आइये जानते हैं – गुरु सांदीपनि कौन थे? | Aaiye jante hain Guru Sandipani kaun hain
Sandipani Ashram Ujjain – गुरु सांदिपनी (Guru Sandipani) मूलतः काशी के रहने वाले थे पर वे अपने पुत्रों की मृत्यु के वियोग को सहन नहीं कर पा रहे थे इसलिए उन्होंने काशी छोड़कर उज्जैन में रहने का निश्चय किया था। जब उन्होंने उज्जैन (अवंतिका पूरी) में प्रवेश किया तो वहां सिंहस्थ का मेला लगा हुआ था और वहां अकाल पड़ा था। सभी लोगों में पानी और भोजन को लेकर मरने-मारने की स्थिति बनी हुई थी। जैसे ही वहां के लोगों को पता चला कि अवंतिका पुरी में काशी के विख्यात ऋषि सांदीपनि पधारे हैं तो सभी ऋषि के पास पहुंचे और उन्होंने अपनी नगरी की दशा के बारे में ऋषि को विस्तार से बताया।
यह सुन ऋषि ने इस समस्या के उपाय के तौर पर भगवान शिव की तपस्या करना आरम्भ कर दिया। ऋषि सांदिपनी (Rishi sandipani) वर्षों तक तपस्या में लीन रहे और अंततः भगवान् शिव उनसे प्रसन्न होकर प्रकट हुए और इच्छित वर के बारे में पूछा। ऋषि ने कहा कि अवंतिका पुरी में अकाल की स्थिति बनी हुई है कृपा इस संकट से हमें छुटकारा दिलाएं।
उज्जैन से श्री कृष्ण का है ख़ास रिश्ता | Ujjain se shree krishna ka hain khaas rishta
भगवान् श्री कृष्ण (Bhagwan Shri Krishna) का भी उज्जैन से बहुत ही ख़ास संबंध माना जाता है क्योंकि महाकाल की नगरी उज्जैन में ही उनकी शिक्षा-दीक्षा सम्पन्न हुई थी। 12 ज्योतिर्लिंगों (Jyotirlingas) में शामिल महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग जहाँ अवस्थित है उज्जैन के राजा कहे जाने वाले महाकाल की नगरी मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि कोई भी दूसरा राजा यहाँ पर नहीं रह सकता है। इन मान्यताओं के हटकर यह स्थान भगवान् श्री कृष्ण (Bhagwan Shri Krishna) की शिक्षा-दीक्षा की भूमि भी माना जाता है।
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मात्र 64 दिनों में ग्रहण की शिक्षा | Maatr 64 dinon mein grahan kee shiksha
यहाँ पर गुरु सांदिपनी (Guru Sandipani) नामक आश्रम मौजूद है जहँ पर भगवान् श्री कृष्ण, बलराम और उनके मित्र सुदामा ने अपनी शिक्षा ग्रहण की थी। इस बात का श्रीमदभागवत, महभारत और अन्य कई पुराणों में उल्लेख किया गया है। कहा जाता है श्री कृष्ण ने मात्र 64 दिनों में जिसमें से 18 दिनों में 18 धर्म पुराण, 6 दिनों में 6 शास्त्र, 4 दिनों में 4 वेद और 20 दिनों में भगवत गीता का संपूर्ण ज्ञान गुरु सांदिपनी (Guru Sandipani) से हासिल किया था। साथ ही अपनी गुरु दक्षिणा और सेवा भी इन दिनों में ही पूरी की।
भगवान् शिव के वरदान से ही उज्जैन नगरी रहती है समृद्ध | Bhagwan Shiv ke vardhan se hee Ujjain nagri rehte hain samrddh
उनकी इच्छा सुनने के बाद भगवान् शिव बोले कि हे! ऋषि जब तक इस नगरी में महाकाल (Mahakal) का मंदिर रहेगा तब तक यहाँ कभी कोई महामारी या अकाल नहीं पड़ेगा। यहाँ सैदव समृद्धि बनी रहेगी। यह वरदान देने के बाद भगवान् शिव ऋषि से बोले कि हे! ऋषि (Rishi) मैं आपकी इस जनकल्याण की भावना से अत्यधिक प्रसन्न हुआ हूँ। अतः आपको मैं स्वयं के लिए एक इच्छित वर मांगने के लिए कहता हूँ। यह सुन ऋषि सांदीपनि ने मृत 7 पुत्रों में से अपने एक पुत्र को जीवित माँगा।
(भगवान् शिव के महाकाल स्वरुप का आशीर्वाद पाने के लिए Mahakal Kavach Locket का प्रयोग करें। यह महाकालेश्वर का आशीर्वाद स्वरुप है।)
सांदीपनि आश्रम उज्जैन इतिहास | Sandipani Ashram Ujjain History

संदीपनी आश्रम क्यों प्रसिद्ध है? | Sandipani Ashram kyu prasid hain
सांदीपनि ऋषि के गुरु कौन थे | Sandipani Rishi ke guru kaun the
संदीपनी ऋषि कौन थे? | Sandipani Rishi kaun the

सांदीपनि आश्रम उज्जैन से कितनी दूर है? | Sandipani Ashram ujjain se kitne dur hain
सांदीपनि आश्रम का क्या महत्व है? | Sandipani Ashram ka kya mahatv hain
कृष्ण सांदीपनि आश्रम में कितने दिन रहे? | Krishna Sandipani Ashram me kitne din rahe

सांदीपनि की कहानी क्या है? | Sandipani ki kahani kya hain
कृष्ण ने सांदीपनि से क्या सीखा? | krishna ne Sandipani Ashram se kya sikha
संदीपनी का मतलब क्या है? | Sandipani ka matlab kya hain

श्रीकृष्ण के गुरु कौन थे – krishna bhagwan ke guru kaun the
कृष्ण ने अपनी शिक्षा कहां से ली थी? | Krishna ne apne siksha kaha se le the
