ज्योतिष शास्त्र में राहु ( Rahu aspects in Astrology )
राहु ( Rahu in Astrology ) ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्वरभानु ( Svarbhānu ) का कटा हुआ सिर माना जाता है। यह बगैर धड़ के एक सर्प के रूप में दिखता है जो एक रथ पर सवार है जिसे आठ श्याम वर्ण के कुत्तों द्वारा खींचा जा रहा है। Rahu graha एक छाया ग्रह है जो ब्रह्माण्ड में खगोलीय पिंड के रूप में मौजूद नहीं है। यह सूर्य और चन्द्रमा को अपनी स्थिति के माध्यम से प्रभावित करता है।
यदि पूर्णिमा के समय में राहु ( Rahu Astrology ) चंद्र के बिंदु पर रहे तो पृथ्वी पर छाया पड़ती है जिससे चंद्र ग्रहण लगता है। जीवन में कोई भी ऐसी घटना जो अकस्मात घटित हो यह राहु के प्रभाव के चलते होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो आकस्मिकता का नाम राहु है। आइये जानते हैं Rahu Kaal से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल और उनके जवाबों के बारे में :
यदि पूर्णिमा के समय में राहु ( Rahu Astrology ) चंद्र के बिंदु पर रहे तो पृथ्वी पर छाया पड़ती है जिससे चंद्र ग्रहण लगता है। जीवन में कोई भी ऐसी घटना जो अकस्मात घटित हो यह राहु के प्रभाव के चलते होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो आकस्मिकता का नाम राहु है। आइये जानते हैं Rahu Kaal से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल और उनके जवाबों के बारे में :
राहु दोष के लक्षण ( Rahu Effects in hindi ) – Rahu grah ke lakshan
आइये जानते हैं Rahu Dosha Symptoms :
1. जब व्यक्ति झूठ अधिक कहने लगे,
2. नशे से जुड़े कार्यों में रूचि लेना,
3. अपनी नैतिक जिम्मेदारियों से दूर होना,
4. निष्ठाहीन की स्थिति बनना,
5. व्यक्ति में धोखधड़ी करने की भावना जागृत होना,
6. वायु तत्व के रूप में राहु पेट से जुड़ी बिमारियों को बढ़ाता है,
7. वाणी का स्वरुप अकस्मात बदलकर कठोर हो जाना,
8. बदनामी अत्यधिक होना, मान-सम्मान में कमी आना,
9. मानसिक तनाव की स्थिति बने रहना,
10. आत्मसंयम खोना।
राहु अच्छा होने के लाभ ( Rahu Benefits in hindi ) – Rahu acha hone ke lakshan
1. वाणी में मधुरता आना,
2. शुभ राहु की स्थिति में सेहत अच्छी रहना,
3. शत्रुओं पर जीत पाने में सक्षम होना,
4. बुरी परिस्थितियों से लड़ने की क्षमता रखना,
5. मान-सम्मान में वृद्धि होना,
6. नौकरी या व्यवसाय में खासकर राजनीति में सफलता प्राप्त होना,
7. भाग्य का हर कदम पर साथ देना,
8. आर्थिक उन्नति हासिल होना,
9. मानसिक स्थिरता और चिंतामुक्त रहना,
10. जिम्मेदारियों को पूरा करना
राहु को कैसे खुश करें? ( How can we reduce the negative effects of Rahu? )
आइये जानते हैं remedies for rahu :
1. यदि rahu dasha आपकी कुंडली में अशुभ फल दे रही है तो आपको राहु बीज मंत्र ( Rahu Beej Mantra ) का रोज़ 11 या 108 बार जाप करना चाहिए।
2. Rahu remedies बुधवार के दिन सरसों, सिक्का, नीले या भूरे रंग के वस्त्र और कांच की वस्तुएं दान करनी चाहिए।
3. Gomed Ring या Rahu Yantra Locket धारण करने से राहु दोष से मुक्ति मिलती है। इन सभी rahu ke upay के माध्यम से आप राहु के दुष्प्रभावों से छुटकारा पा सकते हैं।
1. यदि rahu dasha आपकी कुंडली में अशुभ फल दे रही है तो आपको राहु बीज मंत्र ( Rahu Beej Mantra ) का रोज़ 11 या 108 बार जाप करना चाहिए।
2. Rahu remedies बुधवार के दिन सरसों, सिक्का, नीले या भूरे रंग के वस्त्र और कांच की वस्तुएं दान करनी चाहिए।
3. Gomed Ring या Rahu Yantra Locket धारण करने से राहु दोष से मुक्ति मिलती है। इन सभी rahu ke upay के माध्यम से आप राहु के दुष्प्रभावों से छुटकारा पा सकते हैं।
राहु के प्रभाव कितने वर्षों तक रहता है? ( How long does the effect of Rahu last? )
Rahu Mahadasha का प्रभाव 2 वर्ष 8 माह और 11 का रहता है। जब तक rahu dosha का प्रभाव व्यक्ति पर रहता है उसे बुरी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है साथ ही मान-सम्मान में भी हानि होती है।
राहु की उत्पत्ति कैसे हुई? ( How was Rahu born? )
Rahu hindi : हिरण्यकश्यप ( hiranyakashyap ) की पुत्री सिंहिका का विवाह विप्रचिति से हुआ था। हालाँकि कुछ कहानियों में सिंहिका को महर्षि कश्यपऔर उनकी पत्नी दनु की पुत्री बताया गया है। साथ ही हिरण्यकश्यप की बहन भी बताया जाता है। सिंहिका और विप्रचिति का एक बहुत ही बुद्धिमान और शक्तिशाली पुत्र हुआ जिसका नाम स्वरभानु या राहु था।
समुद्र मंथन (Samudra Manthan)के दौरान अमृत को लेकर देवताओं और असुरों में भयानक लड़ाई हुई। अमृत ग्रहण करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर सभी असुरों को अपने मोहपाश में बाँधने का प्रयास किया। लेकिन राहु देवताओं की इस चाल को झट से समझ गए और देवता का रूप धारण कर सूर्य व चन्द्रमा के मध्य में अमृत ग्रहण करने के लिए बैठ गए।
जैसे ही भगवान विष्णु ( Bhagwan Vishnu ) राहु को अमृत पान करवाने लगे तभी सूर्य व चन्द्रमा को संदेह हुआ। उन्होंने अपना संदेह भगवान् विष्णु को बताया तो विष्णु ने शीघ्र ही सुदर्शन चक्र से राहु का सर धड़ से अलग कर दिया। उसी सिर को राहु नाम दिया गया है जबकि धड़ को केतु का नाम दिया गया।
मान्यता तो यह भी है कि ब्रह्मा ने rahu planet को सर्प का शरीर प्रदान किया था और Ketu को सर्प का सिर। सूर्य और चन्द्रमा ने उनका भेद खोला था जिस कारण राहु और केतु दोनों ही सूर्य और चन्द्रमा से अपनी शत्रुता दिखाते हुए ग्रहण लगाते हैं।
समुद्र मंथन (Samudra Manthan)के दौरान अमृत को लेकर देवताओं और असुरों में भयानक लड़ाई हुई। अमृत ग्रहण करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर सभी असुरों को अपने मोहपाश में बाँधने का प्रयास किया। लेकिन राहु देवताओं की इस चाल को झट से समझ गए और देवता का रूप धारण कर सूर्य व चन्द्रमा के मध्य में अमृत ग्रहण करने के लिए बैठ गए।
जैसे ही भगवान विष्णु ( Bhagwan Vishnu ) राहु को अमृत पान करवाने लगे तभी सूर्य व चन्द्रमा को संदेह हुआ। उन्होंने अपना संदेह भगवान् विष्णु को बताया तो विष्णु ने शीघ्र ही सुदर्शन चक्र से राहु का सर धड़ से अलग कर दिया। उसी सिर को राहु नाम दिया गया है जबकि धड़ को केतु का नाम दिया गया।
मान्यता तो यह भी है कि ब्रह्मा ने rahu planet को सर्प का शरीर प्रदान किया था और Ketu को सर्प का सिर। सूर्य और चन्द्रमा ने उनका भेद खोला था जिस कारण राहु और केतु दोनों ही सूर्य और चन्द्रमा से अपनी शत्रुता दिखाते हुए ग्रहण लगाते हैं।
राहु केतु के पिता कौन थे? ( Father of Rahu-Ketu )
राहु और केतु के पिता का नाम विप्रचित्ति और माता का नाम सिंहिका था। विप्रचित्ति महर्षि कश्यप और और उनकी पत्नी दनु के पुत्र थे।
राहु ग्रह के देवता कौन है? ( Rahu graha ke devta kaun hai? )
राहु की देवी माता सरस्वती जी मानी जाती है। जब राहु शुभ स्थिति में होता है तो व्यक्ति में साहित्यकार, दार्शनिक और रहस्यमयी विद्याओं के गुण पनपने लगते हैं। इन क्षेत्रों में फिर व्यक्ति खूब तरक्की हासिल करता है।
राहु किसका कारक है? ( Rahu kiska karak hai? )
राहु अशुभ स्थिति में दुखों का कारक माना जाता है। कहा जाता है कि राहु मंगल के प्रभाव को भी शून्य कर देता है क्योंकि राक्षसी ग्रह में राहु सबसे ताकतवर होता है।
राहु के मित्र ग्रह कौन से हैं? | Rahu ki mitr grah konse hai
राहु के मित्र ग्रह बुध, शुक्र और शनि माने जाते है वहीँ मंगल और गुरु का राहु से सम रूप संबंध होता है।
राहु दोष कितने दिन रहता है | Rahu Dosh kitne din rehta hai
Rahu Mahadasha का प्रभाव 2 वर्ष 8 माह और 11 का रहता है। जब तक rahu dosha का प्रभाव व्यक्ति पर रहता है उसे बुरी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है साथ ही मान-सम्मान में भी हानि होती है।
राहु के लक्षण और उपाय | Rahu ke lakshan aur upay
1. राहु के खराब होने से मन भ्रमित होने लगता है ऐसे में योग-ध्यान का निरंतर अभ्यास करना राहु को शांत करता है.
2. राहु (Rahu) को भगवान शिव का भक्त माना जाता है, इसलिए राहु को शांत करने के लिए आपको प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए, साथ ही “ऊं नमः शिवाय” मंत्र का जाप भी करना चाहिए.
राहु की महादशा के लक्षण | Rahu ki Mahadasha ke lakshan
राहु की महादशा (Rahu Ki mahadasha) के लक्षण नौकरी या कारोबार में व्यक्ति को बहुत घाटा उठाना पड़ता है. इसकी महादशा से व्यक्ति नशे का आदी हो जाता है. प्रतिभा और ऊर्जावान होते हुए भी वह खाली बैठा रहता है. राहु की महादशा में नींद न आना, डरावने सपने, सोते समय बार-बार डरना, शरीर में कमजोरी और बहुत ज्यादा आलस जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता है.
राहु ख़राब होने के लक्षण | Rahu kharab hone ke lakshan
कुंडली में राहु दोष (Rahu dosh) हो तो व्यक्ति के जीवन में कई अशुभ घटनाएं होने लगती हैं. नींद न आना, डरावने सपने आना, सोते समय बार-बार डर जाना, शरीर में कमजोरी या फिर बहुत अधिक आलस कुंडली मे राहु के अशुभ होने का संकेत देते हैं. जब राहु के अशुभ फल दे रहा हो तो उसे शांत करने के प्रयास करने चाहिए.
राहु की दशा के लक्षण | Rahu ki dasha ke lakshan – राहु की दशा के लक्षण
राहु खराब होने के ये हैं लक्षण राहु खराब होने से पेट संबंधी समस्या, सिर दर्द होना, रिश्ते खराब होना, स्वयं को ले कर गलतफहमी, आर्थिक नुकसान, आपसी नुकसान, आपसी तालमेल में कमी, बात बात पर आपा खोना, वाणी का कठोर होना, वाहन दुर्घटना, अपयश की प्राप्ति, अच्छे मित्र न मिलना.
राहु के रोग | Rahu ke rog
साथ ही कई तरह के रोगों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि राहु के खराब होने से कई डिप्रेशन, बाल झड़ना, मानसिक तनाव, नाखून टूटना आदि कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए कुंडली में राहु की स्थिति मजबूत करने के लिए कुछ उपाय भी बताए गए हैं।
rahu grah ke lakshan