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    Home » Maa Vindhyavasini : जानें कौन हैं मां विंध्यवासिनी और उनकी उत्पत्ति कैसे हुई?
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    Maa Vindhyavasini : जानें कौन हैं मां विंध्यवासिनी और उनकी उत्पत्ति कैसे हुई?

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiDecember 29, 2023Updated:December 29, 2023
    Maa Vindhyavasini
    Maa Vindhyavasini
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    विंध्यवासिनी कौन है? ( Who was goddess Vindhyavasini? )

    मां विंध्यवासिनी ( Maa Vindhyavasini ) देवी दुर्गा के पराशक्ति रूपों में से एक है। देवी को यह नाम विंध्य पर्वत से मिला है। इस तरह विंध्यवासिनी का शाब्दिक अर्थ है विंध्य में निवास करने वाली देवी। ऐसी मान्यता है कि जहां-जहां सती के अंग गिरे थे वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए। जबकि विंध्य पर्वत वह स्थान है जहाँ देवी ने अपने जन्म लेने के बाद निवास करना चुना।
    Vindhyavasini Mata
    Vindhyavasini Mata

    मां विंध्यवासिनी की उत्पत्ति कैसे हुई? ( What is the story of Maa Vindhyavasini? )

    मार्कंडेय पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि विंध्यवासिनी ( Vindhyavasini ) ने यशोदा और नन्द के घर जन्म लिया था। इस बात की जानकारी देवी दुर्गा ने अपने जन्म से पहले ही सभी देवी-देवताओं को दी थी। देवी विंध्यवासिनी ने ठीक उसी दिन जन्म लिया जिस दिन श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। आकाश से हुई भविष्यवाणी ने कंस की मृत्यु देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के हाथों तय की थी इससे भयभीत कंस ने अपनी ही बहन की संतानों को मारने के लिए उतारू कर दिया।

    कंस बस उस आठवीं संतान के जन्म के इन्तजार में राह तक रहा था, पर भगवान की माया ने सारा खेल ही पलट दिया। श्री कृष्ण को कंस के चंगुल से बचाने के लिए माया ने यशोदा और नन्द के घर जन्म लेने वाली पुत्री Vindhyavasini Devi को देवकी की गोद में डाल दिया। वहीँ कृष्ण ने यशोदा और नंद के घर में जन्म लिया।

    देवकी की आठवीं संतान की खबर सुनते ही कंस कारागार पहुंचा क्योंकि इस संतान की मृत्यु कंस की मौत पर पूर्ण विराम लगा सकती थी।  जब कंस को यह बात पता चली कि पुत्र ने नहीं पुत्री ने जन्म लिया है तो कंस को थोड़ा आश्चर्य हुआ पर उसे लगा कि है तो आठवीं संतान ही फिर चाहे वह पुत्र हो पुत्री। फिर जैसे ही कंस ने उस कन्या को मारने का प्रयास किया वह कन्या दुर्गा का विकराल रूप धारण कर कंस के सामने आ खड़ी हुई। इस तरह से कंस को गुमराह करने के लिए Vindhyachal Devi ने देवकी और वासुदेव के घर जन्म लिया।  
    Vindhyavasini Mandir
    Vindhyavasini Mandir

    विंध्याचल पार करने वाले पहले ऋषि कौन थे? ( Vindhyachal par karne wale pahle rishi kaun the? )

    सप्तऋषियों में से एक अगस्त्य ( Agastya ) ऋषि ही सर्वप्रथम विंध्याचल पर्वत ( Vindhyachal Mountain ) को पार कर दक्षिण दिशा की ओर आर्य संस्कृति का प्रचार करने गए थे।  पौराणिक कथाओ में इस बात का ज़िक्र है कि अगस्त्य ने ही विंध्य पर्वत के मध्य में से दक्षिण भारत जाने का मार्ग निकाला था। कहा तो यह भी जाता है कि विंध्याचल पर्वत ने ऋषि के चरणों में झुकते हुएा प्रणाम किया था।

    विंध्याचल पर्वत ( Vindhyachal Mountain ) को प्रणाम करते हुए देख ऋषि अगस्त्य ने पर्वत को आशीर्वाद दिया कि जब तक वे दक्षिण क्षेत्र से लौटकर वापस नहीं आते तब तक वह ऐसे ही सिर झुकाकर खड़ा रहे। यही कारण है की यह पर्वत आज तक सिर झुकाकर खड़ा है और अगस्त्य ऋषि का इन्तजार कर रहा है। 

    विंध्याचल में माता का कौन सा अंग गिरा था? ( Vindhyanchal me mata ka kaun sa ang gira tha? )

    पौराणिक मान्यताएं कहती है कि शक्तिपीठ वह स्थान है जहाँ सती के अंग गिरे थे लेकिन विंध्याचल में Vindhyachal Mata के शरीर का कोई अंग नहीं गिरा था। यहाँ देवी सशरीर के साथ निवास करती हैं क्योंकि उन्होंने यह स्थान अपने रहने के लिए चुना था।
    Vindhyavasini devi
    Vindhyavasini devi

    मां विंध्यवासिनी मंदिर कहाँ स्थित है? ( Where is Maa Vindhyanchal Temple? )

    मां विंध्यवासिनी मंदिर ( Vindhyavasini Mandir ) यूपी के मिर्ज़ापुर ( Mirzapur ) में गंगा नदी के बिल्कुल समीप विंध्य की पहाड़ियों में अवस्थित है। कहा जाता है कि देवी के 51 पीठों में शामिल यह शक्तिपीठ सृष्टि के निर्माण से पहले ही इस स्थान पर स्थापित हो गया था। Vindhyachal Mandir ( Vindhyachal Temple ) आने वाले भक्तों को देवी के तीन रूपों देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती और महाकाली के दर्शन एक साथ मिल जाते है। सिद्धि प्राप्ति के लिए भी यह स्थान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

    विंध्यवासिनी की कृपा पाने के लिए क्या करें? ( Vindhyanchal ki kripa pane ke liye kya kare? )

    इस बात की जानकारी पहले ही दी जा चुकी है कि देवी विंध्यवासिनी में तीन रूपों देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती और महाकाली वास करती हैं। इन तीनों ही देवियों की अपनी अलग शक्तियां हैं जिनके आधार पर लोग इन्हें पूजते हैं। यदि आप किसी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और उसके समाधान की तलाश कर रहे हैं तो इसके लिए आप Laxmi Kavach को धारण कर सकते हैं।

    यदि आप काल और मृत्यु से भय खाते हैं, काले जादू और भूत प्रेत की बाधा से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आप Kali Kavach का प्रयोग कर सकते हैं। वहीँ बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने, कला-संगीत-साहित्य के क्षेत्र में तरक्की हासिल करने के लिए Saraswati Kavach का प्रयोग किया जाता है।   
    Vindhyavasini temple
    Vindhyavasini temple

    विंध्याचल क्यों प्रसिद्ध है? ( What is special in Vindhyachal? )

    विध्यांचल के प्रसिद्ध होने की वजह है यहाँ देवी दुर्गा के अवतार मां विंध्यवासिनी का निवास है। यहाँ त्रिकोणी यन्त्र में स्थित Vindhyachal में लोकहिताय विंध्यवासिनी, देवी सरस्वती, देवी लक्ष्मी और महाकाली का रूप धारण करती हैं।

    विंध्यवासिनी का मतलब क्या होता है? ( What is the meaning of Vindhyavasini? )

    विंध्यवासिनी का शाब्दिक अर्थ है विंध्याचल में निवास करने वाली Maa Vindhyavasini। शिव पुराण के अनुसार विंध्य पर्वत पर निवास करने वाली विंध्यवासिनी को सती भी कहा गया है।    
    Vindhyavasini pooja
    Vindhyavasini pooja

    विंध्याचल कौन सा राज्य में है? ( Where is Vindhyachal in which state? )

    विंध्याचल उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित एक नगर है। यह गंगा नदी के निकट वाराणसी से कुल 70 किलोमीटर और मिर्ज़ापुर से 8 किमी की दूरी पर प्रयाग और काशी के ठीक मध्य में स्थित है।

    विंध्याचल कौन सा पर्वत है? ( Which mountain is in Vindhyachal? )

    विंध्यांचल सप्तकुल पर्वतों में से एक है। विंध्य शब्द का अर्थ धातु है, यह पर्वत भूमि को बेधते हुए भारत के मध्य में अवस्थित है। यह उत्तर और दक्षिण भारत को अलग करने वाला पर्वत है।    
    Vindhyavasini maa
    Vindhyavasini maa

    विंध्य पर्वत से कौन सी नदी निकलती है? ( Which river flows in Vindhyachal? )

    विंध्य पर्वत से निकलने वाली गंगा-यमुना की कई सहायक नदियाँ हैं। इन सहायक नदियों में चंबल, धसान, केन, तमसा, काली सिंध, पारबती और बेतवा शामिल हैं।

    विंध्याचल मंदिर का रहस्य | Vindhyachal Mandir ka rahasya

    Vindhyachal Mandir ka rahasya – राम घाट विंध्याचल में पवित्र गंगा नदी के तट पर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह एक पवित्र स्थान है जहां भक्त नदी में पवित्र स्नान करते हैं और भगवान राम की पूजा करते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि भगवान राम अपने वनवास के दौरान इस स्थान पर आए थे और गंगा नदी से आशीर्वाद लेने के लिए पूजा की थी।

     Vindhyavasini temple place
    Vindhyavasini temple place

    विंध्यवासिनी का इतिहास | Vindhyavasini ka itehaaz

    विन्ध्य पर्वत पर विराजी अष्टभुजा श्री सिद्धिदात्री माता विंध्यवासिनी देवी( Mata Vindhyasinee devi), एक ऐसी आदिशक्ति हैं, जिनकी देवताओं ने भी आराधना की. वहीं जब-जब सृष्टि पर संकट आया तो महाशक्ति ने अनेकानेक रूप धर कर असुरों का नाश किया और विनाश से बचाया. उन्हीं मां विंध्यवासिनी का वास है, बांदा के गिरवा क्षेत्र के खत्री पहाड़ में.

    विंध्यवासिनी माता किसकी कुलदेवी है | Vindhyavasini Mata kiske kuldevi hai

    मिर्जापुर में मां विंध्यवासिनी के दर्शनों को उमड़ते हैं श्रद्धालु:नागवंशीय राजाओं की कुलदेवी हैं माता विंध्यवासिनी (Mata Vindhyavasini), नाग के फ़न की आकृति भक्ति का हैं प्रमाण मिर्जापुर। विंध्याचल में नाग के फन जैसी है आकृति।
     Vindhyavasini mata photo
    Vindhyavasini mata photo

    विंध्याचल में सती का कौन सा अंग गिरा था? | Vindhyachal me satee ka konsa ang gira tha

    पौराणिक मान्यताएं कहती है कि शक्तिपीठ वह स्थान है जहाँ सती के अंग गिरे थे लेकिन विंध्याचल मेंमाता विंध्यवासिनी (Mata Vindhyavasini) के शरीर का कोई अंग नहीं गिरा था। यहाँ देवी सशरीर के साथ निवास करती हैं क्योंकि उन्होंने यह स्थान अपने रहने के लिए चुना था।
     Vindhyavasini temple vindhyachal
    Vindhyavasini temple vindhyachal

    मां विंध्यवासिनी की कहानी | Vindhyachal Devi story

    vindhyavasini devi को उनका नाम विंध्य पर्वत से मिला और विंध्यवासिनी(Vindhyavini) नाम का शाब्दिक अर्थ है, वह विंध्य में निवास करती हैं। जैसा कि माना जाता है कि धरती पर शक्तिपीठों का निर्माण हुआ, जहां सती के शरीर के अंग गिरे थे, लेकिन विंध्याचल वह स्थान और शक्तिपीठ है, जहां देवी ने अपने जन्म के बाद निवास करने के लिए चुना था।
     
     

     

     
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