बुध ग्रह, ज्योतिष (Budh, Jyotish)
बुध सौरमंडल में मौजूद आठ ग्रहों में से सबसे छोटा और सूर्य के सबसे समीप वाला ग्रह है। बुध हल्का स्वभाव लिए हरे वर्ण का कहलाता है। बुध के अधिदेवता भगवान् विष्णु को माना जाता है। ये अपने हाथों में तलवार, गदा लिए वरमुद्रा को धारण किये हुए हैं।
शुभ बुध के लक्षण (Shubh Budh ke lakshan)
1. बुध शुभ हो तो बुआ और मौसी की सेहत अच्छी रहती है।
2. व्यक्ति शारीरिक रूप से सुन्दर और ज्ञानशील होता है।
3. नौकरी या व्यवसाय अच्छी स्थिति में होता है।
4. सूँघने शक्ति की बहुत तेज होती है।
5. सुनने, देखने और कहने की क्षमता बहुत तेज होती है।
6. व्यक्ति बहुत कल्पनाशील, खेल में रूचि रखने वाला और लेखन में प्रतिभावान होता है।
अशुभ बुध के लक्षण (Ashubh Budh ke Lakshan)
1. दांत कमजोर होना
2. सूंघने की क्षमता कम होना
3. वार्तालाप करते समय हकलाने की स्थिति
4. बौद्धिक क्षमता क्षीण होना
5. शारीरिक सुंदरता में कमी आना
6. त्वचा से जुड़ी परेशानियां होना
बुध ग्रह से कौन सी बीमारी होती है? (Budh Dosh se kaun si bimari hoti hai?)
यदि किसी जातक की कुंडली में बुध अशुभ फल दे रहा है तो व्यक्ति को फेफड़ों से संबंधित बीमारी, श्वांस से जुड़ी परेशानियां, व्यक्ति का हकलाना, दृष्टिहीन होना, गूंगा-बहरा होना सब बुध की अशुभता के फल हैं।
बुध खराब हो तो क्या करें? ( Budh kharab ho to kya kare? )
1. बुध को सभी ग्रहों का राजकुमार कहा जाता है।
2. बुध दोष से पीड़ित जातकों को दुर्गा मां की उपासना करनी चाहिए।
3. बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करने और उन्हनें दूर्वा चढ़ाने की सलाह दी जाती है।
4. Budh Yantra Locket धारण करने से बुध दोषों से शीघ्र मुक्ति मिलती है।
बुध की महादशा कितने वर्ष की होती है? ( Budh ki mahadasha kitne varsh ki hoti hai? )
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध की महादशा जातक के जीवन पर 17 वर्ष तक अपना प्रभाव बनाये रखती है। इस अवधि के दौरान जातक को बौद्धिक, प्रबंधन कला, कौशल और संचार आदि के स्तर में बहुत सारे बदलाव देखने को मिलते है।
बुध का जन्म कैसे हुआ? (Budh ka janm kaise hua?)
चन्द्रमा के देवगुरु बृहस्पति की पत्नी तारा चन्द्रमा की सुंदरता को देख उनकी ओर खींची चली गईं। तारा चंद्र की सुंदरता और मनमोहक छवि को देख इतनी मोहित हुई कि वे अपने पति बृहस्पति को छोड़ चन्द्रमा के साथ चली गईं।
बृहस्पति को यह बात बर्दाश्त नहीं हुई और उन्होंने तारा को वापिस बुलाने के बहुत प्रयास किये। लेकिन वे चंद्र का साथ छोड़ने को राज़ी न हुईं।
इसके परिणामस्वरूप चंद्र और उनके गुरु बृहस्पति के बीच एक भयंकर युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में दैत्यों के गुरु कहे जाने वाले शुक्राचार्य चन्द्रमा के साथ हो गए और बाकी सभी देवता गण बृहस्पति के साथ हो गए।
भीषण युद्ध की स्थिति देख ब्रह्मा जी भय में आ गए और उन्होंने इस युद्ध को रुकवाने के लिए तारा को मानकर बृहस्पति के पास भेज दिया।
इसके बाद तारा को एक पुत्र हुआ जिसका नाम बुध रखा गया। बुध के पिता कौन है इस बात को लेकर भी सवाल खड़े किये गए लेकिन तारा चुप रहीं।
अंततः उन्होंने यह स्वीकार ही लिया कि बुध चंद्र और तारा के पुत्र हैं। बुध की बुद्धि बड़ी ही गंभीर प्रवृति की थी इसलिए ब्रह्मा जी ने इनका नाम बुध रखा था।