हनुमान जी के गुण | Hanuman ji ke gun
रामायण में सबसे प्रख्यात चरिता हनुमान जी (hanuman ji) का है जिनके बारे में कहा जाता है कि वे आज भी जीवित हैं। हनुमान जी में इतने गुण विद्यमान है कि यदि किसी ने इनमें से 2-4 गुणों का पालन भी कर लिया तो वह अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकता है। आज हम हनुमान जी के उन्हीं गुणों पर प्रकाश डालेंगे और आपको बताएंगे कि आखिर कैसे आप भी जीवन में बड़े मुकाम पा सकते हैं।
हनुमान जी के 10 गुण ( Hanuman ji ke 10 gun ) :
1. किसी भी कार्य को सीखने की लगन
हनुमान जी रामायण का एकलौता ऐसे पात्र रहे हैं जिन्होंने अपने हर काम को बड़ी बखूबी से पूरा किया। उन्हें जो भी कार्य सौंपा गया उसके लिए हनुमान जी ने कभी मना नहीं किया फिर चाहे वह कितना भी कठिन या असंभव क्यों न हो। हर असम्भव कार्य को सम्भव में तब्दील करने का हुनर केवल उन्हीं के पास था।
जब लक्ष्मण मूर्छित होकर गिर पड़े थे तब पवनपुत्र हनुमान ने ही संजीवनी बूटी के लिए पूरा पर्वत ही उठा लिया था। उनकी शिक्षा की बात करें तो उन्होंने अपने धर्मपिता पवन के साथ-साथ ऋषि मतंग से भी शिक्षा ग्रहण की थी।
2. हर काम में निपुणता
हनुमान जी द्वारा लंका जाने के लिए जिस रास्ते को तैयार करने में अपनी भूमिका निभाई थी वह उनकी निपुणता का जीता जागता उदाहरण है। पूरी सेना को एक उचित प्रबंधन और बिना किसी अड़चन के समुद्र पार करवाना कुशलता का सर्वोच्चतम रूप है।
3. योजनागत तरीके से काम करना
हनुमान जी को भी कार्य सौंपा जाता था वह उस कार्य को करने के लिए सबसे पहले एक योजना बनाते थे और फिर उस योजना के मुताबिक ही कार्य करते थे। जब हनुमान जी को प्रभु श्री राम ने हनुमान को माता सीता के पास अंगूठी लेकर भेजा तो केवल यह कहा था कि सीता से कहना राम जल्द ही लंका आएंगे। परन्तु हनुमान जी ने लंका में आग लगाकर रावण को डरा भी दिया, विभीषण को भी अपने साथ कर लिया और अक्षय कुमार का वध भी कर डाला।
अपने इन सभी कार्यों को अंजाम देने के लिए उन्होंने सबसे पहले एक योजना बनाई। फिर रावण जैसे अन्य लोगों के बीच विभीषण जैसा एक सज्जन भी ढूंढ निकाला। उसके बाद सीता माता पता लगाया और प्रभु श्री राम द्वारा दी गई अंगूठी उन्हें सौंपी। यह एक पूरी रणनीति की ओर ही संकेत करता है।
4. प्रतिनिधित्व कुशलता
हनुमान जी ने प्रभु श्री राम की सहायता के लिए पूरी वानर सेना का मार्गदर्शन किया था। पूरी वानर सेना को साथ में लेकर चलने वाली इस लीडरशिप क्षमता के बारे में राम जी पहले से जानते थे। उन्होंने कुशलता से अपनी सेना का मार्गदर्शन किया था तब जाकर वे लंका का मार्ग अख्तियार कर पाए थे।
5. अद्भुत साहस
पवन पुत्र हनुमान में एक अद्भुत साहस मौजूद था जिसके बलबूते ही वे दृढ निश्चय के साथ किसी भी कार्य को अंजाम दे पाते थे। उनमें किसी भी तरह का छल कपट या चालाकी नहीं थी। उनके साहस की प्रशंसा तो रावण ने भी की थी।
6. चिंतामुक्त रहना
प्रभु श्री राम के साथ आगे बढ़ते हुए पग-पग पर संकट आये। वे संकट ऐसे थे जिनसे कोई भी व्यक्ति घबरा जाता और हार मानकर उल्टे पेअर वापिस लौट जाता लेकिन हनुमान हर परिस्थिति में चिंतामुक्त रहे। हर कार्य को हंसी-ख़ुशी से और गंभीर न लेते हुए एक खेल की तरह लिया।
उनके चिंतामुक्त रहने का अर्थ है पूरी वानर सेना का चिंता से मुक्त रहना। उन्होंने मस्त मौला रहकर कई लोगों का घमंड दूर किया था इनमें बलराम भी शामिल थे।
7. क्रोधित न होना
हनुमान जी को पूरी रामायण में क्रोधित होते हुए नहीं देखा गया। बड़ी ही विनम्रता से हर कार्य को संपन्न करना उनका सबसे ख़ास गुण था जिससे लोगों को सीखने की जरूरत है। क्रोध आज के समय का एक ऐसा अवगुण है जो बने बनाये काम को बिगाड़ दिया करता है।
8. शत्रुओं और मित्रों को खोजने की परख
हनुमान के भीतर एक यह गुण भी था कि दुश्मनों के बीच भी मित्र खोज पाने में सक्षम थे। उन्होंने अपने शत्रु पक्ष से विभीषण जैसे मित्र को खोज निकाला था।
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हनुमान जी के 12 नाम | Hanuman ji ke 12 naam
हनुमान जी के द्वादश नाम कौन से हैं आनंद रामायण में इनके विशेष बारह नाम बताए गए हैं-
- हनुमान
- अंजनीसुत
- वायुपुत्र
- महाबल
- रामेष्ट
- फाल्गुनसखा
- पिंगाक्ष
- अमितविक्रम
- उदधिक्रमण
- सीतोशोकविनाशन
- लक्ष्मणप्राणदाता
- दशग्रीवदर्पहा
हर नाम की अलग अलग महिमा है और हर नाम अलग अलग तरीके से प्रयोग किया जाता है.
हनुमान जी का मंत्र | Hanuman ji ka mantra
हनुमान जी का गढ़ा | Hanuman ji ka gada
प्रभु श्री राम भक्त हनुमान जी को महाशक्तिशाली माना गया है । हनुमान जी को शिव जी का अंश रुद्रांश भी कहा गया है, और गदा धारी नाम से भी जाना जाता है क्यूँ की हनुमान जी हमेशा अपना गदा अपने साथ रखते है । हनुमान जी की बाई भुजा में गदा रहता है । बाएं हाथ में गदा रखने के कारण ही उन्हें वामहस्तगदायुक्तम् भी कहा जाता है । हनुमान जी का गदा/ Hanuman Ji Ka Gada बहुत शक्तियां था
हनुमान जी के पास ऐसे दिव्यास्त्र है जो और किसी देवी देवता के पास नहीं है, उनमें से सबसे प्रिय अस्त्र है हनुमान जी का गदा । हनुमान जी की गदा में कितनी शक्तियां है वो आज हम आपको हमारे इस लेखन में बताएंगे और साथ ही बताएंगे की यह गद्य किस धातु से बना है और यह गदा हनुमान जी का अस्त्र की बना ?
जितना बाल हनुमान जी की भुजाओं में है उतना ही बाल हनुमान जी की गदा में भी है । हनुमान जी के भक्त जब हनुमान जी की आरधना और पूजा करते है तो उन्हें यापार शक्ति का एहसास होता है ।
हनुमान जी की गदा से जुड़ी कई सारी कहानियाँ है ।
ग्रंथों के अनुसार एक बार जब बाल हनुमान ने सूर्य को एक पहल समझ कर निगल लिया था, तब पूरे ब्रह्माण में अंधकार छा गया था । तब सभी देवी देवताओं ने हनुमान जी से सूर्य देव को उगलने की बिनती की जिसपर हनुमान जी नहीं माने और इन्द्र ने क्रोध में आकार हनुमान जी पर अपने वज्र से प्रहार कर दिया , हनुमान जी अपने बाल स्वरूप में थे और वह इस प्रहार से मूर्छित हो गए ।
हनुमान चालीसा गीत | Hanuman Chalisa lyrics