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    Home » Laxmi Kavach – पैसे की तंगी से निजात दिलाएगा लक्ष्मी कवच, जानें क्या है इसके उपयोग का तरीका
    Astrology

    Laxmi Kavach – पैसे की तंगी से निजात दिलाएगा लक्ष्मी कवच, जानें क्या है इसके उपयोग का तरीका

    rootBy rootJanuary 9, 2024Updated:January 9, 2024
    Lakshmi Mata
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    श्री लक्ष्मी कवच क्या है? ( What is Shri Laxmi Kavach? )

    Lakshmi Kavach जिसके नाम से ही ज्ञात होता है वह कवच जो धन-संपत्ति और वैभव का प्रतीक हो। लक्ष्मी मां सुख- शांति और ऐश्वर्य का प्रतिनिधित्व करती हैं।

    लक्ष्मी का अर्थ लोग हमेशा धन से जोड़कर देखते है जबकि लक्ष्मी शब्द चेतना का एक गुण है। ऐसी चेतना जो उपयोग में न आने वाली वस्तुओं को भी उपयोगी बना देती है। 

    इस प्रकार यह कवच लक्ष्मी शब्द के साथ प्रयुक्त होने पर इसका महत्व भी अत्यधिक बढ़ जाता है। इस कवच को धन लक्ष्मी कवच भी कहा जाता है। बताते चलें कि Dhan Laxmi Kavach में चेतना का गुण विद्यमान है।

    इसके जरिये व्यक्ति स्वल्प साधनों का भरपूर प्रयोग कर पाने में सक्षम हो जाता है। आइये जानते है Maha Dhan Laxmi Kavach के अद्भुत लाभों के बारे में …
    Lakshmi Kavach
    Lakshmi Kavach

    लक्ष्मी कवच के लाभ – श्री लक्ष्मी कवच ( Laxmi Kavach Benefits )

    Lakshmi Kavach benefits
     
    1. यह maha laxmi kavach व्यक्ति को धन-संपदा और वैभव प्रदान करता है।  

    2. लक्ष्मी धन कवच घर में सुख-शान्ति बनाये रखने के लिए सहायक है।  

    3. इस shri laxmi kavach के माध्यम से संतानहीन स्त्री को पुत्र की प्राप्ति होती है। 
     
    4. मां लक्ष्मी उस घर में स्थिर रूप से निवास करती है।  

    5. व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है।  

    6. सभी आर्थिक संकटों से छुटकारा पाने में सहायक है यह shri laxmi kavach। 
     
    7. लक्ष्मी धन कवच घर में मौजूद वास्तु दोषों को समाप्त करता है।  
    jai lakshmi mata
    jai lakshmi mata

    लक्ष्मी कवच को धारण कैसे करें? ( How to wear lakshmi kavach? )

    1. Laxmi Kavach को धारण करने के लिए सबसे शुभ दिन शुक्रवार का माना जाता है।  

    2. प्रातःकाल स्नान कर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाए और माता की प्रतिमा रखें। 
     
    3. देवी को लाल चुनरी, लाल पुष्प और सिन्दूर अर्पित करें।  

    4. तत्पश्चात मिठाई, मेवा या फल आदि भोग स्वरुप चढ़ाएं।  

    5. फिर लक्ष्मी बीज मंत्र का 108 बार जाप करते हुए कवच या कवच रूपी लॉकेट को देवी के चरणों में अर्पित करें। 
     
    6. इस प्रकार लक्ष्मी धन कवच या लॉकेट को धारण किया जाना चाहिए।  

    यदि आप खरदीने के इच्छुक है तो यह कवच हमारे पास Lakshmi Kavach Locket Online उपलब्ध है।  

    माता लक्ष्मी की कहानी ( Who is Laxmi? )

    ऋषि भृगु की पुत्री देवी लक्ष्मी के अनेकों रूप हैं और इन रूपों में से सर्व प्रसिद्ध रूप है अष्टलक्ष्मी। वैसे देवी लक्ष्मी को मां चंचला के नाम से भी पुकारा जाता है। उनका यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वह एक जगह पर टिक कर नहीं रहती है। मां लक्ष्मी का एक मुख और चार भुजाएं है। दो भुजाओं में देवी ने कमल पुष्प लिया हुआ है। एक हाथ से देवी आशीर्वाद दे रही हैं जबकि दूसरे हाथ से धन की वर्षा हो रही है। 

    माता लक्ष्मी के जन्म से जुड़ी दो पौराणिक कथाएं है। एक कथा के अनुसार मां लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई है। मंथन के दौरान निकले रत्नों में एक रत्न देवी लक्ष्मी भी थीं।  वहीँ दूसरी कथा के अनुसार देवी लक्ष्मी ऋषि भृगु की पुत्री हैं और उनकी माता का नाम ख्याति था। बताते चलें कि ऋषि भृगु भगवान शिव के साढ़ू और विष्णु जी के श्वसुर थे। [1]
    नीचे माता लक्ष्मी के कुछ महत्वपूर्ण मन्त्रों, स्तोत्र और महालक्ष्मी कवचम का जिक्र किया गया है।  
    jai laxmi mata
    jai laxmi mata

    महालक्ष्मी कवचम (MahaLakshmi Kavach)

    महा लक्ष्मी चालीसा पाठ | Maha Laxmi chalisa paath

    महालक्ष्मीकनकधारास्तोत्र | Mahalaxmikankadhaaraastotr

    महा-लक्ष्मी जी की आरती -लक्ष्मी जी की आरती लिखी हुई | Maha-Laxmi jee ki aarti-  mahalaxmi aarti lyrics ( Lakshmi ji ki aarti likhi hui )

     

    महा- लक्ष्मी जी का बीज मंत्र | Maha-Laxmi jee ka beej mantr

    ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।

    Om Laxmi Narayan Namah Mantra

    ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।।
    ॐलक्ष्मीनारायणायनमः

    लक्ष्मी गायत्री मंत्र | Laxmi Gayatri mantra

    ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥

    लक्ष्मी गायत्री मंत्र का अर्थ :
    इस मंत्र का अर्थ है कि हम माता लक्ष्मी जो भगवान विष्णु की पत्नी है का ध्यान करते हैं।  ताकि वे हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें।  हम देवी मां की उपासना करते है। कामना करते है कि वे हम पर अपनी कृपा बनाये रखें।  
     lakshmi stotra
    lakshmi stotra

    Mahalaxmi Ashtakam

    महालक्ष्मीअष्टकम इस प्रकार है : 

    महालक्ष्मी अष्टकम के लाभ ( MahaLaxmi Ashtakam Benefits )

    mahalaxmi ashtakam benefits in hindi इस प्रकार है :

    1. व्यक्ति को सिद्धि और बुद्धि की प्राप्ति होती है।  
    2. धन-वैभव की प्राप्ति के साथ-साथ हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।  
    3. धन संचय में वृद्धि होती है।  
    4. सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य सदा बना रहता है।  

    Mahalaxmi Mantra

    ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
    लक्ष्मी मंत्र के लाभ : 

    1. लक्ष्मी मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से घर में मौजूद दरिद्रता दूर होती है।  
    2. घर में लक्ष्मी जी का हमेशा के लिए वास होता है।  
    3. व्यक्ति 16 प्रकार की कलाओं जैसे अन्नमया, प्राणमया, मनोमया, विज्ञानमया आदि में निपुण हो जाता है।  
     lakshmi mantra
    lakshmi mantra

    लक्ष्मी सूक्त का पाठ | Laxmi sootk ka paath

    How to do Laxmi Puja at home daily? 

    चलिए जानते हैं how to Perform Laxmi Pooja : 

    1. प्रतिदिन माता लक्ष्मी की आराधना करने के लिए व्यक्ति को चाहिए कि वह समयबद्ध रहे।  
     
    2. हर रोज़ माता mahalaxmi mantra jaap 108 बार करने से देवी की असीम कृपा बरसती है।  

    3. एक निश्चित समय पर प्रातःकाल या संध्या के समय दीपक जलाना चाहिए। 

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    Maa lakshmi
    Maa lakshmi

    How to do Laxmi Puja on Diwali? 

    दिवाली पूजन पर कुछ विशेष बातों का ध्यान देना बहुत जरूरी है। बताते चलें कि दीपावली पर जो पूजन किया जाता है उसे षोडशोपचार पूजा भी कहा जाता है। आइये जानते है

    पूजा करने की विधि : 

    1. शाम को पूजा का मुहूर्त देख एक लकड़ी की चौकी बिछाएं।  

    2. चौकी पर लक्ष्मी और गणेश के साथ-साथ मां सरस्वती की प्रतिमा को रखें और उसपर गंगाजल से छिड़काव करें।  

    3. पूजास्थल पर एक तांबे या स्टील का पानी से भरा हुआ कलश पांच मोली की गाँठ बांध कर साथ में रखें। कलश पर आम के पत्ते रखें।   
    4. पांच तरह की मिठाई, पांच फल और पंचमेवा रखें। साथ ही खील बताशे भी चढ़ाएं।  

    5. अन्य छोटे दीपक के साथ एक बड़ा दीपक भी जलाएं।   

    6. इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की आरती करें।  

    7. दिवाली पर प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण के साथ-साथ कुबेर देवता की भी उपासना की जानी चाहिए।  

    How to do Laxmi Kuber Puja?

    लक्ष्मी पूजा की ही तरह धन कुबेर की पूजा की जानी चाहिए। लक्ष्मी-कुबेर की पूजा के लिए विधि का नीचे उल्लेख किया गया है।  

    1. सर्वप्रथम पूजास्थल पर कुबेर देवता की प्रतिमा रखें और फिर लक्ष्मी माता की भी प्रतिमा को रखना चाहिए।  

    2. देवी देवताओं के समक्ष अपनी सब पूंजी गहने और तिजोरी रखें और उसपर स्वास्तिक बनाएं।  

    3. उसके बाद दिए गए कुबेर देवता और mahalaxmi mantra jaap करें।  

    4. अब पंच मिठाई, पांच फल और पंच मेवा अर्पित करें।  

    5. इसके बाद चन्दन, रोली, धुप, अक्षत अन्य देवी-देवताओं को अर्पित करें।  

    6. अंत में आरती कर हाथ जोड़कर सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद लें।  
    Maa lakshmi kavach
    Maa lakshmi kavach

     Why Laxmi Ganesh Puja in Diwali?

    आइये जानते हैं आखिर गणेश जी और लक्ष्मी जी की पूजा एक साथ क्यों होती है?

    लोगों के मन में यह सवाल जरूर उठता है कि जब प्रभु श्री राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे तो दिवाली पर उनकी पूजा के बजाय लक्ष्मी गणेश की पूजा का क्यों विधान है? 

    इसका जवाब यह है कि जब श्री राम अयोध्या लौटे तो उन्होंने सबसे पहले लक्ष्मी गणेश का ही पूजन किया था। पूजा करने का उद्देश्य अयोध्या में सुख शांति और समृद्धि बनाये रखना था। यही वजह है कि दिवाली के मौके पर लक्ष्मी गणेश का पूजन किया जाता है।  

    लक्ष्मी पूजन का शुभ समय क्या है? | Laxmi pujan ka suabh samay kya hai

    लक्ष्मी माता की पूजा के लिए शुक्रवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है और इस दिन शाम को पूजा करनी चाहिये। संध्या के समय पूजा-अर्चना करने से घर में सुख शान्ति और धन-वैभव की प्राप्ति होती है। यह लक्ष्मी पूजन का समय है।
     lakshmi Mata kavach
    lakshmi Mata kavach

    जानिए लक्ष्मी-गणेश की कहानी | Jaaniye Laxmi-Ganesh ki kahani

    भगवान गणेश माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र है जबकि गणेश जी माता लक्ष्मी के दत्तक पुत्र भी कहे जाते है। जिसके पीछे एक कहानी जुड़ी हुई है। 

    जब माता लक्ष्मी को इस बात का अहंकार हो गया कि सारा जगत उनकी पूजा करता है अतः वह सबसे शक्तिशाली है। देवी लक्ष्मी को पाने के लिए सभी लालायित है। तब भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी का अहंकार तोड़ने के लिए एक बात कही।

    उन्होंने कहा माना आपकी पूजा सम्पूर्ण सृष्टि करती है लेकिन बिना संतान के कोई भी मां पूर्ण नहीं हो सकती।

    विष्णु जी की इस बात से दुखी हो जाती है और अपना दुखड़ा माता पार्वती को सुनाती हैं। उनका दुखड़ा सुन पार्वती अपने पुत्र गणेश को गोद स्वरुप माता लक्ष्मी को सौंप देती हैं। इसी दिन से लक्ष्मी गणेश की पूजा साथ में की जाने लगी।

    क्या है लक्ष्मी चरण पादुका का महत्व | Kya hai Laxmi charan paaduka ka mahatv

    माता लक्ष्मी की चरण पादुका को घर में धन के आगमन के लिए रखा जाता है। चरणपादुका एक शुभ संकेत है जिसे घर में किसी जिस भी स्थान पर रखा जाता है वहां समस्त प्रकार की समस्याओं का नाश हो जाता है। 

    शास्त्रों की माने तो देवी लक्ष्मी के चरणों में 16 प्रकार के शुभ चिन्ह पाए जाते है। यह 16 शुभ चिन्ह 16 कलाओं के प्रतीक बताये गए हैं। 

    बात करें कि where to place laxmi charan paduka तो इसे घर, ऑफिस या किसी दुकान पर रखा जा सकता है। इसी तरह लक्ष्मी सिक्का को अपने पर्स या तिजोरी में रखने से धन कभी कम नहीं होता।
    god laxmi
    god laxmi

    लक्ष्मी घर में कैसे आती है? | Laxmi Ghar me kaise aate hai

    1. हर शुक्रवार और किसी तीज त्यौहार के मौके पर गाय को रोटी या अन्न खिलाएं।  
    2. हर शुक्रवार नियमित तौर पर मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें।  
    3. किसी निर्धन या जरूरतमंद व्यक्ति की सहायता करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं।  
    4. घर में साफ़-सफाई रखने से मां लक्ष्मी सदैव उस घर में निवास करती हैं।   

    How to make Goddess Laxmi happy?

    माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सीधा सा आसान रास्ता है जिसका यदि पालन किया जाए तो वे अपने भक्त से प्रसन्न रहती हैं।  
    1. सबसे पहले तो व्यक्ति को अपने घर में साफ़ सफाई यानी स्वच्छता का पालन करना चाहिए।  
    2. देवी की नियमित रूप से आराधना करने और मंत्रो का जाप करने से वे खुश रहती हैं।
    Laxmi devi
    Laxmi devi

    महालक्ष्मी अष्टक स्तोत्र -महालक्ष्मी अष्टक | Mahalaxmi ashtak – mahalaxmi ashtakam lyrics

    श्री महालक्ष्म्यष्टकम् इंद्र देव द्वारा माता महालक्ष्मी की भक्तिपूर्ण स्तुति है, जिसे पद्म पुराण मे समायोजित किया गया है।
     
    श्री शुभ ॥ श्री लाभ ॥ श्री गणेशाय नमः॥
    नमस्तेस्तू महामाये श्रीपिठे सूरपुजिते ।
    शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥१॥

    नमस्ते गरूडारूढे कोलासूर भयंकरी ।
    सर्व पाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥२॥

    सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्ट भयंकरी ।
    सर्व दुःख हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥३॥

    सिद्धीबुद्धूीप्रदे देवी भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी ।
    मंत्रमूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ४ ॥

    आद्यंतरहिते देवी आद्यशक्ती महेश्वरी ।
    योगजे योगसंभूते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ५ ॥

    स्थूल सूक्ष्म महारौद्रे महाशक्ती महोदरे ।
    महापाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ६ ॥

    पद्मासनस्थिते देवी परब्रम्हस्वरूपिणी ।
    परमेशि जगन्मातर्र महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥७॥

    श्वेतांबरधरे देवी नानालंकार भूषिते ।
    जगत्स्थिते जगन्मार्त महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥८॥

    महालक्ष्म्यष्टकस्तोत्रं यः पठेत् भक्तिमान्नरः ।
    सर्वसिद्धीमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥९॥

    एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनं ।
    द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्य समन्वितः ॥१०॥

    त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रूविनाशनं ।
    महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥११॥

    ॥ इतिंद्रकृत श्रीमहालक्ष्म्यष्टकस्तवः संपूर्णः ॥
    – अथ श्री इंद्रकृत श्री महालक्ष्मी अष्टक
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