस मंदिर के शिवलिंग पर छाया बनी रहती है। ये रहस्यमयी मंदिर स्थित है हैदराबाद के नालगोंडा में स्थित है, जंहा पर एक अति प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। ये मंदिर आज से लगभग आठ सौ साल पुराना है परन्तु इसका रहस्य उतना ही गूढ़ है।
मंदिर की ख़ास बात ये है कि शिवलिंग के सामने एक भी स्तम्भ नहीं है लेकिन बाहर दो पिलर बने हुए है। परन्तु चौंका देने वाली बात ये है कि अगर कोई भी इन दोनों पिलर के आगे खड़ा भी हो जाए लेकिन शिवलिंग पर पड़ने वाली छाया जस की तस बनी रहती है। कई लोग इस रहस्यमयी छाया को देवी पार्वती का प्रतीक मानते हैं। उनके अनुसार देवी पार्वती हमेशा शिवलिंग पर छाया रूप में बनी रहती है। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि मंदिर के गर्भ गृह में एक भी खम्भा नहीं है जिसकी परछाई शिवलिंग पर पड़ती हो।
क्या इस Shivling के सामने एक अदृश्य खम्बा है या कोई अदृश्य शक्ति? परन्तु इस रहस्य ने पूरे विज्ञान जगत को हिलाकर रख दिया है। जब इस रहस्य के बारे में वैज्ञानिकों को पता चला तो वे इस रहस्य की गुत्थी को सुलझाने के लिए छाया सोमेश्वर मंदिर में आए लेकिन इस गुत्थी में वे खुद ही उलझ गए।
काफी समय बाद विज्ञान जगत ने इसे प्रकाश का विवर्तन थ्योरी का नाम दिया है, जिसमें प्रकाश के रास्ते में यदि कोई अवरोध आए या फिर सूर्य से निकलने वाली किरणें ही उस अवरोध से टकराकर अपना मार्ग बदल लेती है जिसके कारण उस अवरोध की छाया बन जाती है। वैज्ञानिकों ने इसे विज्ञान की तर्ज पर एक थ्योरी का नाम तो दिया है लेकिन इस रहस्य से वे पूरी तरह पर्दा नहीं उठा पाए हैं।
अगर विज्ञान के अनुसार इस चमत्कार को प्रकाश का विवर्तन मान भी लिया जाए परन्तु एक हैरान कर देने वाली बात सामने आती है कि क्या 800 साल पहले भी विज्ञान इतना आगे बढ़ गया था? क्या उन्हें प्रकाश के विवर्तन की थ्योरी पहले से ही पता थी? दोस्तों आप इस मंदिर के बारे में क्या कहना चाहेंगे? क्या वाकई में शिवलिंग पर पड़ने वाली परछाई प्रकाश के विवर्तन की थ्योरी है या फिर भगवान शिव (Bhagwan Shiv) का यह कोई चमत्कार है ? अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर साझा कीजियेगा। अगर आपके आस-पास या आपके साथ कोई ऐसी घटना घटित हुई है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है तो आप हमारे साथ जरूर साझा कीजियेगा।