सत्यनारायण व्रत का महत्व क्या है? ( Satyanarayan Vrat ka mahatva kya hai? )
हमारे शास्त्रों में यह वर्णन मिलता है कि सत्यनारायण कथा (Satyanarayan Vrat Katha) करने से हजारों साल तक किये गए यज्ञों के बराबर फल की प्राप्ति होती है। स्वयं भगवान विष्णु ने इस व्रत की महिमा नारद जी समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए बताई थी। कहते हैं जो भी भक्त सत्य को अपना कर्तव्य और ईश्वर मानकर सत्यनारायण व्रत का पालन करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
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सत्यनारायण जी की कथा कैसे करते हैं? ( Satyanarayan ji ki katha kaise karte hai? )
1. सत्यनारायण पूजा (Satyanarayan Pooja) का संकल्प लेने वाले भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि करना चाहिए ।
2. फिर पूजा का संकल्प लेते हुए दिनभर व्रत का पालन करना चाहिए।
3. सत्यनारायण कथा (Satyanarayan Vrat Katha) के लिए सर्वप्रथम एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं।
4. चौकी के चारों पाएं के पास केले के पत्ते रखें।
5. इसके उपरांत चौकी पर अपने सत्यनारायण भगवान, ठाकुर जी या शालिग्राम को विराजमान करें।
( भगवान विष्णु के निराकार रूप शालिग्राम की पूजा भी इसी दिन की जाती है। कहते हैं Original Gandaki River Vishnu Shaligram यदि घर में हो और उसे पूजा जाए तो व्यक्ति के करोड़ों जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं। इसमें समाहित ऊर्जा घर के वातावरण को पवित्र करती है। )
6. ध्यान रहे कि पूजा करते समय सर्वप्रथम गणेश जी का ध्यान अवश्य करें।
7. इसके बाद इन्द्रादि दशदिक्पाल, पंच लोकपाल, माता सीता- श्री राम, लक्ष्मण की, राधा-कृष्ण का ध्यान करते हुए पूजा करें।
8. इन सभी की पूजा के बाद ठाकुर जी और श्री Satyanarayan pooja आरंभ करें।
9. ठाकुर जी की पूजा के बाद माँ लक्ष्मी और महादेव और ब्रह्मा जी की पूजा की जानी चाहिए।
10. पूजा किये जाने के बाद भगवान की कथा करें और सभी देवताओं की आरती करें फिर चरणामृत लेकर प्रसाद बांटें।
11. फिर पंडित जी को दक्षिणा एवं वस्त्र दक्षिणा में देते हुए भोजन कराएँ।
12. पंडित जी के भोजन के पश्चात उनसे आशीर्वाद लेकर आप स्वयं व्रत खोलें।
2. फिर पूजा का संकल्प लेते हुए दिनभर व्रत का पालन करना चाहिए।
3. सत्यनारायण कथा (Satyanarayan Vrat Katha) के लिए सर्वप्रथम एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं।
4. चौकी के चारों पाएं के पास केले के पत्ते रखें।
5. इसके उपरांत चौकी पर अपने सत्यनारायण भगवान, ठाकुर जी या शालिग्राम को विराजमान करें।
( भगवान विष्णु के निराकार रूप शालिग्राम की पूजा भी इसी दिन की जाती है। कहते हैं Original Gandaki River Vishnu Shaligram यदि घर में हो और उसे पूजा जाए तो व्यक्ति के करोड़ों जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं। इसमें समाहित ऊर्जा घर के वातावरण को पवित्र करती है। )
6. ध्यान रहे कि पूजा करते समय सर्वप्रथम गणेश जी का ध्यान अवश्य करें।
7. इसके बाद इन्द्रादि दशदिक्पाल, पंच लोकपाल, माता सीता- श्री राम, लक्ष्मण की, राधा-कृष्ण का ध्यान करते हुए पूजा करें।
8. इन सभी की पूजा के बाद ठाकुर जी और श्री Satyanarayan pooja आरंभ करें।
9. ठाकुर जी की पूजा के बाद माँ लक्ष्मी और महादेव और ब्रह्मा जी की पूजा की जानी चाहिए।
10. पूजा किये जाने के बाद भगवान की कथा करें और सभी देवताओं की आरती करें फिर चरणामृत लेकर प्रसाद बांटें।
11. फिर पंडित जी को दक्षिणा एवं वस्त्र दक्षिणा में देते हुए भोजन कराएँ।
12. पंडित जी के भोजन के पश्चात उनसे आशीर्वाद लेकर आप स्वयं व्रत खोलें।
सत्यनारायण व्रत कथा ( Satyanarayan Vrat Katha )
अपने इन वचनों को कहने के बाद काशीपुर नगर के रहने वाले एक निर्धन ब्राह्मण को भिक्षा मांगते देख भगवान विष्णु एक वृद्ध ब्राह्मण का रूप धारण कर उस भिक्षा मांग रहे ब्राह्मण के पास जाकर कहते हैं कि सत्यनारायण भगवान (Satyanarayan bhagwan) का व्रत समस्त दुःखों को समाप्त कर मनोवांछित फल की प्राप्ति कराता है, तुम उनके व्रत का पालन नियमपूर्वक पालन करो और सत्यनारायण भगवान की कथा ( Satyanarayan ki Katha ) का पाठ करो।
तुम्हारे सारे दुःख दूर हो जाएंगे और सुखी जीवन व्यतीत करोगे। भगवान विष्णु आगे कहते हैं कि उपवास के समय केवल निराहार ही नहीं रहना चाहिए बल्कि मन में सकारात्मक विचार उत्पन्न होने चाहिए कि सत्यनारायण भगवान (Satyanarayan bhagwan) हमारे निकट हैं। अतः अपने भीतर और बाहर शुचिता को बनाए रखें। सत्यनारायण के व्रत (Satyanarayan ke vrat) के दिन श्रद्धापूर्वक व्रत का पालन कर मंगलमयी सत्यनारायण कथा ( Satyanarayan Katha ) को सुनें।
सत्यनारायण कथा ( Satyanarayan Katha ) कुछ इस तरह है कि नारद जी एक बार मृत्युलोक को पधारे और उन्होंने वहां पर मनुष्यों को उनके कर्मों की वजह से तरह-तरह के दुःख भोगते देखा। मनुष्यों को दुःखों को भोगते देख नारद जी अत्यंत दुखी हो उठे। मृत्युलोक से वे अपने प्रभु श्री हरि के पास पहुंचते हैं और कहते हैं कि हे! प्रभु यदि आप मेरी भक्ति से प्रसन्न है तो मृत्युलोक के प्राणियों के दुःखों को हरने वाला कोई उपाय कृपा करके बताएं।
नारद जी की बात सुनकर भगवान विष्णु ने कहा कि हे! वत्स तुमने समस्त प्राणी के कल्याण के लिए बहुत सुन्दर प्रश्न मुझसे किया है। आज मैं तुम्हें एक ऐसे व्रत उपाय की जानकारी दूंगा जो सभी के दुःख तो हरता ही है साथ ही इससे मोक्ष का द्वार भी खुलता है।
सत्यनारायण कथा में कितने अध्याय हैं? ( Satyanarayan Katha me kitne adhyay hai? )
सत्यनारायण कथा (Satyanarayan katha) के पांच अध्याय है जिनमें 170 संस्कृत श्लोकों के माध्यम से सत्यनारायण भगवान (Satyanarayan bhagwan) की महिमा को बताया गया हैं। इस कथा के 2 प्रमुख विषय हैं जिनमें से पहला विषय है अपने द्वारा लिए गए संकल्प को भूलना जबकि दूसरा विषय है प्रसाद का अपमान करना। व्रत कथा के पाँचों अध्यायों में छोटी-छोटी कहानियां दी गई हैं कि किस प्रकार व्यक्ति अपनी भूल और गलती से भगवान विष्णु को दूर कर देता हैं और फिर दुःखों को भोगता है।
सत्यनारायण की पूजा करने से क्या होता है? ( Satyanarayan ki puja karne se kya hota hota hai? )
मनुष्य अपने कर्मों के हिसाब से अपने दुःखों को भोगता है। कई बार मनुष्य अपने वर्तमान में जो कष्ट भोग रहा है वह उसके पूर्वजन्मों के कर्म पर आधारित होते हैं परन्तु वह खुद के भाग्य को कोसता रहता है। ऐसे में यदि व्यक्ति अपने दुःखो, कष्टों को दूर करने के लिए सत्यनारायण भगवान की पूजा करता हैं तो भगवान उसके दुःख हर लेते हैं। स्वयं भगवान विष्णु ने सत्यनारायण व्रत (Satyanarayan vrat) और पूजा विधि के बारे में उल्लेख किया है। इस तरह सत्यनारायण पूजा (Satyanarayan puja) के महत्व को समझ सकते हैं।
सत्यनारायण भगवान की कथा कब सुननी चाहिए? या सत्यनारायण की कथा कब करनी चाहिए?
सत्यनारायण भगवान की कथा (Satyanarayan ki katha) को एकादशी या पूर्णिमा के दिन सुनना चाहिए। सत्यनारयण की पूजा (Satyanarayan ki puja) किये जाने के पीछे का प्रमुख उद्देश्य है सत्य की पूजा करना।
सत्यनारायण की कथा में क्या क्या सामग्री लगती है? ( Satyanarayan ki katha me kya-kya samagri lagti hai? )
सत्यनारायण की कथा (Satyanarayan ki kath)सामग्री :
सुपारी, धूपबत्ती, केले के पत्ते, कपूर, खुले फूल 500 ग्राम, केसर, चंदन, यज्ञोपवीत, कुशा व दूर्वा, रोली, चावल, हल्दी, कलावा, रुई, 5 नग पान के पत्ते, फूलमाला, शहद, आसन, पंचमेवा, गंगाजल, शक्कर, शुद्ध घी, दही, दूध, ऋतुफल, मिष्ठान, चौकी, पंचामृत, तुलसी दल, तांबे या मिट्टी का कलश, आधा मीटर सफेद कपड़ा, आधा मीटर लाल या पीला कपड़ा, दीपक 3 नग, ताम्बूल, नारियल, आदि।
सुपारी, धूपबत्ती, केले के पत्ते, कपूर, खुले फूल 500 ग्राम, केसर, चंदन, यज्ञोपवीत, कुशा व दूर्वा, रोली, चावल, हल्दी, कलावा, रुई, 5 नग पान के पत्ते, फूलमाला, शहद, आसन, पंचमेवा, गंगाजल, शक्कर, शुद्ध घी, दही, दूध, ऋतुफल, मिष्ठान, चौकी, पंचामृत, तुलसी दल, तांबे या मिट्टी का कलश, आधा मीटर सफेद कपड़ा, आधा मीटर लाल या पीला कपड़ा, दीपक 3 नग, ताम्बूल, नारियल, आदि।
सत्यनारायण कथा के कितने अध्याय है | Satyanarayan Katha kitne adhyay hai
भगवान की पूजा कई रूपों में की जाती है, उनमें से भगवान का सत्यनारायण (Satyanarayan) स्वरूप इस कथा में बताया गया है। इसके मूल पाठ में पाठान्तर से लगभग 170 श्लोक संस्कृत भाषा में उपलब्ध है जो पाँच अध्यायों में बँटे हुए हैं।
2022 सत्यनारायण व्रत कब है? ( 2022 Satyanarayan Vrat kab hai? )
श्री सत्यनारायण व्रत (पौष पूर्णिमा)
17 जनवरी (सोमवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (माघ पूर्णिमा)
16 फरवरी (बुधवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (फाल्गुन पूर्णिमा)
18 मार्च (शुक्रवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (चैत्र पूर्णिमा)
16 अप्रैल (शनिवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (वैशाख पूर्णिमा)
16 मई (सोमवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (ज्येष्ठ पूर्णिमा)
14 जून (मंगलवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (आषाढ़ा पूर्णिमा)
13 जुलाई (बुधवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (श्रावण पूर्णिमा)
12 अगस्त (शुक्रवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (भाद्रपद पूर्णिमा)
10 सितम्बर (शनिवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (आश्विन पूर्णिमा)
09 अक्तूबर (रविवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (कार्तिक पूर्णिमा)
08 नवम्बर (मंगलवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (मार्गशीर्ष पूर्णिमा)
08 दिसम्बर (गुरुवार)
17 जनवरी (सोमवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (माघ पूर्णिमा)
16 फरवरी (बुधवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (फाल्गुन पूर्णिमा)
18 मार्च (शुक्रवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (चैत्र पूर्णिमा)
16 अप्रैल (शनिवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (वैशाख पूर्णिमा)
16 मई (सोमवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (ज्येष्ठ पूर्णिमा)
14 जून (मंगलवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (आषाढ़ा पूर्णिमा)
13 जुलाई (बुधवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (श्रावण पूर्णिमा)
12 अगस्त (शुक्रवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (भाद्रपद पूर्णिमा)
10 सितम्बर (शनिवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (आश्विन पूर्णिमा)
09 अक्तूबर (रविवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (कार्तिक पूर्णिमा)
08 नवम्बर (मंगलवार)
श्री सत्यनारायण व्रत (मार्गशीर्ष पूर्णिमा)
08 दिसम्बर (गुरुवार)