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    Home » Maa Chinnamasta Temple : हजारों वर्ष प्राचीन मंदिर का रहस्य, माता की गर्दन से बहता है खून
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    Maa Chinnamasta Temple : हजारों वर्ष प्राचीन मंदिर का रहस्य, माता की गर्दन से बहता है खून

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiJanuary 10, 2024Updated:January 10, 2024
    Maa Chinnamasta Temple
    Maa Chinnamasta Temple
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    Maa Chinnamasta Temple – छिन्नमस्तिके मंदिर झारखंड को दूसरा बड़ा शक्तिपीठ (Shakti Peeth)? आखिर क्यों करते हैं भक्त इस सर कटी माता की पूजा? आखिर क्या है इस 6000 साल पुराने मंदिर का रहस्य ( Mandir ka Rahasya )? आखिर क्यों है माता के गले में सर्प और मुंडमाला? क्यों निकलती है मां के गर्दन से खून की तीन धाराएं?

    माँ छिन्नमस्तिका की कहानी ( Maa Chinnamasta story in hindi )

    दोस्तों झारखंड के रजरप्पा में स्थित माता का यह दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है जिसे रजरप्पा मंदिर ( Rajrappa Mandir ) के नाम से भी जाना जाता है। यह Rajrappa Mandir Jharkhand माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है। जंहा पर माता अपनी ही गर्दन से निकले हुए रक्त का पान कर रही है।  छिन्नमस्तिका मंदिर  ( Chinnamasta Mandir ) के नाम से जाना जाने वाला ये मंदिर बहुत ही रहस्यमयी (Mysterious Temple) है। इस मंदिर में Chinnamasta Kali अपने कटे हुए सर को लेकर अपनी दो सहेलियों डाकिनी और साकिनी के साथ खड़ी है। माँ भवानी की गर्दन से खून की तीन धाराएं निकल रही है, साथ ही उनके एक हाथ में तलवार है और दूसरे हाथ में उन्होंने अपना कटा हुआ सर पकड़ा हुआ है।  

    गले में सर्प तथा मुंडमाला धारण की हुई है और उनके तीन नेत्र भी है। Maa Chinnamasta का दायां पैर आगे की तरफ है और बायां पैर पीछे की तरफ है। माँ भवानी इस मंदिर में अपने विकराल रूप में  विराजमान है। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि आखिर देवी भवानी की गर्दन से खून कैसे निकला और उन्होंने अपने ही सर को अपने हाथ में क्यों पकड़ा हुआ है? इसके पीछे भी एक पौराणिक पौराणिक कथा छिपी हुई है।  

    दोस्तों माना जाता है कि एक बार देवी Chinnamasta अपनी दो सखियों जाया और विजया के साथ नदी में स्नान के लिए गयी थी। स्नान के पश्चात् माता की दोनों सखियों को बहुत भूख लगने लगी, भूख के कारण उनका शरीर काला पड़ने लगा । तभी उन्होंने देवी से कहा कि उन्हें भूख लगी है लेकिन माँ भवानी ने उन्हें थोड़ी देर विश्राम करने को कहा। परन्तु जब दोनों सखियाँ भूख से तड़प गयी तो उन्होंने फिर से माँ भवानी को ये बात याद दिलाई।
    Chhinnamasta temple
    Chhinnamasta temple
    माता से भी अपनी सहेलियों को भूख से तड़पते हुए नहीं देखा गया और उन्होंने अपना सर धड़ से अलग कर दिया। ऐसा करने से माता की गर्दन से खून की तीन धाराएं बहने लगी, उन्होंने दो धाराओं से अपनी सहेलियों को रक्त-पान करवाया तथा खुद भी किया। माता को अपने सर को छिन्न कर देने के कारण ही उनका नाम छिन्नमस्तिका ( Chinnamasta ) पड़ा।  

    छिन्नमस्तिका देवी ( Chinnamasta Devi ) काली का चंडिका स्वरुप है जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक हैं। देवी बुराई का सर्वनाश करने के लिए विशेष तौर पर जानी जाती हैं। कहते हैं इनकी कृपा से काले जादू का बुरा प्रभाव और हर प्रकार के भय खत्म हो जाते हैं। इनकी कृपा पाने के लिए काली कवच (Kali Kavach) को धारण करें इसमें शामिल अलौकिक और चमत्कारिक शक्तियां आपके आभामंडल में कवच बनाकर आपकी रक्षा करेंगी।

    छिन्नमस्तिका मंदिर का इतिहास ( History of Chhinmastika Temple )

    दोस्तों Chinnamasta Mandir को महाभारत कालीन का भी बताया गया है, साथ ही इस मंदिर का उल्लेख कई पुराणों में भी हुआ।  माना जाता है कि इस मंदिर में जो भी आता है उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है इसलिए इसे मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी भी कहा जाता है।  इस मंदिर के साथ साथ यंहा अन्य देवी देवताओं के सात और मंदिर हैं तथा मंदिर के सामने बलि का एक स्थान भी बना हुआ है, जहां पर तकरीबन सौ से दो सौ बकरों की बलि दी जाती है।
    Chhinnamasta mandir
    Chhinnamasta mandir

    Maa Chinnamasta Temple के पास दामोदर नदी तथा भैरवी नदी का अनोखा संगम है। पुरातत्व विभाग आज भी इस मंदिर के निर्माण का सटीक प्रमाण नहीं दे पाया है, कोई इस मंदिर को महाभारत के समय का बताता है तो कोई इस मंदिर को 6000 साल पुराना बताता है। लेकिन ये मंदिर कितने समय पुराना है ये आज भी एक रहस्य बना हुआ है।  

    दोस्तों मां Chinnamasta के इस अद्भुत शक्तिपीठ के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे? क्या आपने कभी छिन्नमस्तिका मंदिर के बारे में सुना है? या फिर कभी आप इस मंदिर में गए हैं? अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर साझा कीजिएगा। अगर आपके आस-पास या आपके साथ कोई ऐसी घटना घटित हुई है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है तो आप हमारे साथ जरूर साझा कीजियेगा।

    रजरप्पा मंदिर का रहस्य | Rajrappa mandir ka rahasay – rajrappa mandir history in hindi

    Maa Chinnamasta Temple – छिन्नमस्तिके मंदिर झारखंड ( Jharkhand ) के रजरप्पा ( Rajrappa temple ) में स्थापित है। रामगढ़ ( Ramgarh ) से इसकी दूरी लगभग 28 किमी है। मंदिर में स्‍थापित माता की प्रतिमा में उनका कटा सिर उन्हीं के हाथों में है और उनकी गर्दन से रक्त की धारा प्रवाहित होती रहती है, जो दोनों और खड़ी दोनों सहायिकाओं के मुंह में जाता है।
    maa chinnamasta
    maa chinnamasta

    रजरप्पा मंदिर का इतिहास | Rajrappa Mandir history- Rajrappa mandir ki kahani

    पुराणों में  chhinmastika mandir rajrappa का उल्लेख शक्तिपीठ के रूप में मिलता है। मंदिर के निर्माण काल के बारे में पुरातात्विक विशेषज्ञों में मतभेद है। कई विशेषज्ञ का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण 6000 साल पहले हुआ था और कई इसे महाभारतकालीन का मंदिर बताते हैं। यहाँ कई मंदिर हैं जिनमें ‘अष्टामंत्रिका’ और ‘दक्षिण काली’ प्रमुख हैं।

    छिन्नमस्ता देवी कौन सी है? | Chhinmasta devi konse hai

    छिन्नमस्ता या ‘छिन्नमस्तिका’ या ‘प्रचण्ड चण्डिका’ दस महाविद्यायों में से एक हैं। छिन्नमस्ता देवी के हाथ में अपना ही कटा हुआ सिर है तथा दूसरे हाथ में खड्क है। कोलकाता के एक कालीपूजा मण्डप में छिन्नमस्ता।
    maa chinnamasta temple
    maa chinnamasta temple

    मां छिन्नमस्ता की कहानी क्या है? | Maa Chhinmasta ki kahani kya hai

    Maa Chinnamasta Temple – छिन्नमस्ता माता को मां पार्वती का स्वरूप माना जाता है जो कि काफी उग्र रूप में रहती हैं. छिन्नमस्ता माता के एक हाथ में स्वयं का ही कटा हुआ सिर रखा होता है. मान्यता है कि मां के इस रूप की सच्ची श्रद्धा से उपासना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. जीवन के सभी कष्टों का निवारण होता है.

    रजरप्पा मंदिर कहां है -रजरप्पा मंदिर कहां पर है | Rajrappa Mandir kahan hai – Rajrappa Mandir kahan sthit hai

    रजरप्पा मंदिर | रामगढ़ जिला, झारखंड सरकार | भारत  
    chinnmasta
    chinnmasta

    रजरप्पा में सती का कौन सा भाग गिरा था? | Rajrappa me sati ka konsa bhaag gira tha

    रजरप्पा उन आदि शक्तिस्थलों में से एक है जहां शिव की पहली पत्नी सती का कटा हुआ सिर गिरा था। चार अन्य शक्तिपीठ (बिमला, तारा तारिणी, दक्षिण कालिका और कामाख्या) हैं जहां सती के चार मुख्य अंग गिरे थे।

    रजरप्पा क्यों प्रसिद्ध है? | Rajrappa kyu prasid hai

    रजरप्पा एक हिंदू तीर्थस्थल है जो प्रतिदिन अनुमानित 2,500-3,000 लोगों को आकर्षित करता है । यहां स्थित छिन्नमस्ता (जिसे छिन्नमस्तिका भी कहा जाता है) मंदिर का मुख्य आकर्षण देवी छिन्नमस्ता की बिना सिर वाली मूर्ति है जो कमल के बिस्तर पर कामदेव और रति के शरीर पर खड़ी है।
    chinmastika mata
    chinmastika mata

    छिन्नमस्ता किसकी देवी है? | Chinnmasta kiski devi hai

    Maa Chinnamasta Temple – छिन्नमस्ता विरोधाभासों की देवी हैं। वह देवी के दोनों पहलुओं का प्रतीक है: जीवन देने वाली और जीवन लेने वाली। व्याख्या के आधार पर, उसे यौन आत्म-नियंत्रण का प्रतीक और यौन ऊर्जा का अवतार दोनों माना जाता है।

    सबसे बड़ा शक्तिपीठ कौन सा है? | Sabse bada shaktipeeth konsa hai 

    इनमें से, कामाख्या, गया और उज्जैन के शक्ति पीठों को सबसे पवित्र माना जाता है क्योंकि वे देवी माँ के तीन सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं का प्रतीक हैं। सृजन (कामरूपा देवी), पोषण (सर्वमंगला देवी/मंगलागौरी), और संहार ।
    chinmastika
    chinmastika

    रजरप्पा मंदिर में किसका प्रतिमा है | Rajrappa Mandir me kiski pratima hai

    रजरप्पा के भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर मां छिन्नमस्तिका का मंदिर स्थित है। इस मंदिर को ‘प्रचंडचंडिके’ के रूप से भी जाना जाता है। मंदिर की उत्तरी दीवार के साथ रखे एक शिलाखंड पर दक्षिण की ओर रुख किए माता छिन्नमस्तिके का दिव्य रूप अंकित है।

    छिन्नमस्ता किसकी देवता हैं? | Chinnmasta kiski devta hai

    Maa Chinnamasta Temple – बौद्ध और हिंदू तांत्रिक देवी छिन्नमस्ता दिव्य स्त्री ऊर्जा का एक साहसी अवतार हैं । वह हमें देना और प्राप्त करना, आत्म-संरक्षण और बलिदान, प्रजनन और मृत्यु के बारे में सिखाती है।
    maa chinnamasta photo
    maa chinnamasta photo

    छिन्नमस्ता युगल पर क्यों खड़ी है? | Chinnmasta yogal par kyu khadee hai

    कामदेव  और रतिके मैथुनरत जोड़े पर खड़ी छिन्नमस्ता की छवि की व्याख्या कुछ विद्वानों द्वारा यौन इच्छा पर एक व्यक्ति के नियंत्रण के प्रतीक के रूप में की जाती है , जबकि अन्य देवी की व्याख्या करते हैं। यौन ऊर्जा का अवतार.

    छिन्नमस्ता देवी की पूजा कैसे करें? | Chinnmasta devi ki pooja kaise kare

    छिन्नमस्ता देवी की पूजा मंगलवार को या शाम को सूर्यास्त (संध्या समय) के दौरान की जाती है । अश्विनी, मूल या मख नक्षत्र के समय जन्मे लोगों को इस देवी की पूजा करनी चाहिए। जो साधक अपनी कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, उन्हें उनकी पूजा करनी चाहिए।
    maa chinnamasta images
    maa chinnamasta images

    छिन्नमस्ता मंत्र क्या है? | Chinnmasta mantra kya hai

    ॐ ऐं शिव शक्ति साईं सिद्धगुरु श्री रामानंद मारी गुरुभ्यो नमः ॐ ॐ श्री दशमहाविद्या देवताभ्यो नमः तंत्र शास्त्र प्रबोधित छिन्नमस्ता देवी महाविद्या 12 मंत्र हुं हूं स्वाहा एं ह्रीं क्रों क्लीं हूं ॐ स्वाहा श्रीं ह्रीं ह्रौं दं डाकिनी स्वाहायै नमः ॐ श्रीं ह्रीं ऐं वज्रवैरोचनये हूं हुं फट् स्वाहा ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं…

    छिन्नमस्ता पूजा क्यों की जाती है? | Chinnmasta pooja kyu ki jaate hai

    Maa Chinnamasta Temple – हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी छिन्नमस्ता को देवी काली का एक अनोखा रूप माना जाता है। वह जीवनदायिनी भी मानी जाती है और जीवनदायिनी भी। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त छिन्नमस्ता देवी की पूजा करते हैं, वे अपनी सभी कठिनाइयों और परेशानियों से मुक्त हो सकते हैं ।
     
     
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