अपने भगवान अपने ईष्ट को पूजने के लिए तो ना तो कोई दिन देखा जाता है, और ना ही समय। अगर आपके अंदर सच्ची आस्था और श्रद्धा है, तो आप अपने भगवान को कभी भी पूज सकते है। सनातन धर्म के अनुसार हफ्ते का हर दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित है, और इन दिनों में पूरे विधि-विधान से भगवान जी की पूजा अर्चना और व्रत किया जाता है। आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि शुक्रवार का दिन (Shukrawar Ka Vrat) किन देवी-देवताओं को समर्पित है।
इन देव-देवताओं को है शुक्रवार का दिन समर्पित। shukrawar ka vrat kiska hota hai
हिंदू धर्म के अनुसर हफ्ते के सातों दिनों का अपना एक अलग महत्व होता है क्योंकि ये सभी किसी न किसी ग्रह या देवी-देवता की पूजा से जुड़े हुए हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार शुक्रवार का दिन( Shukrawar Ka Vrat)सभी कष्टों को दूर करने वाली मां संतोषी, घर को धन-धान्य से भरने वाली माता लक्ष्मी और सुख और ऐश्वर्य के कारक माने जाने वाले शुक्र ग्रह की पूजा के लिए बहुत शुभ माना गया है। हिंदू मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति मां संतोषी, मां वैभव लक्ष्मी और शुक्र ग्रह की कृपा पाना चाहता है, उसे पूरे विधि-विधान से शुक्रवार का व्रत रखना चाहिए।
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कैसे करें मां संतोषी का व्रत। santoshi mata ki vrat katha
हिंदू मान्यता के अनुसार मां संतोषी को भगवान श्री गणेश की जी पुत्री माना जाता है, जिनकी पूजा करने से भक्तों की तमाम समस्याएं दूर हो जाती है, और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। संतोषी माता के व्रत को 16 शुक्रवार करने (Shukrawar Ka Vrat)का विधान है और इसमें खट्टी चीजों का बिल्कुल भी सेवन नहीं करना चाहिए। माता के व्रत में गुड़ और चना को प्रसाद के रूप में विशष तौर पर चढ़ाया जाता है। इस व्रत को आप किसी भी मास के शुक्लपक्ष में पड़ने वाले शुक्रवार से शुरु कर सकते हैं। व्रत के पूरा होने पर उद्यापन करने पर ही इसका पुण्यफल मिलता है।
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कैसे करें मां लक्ष्मी का व्रत। maa lakshmi ka vrat kaise kare
हिंदू मान्यता के अनुसार माता वैभव लक्ष्मी से सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आशीर्वाद पाने के लिए शुक्रवार का व्रत सबसे उत्तम उपाय है। इस व्रत को सुहागिनें रखती हैं, और इसे किसी भी महीने के शुक्लपक्ष में पड़ने वाले शुक्रवार से प्रारंभ करके अपने संकल्प के अनुसार 11 या फिर 21 शुक्रवार तक किया जा सकता है। इस व्रत में दिन में एक बार भोजन करने का विधान है। मां वैभव लक्ष्मी जी के व्रत की संख्या पूरी होने पर इसका विधि-विधान से उद्यापन किया जाता है जिसमें शुक्रवार(Shukrawar Ka Vrat) वाले दिन 7 सुहागनों के साथ ही 7 कुंवारी कन्याओं को घर बुलाकर खीर का प्रसाद खिलाया जाता है। साथ ही साथ उन्हें मां वैभव लक्ष्मी जी के व्रत की कथा की पुस्तक विशेष रूप से भेंट की जाती है। शुक्रवार के दिन देवी वैभव लक्ष्मी के व्रत से साधक को मनचाही धन-दौलत और मान-प्रतिष्ठा मिलती है। यह व्रत साधक की सभी मंगलकामनाओं को पूरा करते हुए आर्थिक दिक्कतों को दूर करता है।
कैसे करें शुक्र ग्रह का व्रत
शुक्रवार का नाम शुक्र देवता के नाम पर ही पड़ा है। यदि आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह से संबंधित दोष है तो उसे दूर करने और उसकी शुभता को पाने के लिए आपको शुक्रवार(Shukrawar Ka Vrat) का 21 या 31 व्रत रखने चाहिए। साथ ही साथ इस दिन शुक्र से संबंधित चीजें जैसे चीनी, चावल, सफेद कपड़े आदि का दान करना चाहिए।