शालिग्राम पत्थर (शिला) क्या है? (What is Shaligram Stone in Hindi)
शालिग्राम वैसे तो एक शिला है लेकिन हिन्दू धर्म में इसे शिला की संज्ञा नहीं दी गई। शालिग्राम भगवान का एक रूप है जिसे पूजने की प्रथा है। शालिग्राम नदी के किनारे ही मिलता है। शालिग्राम भगवान विष्णु का निराकार रूप है। जैसे शिवलिंग भगवान शिव का निराकार रूप है।
वैष्णव लोग गंडकी नदी के निकट पाए जाने वाले शालिग्राम को पूजते हैं। बात करें कि शालिग्राम का मतलब क्या है? तो शालिग्राम का अर्थ है एक पत्थर। पद्मपुराण के मुताबिक गण्डकी यानी नारायणी नदी के पास एक प्रदेश है।
जहाँ शालिग्राम नाम का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है; इसी जगह से Shaligram Stone निकलता है। शालिग्राम को अमोनाइट जीवाश्म कहा जाता है। आइये अब आपको बताते हैं शालिग्राम कितने प्रकार के होते हैं……
Types of Shaligram
- सुदर्शन शालिग्राम (1 विष्णु चक्र)
- लक्ष्मीनारायण शालिग्राम (2 विष्णु चक्र)
- अच्युत शालिग्राम (3 विष्णु चक्र)
- जनार्दन शालिग्राम (4 विष्णु चक्र)
- वासुदेव शालिग्राम (5 विष्णु चक्र)
- प्रद्युमन शालिग्राम (6 विष्णु चक्र)
- शंकरशन शालिग्राम (7 विष्णु चक्र)
- पुरुषोत्तम शालिग्राम (8 विष्णु चक्र)
- नवव्यूहा शालिग्राम (9 विष्णु चक्र)
- दशावतार शालिग्राम (10 विष्णु चक्र)
- अनिरुद्ध शालिग्राम (11 विष्णु चक्र)
- अनंत शालिग्राम (12 विष्णु चक्र)
- परमात्मा शालिग्राम (13 विष्णु चक्र)
- परमात्मा शालिग्राम (13 विष्णु चक्र)
इस तरह कुल 33 different types of Shaligram बताये गए हैं। जिसमें से 24 विष्णु के विभिन्न अवतार से जुड़े हैं।
Shaligram Stone Benefits
शालिग्राम के फायदे(Shaligram Stone Benefits) अनेक हैं जिनका जिक्र यहाँ किया गया है :
1. शालिग्राम को केवल स्पर्श करने से ही व्यक्ति के जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
2. जो कुछ भी शालिग्राम के संपर्क में आता है वह अपने आप शुद्ध हो जाता है। (पद्म पुराण)
3. जीवन की अंतिम यात्रा शालिग्राम के सामने से निकाली जाये तो व्यक्ति को वैकुण्ठ धाम प्राप्त होता है। (पद्म पुराण)
4. जो भी जातक सच्चे मन से शालिग्राम की पूजा-अर्चना करते हैं वह निर्भीक बनते हैं।
5. पद्म पुराण के अनुसार शालिग्राम दान में देना सबसे सर्वोत्तम हैं। यह वनों, पहाड़ों और समस्त पृथ्वी को दान करने के बराबर है।
6. ऐसा कहा जाता है कि जहां 108 शिलाओं को रख पूजा होती है, वह स्थान ‘वैकुंठ’ बन जाता है। (गरुड़ पुराण)
7. व्यक्ति को हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल होती है। यह सभी shaligram pendant benefits में से एक है। [source]
शालिग्राम की स्थापना कैसे करें?
1. शालिग्राम स्वयंभू माना जाता है इसलिए इसे स्थापित करने के लिए प्राण प्रतिष्ठा की जरूरत नहीं होती।
2. शालिग्राम को स्थापित करने के समय तुलसी का होना अनिवार्य है। बगैर तुलसी के शालिग्राम की पूजा अधूरी है।
3. स्थापना के लिए शालिग्राम पर सर्वप्रथम चन्दन लगाएं।
4. फिर उसे स्नान कराएं और तुलसी अर्पित करें।
5. इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए नैवेद्य अर्पित करें।
6. नियमित रूप से शालिग्राम पर जल चढ़ाने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य मिलता है।
How to do Shaligram Puja at home?
आपको बताते हैं how to worship shaligram :
1. पूर्व और उत्तर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
2 . शालिग्राम को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर पंचगव्य और दोबारा गंगाजल से स्नान कराएं।
3 . ऐसा माना जाता है कि स्नान किया हुआ जल अमृत के समान होता है। इसे पीने से कई तरह की बीमारी खत्म हो जाती हैं।
4 . शालिग्राम को किसी थाल, पीपल के पत्ते या फिर किसी कपड़े पर रखें।
5. इसके पश्चात घी का दीपक जलाएं।
6. शालिग्राम पर चन्दन का लेप लगाएं।
7. शालिग्राम के आस-पास तुलसी माला लगाएं और तुलसी के पत्ते भी अर्पित करें।
8. दीपक को एक गोलाकार में एक घड़ी की दिशा में घुमाते हुए आरती करें।
9. इन सभी के बाद नीचे दिए गए मंत्र को 9 बार दोहराएं।
“ध्येय सदा सवित्र मंडल मध्यवर्ती , नारायण सर सुसज्जितासान सन्निविष्ठ:
केयूरवान मकर कुण्डलवान किरीटी , हारी हिरण्यमय वपुधृत शंख चक्र :”।।
हरे राम, हरे राम, हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, हरे हरे!
10. मंत्र जाप के बाद दूध, फल, मिठाई और नारियल शालिग्राम को अर्पित करें।
11 . ध्यान रहे यदि एक से ज्यादा शालिग्राम की पूजा की जा रही है तो वह संख्या सम होनी चाहिए।
Who is Shaligram?
वृषध्वज नामक एक राजा को भगवान सूर्य ने गरीबी का श्राप दिया था। इसका कारण था राजा वृषध्वज की भगवान शिव के अलावा किसी अन्य देवता की पूजा न करना।
अपना खोया राजपाठ वापस लाने के लिए उनके दोनों पोतों ने तपस्या करने की ठानी। धर्मध्वज और कुशध्वज ने माता लक्ष्मी को तपस्या के माध्यम से प्रसन्न किया।
तपस्या से प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी ने उन्हें बेटियों के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। उसके बाद लक्ष्मी ने कुशध्वज की पुत्री वेदवती और धर्मध्वज की पुत्री वृंदा के रूप में जन्म लिया।
वृंदा जो बाद में तुलसी बनी
वृंदा भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में पाने के लिए तपस्या करने बदरिकाश्रम गईं। लेकिन ब्रह्मा ने उन्हें बताया कि उन्हें इस जीवन में भगवान विष्णु पति के रूप में नहीं मिलेंगे। बल्कि उन्हें शंखचूड़ नाम के दानव से शादी करनी होगी।
शंखचूड़ ने वृंदा से विवाह के बाद देवों के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी। जिसमें शंखचूड़ और उसके दानवों की जीत हुई। बाद में विजयी दानवों द्वारा देवों को स्वर्ग से बाहर निकाल दिया गया।
शंखचूड़ से परेशान देवता विष्णु के पास पहुंचे
पराजित हुए सभी देवता भगवान विष्णु के पास समाधान के लिए पहुंचे। जहाँ भगवान विष्णु ने बताया कि शंखचूड़ को भगवान शिव द्वारा मारा जाना तय है। इसके बाद देवताओं के अनुरोध पर, भगवान शिव ने शंखचूड़ के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया।
इस युद्ध में कोई भी पक्ष एक-दूसरे को परास्त न कर सका। युद्ध के दौरान एक निर्जीव आवाज ने भगवान शिव को एक जानकारी दी। वो यह कि भगवान ब्रह्मा के वरदान से, शंखचूड़ युद्ध में अजय है। जब तक कि उसने अपना कवच पहना है और वृंदा का सतीत्व अखंडित है।
इसलिए भगवान विष्णु ने सबसे पहले साधु का भेष धारण कर कवच दान में लिया। इसके बाद शंखचूड़ का भेष धारण कर वृंदा का सतीत्व खंडित कर दिया। इस प्रकार वृंदा की पवित्रता भंग हुई। अंततः भगवान शिव के त्रिशूल से शंखचूड़ का वध हुआ।
How did the Shaligram form?
वृंदा का त्यागा शरीर गंडकी नदी में तब्दील हो गया। श्रापित विष्णु ने गंडकी नदी के तट पर बड़े चट्टानी पर्वत का रूप धारण कर लिया। जिसे शालिग्राम के नाम से जाना जाता है।