Shiv Ji Puja Vidhi: इस विधि से करें शिव जी की आराधना, शीघ्र प्रसन्न होंगे भोलेनाथ और पूरी होगी हर मनोकामना
How To Please Lord Shiva -अर्चना से कई जन्मों का फल प्राप्त होता है। यदि विधिविधान से पूजन किया जाए तो निश्चित ही मनोवांछित फल प्राप्त होता है। Shiv Ji Puja vidhi kaise kare – आइए जानते हैं कि शिव पूजन में अर्पण किए जाने वाली एक अत्यंत महत्वपूर्ण वस्तु और सिद्ध पूजन विधि के बारे में…
बिल्व पत्र शंकर जी को बहुत प्रिय हैं, बिल्व अर्पण करने पर शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मनमांगा फल प्रदान करते हैं।लेकिन प्राचीन शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव पर अर्पित करने हेतु बिल्व पत्र तोड़ने से पहले एक विशेष मंत्र का उच्चारण कर बिल्व वृक्ष को श्रद्धापूर्वक प्रणाम करना चाहिए, उसके बाद ही बिल्व पत्र तोड़ने चाहिए। ऐसा करने से शिवजी बिल्व को सहर्ष स्वीकार करते हैं।
Shiv Ji ki Puja kaise ki jaati hai ? | शिव जी की पूजा कैसे की जाती है?
Shiv Ji Puja vidhi kaise kare –
1. सावन में में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
2. प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
3. उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर उनका जलाभिषेक करें।
4. फिर शिवलिंग पर दूध, फूल, धतूरा आदि चढ़ाएं।
5. इसके बाद उनके समक्ष धूप, तिल के तेल का दीप और अगरबत्ती जलाएं।
Belpatra Todne ka mantra kya hai ? | क्या है बिल्व पत्र तोड़ने का मंत्र-
अमृतोद्धव श्रीवृक्ष महादेवप्रिय: सदा।
गृहामि तव पत्रणि शिवपूजार्थमादरात्।।
- यह समय निषिद्ध है बिल्ब पत्र तोड़ने के लिए…
हमेशा ध्यान रखें कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रांति के समय और सोमवार को बिल्व पत्र कभी नहीं तोड़ने चाहिए। यदि पूजन करना ही हो एक दिन पहले का रखा हुआ बिल्व पत्र चढ़ाया जा सकता है।
Also Read : Dhan Ki Varsha Ke liye Upay Kaise kare
- इसके अलावा बिल्व पत्र, धतूरा और पत्ते जैसे उगते हैं, वैसे ही इन्हें भगवान पर चढ़ाना चाहिए। उत्पन्न होते समय इनका मुख ऊपर की ओर होता है, अत: चढ़ाते समय इनका मुख ऊपर की ओर ही रखना चाहिए।
- कैसे चढ़ाएं दूर्वा और तुलसी शिवजी को
दूर्वा एवं तुलसी दल को अपनी ओर तथा बिल्व पत्र नीचे मुख पर चढ़ाना चाहिए। दाहिने हाथ की हथेली को सीधी करके मध्यमा, अनामिका और अंगूठे की सहायता से फूल एवं बिल्व पत्र चढ़ाने चाहिए। भगवान शिव पर चढ़े हुए पुष्पों एवं बिल्व पत्रों को अंगूठे और तर्जनी की सहायता से उतारें।
Solah Somwar Vrat Katha, Puja Vidhi : सोलह सोमवार का व्रत पूजा विधि और व्रत कथा
16 Somvaar Vrat Katha – सोलह सोमवार व्रत में आटे, गुड़ और घी से चूरमा बनाकर भोग लगाया जाता है. इसके तीन हिस्से कर शिव जी को चढ़ाएं. अंत में शिव जी के मंत्रों का जाप, शिव चालीसा पाठ आदि कर आरती कर दें. अब प्रसाद का पहला हिस्सा गाय को दें, दूसरा खुद खाएं और तीसरा अन्य लोगों में बांट दें. सोमवार व्रत में शाम के ही समय में भोजन करने का विधान है। ऐसे में उससे पहले किसी भी प्रकार के अन्न का सेवन न करें। शिव साधक को तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। सोमवार का व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
Shiv Puja Ke Niyam | Shiv Pooja ki Vidhi Kya hai ? | शिव पूजा की विधि क्या है?
सुबह-सवेरे नित्य कर्मों से निवृत्त होकर किसी भी शिव मंदिर में जाएं। वहां शिवलिंग पर सबसे पहले जल चढ़ाएं। इसके बाद भांग मिला हुआ कच्चा दूध चढ़ाएं। फिर गन्ने का रस चढ़ाएं साथ ही ऊं नम: शिवाय मंत्र का जप करते रहें। मंत्र का उच्चारण आप अपनी श्रद्धानुसार 11, 21, 51 या फिर 108 बार कर सकते हैं।
Shiv Ji ka Priya mantra kya hai ? | शिव जी का प्रिय मंत्र क्या है?
ऊं नम: शिवाय मंत्र के जप के बाद ‘रूप देहि जयं देहि भाग्यं देहि महेश्वर:। पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान्कामांश्र्च देहि मे।।’ मंत्र का जप करें। साथ ही शिवलिंग पर पुन: जल चढ़ाएं। इसके बाद फूल, अक्षत, धतूरा, आंकड़े का फूल और बेल पत्र चढ़ाएं फिर धूपबत्ती और दीपक जलाएं। इसके बाद भोलेनाथ की आरती पढ़ें।
Shiv Mandir Mai Pooja Kaise karte hai ? | शिव मंदिर में प्रार्थना कैसे करते हैं?
पूजा के रूप में मंदिर के सामने भगवान शिव का ध्यान करें। आप भगवान शिव की पूजा करने के लिए शैव धर्म की प्रार्थनाओं, मंत्रों और ग्रंथों का जाप भी कर सकते हैं। यदि आप पूजा करने के लिए किसी मंदिर में जाते हैं, तो हिंदू पुजारी आपको मंदिर की सेवा के हिस्से के रूप में भगवान शिव का जाप करने के लिए ले जा सकता है।
Shivling par sabse pehle kya chadhana chahiye ? शिवलिंग पर सबसे पहले क्या चढ़ाना चाहिए ?
शिव पूजा में सबसे पहले गणेश पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। इसके बाद दूध, दही, शहद भी चढ़ाएं। इसके बाद शिवलिंग पर बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल आदि चीजें अर्पित करें।
Shivling Par dhatura kaise chadaye ? | शिवलिंग पर धतूरा कैसे चढ़ाएं ?
सावन के महीने में रोजाना एक धतूरा शिवलिंग पर चढ़ाएं और इसका डंठल शिवलिंग की जलाधारी की तरफ होना चाहिए। धतूरा चढ़ाते वक्त ऊं नम: शिवाय मंत्र का जप करते रहें। शिव कृपा से संतान प्राप्ति के मार्ग में आ रही बाधाएं दूर होंगी और जल्द ही आपको सुख की प्राप्ति होगी। धतूरे का डंठल जलाधरी की ओर रहना चाहिए. यह उपाय करने से शिव जी की कृपा प्राप्त होती है. आपकी आर्थिक स्थिति खराब है तो आने वाले प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ को एक लोटा जल चढ़ाएं और उन्हें एक धतूरा अर्पित कर दें. भांग और धतूरे ने शिव जी की व्याकुलता दूर की इसलिए ही यह दोनों शिव जी को बहुत प्रिय हैं. शिवलिंग पर भांग-धतूरा चढ़ाने से शिव जी बहुत प्रसन्न होते हैं
Shivling par belpatra kaise chadaye ? | शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका क्या है ?
ध्यान रखें कि बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं. मध्य वाली पत्ती को पकड़कर महादेव को अर्पित करें. बेलपत्र को कुछ तारीखों में तोड़ना वर्जित माना गया है. जैसे कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ते हैं
Shivling par Belpatra Chadhate samay konsa mantra bolna chahiye ? | बेलपत्र चढ़ाते समय क्या बोलना चाहिए ?
अघोर पाप संहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम्॥त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम्।त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥
Sawan mai Shivling par Kitne belpatra chadhane chahiye ? | सावन में शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ाने चाहिए ?
कितना बेलपत्र चढ़ाए:
धार्मिक शास्त्र के अनुसार एक बेलपत्र से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं और सारी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं. अगर आप सावन के महीने में बेलपत्र में राम नाम लिखकर 11, 21, 51, 108 पत्र चढ़ाएंगे तो सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
इस मंत्र से करें समापन | Shiv Ji ki puja samapt karte samay konsa mantra bolna chahiye
आरती पढ़ने के बाद ‘कपूर्रगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेंद्रहारं। सदा वसंत हृदयाविंदे भंव भवानी सहितं नमामि।।’ को पांच बार पाठ करें। अंत में भोले भंडारी से प्रार्थना करें कि वह आपके समस्त कष्टों को दूर करें और सुख-समृद्धि का वरदान दें। ध्यान रखें कि पूजा करते समय मन में किसी भी तरह का छल-कपट या फिर किसी भी व्यक्ति के प्रति ईर्ष्या-द्वेष न लेकर आएं। सच्चे मन से शिव की पूजा करें। वह जीवन में आने वाली सारी परेशानियों को दूर कर देते हैं।