अमरनाथ मंदिर कहाँ है? ( Amarnath Mandir kahan hai? )
अमरनाथ मंदिर ( Amarnath Temple ) हिमालय की पहाड़ियों में कश्मीर के श्रीनगर शहर से उत्तर पूर्व की ओर करीब 135 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। इस मंदिर की समुद्र तल से ऊंचाई 13,600 फुट है। जबकि अमरनाथ की गुफा 11 मीटर ऊँची है। हिन्दू धर्म में भगवान शिव को समर्पित अमरनाथ का मंदिर एक पवित्र तीर्थ स्थल है जिसे तीर्थों के तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन समय में इस स्थान को अमरेश्वर के नाम से पुकारा जाता था।
अमरनाथ गुफा का इतिहास ( Amarnath Temple History in Hindi )
इतिहासकारों की मानें तो अमरनाथ गुफा का इतिहास आज से 5 हजार वर्ष प्राचीन माना जाता है। कहा जाता है कि गुफा महाभारत के समय मौजूद है। यह पवित्र स्थान काशी और चार धाम यात्रा से भी अधिक महत्वपूर्ण है जहाँ दर्शन करने से हजार गुना पुण्य की प्राप्ति होती है।
अमरनाथ की कहानी क्या है? ( What is the story of Amarnath? )
अमरनाथ की कथा ( Amarnath ki Katha ) इस प्रकार है कि भगवान शिव ने माता पार्वती को इस स्थान पर कहानी या मंत्र सुनाया था जिसका संबंध अमरता प्राप्त करने से था। भगवान शिव अमरता की इस कहानी को किसी को सुनाना नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने एक स्थान को चुना और उस दिशा में चल पड़े। अपने इस मार्ग में उन्होंने अपने द्वारपाल बैल नंदी, सर्प, चंद्रमा और अपने पुत्र गणेश समेत सब का त्याग कर दिया। इतना ही नहीं इन सभी का त्याग करने के साथ ही उन्होंने पंचतत्वों का भी त्याग कर दिया।
भगवान शिव के त्याग से ही यह हमें पता चलता है कि वे वाकई में अमरता के इस रहस्य को सभी से दूर रखना चाहते थे। अगर यह रहस्य सभी को पता चल जाता तो प्रकृति का संतुलन बिगड़ सकता था। इस प्रकार सभी का त्याग करते हुए भगवान शिव माता पार्वती को लेकर अमरनाथ गुफा पहुंचे और उन्हें अमरता के कथा सुनाई। अपनी कथा को सुनाने से पूर्व उन्होंने यह सुनिश्चित किया था कि उस गुफा में कोई भी मौजूद न हो लेकिन इसके बावजूद इस स्थान पर शुक नामक पक्षी बैठा था जो उस कथा को बड़े ही ध्यानपूर्वक सुन रहा था।
भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि मेरे कथा सुनने के दौरान तुम बीच – बीच में हुंकार भरती रहना ताकि मैं निरंतर कथा सुनाता रहूं। भगवान शिव ने अब कथा सुनाना शुरू कर लिया और देवी पार्वती हुंकार भरती रहीं परंतु एक समय ऐसा आया जब पार्वती जी को नींद आ गई। शिव ने कथा सुनाना जारी रखा तो पक्षी हुंकार देने लगा। इस पर भगवान शिव को संदेह हुआ कि कोई और उनकी कथा सुनकर हुंकार भर रहा है।
इसके बाद भगवान शिव उस पक्षी को मारने के लिए उसके पीछे दौड़े पर तब तक वह पक्षी बहुत ज्ञानी हो चुका था। अपने ज्ञान के बलबूते वह पक्षी माया का सहारा लेकर व्यास जी की पत्नी के गर्भ में धारण हो गया। सबसे आश्चर्य की बात कि वह शुक नामक पक्षी व्यास जी की पत्नी के गर्भ में लगभग 12 वर्षों तक रहा। यह देख भगवान विष्णु ने उनसे बाहर आने का आग्रह किया। तब जाकर वह पक्षी शुकदेव के रूप में पैदा हुए और संन्यासी बन गए।
अमरनाथ गुफा में अक्सर एक कबूतर का जोड़ा दिखाई दिया करता है। ऐसा माना जाता है कि ये कबूतर अमर हैं क्योंकि किसी के अनुसार वे शिव के गण हैं जबकि कुछ का मानना है कि इन्होंने भी भगवान शिव की अमरता की कथा सुनी थी।
कबूतर की अमरता के बारे में इसलिए कहा जाता है कि अमरनाथ के पूरे इलाके में भारी बर्फबारी होती है और इतनी ठंड के बावजूद यह जोड़ा हमेशा वहां मौजूद रहता है। अमरनाथ गुफा के बारे में ऐसी मान्यताएं भी प्रचलित है कि यहां आने वाले हर भक्त को मोक्ष को प्राप्ति होती है और मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है।
भगवान शिव के त्याग से ही यह हमें पता चलता है कि वे वाकई में अमरता के इस रहस्य को सभी से दूर रखना चाहते थे। अगर यह रहस्य सभी को पता चल जाता तो प्रकृति का संतुलन बिगड़ सकता था। इस प्रकार सभी का त्याग करते हुए भगवान शिव माता पार्वती को लेकर अमरनाथ गुफा पहुंचे और उन्हें अमरता के कथा सुनाई। अपनी कथा को सुनाने से पूर्व उन्होंने यह सुनिश्चित किया था कि उस गुफा में कोई भी मौजूद न हो लेकिन इसके बावजूद इस स्थान पर शुक नामक पक्षी बैठा था जो उस कथा को बड़े ही ध्यानपूर्वक सुन रहा था।
भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि मेरे कथा सुनने के दौरान तुम बीच – बीच में हुंकार भरती रहना ताकि मैं निरंतर कथा सुनाता रहूं। भगवान शिव ने अब कथा सुनाना शुरू कर लिया और देवी पार्वती हुंकार भरती रहीं परंतु एक समय ऐसा आया जब पार्वती जी को नींद आ गई। शिव ने कथा सुनाना जारी रखा तो पक्षी हुंकार देने लगा। इस पर भगवान शिव को संदेह हुआ कि कोई और उनकी कथा सुनकर हुंकार भर रहा है।
इसके बाद भगवान शिव उस पक्षी को मारने के लिए उसके पीछे दौड़े पर तब तक वह पक्षी बहुत ज्ञानी हो चुका था। अपने ज्ञान के बलबूते वह पक्षी माया का सहारा लेकर व्यास जी की पत्नी के गर्भ में धारण हो गया। सबसे आश्चर्य की बात कि वह शुक नामक पक्षी व्यास जी की पत्नी के गर्भ में लगभग 12 वर्षों तक रहा। यह देख भगवान विष्णु ने उनसे बाहर आने का आग्रह किया। तब जाकर वह पक्षी शुकदेव के रूप में पैदा हुए और संन्यासी बन गए।
अमरनाथ गुफा में अक्सर एक कबूतर का जोड़ा दिखाई दिया करता है। ऐसा माना जाता है कि ये कबूतर अमर हैं क्योंकि किसी के अनुसार वे शिव के गण हैं जबकि कुछ का मानना है कि इन्होंने भी भगवान शिव की अमरता की कथा सुनी थी।
कबूतर की अमरता के बारे में इसलिए कहा जाता है कि अमरनाथ के पूरे इलाके में भारी बर्फबारी होती है और इतनी ठंड के बावजूद यह जोड़ा हमेशा वहां मौजूद रहता है। अमरनाथ गुफा के बारे में ऐसी मान्यताएं भी प्रचलित है कि यहां आने वाले हर भक्त को मोक्ष को प्राप्ति होती है और मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है।
अमरनाथ गुफा की खोज कब हुई? ( Who built Amarnath Temple? )
कश्मीर समेत पूरे भारत में अमरनाथ गुफा ( Amarnath Cave ) की खोज से संबंधित यह कहानी बहुत ही लोकप्रिय है कि इसकी खोज बूटा मालिक नामकर गड़रिये ने की थी। भेड़ चराने वाला बूटा मालिक ( Buta Malik ) एक बार भेड़ चराते हुए बहुत निकल गया। जब वह बर्फीले और सुनसान इलाके में पहुंचा तो उसकी मुलाकात एक साधु से हुई। उस साधु ने बूटा को कोयले से भरी एक कांगड़ी दे दी।
जब बूटा वह कांगड़ी लेकर घर पहुंचा तो उसने कोयले की जगह उस स्थान पर सोना पाया। बूटा यह देखकर साधु का धन्यवाद करने उस स्थान पर पहुंचा तो उसे वहां कोई साधु तो नहीं मिला पर एक विशाल गुफा मिली। बूटा ने उस गुफा में जाकर देखा तो भगवान शिव वहां बर्फीले शिवलिंग के आकार में स्थापित हैं। बूटा ने यह बात गाँव के मुखिया को बताई और देखते ही देखते सभी इस गुफा के जानने लगे। इस तरह अमरनाथ की गुफा लोकप्रिय हुई और भक्त यहाँ दर्शन के लिए आने लगे।
जब बूटा वह कांगड़ी लेकर घर पहुंचा तो उसने कोयले की जगह उस स्थान पर सोना पाया। बूटा यह देखकर साधु का धन्यवाद करने उस स्थान पर पहुंचा तो उसे वहां कोई साधु तो नहीं मिला पर एक विशाल गुफा मिली। बूटा ने उस गुफा में जाकर देखा तो भगवान शिव वहां बर्फीले शिवलिंग के आकार में स्थापित हैं। बूटा ने यह बात गाँव के मुखिया को बताई और देखते ही देखते सभी इस गुफा के जानने लगे। इस तरह अमरनाथ की गुफा लोकप्रिय हुई और भक्त यहाँ दर्शन के लिए आने लगे।
अमरनाथ मंदिर की विशेषता क्या है? ( What is special about Amarnath Temple? )
कश्मीर की बर्फीली घाटियों में तीर्थो के तीर्थ कहे जाने वाले अमरनाथ मंदिर ( Amarnath Mandir ) की विशेषता यह है कि यहाँ दर्शन करने वालों को हजार गुना पुण्य की प्राप्ति होती है। काशी के बाद मोक्ष प्राप्ति के लिए इस स्थान का अपना लाग महत्व है। इसी स्थान पर भगवान शिव ने अपनी अर्धांग्नी पार्वती जी को अमरत्व की कथा सुनाई थी। यहाँ प्राकृतिक रूप से बर्फ से बना स्वयंभू शिवलिंग मौजूद है जिसे हिमानी शिवलिंग के नाम से भी जाना जाता है।
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