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    Home » Bhagwan Shiv ki puja vidhi in hindi
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    Bhagwan Shiv ki puja vidhi in hindi

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiJuly 27, 2023Updated:July 27, 2023
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    शिव की पूजा-अर्चना से कई जन्मों का फल प्राप्त होता है। यदि विधिविधान से पूजन किया जाए तो निश्चित ही मनोवांछित फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि शिव पूजन में अर्पण किए जाने वाली एक अत्यंत महत्वपूर्ण वस्तु और सिद्ध पूजन विधि के बारे में…

    • बिल्व पत्र शंकर जी को बहुत प्रिय हैं, बिल्व अर्पण करने पर शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मनमांगा फल प्रदान करते हैं।
    • लेकिन प्राचीन शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव पर अर्पित करने हेतु बिल्व पत्र तोड़ने से पहले एक विशेष मंत्र का उच्चारण कर बिल्व वृक्ष को श्रद्धापूर्वक प्रणाम करना चाहिए, उसके बाद ही बिल्व पत्र तोड़ने चाहिए। ऐसा करने से शिवजी बिल्व को सहर्ष स्वीकार करते हैं।

    क्या है बिल्व पत्र तोड़ने का मंत्र-

    अमृतोद्धव श्रीवृक्ष महादेवप्रिय: सदा।
    गृहामि तव पत्रणि शिवपूजार्थमादरात्।।

    • यह समय निषिद्ध है बिल्ब पत्र तोड़ने के लिए…

    हमेशा ध्यान रखें कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रांति के समय और सोमवार को बिल्व पत्र कभी नहीं तोड़ने चाहिए। यदि पूजन करना ही हो एक दिन पहले का रखा हुआ बिल्व पत्र चढ़ाया जा सकता है।

    • इसके अलावा बिल्व पत्र, धतूरा और पत्ते जैसे उगते हैं, वैसे ही इन्हें भगवान पर चढ़ाना चाहिए। उत्पन्न होते समय इनका मुख ऊपर की ओर होता है, अत: चढ़ाते समय इनका मुख ऊपर की ओर ही रखना चाहिए।
    • कैसे चढ़ाएं दूर्वा और तुलसी शिवजी को

    दूर्वा एवं तुलसी दल को अपनी ओर तथा बिल्व पत्र नीचे मुख पर चढ़ाना चाहिए। दाहिने हाथ की हथेली को सीधी करके मध्यमा, अनामिका और अंगूठे की सहायता से फूल एवं बिल्व पत्र चढ़ाने चाहिए। भगवान शिव पर चढ़े हुए पुष्पों एवं बिल्व पत्रों को अंगूठे और तर्जनी की सहायता से उतारें।

    ऐसे करें पूजा

    सुबह-सवेरे नित्‍य कर्मों से निवृत्‍त होकर किसी भी शिव मंदिर में जाएं। वहां शिवलिंग पर सबसे पहले जल चढ़ाएं। इसके बाद भांग मिला हुआ कच्‍चा दूध चढ़ाएं। फिर गन्‍ने का रस चढ़ाएं साथ ही ऊं नम: शिवाय मंत्र का जप करते रहें। मंत्र का उच्‍चारण आप अपनी श्रद्धानुसार 11, 21, 51 या फिर 108 बार कर सकते हैं।

    इस मंत्र का करें जप

    ऊं नम: शिवाय मंत्र के जप के बाद ‘रूप देहि जयं देहि भाग्‍यं देहि महेश्‍वर:। पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान्‍कामांश्र्च देहि मे।।’ मंत्र का जप करें। साथ ही शिवलिंग पर पुन: जल चढ़ाएं। इसके बाद फूल, अक्षत, धतूरा, आंकड़े का फूल और बेल पत्र चढ़ाएं फिर धूपबत्‍ती और दीपक जलाएं। इसके बाद भोलेनाथ की आरती पढ़ें।

    इस मंत्र से करें समापन

    आरती पढ़ने के बाद ‘कपूर्रगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेंद्रहारं। सदा वसंत हृदयाविंदे भंव भवानी सहितं नमामि।।’ को पांच बार पाठ करें। अंत में भोले भंडारी से प्रार्थना करें कि वह आपके समस्‍त कष्‍टों को दूर करें और सुख-समृद्धि का वरदान दें। ध्‍यान रखें कि पूजा करते समय मन में किसी भी तरह का छल-कपट या फिर किसी भी व्‍यक्ति के प्रति ईर्ष्‍या-द्वेष न लेकर आएं। सच्‍चे मन से शिव की पूजा करें। वह जीवन में आने वाली सारी परेशानियों को दूर कर देते हैं।

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