जानिये सृष्टि के पालन हार भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की कहानी
भगवान विष्णु के अवतार का महत्व ( Importance of Lord Vishnu Avatar )
भगवान विष्णु जो इस सृष्टि के पालन हार माने जाते हैं समय समय पर अवतार लेकर संसार का कल्याण और उनकी रक्षा करते हैं। उनके कई अवतार हुए जिनमें से आज हम भगवान विष्णु के कूर्म अवतार के बारे में बात करने जा रहे हैं।
भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को कच्छप अवतार भी कहा जाता है, यह विश्व कल्याण के लिए लिया गया उनका दूसरा अवतार था। अपने कूर्म अवतार में विष्णु जी एक कछुए के रूप में अवतरित हुए थे इसलिए इन्हें Tortoise God कहा गया है। आइए जानते हैं आखिर भगवान विष्णु के Kachhap Avatar Ki Katha.
भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को कच्छप अवतार भी कहा जाता है, यह विश्व कल्याण के लिए लिया गया उनका दूसरा अवतार था। अपने कूर्म अवतार में विष्णु जी एक कछुए के रूप में अवतरित हुए थे इसलिए इन्हें Tortoise God कहा गया है। आइए जानते हैं आखिर भगवान विष्णु के Kachhap Avatar Ki Katha.
कुर्म अवतार की कहानी ( Kurma Avatar Story In Hindi )
विष्णु जी के एक कछुए के रूप में अवतार लेने का कारण समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है। दरअसल समुद्र मंथन के दौरान देव गणों और दैत्यों की सहायता करने के लिए उन्होंने कच्छप रूप धारण किया था। Lord Vishnu Kurma Avatar Story In Hindi कुछ इस प्रकार है कि एक समय की बात है जब देवताओं को अपनी शक्ति का खूब अभिमान हो चला था और इस अभिमान में डूबे हुए देवों ने ऋषि दुर्वासा का अपमान किया तो उन्होंने क्रोध में आकर देवताओं को श्राप दे डाला था कि समय आने पर तुम सभी शक्तिहीन हो जाओगे तुम्हारी सारी शक्ति क्षीण हो जाएगी।
इसी श्राप के परिणामस्वरूप दैत्यों से युद्ध करते समय देवताओं की शक्ति कम होने लगी। शक्तिहीनता का लाभ उठाते हुए दैत्यों ने देवराज इंद्र को चुटकियों में पराजित कर डाला। इस तरह अब सभी दैत्यों दानवों का तीनों लोकों पर राज हो गया। शक्तिहीन हुए सभी देव भय की अवस्था में भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे उपाय पूछा। भगवान विष्णु ने Samudra Manthan का उपाय सुझाया। अभी अभी सतयुग की शुरुआत हुई थी पृथ्वी को प्रलय झेले हुए कुछ ही समय बीता था और सभी बहुमूल्य रत्न प्रलय के कारण समुद्र में गिर गए थे। ऐसे में समुद्र मंथन का विष्णु जी का सुझाव सबसे सही था।
Kachhap Avatar Ki Kahani का आरम्भ भी यहीं से होता है। समुद्र मंथन का कार्य करना अकेले देवताओं के बस में नहीं था इसलिए दैत्यों को साथ में लाना एक मजबूरी थी। विष्णु जी ने बताया था कि समुद्र मंथन से अमृत निकलेगा जिसका पान कर सभी देवता अमर हो जाएंगे। इस तरह वे फिर से शक्तिशाली हो जाएंगे और पुरानी अवस्था में लौट आएंगे।
Kurma Avatar In Hindi की कहानी आगे इस प्रकार है कि अब समुद्र मंथन का कार्य आरंभ हुआ जिसके लिए विशाल मदारी की आवश्यकता थी जिससे समुद्र को मथा जा सके। इसके लिए विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र की मदद से मंदार पर्वत को काटकर समुद्र में रखा। इसकी सहायता से ही देव व दानव समुंद्र को मथने का कार्य कर सकते थे। इस पर्वत को घुमाने के लिए रस्सी के रूप में भगवान विष्णु के वासुकी नाग का प्रयोग किया गया। वासुकी नाग को मंदार पर्वत पर लपेटा गया। नाग के मुख को दैत्यों की ओर तथा तथा पूँछ को देवताओं की ओर रखा गया।
इसी श्राप के परिणामस्वरूप दैत्यों से युद्ध करते समय देवताओं की शक्ति कम होने लगी। शक्तिहीनता का लाभ उठाते हुए दैत्यों ने देवराज इंद्र को चुटकियों में पराजित कर डाला। इस तरह अब सभी दैत्यों दानवों का तीनों लोकों पर राज हो गया। शक्तिहीन हुए सभी देव भय की अवस्था में भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे उपाय पूछा। भगवान विष्णु ने Samudra Manthan का उपाय सुझाया। अभी अभी सतयुग की शुरुआत हुई थी पृथ्वी को प्रलय झेले हुए कुछ ही समय बीता था और सभी बहुमूल्य रत्न प्रलय के कारण समुद्र में गिर गए थे। ऐसे में समुद्र मंथन का विष्णु जी का सुझाव सबसे सही था।
Kachhap Avatar Ki Kahani का आरम्भ भी यहीं से होता है। समुद्र मंथन का कार्य करना अकेले देवताओं के बस में नहीं था इसलिए दैत्यों को साथ में लाना एक मजबूरी थी। विष्णु जी ने बताया था कि समुद्र मंथन से अमृत निकलेगा जिसका पान कर सभी देवता अमर हो जाएंगे। इस तरह वे फिर से शक्तिशाली हो जाएंगे और पुरानी अवस्था में लौट आएंगे।
Kurma Avatar In Hindi की कहानी आगे इस प्रकार है कि अब समुद्र मंथन का कार्य आरंभ हुआ जिसके लिए विशाल मदारी की आवश्यकता थी जिससे समुद्र को मथा जा सके। इसके लिए विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र की मदद से मंदार पर्वत को काटकर समुद्र में रखा। इसकी सहायता से ही देव व दानव समुंद्र को मथने का कार्य कर सकते थे। इस पर्वत को घुमाने के लिए रस्सी के रूप में भगवान विष्णु के वासुकी नाग का प्रयोग किया गया। वासुकी नाग को मंदार पर्वत पर लपेटा गया। नाग के मुख को दैत्यों की ओर तथा तथा पूँछ को देवताओं की ओर रखा गया।
भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार क्यों लिया था? ( What was the purpose of Kurma avatar? )
Vishnu Ka Kachua Avatar की कहानी में अब एक और परेशानी सामने आई क्योंकि समुद्र गहरा होता है इसलिये मंदार पर्वत अंदर रसातल में डूबता जा रहा था। मंदार पर्वत के डूबने से समुद्र मंथन का कार्य पूर्ण होना असंभव था। यह दृश्य देखकर भगवान विष्णु ने एक बार फिर सहायता की और अपना द्वितीय कूर्म अवतार लिया।
Kurma अवतार में उन्होंने मंदार पर्वत का सारा भार अपनी पीठ पर उठाए रखा और वे तब भार सहन करते रहे जब तक समुद्र मंथन का कार्य पूर्ण नहीं हो गया। Kurma avatar of Vishnu के कारण ही समुद्र मंथन का कार्य संपन्न हो पाया, देवताओं को अमृत मिल पाया और चौदह रत्नों को भी प्राप्ति हुई।
Kurma अवतार में उन्होंने मंदार पर्वत का सारा भार अपनी पीठ पर उठाए रखा और वे तब भार सहन करते रहे जब तक समुद्र मंथन का कार्य पूर्ण नहीं हो गया। Kurma avatar of Vishnu के कारण ही समुद्र मंथन का कार्य संपन्न हो पाया, देवताओं को अमृत मिल पाया और चौदह रत्नों को भी प्राप्ति हुई।
कूर्म का मतलब क्या है? ( What is the meaning of Kurma? )
कूर्म का अर्थ होता है ऐसा जीव जिसकी पीठ पर ठोस ढाल हो, इसलिए कछुए को कूर्म कहा जाता है और भगवान विष्णु द्वारा लिए गए अवतार को भी कूर्म कहते हैं।
कूर्म अवतार कब हुआ था? ( When was Kurma avatar taken? )
भगवान विष्णु ने कूर्म अवतार सत्ययुग में समुद्र मंथन के दौरान लिया था। यह संसार के कल्याण के लिया लिया गया उनका दूसरा अवतार माना जाता है।