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    Home » जानिए रवि प्रदोष व्रत कथा और इस दिन पूजा करने की विशेष विधि
    Astrology

    जानिए रवि प्रदोष व्रत कथा और इस दिन पूजा करने की विशेष विधि

    Prabhu BhaktiBy Prabhu BhaktiJuly 24, 2023Updated:July 24, 2023
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    रवि प्रदोष क्या है? ( Ravi Pradosh kya hai? )

    हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी तिथि को रविवार के दिन पड़ने वाला व्रत रवि प्रदोष ( Ravi Pradosh ) कहलाता है। रविवार सूर्य देव ( Surya Dev ) का दिन माना जाता है इस प्रकार रवि प्रदोष के दिन व्रत रखने से सूर्य से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं। इस दिन भगवान शिव ( Bhagwan Shiv ) और सूर्य देव कृपा जातक को मिलती है।   

    यदि जातक की कुंडली में सूर्य अशुभ फल दे रहा है तो रवि प्रदोष के दिन सूर्य यन्त्र लॉकेट ( Surya Yantra Locket ) धारण करें। ऐसा करने से कुंडली में सूर्य के अशुभ प्रभाव कम हो जाएंगे।

    रवि प्रदोष पूजा विधि ( Ravi Pradosh Puja Vidhi )

    1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
    2. इसके बाद सर्वप्रथम सूर्यदेव को जल अर्पित करें।  
    3. फिर भगवान शिव का गंगाजल और पंचामृत से जलाभिषेक करें।
    4. जलाभिषेक के बाद पुष्प, बेलपत्र, चन्दन, सुपारी और लौंग चढ़ाएं।   
    5. इसके बाद फल और नैवैद्य का भगवान को भोग लगाएं।  
    6. भगवान शिव का ध्यान करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें।  

    रवि प्रदोष व्रत कथा ( Ravi Pradosh Vrat Katha )

    एक बार की बात है एक ग्राम में निर्धन ब्राह्मण रहा करता था जिसकी पत्नी प्रदोष व्रत रखा करती थी। उस निर्धन दंपत्ति के एक पुत्र था।  वह पुत्र एक बार गंगा स्नान करने के लिए गया। लेकिन उसके मार्ग में ही अचानक चोर आ गए और कहने लगे कि बता पिता का गुप्त धन कहाँ छिपाकर रखा है? चोरों की यह बात सुनकर वह पुत्र बोला कि उसके माँ-बाप बहुत ही निर्धन हैं। भला उसके पास कहाँ से गुप्त धन आएगा। चोरों ने उसकी बातें सुन उसपर दया कर आगे जाने दिया।  

    अब ब्राह्मण का पुत्र आगे मार्ग पर जाने लगा, चलते-चलते वह इतना थक चुका था कि वह पास के बरगद के वृक्ष के नीचे बैठकर विश्राम करने लगा। उसी समय पास के नगर से दो सिपाही चोरों को खोजते हुए उस स्थान पर पहुंचे जहाँ वह ब्राह्मण पुत्र विश्राम कर रहा था।  उन सिपाहियों ने ब्राह्मण के पुत्र को पकड़कर राजा के सामने पेश। फिर राजा ने उसे चोर समझकर जेल में डलवा दिया।  

    कुछ समय बीतने पर जब ब्राह्मणी का पुत्र घर नहीं पहुंचा तो उसे बहुत चिंता होने लगी। अगले ही प्रदोष व्रत रखा जाना था, ब्राह्मणी ने प्रदोष व्रत का पालन कर भगवान शिव की पूजा अर्चना की और अपने बेटे के कुशल मंगल होने की कामना भी की।

    ब्राह्मणी के व्रत का शुभ फल निकला और राजा को उसी रात्रि को एक स्वप्न आया। दरअसल राजा के स्वप्न में आया कि वह बालक निर्दोष है उसने कोई चोरी नहीं की। यदि तुमने उसे नहीं छोड़ा तो तुम्हारा सारा राजपाठ समाप्त हो जाएगा। सुबह होते ही उस राजा ने ब्राह्मण के पुत्र को अपने दरबार में बुलवाया।  

    इसके बाद बालक ने सारी बात राजा को विस्तार से बताई।  राजा ने बालक के माता-पिता को भी दरबार में बुलाया और कहा कि तुम्हारा पुत्र निडर और निर्दोष है। हम तुम्हारी दीन-हीनता को देखते हुए पांच गाँव तुम्हारे नाम करते हैं।  इस तरह ब्राह्मणी द्वारा रखे गए रवि प्रदोष व्रत के शुभ फल से ब्राह्मण का परिवार सुखी और समृद्ध हो गया। इस प्रकार रवि प्रदोष के दिन जो भी सच्चे मन से व्रत का पालन कर  रविवार प्रदोष व्रत कथा ( Ravivar Pradosh Vrat Katha ) का पाठ करता है उसे भगवान शिव का असीम आशीर्वाद मिलता है।     

    साल 2022 में रवि प्रदोष कब है? ( Saal 2022 me Ravi Pradosh kab hai? )

    जनवरी 30, 2022
    रविवार- माघ, कृष्ण त्रयोदशी
    प्रारम्भ –
    कृष्ण त्रयोदशी तिथि 29 जनवरी रात्रि में 8 बजकर 37 मिनट पर
    समाप्त – 30 जनवरी दोपहर में 5 बजकर 28 मिनट पर

    जून 12, 2022
    रविवार- ज्येष्ठ, शुक्ल त्रयोदशी
    प्रारम्भ-
    ज्येष्ठ, शुक्ल त्रयोदशी 12 जून को देर रात 3 बजकर 23 मिनट पर
    समाप्त- 13 जून को देर रात 12 बजकर 26 मिनट पर

    जून 26, 2022
    रविवार- आषाढ़, कृष्ण त्रयोदशी
    प्रारम्भ-
    आषाढ़, कृष्ण त्रयोदशी तिथि 26 जून को देर रात 1 बजकर 09 मिनट पर
    समाप्त- 27 जून को देर रात 3 बजकर 25 मिनट पर
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