योग निद्रा क्या है? ( What is Yoga Nidra? )
योग निद्रा ( Yoga Nidra ) से तात्पर्य है आध्यात्मिक नींद जिसमें व्यक्ति को जागते हुए सोना होता है। दरअसल सोने और जागने के मध्य की स्थिति को योग निद्रा कहते हैं। योग निद्रा की अवस्था के दौरान व्यक्ति अपने शरीर और मन-मस्तिष्क को आराम पहुंचाते हुए नई ऊर्जा को अपने भीतर सरंक्षित करता है।
यह एक ऐसी क्रिया है जो व्यक्ति के शरीर को ध्यान और प्राणायाम के लिए तैयार करने का कार्य करती है। आइये जानते हैं योग निद्रा से जुड़ी विभिन्न जानकारियों के बारे में :
यह एक ऐसी क्रिया है जो व्यक्ति के शरीर को ध्यान और प्राणायाम के लिए तैयार करने का कार्य करती है। आइये जानते हैं योग निद्रा से जुड़ी विभिन्न जानकारियों के बारे में :
योग निद्रा कब करना चाहिए? ( When to Start Yoga Nidra? )
योग निद्रा के अभ्यास से पहले पेट हल्का रखें क्योंकि इस क्रिया को करने के लिए पेट भर भोजन नहीं करना चाहिए। जिस स्थान पर योग निद्रा की क्रिया की जानी है वह स्थान बेहद आरामदायक और किसी भी अव्यवस्था वाला न हो। कई बार योग निद्रा करने के बाद हल्की से ठंड लगने लगती है इसलिए साथ में कम्बल रखें।
योग निद्रा के मुख्य लाभ क्या हैं? ( Yoga Nidra Benefits )
चलिए आपको बताते हैं निद्रा योग के लाभों ( Nidra Yoga Benefits ) के बारे में :
1. योग निद्रा के माध्यम से व्यक्ति अपने मन-मस्तिष्क को शांत और स्थिर रख सकता है।
2. इससे व्यक्ति अन्य आसनों को करने के बाद बढ़े हुए शरीरिक तापमान के स्तर को फिर से सामान्य करता है।
3. तनाव मुक्ति के लिए अत्यंत लाभकारी उपाय है।
4. तंत्रिका तंत्र सुचारु रूप से कार्य करने लगती है।
5. ध्यान करने की क्षमता (एकाग्रता क्षमता) में इज़ाफ़ा होता है।
6. व्यक्ति अध्यात्म के साथ अपना जुड़ाव महसूस करने लगता है।
7. इन्द्रियों को नियंत्रित करने के लिए यह बहुत लाभकारी है।
8. शरीर और आत्मा के प्रसन्न रहने के लिए जरुरी है।
9. योग निद्रा से रक्तचाप, मधुमेह, ह्रदय रोग, सर दर्द तथा दमा आदि बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।
10. यह स्त्री रोग, मनोवैज्ञानिक रोगों के लिए बहुत लाभकारी है।
1. योग निद्रा के माध्यम से व्यक्ति अपने मन-मस्तिष्क को शांत और स्थिर रख सकता है।
2. इससे व्यक्ति अन्य आसनों को करने के बाद बढ़े हुए शरीरिक तापमान के स्तर को फिर से सामान्य करता है।
3. तनाव मुक्ति के लिए अत्यंत लाभकारी उपाय है।
4. तंत्रिका तंत्र सुचारु रूप से कार्य करने लगती है।
5. ध्यान करने की क्षमता (एकाग्रता क्षमता) में इज़ाफ़ा होता है।
6. व्यक्ति अध्यात्म के साथ अपना जुड़ाव महसूस करने लगता है।
7. इन्द्रियों को नियंत्रित करने के लिए यह बहुत लाभकारी है।
8. शरीर और आत्मा के प्रसन्न रहने के लिए जरुरी है।
9. योग निद्रा से रक्तचाप, मधुमेह, ह्रदय रोग, सर दर्द तथा दमा आदि बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है।
10. यह स्त्री रोग, मनोवैज्ञानिक रोगों के लिए बहुत लाभकारी है।
नींद पर जीत किसने पाई? ( Who Conquered sleep? )
हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में इस बात का वर्णन मिलता है कि रामायण में लक्ष्मण और महाभारत में अर्जुन ने नींद पर विजय ( Conquered Sleep ) प्राप्त कर ली थी। लक्ष्मण ने अपने भाई श्री राम और सीता मां के लिए सेवा भाव से नींद का त्याग किया था जबकि अर्जुन ने महाभारत का युद्ध लड़ने और श्री कृष्ण की भक्ति में डूबकर नींद का त्याग किया था।
क्या अर्जुन ने नींद पर जीत पाई थी? ( Did Arjuna conquer sleep? )
अर्जुन (Arjuna) ने महाभारत का युद्ध लड़ने के लिए योग निद्रा जैसी आध्यात्मिक नींद का सहारा लिया था जिससे वे महाभारत का युद्ध लड़ पाएं। उन्होंने श्री कृष्ण से मित्रता के चलते निद्रा और अज्ञान दोनों पर विजय प्राप्त कर ली थी। अर्जुन श्री कृष्ण की भक्ति में इतने लीन हो चुके थे कि वे उनके नाम को क्षण भर के लिए भी नहीं भूल पाए। वे नाम तो नहीं भूल पाए परन्तु उन्होंने योग निद्रा की अवस्था को प्राप्त कर लिया। इसे कृष्णभावनामृत या समाधि की अवस्था भी कहा जा सकता है।
अर्जुन को गुडाकेश क्यों कहा जाता है? ( Why is Arjuna called Gudakesh? )
महाभारत के अर्जुन को गुडाकेश भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपनी निद्रा पर विजय प्राप्त कर ली थी। गुडाकेश का अर्थ ( Gudakesh Meaning ) है निद्रा पर जीत हासिल करने वाला।
क्या लक्ष्मण वनवास के 14 वर्षों तक सोये नहीं थे? ( Did Laxman did not sleep for 14 years? )
लक्ष्मण अपने सेवा समर्पण के भाव के कारण 14 वर्षों तक नहीं सोये थे। पुराणों में जानकारी मिलती है कि जब लक्ष्मण प्रभु श्री राम और सीता संग 14 वर्ष के वनवास के लिए जा रहे थे उसी वक़्त उन्होंने सेवा करने के लिए अपनी निद्रा ( Nidra ) का त्याग कर दिया।
( जिस प्रकार योग शास्त्र में वर्णित योग निद्रा व्यक्ति के तनाव और अवसाद को दूर करने का कार्य करती है उसी प्रकार सदैव योग मुद्रा में रहने भगवान शिव का महा मृत्युंजय कवच ( Maha Mrityunjaya Kavach ) अपनी अलौकिक शक्तियों से व्यक्ति का जीवन तनाव और अवसाद मुक्त बनाता है। साथ ही मन-मस्तिष्क को शांत रखने का कार्य करता है। )
( जिस प्रकार योग शास्त्र में वर्णित योग निद्रा व्यक्ति के तनाव और अवसाद को दूर करने का कार्य करती है उसी प्रकार सदैव योग मुद्रा में रहने भगवान शिव का महा मृत्युंजय कवच ( Maha Mrityunjaya Kavach ) अपनी अलौकिक शक्तियों से व्यक्ति का जीवन तनाव और अवसाद मुक्त बनाता है। साथ ही मन-मस्तिष्क को शांत रखने का कार्य करता है। )