What is Narmadeshwar Shivling?
हिन्दू धर्म में शिवलिंग की पूजा का काफी महत्व बताया गया है। शिवलिंग पूजा में भी नर्मदेश्वर शिवलिंग का सबसे अधिक महत्व है। नमर्दा नदी से निर्मित होने वाले Narmadeshwar Shivling समेत इस नदी का कण-कण शिव है।
नर्मदा पुराण की माने तो नर्मदा शिव की पुत्री है जिन्हें भगवान शंकर का वरदान प्राप्त है। इसलिए narmada river shiva lingam stone को सबसे पवित्र माना जाता है।
मान्यता है कि नर्मदा नदी में स्नान करने से वही फल प्राप्त होता है जो गंगा स्नान से प्राप्त होता है। इस नदी से निकलने वाले हर पत्थर पर भोलेनाथ की कृपा है। इस प्रकार narmada shivling भी अत्यधिक ख़ास है।[1]
Narmadeshwar Shivling Benefits (हिंदी में नर्मदेश्वर शिवलिंग लाभ)
Narmadeshwar shivling को ही बाणलिंग कहा जाता है आइये जानते है banalinga benefits के बारे में :
1. घर में सकारात्मक शक्तियों का आगमन होता है और मन भी शांत रहता है।
2. narmada stone shivling की पूजा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. यह व्यक्ति के तामसिक गुणों जैसे – क्रोध, ईर्ष्या, घृणा और अहंकार को समाप्त करता है।
4. घर के वास्तु दोष का खात्मा नर्मदेश्वर शिवलिंग के फायदे है।
How to Worship Narmadeshwar Shivling?
नर्मदेश्वर शिव लिंग पूजा विधि :
1. प्रातःकाल स्नान करें और शिवलिंग को किसी बड़े थाल में शिव जी प्रतिमा के आगे रखें।
2. इसके पश्चात भगवान शिव की प्रतिमा के आगे बेलपत्र और नैवेद्य अर्पित करें।
3. फिर शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
4. उसके बाद भगवान शिव का ध्यान करें और ॐ नमः शिवाय का जाप करें।
5. साथ ही लिंगाष्टक स्तोत्रम् का पाठ भी कर सकते हैं।
6. थाल वाले जल को किसी पौधे में डाल सकते हैं।
लिंगाष्टक स्तोत्रम्

नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना के नियम
1. शिवलिंग को घर और मंदिर दोनों जगह पर अलग तरह से स्थापित किया जाता है।
2. घर में स्थापित होने वाले शिवलिंग का आकार 6 इंच से बड़ा नहीं होना चाहिए।
3. शिवलिंग को कहीं भी स्थापित किया जाये उसकी वेदी का मुख उत्तर दिशा की ओर ही होना चाहिए।
4. नर्मदेश्वर शिवलिंग की तांबे, स्फटिक, पत्थर और सोने-चांदी से बने वेदी पर स्थापित कर पूजा की जाती है।
नर्मदेश्वर शिवलिंग के पीछे की कहानी
बाणलिंग कहे जाने के पीछे की एक कहानी है। इसके अनुसार बाणासुर ने कई वर्षों तक कठोर तपस्या कर भगवान शंकर को खुश किया था। ताकि वे सदा के लिए अमरकंटक पर्वत पर लिंगरूप में ही रहें। बताते चलें कि इसी पर्वत से नर्मदा नदी बहती है, जहाँ से नदी के साथ बहकर पत्थर आते है। इन्हीं पत्थर रूपी शिव के अंश को बाणलिंग या narmada lingam के नाम से लोग पूजते हैं। ये तो रही नर्मदेश्वर शिवलिंग का महत्व। लेकिन यह जानना भी आवश्यक है कि आखिर शिवलिंग की पूजा क्यों होती है?
Why Shivling is Worshiped?
हिन्दू धर्म में शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी आराधना दोनों रूपों में की जाती है। इनकी साकार और निराकार रूप में पूजा होती है। शिव अपने साकार रूप में हाथ में त्रिशूल और डमरू लिए दिखते हैं। वहीँ निराकार रूप में वे शिवलिंग रूप धारण किये हुए हैं। भगवान शिव का निराकार रूप पूरे संसार के आदि और अनंत का प्रतीक है।
शैव परंपरा में शिवलिंग का महत्व
शैव परंपरा में भगवान शिव की तीन प्रकार की परिपूर्णताओं का उल्लेख किया गया है। पहला परशिव, दूसरा पराशक्ति और तीसरा परमेश्वर। शिवलिंग का ऊपरी अंडाकार भाग है वह परशिव है। शिवलिंग का निचला भाग पराशक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति समेटे हुए यह शिवलिंग ऊर्जा का एक स्त्रोत है। इसी कारण से हिन्दू धर्म में इसे पूजे जाने की मान्यता है। [2]
शिवलिंग से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :
- वेदों की माने तो शिवलिंग में शामिल यह लिंग शब्द सूक्ष्म शरीर का सूचक है।
- इस सूक्ष्म शरीर के कुल 17 तत्व है जिसमें मन, बुद्धि, 5 ज्ञानेन्द्रियाँ, 5 वायु और 5 कर्मेन्द्रियाँ शामिल है।
- वायु पुराण में कहा गया है कि सृष्टि का जहाँ अंत होता है और पुनः जन्म होता है वह लिंग है।
FAQs
Types of Shivling
1. देवलिंग
2. स्वयंभूलिंग
3. मनुष्यलिंग
4. पुराणलिंग
5. अर्शलिंग
6. आसुरलिंग