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    Home » हनुमान जी के इन गुणों का पालन कर बनाये अपना जीवन सरल
    Astrology

    हनुमान जी के इन गुणों का पालन कर बनाये अपना जीवन सरल

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiDecember 21, 2023Updated:December 21, 2023
    hanuman ji
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    हनुमान जी के गुण | Hanuman ji ke gun

    रामायण में सबसे प्रख्यात चरिता हनुमान जी (hanuman ji) का है जिनके बारे में कहा जाता है कि वे आज भी जीवित हैं। हनुमान जी में इतने गुण विद्यमान है कि यदि किसी ने इनमें से 2-4 गुणों का पालन भी कर लिया तो वह अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकता है। आज हम हनुमान जी के उन्हीं गुणों पर प्रकाश डालेंगे और आपको बताएंगे कि आखिर कैसे आप भी जीवन में बड़े मुकाम पा सकते हैं।

    Hanuman ji ka mandir
    Hanuman ji ka mandir

    हनुमान जी के 10 गुण ( Hanuman ji ke 10 gun ) :

    1. किसी भी कार्य को सीखने की लगन 

    हनुमान जी रामायण का एकलौता ऐसे पात्र रहे हैं जिन्होंने अपने हर काम को बड़ी बखूबी से पूरा किया। उन्हें जो भी कार्य सौंपा गया उसके लिए हनुमान जी ने कभी मना नहीं किया फिर चाहे वह कितना भी कठिन या असंभव क्यों न हो। हर असम्भव कार्य को सम्भव में तब्दील करने का हुनर केवल उन्हीं के पास था। 

    जब लक्ष्मण मूर्छित होकर गिर पड़े थे तब पवनपुत्र हनुमान ने ही संजीवनी बूटी के लिए पूरा पर्वत ही उठा लिया था। उनकी शिक्षा की बात करें तो उन्होंने अपने धर्मपिता पवन के साथ-साथ ऋषि मतंग से भी शिक्षा ग्रहण की थी।   

    hanuman images
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    2. हर काम में निपुणता

    हनुमान जी द्वारा लंका जाने के लिए जिस रास्ते को तैयार करने में अपनी भूमिका निभाई थी वह उनकी निपुणता का जीता जागता उदाहरण है। पूरी सेना को एक उचित प्रबंधन और बिना किसी अड़चन के समुद्र पार करवाना कुशलता का सर्वोच्चतम रूप है।  

    3. योजनागत तरीके से काम करना

    हनुमान जी को भी कार्य सौंपा जाता था वह उस कार्य को करने के लिए सबसे पहले एक योजना बनाते थे और फिर उस योजना के मुताबिक ही कार्य करते थे। जब हनुमान जी को प्रभु श्री राम ने हनुमान को माता सीता के पास अंगूठी लेकर भेजा तो केवल यह कहा था कि सीता से कहना राम जल्द ही लंका आएंगे। परन्तु हनुमान जी ने लंका में आग लगाकर रावण को डरा भी दिया, विभीषण को भी अपने साथ कर लिया और अक्षय कुमार का वध भी कर डाला।

    अपने इन सभी कार्यों को अंजाम देने के लिए उन्होंने सबसे पहले एक योजना बनाई। फिर रावण जैसे अन्य लोगों के बीच विभीषण जैसा एक सज्जन भी ढूंढ निकाला। उसके बाद सीता माता पता लगाया और प्रभु श्री राम द्वारा दी गई अंगूठी उन्हें सौंपी। यह एक पूरी रणनीति की ओर ही संकेत करता है।  

    hanuman ji ki photo
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    4. प्रतिनिधित्व कुशलता

    हनुमान जी ने प्रभु श्री राम की सहायता के लिए पूरी वानर सेना का मार्गदर्शन किया था। पूरी वानर सेना को साथ में लेकर चलने वाली इस लीडरशिप क्षमता के बारे में राम जी पहले से जानते थे। उन्होंने कुशलता से अपनी सेना का मार्गदर्शन किया था तब जाकर वे लंका का मार्ग अख्तियार कर पाए थे।

    5. अद्भुत साहस

    पवन पुत्र हनुमान में एक अद्भुत साहस मौजूद था जिसके बलबूते ही वे दृढ निश्चय के साथ किसी भी कार्य को अंजाम दे पाते थे। उनमें किसी भी तरह का छल कपट या चालाकी नहीं थी। उनके साहस की प्रशंसा तो रावण ने भी की थी।      

    hanuman ki photo
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    6. चिंतामुक्त रहना

    प्रभु श्री राम के साथ आगे बढ़ते हुए पग-पग पर संकट आये। वे संकट ऐसे थे जिनसे कोई भी व्यक्ति घबरा जाता और हार मानकर उल्टे पेअर वापिस लौट जाता लेकिन हनुमान हर परिस्थिति में चिंतामुक्त रहे। हर कार्य को हंसी-ख़ुशी से और गंभीर न लेते हुए एक खेल की तरह लिया।

    उनके चिंतामुक्त रहने का अर्थ है पूरी वानर सेना का चिंता से मुक्त रहना। उन्होंने मस्त मौला रहकर कई लोगों का घमंड दूर किया था इनमें बलराम भी शामिल थे।

    7. क्रोधित न होना

    हनुमान जी को पूरी रामायण में क्रोधित होते हुए नहीं देखा गया। बड़ी ही विनम्रता से हर कार्य को संपन्न करना उनका सबसे ख़ास गुण था जिससे लोगों को सीखने की जरूरत है। क्रोध आज के समय का एक ऐसा अवगुण है जो बने बनाये काम को बिगाड़ दिया करता है।   

    8. शत्रुओं और मित्रों को खोजने की परख  

    हनुमान के भीतर एक यह गुण भी था कि दुश्मनों के बीच भी मित्र खोज पाने में सक्षम थे।  उन्होंने अपने शत्रु पक्ष से विभीषण जैसे मित्र को खोज निकाला था। 

    (यदि आप अपने समस्त प्रकार के संकटों के निवारण के लिए Panchmukhi Hanuman Kavach खरीदने के इच्छुक हैं इसे prabhubhakti.in से खरीद सकते हैं।)

    Hanuman mandir
    Hanuman mandir

    हनुमान जी के 12 नाम | Hanuman ji ke 12 naam

    हनुमान जी के द्वादश नाम कौन से हैं आनंद रामायण में इनके विशेष बारह नाम बताए गए हैं-

    1. हनुमान
    2. अंजनीसुत
    3. वायुपुत्र
    4. महाबल
    5. रामेष्ट
    6. फाल्गुनसखा
    7. पिंगाक्ष
    8. अमितविक्रम
    9. उदधिक्रमण
    10. सीतोशोकविनाशन
    11. लक्ष्मणप्राणदाता
    12. दशग्रीवदर्पहा

    हर नाम की अलग अलग महिमा है और हर नाम अलग अलग तरीके से प्रयोग किया जाता है.

    हनुमान जी का मंत्र | Hanuman ji ka mantra

    हं हनुमंते नम:। ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा। ॐ नमो हनुमते आवेशाय आवेशाय स्वाहा। ॐ महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते.
    hanuman statue
    hanuman statue

    हनुमान जी का गढ़ा | Hanuman ji ka gada

    प्रभु श्री राम भक्त हनुमान जी को महाशक्तिशाली माना गया है । हनुमान जी को शिव जी का अंश रुद्रांश भी कहा गया है, और गदा धारी नाम से भी जाना जाता है क्यूँ की हनुमान जी हमेशा अपना गदा अपने साथ रखते है । हनुमान जी की बाई भुजा में गदा रहता है । बाएं हाथ में गदा रखने के कारण ही उन्हें वामहस्तगदायुक्तम् भी कहा जाता है । हनुमान जी का गदा/ Hanuman Ji Ka Gada बहुत शक्तियां था

    हनुमान जी के पास ऐसे दिव्यास्त्र है जो और किसी देवी देवता के पास नहीं है, उनमें से सबसे प्रिय अस्त्र है हनुमान जी का गदा । हनुमान जी की गदा में कितनी शक्तियां है वो आज हम आपको हमारे इस लेखन में बताएंगे और साथ ही बताएंगे की यह गद्य किस धातु से बना है और यह गदा हनुमान जी का अस्त्र की बना ?

    जितना बाल हनुमान जी की भुजाओं में है उतना ही बाल हनुमान जी की गदा में भी है । हनुमान जी के भक्त जब हनुमान जी की आरधना और पूजा करते है तो उन्हें यापार शक्ति का एहसास होता है ।
    हनुमान जी की गदा से जुड़ी कई सारी कहानियाँ है ।

    ग्रंथों के अनुसार एक बार जब बाल हनुमान ने सूर्य को एक पहल समझ कर निगल लिया था, तब पूरे ब्रह्माण में अंधकार छा गया था । तब सभी देवी देवताओं ने हनुमान जी से सूर्य देव को उगलने की बिनती की जिसपर हनुमान जी नहीं माने और इन्द्र ने क्रोध में आकार हनुमान जी पर अपने वज्र से प्रहार कर दिया , हनुमान जी अपने बाल स्वरूप में थे और वह इस प्रहार से मूर्छित हो गए ।

    hanuman chalisa
    hanuman chalisa

    हनुमान चालीसा गीत | Hanuman Chalisa lyrics 

    श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि
    बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि
    बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार
    बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार
    जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
    जय कपीस तिहुं लोक उजागर
    रामदूत अतुलित बल धामा
    अंजनि पुत्र पवनसुत नामा
    महाबीर बिक्रम बजरंगी
    कुमति निवार सुमति के संगी
    कंचन बरन बिराज सुबेसा
    कानन कुंडल कुंचित केसा
    हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
    कांधे मूंज जनेऊ साजै
    संकर सुवन केसरीनंदन
    तेज प्रताप महा जग बन्दन
    विद्यावान गुनी अति चातुर
    राम काज करिबे को आतुर
    प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
    राम लखन सीता मन बसिया
    सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
    बिकट रूप धरि लंक जरावा
    भीम रूप धरि असुर संहारे
    रामचंद्र के काज संवारे
    लाय सजीवन लखन जियाये
    श्रीरघुबीर हरषि उर लाये
    रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
    तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई
    सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
    अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं
    सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
    नारद सारद सहित अहीसा
    जम कुबेर दिगपाल जहां ते
    कबि कोबिद कहि सके कहां ते
    तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
    राम मिलाय राज पद दीन्हा
    तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना
    लंकेस्वर भए सब जग जाना
    जुग सहस्र जोजन पर भानू
    लील्यो ताहि मधुर फल जानू
    प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
    जलधि लांघि गये अचरज नाहीं
    दुर्गम काज जगत के जेते
    सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते
    राम दुआरे तुम रखवारे
    होत न आज्ञा बिनु पैसारे
    सब सुख लहै तुम्हारी सरना
    तुम रक्षक काहू को डर ना
    आपन तेज सम्हारो आपै
    तीनों लोक हांक तें कांपै
    भूत पिसाच निकट नहिं आवै
    महाबीर जब नाम सुनावै
    नासै रोग हरै सब पीरा
    जपत निरंतर हनुमत बीरा
    संकट तें हनुमान छुड़ावै
    मन क्रम बचन ध्यान जो लावै
    सब पर राम तपस्वी राजा
    तिन के काज सकल तुम साजा
    और मनोरथ जो कोई लावै
    सोइ अमित जीवन फल पावै
    चारों जुग परताप तुम्हारा
    है परसिद्ध जगत उजियारा
    साधु संत के तुम रखवारे
    असुर निकंदन राम दुलारे
    अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
    अस बर दीन जानकी माता
    राम रसायन तुम्हरे पासा
    सदा रहो रघुपति के दासा
    तुम्हरे भजन राम को पावै
    जनम-जनम के दुख बिसरावै
    अन्तकाल रघुबर पुर जाई
    जहां जन्म हरि भक्त कहाई
    और देवता चित्त न धरई
    हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
    संकट कटै मिटै सब पीरा
    जो सुमिरै हनुमत बलबीरा
    जै जै जै हनुमान गोसाईं
    कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
    जो सत बार पाठ कर कोई
    छूटहि बंदि महा सुख होई
    जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा
    होय सिद्धि साखी गौरीसा
    तुलसीदास सदा हरि चेरा
    कीजै नाथ हृदय मंह डेरा
    कीजै नाथ हृदय मंह डेरा
    पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप
    राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप

     

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